04/03/2023
#बिहारी_मजदूर
लिखूं या नहीं समझ में नही आ रहा। कभी जिम्मेदारियों का अहसास तो कभी पढ़े लिखे नही होने का मलाल। किसको जिम्मेदार ठहराऊं मां–बाप, स्कूल को या खुद को।
कभी कभी लगता है हम धरती पर क्यों हैं? किसके लिए हैं सवाल तो बहुत है जिसका जवाब शायद ही हो। 3 भाइयों में सबसे बड़ा मैं था शुरुआत के दिनों में स्कूल तो गया था लेकिन स्कूल के पढ़ाई की जगह पर काम करवाते थे मास्टर साहब। जो मुझे ठीक नही लगा और मैं स्कूल जाना कम कर दिया। फिर पिताजी बीमार रहने लगे तो घर का भार मेरे ऊपर आ गया। मैं एक रिश्तेदार के साथ कोलकाता जाकर रहने लगा कुछ दिन मैंने वहां काम किया लेकिन वेतन कम होने की वजह से घर चलाना बड़ा ही मुश्किल हो गया। मैं पंजाब जाकर एक फैक्ट्री में काम करने लगा। क्या होली,क्या दिवाली सारे पर्व को सिर्फ महसूस करता था। दस हजार की वेतन में दोनों भाई की पढ़ाई, पिताजी की दवाई, राशन का खर्चा बीबी की फरमाइश अलग उसमें अपने आप के लिए पैसा कहां बचा पता था।
समय बीतता गया पिताजी भी नहीं रहे, एक भाई का जॉब लग गया। दूसरा का ग्रेजुएशन कंप्लीट हो गया। दोनों भाइयों ने शादी कर ली मैंने भी जहां-तहां से पैसे उधार लेकर शादी में कोई कसर नहीं छोड़ी। हालांकि पत्नी मना करती रही लेकिन बड़ा भाई जो ठहरा फर्ज तो अदा करना ही था। मेरे एक दोस्त के कहने पर मैं साऊथ की तरफ चला गया ओवर टाईम मिला कर 18000 बन जाते थे। नई नवेली दुल्हन ने मां को रखने से साफ इन्कार कर दिया, घर में पत्नी के साथ क्लेश अलग से। बच्चे की पढ़ाई, मां की दवाई, मैं जहां रहता था वहां का खर्चा 18000 भी अब कम पड़ने लगा था। घर, आंगन का बटवारा हो गया था। तीनों की पत्नी का आपस में बोलचाल बंद ।छोटा भाई प्राइवेट जॉब करता था अच्छे पोजिशन पर अच्छा सैलरी उठाता था। दोनों भाई ने अपने अपने जमीन पर अच्छा सा मकान खड़ा कर लिया और मेरा वही खपरैल वाला मकान, प्राइवेट जॉब वाले के पास मोटरसाइकिल तो सरकारी वाले के पास कार। और मैं जब गांव जाता था तब वही पुराना एटलस का साइकिल लेकर घूमता रहता था। आर्थिक तंगी के कारण बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते थे वही दोनों भाइयों के बच्चे प्राइवेट स्कूल में, दोनों की पत्नी अपने बच्चे को मेरे बच्चों के साथ खेलने नहीं देती थी उसे लगता था कि मेरा बच्चा बिगड़ हो जाएगा।
मेरी पत्नी गांव में खेती करती थी। कभी-कभी या लगता था कि कि मै