Global News

Global News moradabad

18/07/2024

```मोहनदास करमचंद गांधी```👇
*"मैंने इमाम हुसैन से सीखा की मज़लूमियत में किस तरह जीत हासिल की जा सकती है। इस्लाम की बढ़ोतरी तलवार पर निर्भर नहीं करती बल्कि इमाम हुसैन के बलिदान का एक नतीजा है जो एक महान संत थे।"*

```रबिन्द्रनाथ टैगौर```👇
*"इन्साफ़ और सच्चाई को ज़िंदा रखने के लिए, फौजों या हथियारों की ज़रुरत नहीं होती है। कुर्बानियां देकर भी फ़तह (जीत) हासिल की जा सकती है, जैसे की इमाम हुसैन ने कर्बला में किया।*

*"इमाम हुसैन मानवता के नेता हैं"*

*"इमाम हुसैन ठन्डे दिलों को जोश दिलाते रहेंगे।" "इमाम हुसैन का बलिदान अध्यात्मिक मुक्ति को इंगित करता है।"*

```पंडित जवाहरलाल नेहरु```👇
*"इमाम हुसैन की क़ुर्बानी तमाम गिरोहों और सारे समाज के लिए है, और यह क़ुर्बानी इंसानियत की भलाई की एक अनमोल मिसाल है।"*

```डॉ. राजेंद्र प्रसाद```👇
*"इमाम हुसैन की कुर्बानी किसी एक मुल्क या कौम तक सिमित नहीं है, बल्कि यह लोगों में भाईचारे का एक असीमित राज्य है।"*

```डॉ. राधाकृष्णन```👇
*"अगरचे इमाम हुसैन ने सदियों पहले अपनी शहादत दी, लेकिन इनकी इनकी पाक रूह आज भी लोगों के दिलों पर राज करती है।"*

```स्वामी शंकराचार्य```👇
*"यह इमाम हुसैन की कुर्बानियों का नतीजा है कि आज इस्लाम का नाम बाक़ी है नहीं तो आज इस्लाम का नाम लेने वाला पुरी दुनिया में कोई भी नहीं होता"*

```श्रीमती सरोजिनी नायडू```👇
*"मैं मुसलमानों को इसलिए मुबारकबाद पेश करना चाहती हूँ की यह उनकी खुशकिस्मती है कि उनके बीच दुनिया की सब से बड़ी हस्ती इमाम हुसैन पैदा हुए जो संपूर्ण रूप से दुनिया भर के तमाम जाती और समूह के दिलों पर राज किया और करता है।"*

```एडवर्ड ब्राउन```👇
*"कर्बला में खूनी सहरा की याद जहां अल्लाह के रसूल का नवासा प्यास के मारे ज़मीन पर गिरा और जिसके चारों तरफ सगे सम्बन्धियों के लाशें थीं यह इस बात को समझने के लिए काफी है की दुश्मनों की दीवानगी अपने चरम सीमा पर थी, और यह सब से बड़ा ग़म (शोक) है जहाँ भावनाओं और आत्मा पर इस तरह नियंत्रण था की इमाम हुसैन को किसी भी प्रकार का दर्द, ख़तरा और किसी भी प्रिये की मौत ने उन के क़दम को नहीं डगमगाया।"*

```डॉ के शेल्ड्रेक```👇
*"इस बहादुर और निडर लोगों में सभी औरतें और बच्चे इस बात को अच्छी तरह से जानते और समझते थे की दुश्मन की फौजों ने इनका घेरा किया हुआ है, और दुश्मन सिर्फ लड़ने के लिए नहीं बल्कि इनको क़त्ल करने के लिए तैयार हैं। जलती रेत, तपता सूरज और बच्चों की प्यास ने भी इन्हें एक पल के, ईन में से किसी एक व्यक्ति को भी अपना क़दम डगमगाने नहीं दिया। इमाम हुसैन अपनी एक छोटी टुकड़ी के साथ आगे बढ़े, न किसी शान के लिए, न धन के लिए, न ही किसी अधिकार और सत्ता के लिए, बल्कि वो बढ़े एक बहुत बड़ी क़ुर्बानी देने के लिए जिस में उन्होंने हर क़दम पर सारी मुश्किलों का सामना करते हुए भी अपनी अपनी सत्यता का कारनामा दिखा दिया।"*

