07/06/2024
रोहिनी आचार्या कभी अपने समाज के हित के लिए एक लाठी नही खा सकती हैं।
लाठी खाना तो दूर की बात है कभी भी ये खुले मुंह से अपने समाज के हित के लिए बोल नही सकती। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है की यादव समाज के बच्चें से लेकर बूढ़े तक सभी के सभी राजनीतिक हो चुके हैं।
राजनितिक हो जाने के दुष्परिणाम ये है की हम हर घटनाओं और बातें में राजनीतिक लाभ और हानि देखने लग जाते हैं।
छपरा में 3 लोगों पर गोली चलाई गई थी, जिसमें एक की मौत हुई और बाकि 2 की इलाज़ चल रही थी। हमारे लोगों के ऊपर गोली चलाई गई जिसमे एक की मौत हो गई और आज़ तक पीड़ीत परिवार से मिलने के लिए छपरा कोई राजद के अलाकमान नहीं गया , पहले तो तेजस्वी यादव और रोहिणी आचार्य को चुनाव का बहाना था अब क्या है ?
🔸आखिर छपरा में चंदन यादव के न्याय के लिए आवाज़ कौन उठायेगा ?
🔸उस परिवार के कंधे से कंधे मिलाकर परिवार का सहारा कौन बनेगा ?
🔸क्या एक जान की क़ीमत 10 लाख है ?
🔸आख़िर राजद के आलाकमान छपरा जाने से क्यू डर रहा है ?
अब ये डर सिर्फ़ तेजस्वी यादव को ही नहीं बिहार के हर एक यादव के मन में डर है कि जो पार्टी के लिए दिन रात समर्पित रहते हैं , पार्टी को अपने खून-पसीने से सींचते हैं , उनके विकट परिस्थितियों में सहारा कौन बनेगा ?
लेकीन एक बात याद रहे दोस्त गमले के पौधें से छांव की उम्मीद नहीं करना हैं, यानि इनसे क्रांति की उम्मीद नही रखना है....!!
जय श्री कृष्ण...🌸❤️
Credit - Nitin Kumar Yadav