05/10/2025
मित्रों अभी हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रार्थना को भारत के सुप्रसिद्ध गायक श्री शंकर महादेवन ने अपने मधुर स्वर में गाकर भारत एवं विश्व के जन जन तक पहुँचाने का एक सार्थक प्रयास किया है l
"संघ प्रार्थना"
परम पूज्य श्री नरहरि नारायण भिड़े जी द्वारा संघ की मूल प्रार्थना का भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत में रूपान्तरण किया गया। इस प्रार्थना को संस्कृत में सबसे पहले संघ शिक्षा वर्ग में संघ प्रचारक एवं अखिल भारतीय बौद्धिक एवं सेवा प्रमुख
परम पूज्य श्री यादव राव जी जोशी के द्वारा दी हुई वर्तमान लय में गाया गया। परम पूज्य श्री यादवराव जी जोशी संगीत के महान कलाकार थे इसलिए उन्हें पहली बार संघ की प्रार्थना को संस्कृत में गाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
इस प्रार्थना की एक विशेष बात यह है कि पूरी प्रार्थना संस्कृत में होने के बावजूद इसकी अंतिम पंक्ति ‘भारत माता की जय!’ को हिंदी में ही रखा गया।
मित्रों मुझे वर्ष 1980 से 1982 के बीच में मेरे कॉलेज विधार्थी जीवन में संघ प्रचारक एवं अखिल भारतीय बौद्धिक एवं सेवा प्रमुख परम पूज्य यादव राव जी जोशी जी के दर्शन एवं बौद्धिक सुनने का व्यक्तिगत रूप से सौभाग्य मिल चुका है l
संघ प्रार्थना
"नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम्।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥1॥
हे वत्सल मातृभूमि! मैं तुम्हें सदैव प्रणाम करता हूँ। हे हिन्दुभूमि आपने ही मुझे सुख से बढ़ाया है। हे महामंगलमयी पुण्यभूमि आपके ही कार्य में मेरी यह काया (जीवन) समर्पित हो। आपको मैं अनन्त बार प्रणाम करता हूँ।
प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता
इमे सादरं त्वां नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयम्
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये।
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम्
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्णमार्गम्
स्वयं स्वीकृतं नः सुगंकारयेत्॥2॥
हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर ! हम हिन्दू राष्ट्र के अंगभूत घटक, तुझे आदर पूर्वक प्रणाम करते हैं। आपके कार्य के लिए ही हमने अपनी कमर कसी है। उसकी पूर्ति के लिए हमें शुभ आशीर्वाद देवें। विश्व के लिए जो अजेय हो ऐसी शक्ति, सारा जगत विनम्र हो ऐसा विशुद्ध शील तथा स्वयं के द्वारा स्वीकृत किये गये हमारे कण्टकमय पथ को सुगम करने वाला ज्ञान भी हमें देवें।
समुत्कर्ष निःश्रेयसस्यैकमुग्रम्
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राऽनिशम्।
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रम्
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्॥3॥
अभ्युदय सहित निःश्रेयस की प्राप्ति का जो एकमेव श्रेष्ठ उग्र साधन है, उस वीरव्रत का हम लोगों के अन्तःकरण में स्फुरण होवेे। अक्षय (कभी न खत्म होने वाली) तथा तीव्र ध्येयनिष्ठा हमारे हृदय में सदैव जाग्रत रहे। आपके आशीर्वाद से हमारी विजयशालिनी संगठित कार्यशक्ति स्वधर्म का रक्षण कर, अपने इस राष्ट्र को परम वैभव की स्थिति पर ले जाने में पूर्णतः समर्थ होवें।
भारत माता की जय!
वंदे मातरम!
मित्रों मुंबई के छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर
भारत के सुप्रसिद्ध गायक आदरणीय श्री शंकर महादेवन जी से मुझे मिलने का सौभाग्य मिला था मैं आज वही तस्वीर आप सभी के साथ साझा कर रहा हूँ l
सादर
कैलाश आडवाणी
अध्यक्ष अखिल भारतीय सिंधी पत्रकार संघ मुंबई