```चार्ल्स डिकेन्स```👇
*"अगर इमाम हुसैन अपनी संसारिक इच्छाओं के लिए लड़े थे तो मुझे यह समझ नहीं आता की उन्हों ने अपनी बहन, पत्नी और बच्चों को साथ क्यों लिया। इसी कारण मै यह सोचने और कहने पर विवश हूँ के उन्हों ने पूरी तरह से सिर्फ इस्लाम के लिए अपने पुरे परिवार का बलिदान दिया ताकि इस्लाम बच जाए।"*

```अंटोनी बारा```👇
*"मानवता के वर्तमान और अतीत के इतिहास में कोई भी युद्ध ऐसा नहीं है जिसने इतनी मात्रा में सहानूभूती और प्रशंसा हासिल की है और सारी मानवजाती को इतना अधिक उपदेश व उदाहरण दिया है जितनी इमाम हुसैन की शहादत ने कर्बला के युद्ध से दी है।"*

```थॉमस कार्लाईल```👇
*"कर्बला की दुखद घटना से जो हमें सब से बड़ी सीख मिलती है वो यह है की इमाम हुसैन और इनके साथियों का अल्लाह पर अटूट विश्वास था और वोह सब मोमिन (अल्लाह से डरने वाले) थे। इमाम हुसैन ने यह दिखा दिया की सैन्य विशालता ताक़त नहीं बन सकती।"*

```रेनौल्ड निकोल्सन```👇
*”हुसैन गिरे, तीरों से छिदे हुए, इनके बहादुर सदस्य आखरी हद तक मारे-काटे जा चुके थे, मुहम्मदी परम्परा अपने अंत पर पहुँच जाती, अगर इस असाधारण शहादत और क़ुर्बानी को पेश न किया जाता। इस घटना ने पूरी बनी उमय्या को इमाम हुसैन के परिवार का दुश्मन, यज़ीद को हत्यारा और इमाम हुसैन को "शहीद" घोषित कर दिया....*

16/07/2024

Tumhare Sajde Ko Kaba Salam Kehta Hai
Jalal E Qubba E Khazra Salam Kehta Hai
Chaman Ka Har Gul O Ghuncha Salam Kehta Hai
Husain Tum Ko Zamana Salam Kehta Hai

Chirag O Masjid O Mimbar Salam Kehta Hain
Nabi O Rasul O Payambar Salam Kehta Hain
Ali O Fatima Shabbar Salam Kehta Hain
Khuda Gawah H K Nana Salam Kehta Hain

Khuda Ki Rah Main Sar Ko Kata Diya Tumne
Nabi K Deen Par Ghar Ko Luta Diya Tumne
Nishan E Kufr Ko Yaksar Mita Diya Tumne
Tumhe Khuda Bhi Tumhara Salam Kehta Hai

Falak K Sitare Salam Kahte Hain,
Tmhe Quran K Pare Salam Kahte Hain
Tmhe Haram K Minare Salam Kahte Hain
Imam Tum Ko Madina Salam Kehta Hai

Sana Tumhari Wazifah Hai Mera Aabai
Tumhari Madha To Shewa Hai Mera Maulai
Bas Ek Nazar Ho Mujhpar Jo Meri Ban Aayi
Tumhara Syed E Shaidah Salam Kehta Hai

16/07/2024

अमीर मुआविया सहाबी या मुनाफिक आप खुद फैसला करें -

(1) वो कौन हैं जो मिम्बरो पर मौला अली को गालियाँ दिलवाता रहा ? ( Bukhari - 3703) (Muslim - 6229)

Ans - वो मुआविया है

हुज़ूर ने फरमाया _ जिसने अली को गाली दी उसने मुझे गाली दी ( Almustadrak Hakim) Hadees No - 4616

(2) वो कौन है जिसने मौला अली की दुश्मनी की वजह से मक्का शरीफ में तल्बिया कहना मना किया ? (Sunan Nisai - 3009)

Ans - वो मुआविया है

(3) वो कौन है जिसके लिए हज़रत आयशा r. हर फजर की नमाज़ के बाद बद्दुआ करती थी ?

