25/10/2025
ये हम पर लुत्फ़ कैसा ये करम क्या
बदल डाले हैं अंदाज़-ए-सितम क्या
ज़माना हेच है अपनी नज़र में
ज़माने की ख़ुशी क्या और ग़म क्या
जब उस महफ़िल को हम कहते हैं अपना
फिर उस महफ़िल में फ़िक्र-ए-बेश-ओ-कम क्या
नज़र आती है दुनिया ख़ूब-सूरत
मेरे साग़र के आगे जाम ओ जम क्या
जबीं है बे-नियाज़-ए-कुफ़्र-ओ-ईमाँ
दर-ए-बुत-ख़ाना क्या सेहन-ए-हरम क्या
तेरी चश्म-ए-करम हो जिस की जानिब
उसे फिर इम्तियाज़-ए-बेश-ओ-कम क्या
मेरे माह-ए-मुनव्वर तेरे आगे
चराग़-ए-दैर क्या शम्मा-ए-हरम क्या
निगाह-ए-नाज़ के दो शोबदे हैं
'अज़ीज़' अपना वजूद अपना अदम क्या
Urdu Shayari Shayari Zindagi Gulzar Hai Old Hindi Song Friends Friends with Benefits Old Photos LAMHE the moments Gulzar All India Mushaira, Aligarh Urdu Shayri