13/08/2025
💯%🙋....राजपूत की इतिहास,
महाराणा प्रताप: जीवनगाथा और युद्धों की कहानी................................................................................................................
प्रारंभिक जीवन और राज्याभिषेक~
महाराणा प्रताप का जन्म 18 मई 1540 को कुंभलगढ़ किले में हुआ। वे मेवाड़ के राजा उदय सिंह द्वितीय और रानी जयवंताबाई के पुत्र थे।
1572 में उदय सिंह II की मृत्यु के बाद, गुड़गाँव में नहीं, बल्कि गोघुंडा में उनका राज्याभिषेक हुआ क्योंकि चित्तौड़ मुगल नियंत्रण में था।................................................................................................................
हल्दीघाटी का युद्ध (18 जून 1576).................................................................................................................
यह युद्ध हल्दीघाटी दर्रे (अराबली पर्वतमाला में) में हुआ, जहाँ का मिट्टी का रंग हल्दी जैसा पीला था—इसी कारण 'हल्दीघाटी' कहा जाता है।
इस युद्ध में महाराणा प्रताप की सेनांशक्ति लगभग 3,000 घुड़सवार और 400 भील तीरंदाज थी, जबकि मुगल सेना लगभग 10,000 सैनिकों की थी—दोनों पक्षों में हाथी थे, लेकिन राजपूतों के पास आग्नेयास्त्र नहीं थे।
युद्ध की शुरुआत प्रातः तीन घंटे बाद हुई। महाराणा प्रताप ने आक्रमण की शुरुआत की और शुरुआती सफलता भी मिली, लेकिन मुगल सेना की बढ़ती संख्या ने मुकाबले को मुश्किल बना दिया।.........................................................................................................
युद्ध का परिणाम और प्रतीकवाद..........................................................................................................
मुगल सेना ने असल में मैदान अपने कब्जे में ले लिया—इस लिहाज़ से तकनीकी जीत मिली। Maharana Pratap और उनकी सेना सुरक्षित रूप से पीछे हटने में सक्षम रहे।
यह युद्ध भले ही रणनीतिक रूप से निर्णायक नहीं था, लेकिन महाराणा प्रताप की न कम होने वाली आत्मा ने इसे प्रतीकात्मक और प्रेरणादायक विजय में बदल दिया।............................................................................................................
चेतक और जला मान सिंह का बलिदान.............................................................................................................
महाराणा प्रताप का प्रिय घोड़ा चेतक, जिसे कविताओं में अमर किया गया है, घायल होने के बावजूद उन्हें बचाकर रिट्रीट कराता है, और अंततः वहीं मृत्यु का शिकार हो जाता है। यह क्षण आज भी वीरता का प्रतीक मानी जाती है।
झाला मान सिंह (Bida Jhala) ने महाराणा प्रताप की जान बचाने के लिए चातुर्यपूर्ण बलिदान किया — उन्होंने महाराणा के खंबे और छत्री धारण कर, खुद को लक्षित बनाकर मुख्य सेना से दूर प्रताप को भागने का मौका दिया।
युद्ध के बाद की रणनीति और विरासत................................................................................................................
महाराणा प्रताप ने गोगुंडा में अपना अड्डा बनाया और मैरा गुफाएँ (Mayra Caves) में हथियारों का भंडारण रखकर युद्ध के बाद रहीनी की रणनीति अपनाई।
मुगलों द्वारा अस्थायी नियंत्रण का दबाव बढ़ने पर भी, महाराणा प्रताप ने गुम्मड़ भाग और चित्तौड़ को पुनः मुक्त करने के लिए संघर्ष जारी रखा।.................................................................................................................
यादगार शुरुआती और विरासत~.................................................................................................................
महाराणा प्रताप का निधन 19 जनवरी 1597 को चवंड में हुआ।
हर वर्ष उनकी जयंती (29 मई 2025) बड़ी श्रद्धा और गर्व के साथ मनाई जाती है, उनके साहस और मातृभूमि प्रेम की स्मृति के रूप में।