( मुस्नदे आएशा) अल्लामा जलालुद्दीन सियूती

Ans - वो मुआविया है

(4) वो कौन जिसने मौला अली से जंगे की ? Jange siffeen, jange jamal , jange nahrwaan

Ans - वो मुआविया है

(5) किसके गिरोह को आका ने बाग़ी गिरोह करार दिया ? (Mishkaat (5878) muslim (7322) (7320)

Ans - वो मुआविया है

(6) वो कौन है जिसको मेरे आका ने फ़रमाया या अल्लाह फला का पेट कभी ना भरे ? Muslim (6628)

Ans - वो मुआविया है

(7) वो कौन है जो रसूल की हराम करदा चीजों को बिला झिझक इस्तेमाल किया करता था ? (Muslim - 4776) ( Abu Dawood - 4131)

Ans - वो मुआविया है

(8) वो कौन है जिसने हज़रत साद इब्ने वकास से कहा तुम अली पे लानत क्यों नहीं करते ? (Muslim - 6220) ( Almustadrak Hakim 4575)۔ 36 ۔ تاریخِ مسعودی حصّہ سوم صفحہ

Ans - वो मुआविया है

(9) वो कौन है जिसने इमाम हसन से लड़ने की बातें की ?

Ans - वो मुआविया है

(10) वो कौन है जिसने इस्लाम जैसे पाक मज़हब की बाग डोर आले रसूल के बजाए अपने शराबी बदमाश बेटे यज़ीद को देदी ? (Tareekhe tabri jild 4 safa n. 129 -हिस्सा अव्वल )
Tareekhe khulfa jild 1 safa n.408 , 409 , 423

Ans - वो मुआविया है

(11) वो कौन है जिसने सहाबा को हराम माल खाने और नाहक क़त्ल करने का हुक्म देता था ?
(Abu Dawood - 4131) (Muslim - 4776)

Ans - वो मुआविया है

(12) वो कौन है जिसने अली का जिक्र सुन कर ऐसे ना मुनासिब कलिमात अदा किए जिससे सामने वाले सहाबी ग़ुस्से में आ गये और मौला अली के फ़ज़ाइल बयान किया ? (इब्ने माजा _ 121)

Ans - वो मुआविया है

(13) वो कौन है जिसने इमाम हसन की शहादत पर खुशियाँ मनाई ?

(14) किसके गिरोह को पैग़म्बरे अकरम ने फ़रमाया वो जहन्नम की तरफ़ बुला रही होगी ?
(Bukhari - 447 ) Bukhari (2812)

Ans - वो मुआविया है

(15) हजरत हजर बिन अदि r. जो सहाबिये रसूल थे और मौला अली के वफादारों में थे इन्हें जान बूझकर कत्ल करने वाला कौन?
(Almustadark Hakim - 5974, 5980, 5983)

Ans - वो मुआविया है

जब की अल्लाह कुरआन पाक में इरशाद फ़रमाता है

Surat No 4 : سورة النساء - Ayat No 93

وَ مَنۡ یَّقۡتُلۡ مُؤۡمِنًا مُّتَعَمِّدًا فَجَزَآؤُہٗ جَہَنَّمُ خٰلِدًا فِیۡہَا وَ غَضِبَ اللّٰہُ عَلَیۡہِ وَ لَعَنَہٗ وَ اَعَدَّ لَہٗ عَذَابًا عَظِیۡمًا ﴿۹۳﴾

اور جو کوئی مسلمان کو جان بوجھ کر قتل کرے
تو اس کا بدلہ جہنم ہے کہ مدتوں اس میں رہے
اور اللہ نے اس پر غضب کیا اور اس پر لعنت کی اور اس کے لئے تیار رکھا بڑا عذاب ،

( 16) वह कौन है जो अपनी खिदमत के लिए ख्वाजा सरा ( हिजड़े) मुकर्रर किए हुए थे

तारीखे खुल्फा safa no 137 , 415

Ans - वो मुआविया है

(17 )मुअविया के माने भोकने वाला कुत्ता

तारीखे खुल्फा सफा no 288

18 हजरत हजर bin अदि और उनके साथियों को मौला अली पर लानत न करने की वजह से किसने कत्ल करवाया ,

तारीखे तबरी जिल्द 4 सफा no 98, 99

Ans - वो मुआविया है

19
