24/06/2025
_पिता जानता है कि वत्सों को यह सहन करने का मार्ग अवश्य तय करना है क्योंकि सहन करना, यह ईश्वरीय व दैवी गुण है, जिसमें ही खुशी समाई हुई है। इस गुण से ईश्वरीय सुख महसूस होता है। सहन करते भी तुम कितनी मौज मनाते हो, यही गोपनीय ज्ञान है। ऐसा अनासक्त योगी ही स्थाई सुख को प्राप्त करता है।_
चिंतन :- हमारा ये मार्ग सहन करने का है, क्योंकि आज बाबा ने मम्मा को बताते हुए हमें समझाया है । ओर बाबा कहते की सहन करना ईश्वरीय गुण ओर देवी गुण है। अब ईश्वरीय गुण इसलिए है क्योंकि द्वापर युग से हम सभी ने ओर भक्ति मार्ग में बाबा को बहुत कुछ कहा , ग्लानि की, आदि आदि । इसलिए बाबा ने सभी की बातें सहन की। वो अलग बात है कि बाबा को सहन करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि बाबा ज्ञान के सागर है ओर बाबा सम्पूर्ण है । ओर सहन करना देवी गुण इसलिए है क्योंकि शास्त्रों में देवी देवताओं की कहानियों में हमने ऐसे कई बातें सुनी है ,
जैसे :- श्री राम का जीवन, श्री कृष्ण का जीवन, हनुमान जी का जीवन आदि आदि। ओर सहन करना हमारे ब्राह्मण परिवार में तो कई examples हैं, ब्रह्मा बाबा, मम्मा, दादियां, वरिष्ठ भाई बहन, ओर हमारी छोटी बहने।
ओर बाबा कहते है, जो सहन करता है वो शहंशाह बनता है। ओर सहन करना एक ज्ञानी ओर योगी आत्मा की निशानी है। सहन करने वाली आत्मा को ही समझदार कहा जा सकता है।
ओर ऐसी आत्मा ही ईश्वरीय सुख महसूस कर सकती है। क्योंकि सहन वही आत्मा कर सकती है जिसको ये पता है कि मैं क्यों सहन कर रही हूं, तभी वो आत्मा ईश्वर का सुख ले सकेगी, नहीं तो क्यों क्या के प्रश्नों में उलझी रहेगी।
बाबा ने आज समझाया कि ऐसा अनासक्त योगी ही स्थाई सुख को प्राप्त कर सकता है। अब अनासक्त यानी जिसको ये जानने की भी कोई आसक्ति नहीं होगी की मैं यहां कितना सहन करूं ? ओर कब तक सहन करूं ? मैं ये पता करूं, कि मुझे ही क्यों इतना सहन करना पड़ रहा है ? बाकी क्यों नहीं सहन कर रहे हैं ? क्योंकि अनासक्त योगी यानी ज्ञान की परिपक्वता ( Maturity) । तो अब हम चेक करें मैं अनासक्त योगी हूं ? या अभी मुझमें कमी है ????