05/02/2024
*_मुरैना पुलिस पेश नहीं कर पाई कोर्ट में फाइलें और पुलिस अफसरों के खिलाफ विभागीय जांच रिपोर्ट , अवसर समाप्त और मामले में पुलिस अफसरों पर एफ आई आर दर्ज होने की ओर अग्रसर_*
मुरैना (ग्वालियर टाइम्स ) 05 फरवरी , मुरैना कोर्ट द्वारा जनवरी माह में सिटी कोतवाली मुरैना को 22 साल पुरानी एक एफ आई आर में न्यायबंधु नरेन्द्र सिंह तोमर एडवोकेट द्वारा पेश किये गये एक आपराधिक प्रकरण में , कोर्ट द्वारा सी आई डी ग्वालियर के अफसर एम के शर्मा द्वारा जप्त की गयी फाइलों को तथा एफ आई आर दर्ज नहीं करने पर सिटी कोतवाली के टी आई के खिलाफ हुई विभागीय जांच का प्रतिवेदन तथा उसकी जांच फाइल को कोर्ट में मूलत: पेश किये जाने के आदेश पर सिटी कोतवाली मुरैना के पुलिस अधिकारी फाइलें और अन्य दस्तावेज कोर्ट में पेश नहीं कर पाये ।
उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने 19 जनवरी तक कोर्ट में सभी मूल फाइलें और दस्तावेज कोर्ट में तलब करने के आदेश सिटी कोतवाली मुरैना के टी आई को दिये थे , जिस पर सिटी कोतवाली मुरैना के पुलिस अफसरों ने 19 जनवरी को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर कोर्ट को बताया था कि गलती से इस आदेश के पालन की फाइल एस आई गंभीर सिंह को दे दी गयी थी, लेकिन बाद में पता चला कि एस आई गंभीर सिंह खुद इस केस में नामजद अभियुक्त है तो अब यह केस किसी अन्य एस आई को दिया जाना है , इसके लिये कुछ समय चाहिये , इस पर कोर्ट ने पुलिस को न्यायबंधु नरेन्द्र सिंह तोमर एडवोकेट से समय हेतु अनुमति लेने को पुलिस से कहा , न्यायबंधु ने कोर्ट से पुलिस को फाइलें और दस्तावेज पेश करने के लिये एक अंतिम अवसर देने हेतु सहमति दी , जिस पर कोर्ट ने 05 फरवरी तक पुलिस को समस्त मूल फाइलें और दस्तावेज पेश करने का अंतिम अवसर टी आई सिटी कोतवाली मुरैना को दिया , लेकिन आज दिनांक 05 फरवरी को भी पुलिस फाइलें व दस्तावेज कोर्ट में पेश नहीं कर पाई ।
पुलिस के खिलाफ, कोर्ट के आदेश पालन में असफल रहने तथा प्रस्तुत आपराधिक प्रकरण में 22 साल तक हाईकोर्ट के आदेश से दर्ज एफ आई आर में चालान पेश नहीं करने और कोर्ट से अभियुक्त पुलिस आरक्षक अशोक तिवारी द्वारा केस डायरी चुरा कर दस साल तक घर में रखने और पुलिस रोजनामचा में सन 2004 के बाद केस डायरी की एंट्री नहीं करने , मिथ्या साक्ष्य गढ़ने व उसका उपयोग करने, साक्ष्य नष्ट व विद्रूपित करने, अपराधीयों को लगातार गिरफ्तार करने से बचाने और कोर्ट व सजा से बचाने के मामलों में पुलिस अधिकारीयों के विरूद्ध सिटी कोतवाली मुरैना मे पहले से ही दर्ज एफ आई आर क्रमांक 663/02 में नये अपराध और नये मुल्जिम जोड़े जाने (मर्ज किये जाने ) हैं तथा कोर्ट में उसके बाद 14 दिवस के भीतर चालान पेश किये जाने का आदेश होना है ।
पुलिस थाना सिटी कोतवाली मुरैना को पहले ही जून जुलाई 2023 में कोर्ट द्वारा कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने तथा प्रतिवेदन पेश नहीं करने के मामले में टी आई सिटी कोतवाली मुरैना के विरूद्ध अपराध दर्ज कर जेल भेजे जाने का नोटिस पहले ही दे चुका है , इसके बावजूद आज तक टी आई सिटी कोतवाली मुरैना ने फाइलें और दस्तावेज कोर्ट में आज तक भी पेश नहीं किये ।
ज्ञातव्य है कि हाईकोर्ट ग्वालियर के आदेश याचिका संख्या एम सी आर सी /1216/2001 पर दिये गये पुलिस अधीक्षक मुरैना को आदेश पर सिटी कोतवाली मुरैना में एफ आई आर संख्या 663/02 दिनांक 20 सितम्बर 2002 को दर्ज की गयी थी जिसमें डकैती , अजा जजा अत्याचार अपराध, गबन और भ्रष्टाचार के अपराध दर्ज थे , इसमें पुलिस अपराधीयों को बचाते बचाते इस हद तक गिर गयी कि खुद ही अपराध दर अपराध लगातार 22 साल तक करती रही , केस डायरी कोर्ट से चुरा लाई , घर धरे बैठी रही , और वर्तमान टी आई तक पुलिस के मुलजिमों के बचाते बचाते खुद ही अपराधी बन गया और अन्य पुलिस अभियुक्तों के साथ स्वयं भी स्वत: ही अपराध में नामजद हो गया ।
कोर्ट ने आज आदेश पत्रिका पर अंकित कर दिया कि पुलिस ने कोर्ट द्वारा धारा 91 एवं 94 सी आर पी सी में तलब फाइलें और दस्तावेज पेश नहीं किये , इसके साथ ही मामले में न्यायबंधु के अंतिम तर्क और बहस हेतु अगली तारीख नियत कर दी , अर्थात पुलिस को बचाव के सारे रास्ते आज बंद कर दिये तथा अब मर्जर आदेश तथा पुलिस पर साक्ष्य नष्ट करने सहित कंटेंप्ट आफ हाईकोर्ट तथा कंटेम्प्ट आफ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट एवं दर्ज एफ आई आर में पुलिस अधिकारीयों को नामजद अभियुक्त के रूप में दर्ज करने का रास्ता साफ हो गया ।
_- नरेन्द्र सिंह तोमर , एडवोकेट, न्याय बंधु , न्याय विभाग , भारत सरकार_