हजरत अब्दुर्रहमान बिन हस्सान गज़ी को मौला अली की तारीफ करने की वजह से जिंदा ज़मीन मे किसने गड़ाया

तारीखे तबरी जिल्द 4 सफा no 100

Ans - वो मुआविया है

20
हजरत अब्दुर्रहमान बिन अबुबकर को यजीद की बैयत कुबूल न करने पर उन्हें कत्ल की धमकीयां देना वाला शख्स कौन था

तारीखे तबरी जिल्द 4 सफा no 117 , 118

Ans - वो मुआविया है

अब इतना सब पढ़ने के बाद मे आप ख़ुद अपने ज़मीर से पूछिए क्या आपका ज़मीर इजाज़त देगा ऐसे शख्स को राजियल्लाह कहने को या सहाबी मानने को।

16/07/2024

*बुज़ुर्गाने दीन के नज़दीक #ताज़ियादारी*:-
शाह अब्दुल अज़ीज़ मोहद्दिस देहलवी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं कि ताज़िया के सामने रख कर जो फातिहा दी जाती है।वह मुतबर्रक है।
(फतावा अज़ीज़ी-1/189)
* हज़रत शाह नियाज़ बे नियाज बरेलवी रहमतुलल्लाह अलैह *
हज़रत शाह #नियाज़_बेनियाज़ #बरेलवी रहमतुल्लाहअलैह आशूरह की रात ताज़ियों की ज़ियारत के लिए तशरीफ ले जाते थे।जब आप बिल्कुल ज़ईफ हो गए तो दूसरों के सहारे से ताज़ियों की ज़ियारत किया करते थे।और ताज़ियों के तख्त को बोसा देते थे।
करामाते निज़ामिया-70)
*शाह क़ुतबुद्दीन सम्भली*
शाह क़ुतबुद्दीन सम्भली रहमतुल्लाहअलैह का मामूल था।जब ताज़िया आप के सामनेआता तो,आप बा अदब खडे हो जाते,और ताज़िया शरीफ की ज़ियारत रोते-रोते
किया करते थे।
(फतावा ताज़ियादारी-3)
*हज़रत अल्लामा सलामत अली देहलवी रहमतुल्लाह अलैह *
हज़रत अल्लामा सलामत अली शागिर्द शाहअब्दुलअज़ीज़ मोहद्दिस देहलवी रहमतुल्लाह अलैह, फरमाते हैं कि,ख़ोदा का शुक्र है कि ताज़ियादारी इस्लाम मे है,और इस से दीनी फायदे होते हैं।(हवाला तबसरातुल ईमान, दीने मोहम्मदी और--- ताज़ियादारी)
*हज़रत मुफ्ती याक़ूब लाहौरी रहमतुल्लाह अलैह *
हज़रत मुफ्ती याक़ूब लाहौरी रहमतुल्लाह अलैह, फरमाते हैं।मुहर्रम अपने तमाम लवाजमात के साथ करना जायज है।और यह एक अच्छा अमल है।जो कि बुजुर्गाने दीन से साबित है।
(तोहफतुन नाज़रीन-52)
*आले रसूल सैय्यद अब्दुर्रज़्ज़ाक बाँसवी रहमतुल्लाह अलैह *
सैय्यद अब्दुर्रज़्ज़ाक़ बाँसवी रहमतुल्लाह अलैह का मामूल था कीआप जब ताज़िया शरीफ को देखते तोअदब में फौरन खड़े हो जाते,जब ताज़िया शरीफ रूखशत होता तो आप नंगे पाँव साथ-साथ तशरीफ ले जाते।और ताज़िया दफन कर के घर तशरीफ ले आते,।औरआप फरमाया करते थे की,ताज़िया को कोई यह न जाने कि खाली काग़ज़ या पन्नी है।बल्कि शहीदाने करबला की मुकद्दस रूह इस तरफ मुत वज्जेह होती है।
यह वही आरिफ कामिल जो हिन्दुस्तान में सिल सिला क़ादिरया को फरोग़ दिया।औरआप ही की नस्ल से ताज दारे देवा,हाजी हाफ़िज़ वारिस अली शाह पैदा हुए।
हाजी वारिस अली शाह रहमतुल्लाह अलैह अपनी पूरी ज़िन्दगी ताज़िया शरीफ की जियारत की है।आप भी ताज़िया शरीफ को देखते तो हाथ बाँध कर खड़े हो जाते जब तक ताज़िया आप के दरबार में रहताआप ताज़ीमन खड़े होकर रोते रहते थे।और ताज़िया के साथ नंगे पाँव चलते थे।
(हवाला-करामाते रज़्ज़ाकिया-15,मिसकाते हक्कानिया-84)
*आले रसूल सैय्यद उवैस मुस्तफा बिलगरामी*
हज़रत अल्लामा मौलाना सैय्यद उवैस मुस्तफा सज्जादा नशीन बिलगराम शरीफ,मुहर्रम की सात तारीख को अलम शरीफ उठाते हैं।और उसको बिलगराम शरीफ की गलियों में घुमाते हैं।यह वहअलम शरीफ है,जिसको हज़रत अब्बास अलमदार करबला शरीफ में उठाया था।जिसका एक टुकडा आप के पास मौजूद है,उसी को अलम शरीफ में नसब कर के उठाते हैं।इस को तमाम आशिकाने इमाम हुसैन रज़ि0ने अपनी आंखों से देखा है।आप का शुमार इस दौर के बड़े आलिमों में होता है।
*सैय्यद अल्लामा मौलाना महबूबुरर्हमान नियाज़ी जय पुरी*
सैय्यद अल्लामा नियाजी साहबकी किताब मुहब्बते अहले बैत क़ुरआन व हदीस की रोशनी में तहरीर फरमाते हैं,कि ताज़ियादारी जायज़ व सवाबे दारैन और अच्छा फेल है।(मुहब्बते अहले बैत क़ुरआन व हदीस की रोशनी में)
*हज़रत अल्लामा मौलाना नईमुद्दीन मुरादाबादी*
हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़स्सिरे क़ुरआन नईमुद्दीन मुरादाबादी साहब पाबन्दी से ताज़िया बनाने में चन्दा दिया करते थे।आप के साहब ज़ादे इज़हारुद्दीन साहब क़िब्ला का बयान है कि मेरे वालिद साहब पूरी ज़िन्दगी में कभी भी ताज़िया शरीफ की मुखालफत नहीं किया। (हवाला-फज़ाइले अहले बैत-35)

* हज़रत अल्लामा तजम्मुल हुसैन रहमानी*
हज़रत मौलाना तजम्मुल हुसैन रहमानी फरमाते हैं कि सरकार अब्देक़रार रहमते आलम नूरे मुजस्सम सल्ल ल्लाहो अलैही वसल्लम ने फरमाया,कि अल्लाह तआल ने हज़रत इमाम हसन व हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को उम्मत की सिफारिश के लिए पैदा फरमाया है,इसलिए मुसलमान उस हक़ की अदायगी के लिए ज्यादा से ज्यादा हसनैन करीमैन की खुशी हासिल करने के लिए और सवाब पाने की नियत से इमामे हुसैन की सालाना याद गार को सरमाए हयात बनाए हुए हैं।जिस तरह की हमारे नबी सल्ल्ल्लाहो अलैह वसल्लम हर साल याद गारे उहद के लिए,शोहदाए उहद की कब्रों पर तशरीफ ले जाते थे।और उनके लिए दोआए रहमत किया करते थे।
(कमालाते रहमानी-121)
*ओलमाए मक्का मुकर्रमा व मदीना मुनव्वरा का फतवा*
ओलमाए किराम फरमाते हैं कि मुहर्रम में ताज़ियादारी वाजिबुल एहतराम है।और दस मुहर्रम को फातिहा दिलाना लाज़िम है। शर्बत सबील और मलीदा खिचडा,वगैरह ताज़िया पर रख कर फातिहा दिलाना तबर्रुकात में से है।
(फतावा मक्किया---37,38। सालेह इब्नेअहमद मक्का मुकर्रमा व अबू तुराब उमरी मदीना मुनव्वरा)

*हज़रत शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिस देहलवी रह 0 का मशहूर वाक़या* एक दिन आप ताज़िया दारी के खिलाफ फतवा लिखवा रहे थे।तलबा हाज़िर थे और आप एक ऊँचे मक़ाम पर बैठे हुए थे।अय्यामे मुहर्रम थे।यकायक उस तरफ से एक ताज़िया गुज़रा,जिसको देख कर हज़रत अपने मक़ाम से उठे,और ताज़िया के साथ साथ चलने लगे।थोडी देर के बाद जब लौट कर आए तो आप की आंखों से आंसू जारी थे।और कपडे फटे हुए थे।आप ने तलबा से कहा यह फतवा चाक कर दो।यानी फाड दो,तलबा को बहुत हैरत हुई।फिर तलबा ने दरयाफ्त किया कि हज़रत अभी-अभी तो आप ने फतवा लिखवाया,और किस वजह से इसे चाक करवाते हैं।हज़रत शाह अब्दुल अज़ीज़ मोहद्दिस देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने फरमाया,मैंने देखा ताज़िया के साथ सरकारे दो आलम सल्ल ल्लाहो अलैह वसल्लम तशरीफ ले जा रहे थे।मैंने उन्हें सलाम पेश किया,तो आप ने दूसरी तरफ मुंह फेर लिया।फिर दूसरी तरफ से मैनें सलाम पेश किया तो आप ने फिर मुंह फेर लिया।तब मैंने सबब दरयाफ्त किया तो आप सल्ल ल्लाहो अलैह वसल्लम ने फरमाया।तुम अपना काम करो मैं तो हुसैन के ग़म में करबला जा रहा हूँ।

(हवाला हुब्बे अहले बैत और ताज़ियादारी सफह 25)

Dargah Hazrat Mehboob e Jahan, Meer Ji Ka Bagh Jaipur Mehboob ul Arifeen Hazrat Syed Mehboob ur Rehman Niazi r.a. Dargah Committee, Dargah Khwaja Sahab, Ajmer Dilawar Banti Niazi Khanqah e niazia Nazim Sabri Warsi Noor Hassan Karbalai YaHussain # Zeba Niazi KAshif Niazi Niazi MD Jabir Neyaji Ansari Aabid Hussain Niyazi Aashu Ali Niyazi Khawaja Qutubuddin BakhtiyarKaki (R.A) Mehroli Shareef Syed Azharuddin Chishty Niyazi Syed Tarique Ali Niazi بنیاد امیرخسرو بلخی - AmirKhusrow Balkhi Foundation Syed Khaleelurrehman Niyazi Barelliy U.p Syed Ghazanfar Hussain Warsi

16/07/2024

तुम्हारे सजदे को काबा सलाम कहता है जमाल ए गुम्बद ए खज़रा सलाम कहता है
चमन का हर गुल ओ घुंचा सलाम कहता है
हुसैन तुम को ज़माना सलाम कहता है

चिराग ओ मस्जिद ओ मिम्बर सलाम कहते हैं
नबी रसूल पयम्बर सलाम कहते हैं
अली ओ फातिमा शब्बर सलाम कहते हैं
खुदा गवाह है के नाना सलाम कहते हैं

खुदा की राह मैंने सर को काटा दिया तुमने
नबी के दीन पे घर को लूटा दिया तुमने
निशान ए कुफ्र को यकसर मिटा दिया तुमने
तुम्हें तुम्हारा खुदा भी सलाम कहता है

तुम्हें फलक के सितारे सलाम कहते हैं,
तुम्हें कुरान के पारे सलाम कहते हैं
तम्हें हरम के मीनारे सलाम कहते हैं
इमाम तुम को मदीना सलाम कहता है

सना तुम्हारी वज़ीफ़ा है मेरा आबै
माधा तुम्हारी शेवा है मेरे मौलै
करम की एक नज़र कर दो तो बिगडी बन आये
तुम्हारा सैय्यदे शायद सलाम कहता है

16/07/2024

कर्बला के दुलारों पे लाखों सलाम...
इब्न-ए-ज़हरा के लालों पे लाखों सलाम...

दीन के नाम पर तुमने घर दे दिया
नवजवां अपना लख़्त ए जिगर दे दिया
दूध पीता हुआ भी पिसर दे दिया
देखिए अपना कर्बल में सर दे दिया
ऐ शहीदे वफ़ा तुम पे लाखों सलाम...

कर्बला के दुलारों पे लाखों सलाम...
इब्न-ए-ज़हरा के लालों पे लाखों सलाम...

दौर-ए-आलाम से वो गुज़रते रहे
अपने लाशों को ढो ढो के रखते रहे
जंग के लाख़ तूफां उभरते रहे
आप शुक्र-ए-खुदा फिर भी करते रहे
ऐ शहे कर्बला तुम पे लाखों सलाम...

कर्बला के दुलारों पे लाखों सलाम...
इब्न-ए-ज़हरा के लालों पे लाखों सलाम...

घर पे बीमार सुग़रा तड़पती रही
कर्बला में क़यामत गुज़रती रही
आल पानी को प्यासी तरस्ती रही
तेग़ दुश्मन के सर पे बरसती रही
लब पे शिकवा न था तुम पे लाखों सलाम...

कर्बला के दुलारों पे लाखों सलाम...
इब्न-ए-ज़हरा के लालों पे लाखों सलाम...

ऐ नबी के नवासे अली के पिसर
सय्यदा फ़ातिमा बी के लख़्ते जिगर
दीन सरकार से प्यार था इस क़दर
आप कुर्बां हुए कर्बला में मगर
दीन ज़िंदा किया तुम पे लाखों सलाम...

कर्बला के दुलारों पे लाखों सलाम...
इब्न-ए-ज़हरा के लालों पे लाखों सलाम...

कूफियों ने जहन्नम ठिकाना किया
दे के ख़त अपना क़ासिद रवाना किया
घर बुलाने का तुमने बहाना किया
तीन दिन जिस पे बंद आब दाना किया
ऐसे सिब्ते पयम्बर पे लाखों सलाम...
कर्बला के दुलारों पे लाखों सलाम...
इब्न-ए-ज़हरा के लालों पे लाखों सलाम...

अपने नाना से जो तुमने वादा किया
कर्बला में वो वादा वफ़ा कर दिया
थी गले पर छुरी लब पे था ये सदा
ता-क़यामत रहेगा ये नामे ख़ुदा
लोग तुम पर फिदा तुम पे लाखों सलाम...

कर्बला के दुलारों पे लाखों सलाम...
इब्न-ए-ज़हरा के लालों पे लाखों सलाम...

09/07/2024

Zikr e Shaheedan e karbala 2024 Live from Moradabad

02/07/2024

क़त्ल-ए-हसन में हाथ था किस किस का तू बता
ख़ुश था वो कौन लानाति उस लम्हा तू बता..

जादा ने जहर दे दिया मालूम है लेकिन,
किसने जहर इमाम को दिलवाया तू बता..

नाना के पास दफन नवासा क्यों ना हुआ,
किसने जनाज़ा जब्र से रोका था तू बता..

ज़ुल्म-ओ-ता'अद्दी ढ़ाया जनाज़े पे था किसने,
किसने कफ़न पे तीर चलाया था तू बता..

मालूं था वो कौन जो मिम्बर से हमेशा,
सब-ओ-शतम अलिफ़ पे कराता था तू बता..

किसने सुलह के नाम पे ख़ून-रेज़ी कराई
वो कौन हुक्मरान जो ज़ालिम था तू बता..

गर है तुम्हारे ख़ून में ईमान-ओ-हक़-गो'ई,
मिम्बर पे नाम ले-के गुनाह उसका तू बता..

किसने दिलाया जहर था, किसने चलाया तीर,
पूछो ये मोलवी से के सच है क्या तू बता..

06/05/2024

अस्सलाम ए वारिस ए आली मकाम

यादगारे हजरत ए खैरूल अनाम,

अस्सलाम ए साकी ए कौसर के लाल

अस्सलाम ए फातिमा के नौ निहाल
,
हादी ओ रहबर हमारे अस्सलाम

सय्यदो सरवर हमारे अस्सलाम,

दिल में हैं लाखों तमन्नाएं मगर

अर्ज मैं क्या क्या करूं अल मुक्तसर

पंजतन का वास्ता ए हकनुमा

एक नजर वो चांद सा मुखड़ा दिखा,

दस्तगीरी कीजिए बहरे खुदा

वास्ता हसनैन आली जांहा का,

ए सखी इब्ने सखी इब्ने सखी

लाज तेरे हाथ है मोहताज की,

जब लबों पे दम हो ए जाने जहां

नाम नामी हो तेरा विरदे जुबान,

मुंह ना देखूं दीन ओ दुनिया का मगर

हो रूखे जेबा तेरा पेश ए नजर,

नजा में तुमको ना भूलूं ए वारिसा

याद हो दिल में तेरी ए महलका,

हो करम इस शाकिर ए नाकाम पर

खात्मा हो आप ही के नाम पर

19/02/2024

तस्वीर हराम है ... मोलवी 1930
रेडियो हराम है ... मोलवी 1950
टी वी हराम है ... मोलवी 1990

मेरा यू ट्यूब चैनल सब्सक्राइब करें , मोलवी 2023

Address

Mohammad Ali Road Kath Ki Puliya Kisrol
Moradabad
244001

Telephone

+919411857707

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Global News posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Global News:

Share