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Tilak भारत की पौराणिक गाथाओं और भक्ति संगीत का अनुपम संकलन। Greatest Hindu Epics and devotional content!
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भारत की पौराणिक गाथाओं और भक्ति संगीत का अनुपम संकलन। Treasure trove of greatest Hindu Epics and devotional music.

25/07/2025

उसकी छोटी से छोटी इच्छा का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाए | श्री राम और सीता जी | Ramayan Dialogues Compilation



Ramayan Dialogue Status is a series of Dialogue Clips from Ramanand Sagar's Ramayan. Spoken by actors portraying Sri Ram, Sita Ma, Hanuman ji, Lakshman , Bharat, Ravan, Meghnad, Kumbhkaran among others, these Ramayan Dialogues are like life lessons for everyone to learn from. रामानंद सागर कृत् रामायण के चुनिंदा डायलॉग की शृंखला है रामायण डायलॉग स्टैटस। भगवान श्री राम, सीता माँ, हनुमान जी, लक्ष्मण, भरत, रावण, मेघनाद, कुम्भकर्ण इति आदि के पात्रों द्वारा उचारे ये संवाद जीवन सीख प्रदान करते हैं।

25/07/2025

शरीर ही असली धन है; इसकी रक्षा, सहेजना और सेवा हमारा प्रथम धर्म है।

#सुविचार #तिलक

25/07/2025

मेनोपॉज़ के लक्षण और समाधान | Tips To Help Manage Menopause Symptoms | 4 Ways to Thrive Naturally

25/07/2025

श्रीराम और सीता झूला झूलते थे इस पर्वत पर? मणि पर्वत | दर्शन 🚩

25/07/2025
25/07/2025

युद्ध में जाने से पहले रावण ने अपने सैनिकों को प्रोत्साहित किया | Ramayan Katha | रामायण कथा

रामायण एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला है जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य पर आधारित है। यह श्रृंखला मूल रूप से 1987 और 1988 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित हुई थी। इस श्रृंखला के निर्माण, लेखन और निर्देशन का श्रेय श्री रामानंद सागर को जाता है। यह श्रृंखला मुख्य रूप से वाल्मीकि रचित 'रामायण' और तुलसीदास रचित 'रामचरितमानस' पर आधारित है।
इस धारावाहिक को रिकॉर्ड 82 प्रतिशत दर्शकों ने देखा था, जो किसी भी भारतीय टेलीविजन श्रृंखला के लिए एक कीर्तिमान है। इस श्रृंखला को 2020 के कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान पुनः प्रसारित किया गया था और इसने विश्व स्तर पर कई धारावाहिकों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया था और कई नए रिकॉर्ड स्थापित किये, जिनमें 16 अप्रैल 2020 को 7.7 करोड़ दर्शकों द्वारा दुनिया भर में देखे जाने वाले सबसे लोकप्रिय धारावाहिक होने का कीर्तिमान भी शामिल है।

निर्माता और निर्देशक - रामानंद सागर
सहयोगी निर्देशक - आनंद सागर, मोती सागर
कार्यकारी निर्माता - सुभाष सागर, प्रेम सागर
मुख्य तकनीकी सलाहकार - ज्योति सागर
पटकथा और संवाद - रामानंद सागर
संगीत - रविंद्र जैन
शीर्षक गीत - जयदेव
अनुसंधान और अनुकूलन - फनी मजूमदार, विष्णु मेहरोत्रा
संपादक - सुभाष सहगल
कैमरामैन - अजीत नाइक
प्रकाश - राम मडिक्कर
साउंड रिकॉर्डिस्ट - श्रीपाद, ई रुद्र
वीडियो रिकॉर्डिस्ट - शरद मुक्न्नवार

पात्र

राम के रूप में अरुण गोविल
सीता के रूप में दीपिका चिखलिया
लक्ष्मण के रूप में सुनील लहरी
रावण के रूप में अरविंद त्रिवेदी
हनुमान के रूप में दारा सिंह
भरत के रूप में संजय जोग
शत्रुघ्न के रूप में समीर राजदा
सुग्रीव / वली के रूप में श्यामसुंदर कालाणी
इंद्रजीत (मेघनाद) के रूप में विजय अरोड़ा
दशरथ के रूप में बाल धुरी
कौशल्या के रूप में जयश्री गडकर
कैकेयी के रूप में पद्म खन्ना
सुमित्रा के रूप में रजनी बाला
विभीषण के रूप में मुकेश रावल
कुंभकर्ण के रूप में नलिन दवे
मंदोदरी के रूप में अपराजिता
इंद्र के रूप में सतीश कौल
मंथरा के रूप में ललिता पवार
शूर्पणखा के रूप में रेणु धारीवाल
जनक के रूप में मूलराज राजदा
सुनैना के रूप में उर्मिला भट्ट
वशिष्ठ के रूप में सुधीर दलवी
चंद्रशेखर के रूप में सुमंत
शिव के रूप में विजय कविश
जाम्बवन के रूप में राजशेखर उपाध्याय
अंगद के रूप में बशीर खान
उर्मिला के रूप में अंजलि व्यास
मंडावी के रूप में सुलक्षणा खत्री
नाल के रूप में गिरीश सेठ
नील के रूप में गिरिराज शुक्ल

25/07/2025

क्या मंदिर भारत की अर्थव्यवस्था चलाते हैं? | Podcast | Sandeep Singh | Tilak Varta

क्या मंदिर सिर्फ पूजा-पाठ की जगह हैं या भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था में इनकी कोई ठोस भूमिका है?
इस एपिसोड में हमने इसी सवाल को पकड़कर गहराई से समझने की कोशिश की है।
होस्ट संजय मिश्रा के साथ बातचीत में हैं लेखक और संस्कृति के गंभीर अध्येता संदीप सिंह, जिनसे चर्चा सिर्फ आस्था पर नहीं, बल्कि मंदिरों के आर्थिक, सामाजिक और ऐतिहासिक पहलुओं पर हुई है।
बात मंदिरों में चढ़ावे की नहीं, उस पूरी प्रणाली की है जो समाज को जोड़ती है — चाहे वो मंदिरों के आसपास साड़ियों का व्यापार हो, फूलों और फलों की सप्लाई हो, या फिर मंदिरों द्वारा शिक्षा, चिकित्सा और दान जैसी सेवाओं में किया गया योगदान।
हमने ये भी समझने की कोशिश की कि मूर्तियों का निर्माण सिर्फ कला नहीं, एक विज्ञान और दर्शन है।
सवाल उठा: क्या मंदिर शहरों से पहले बने या शहर मंदिरों के कारण बसे?
क्या सरकार को मंदिरों के मामलों में हस्तक्षेप करना चाहिए?
और सबसे जरूरी — क्या वाकई मंदिर भारत की GDP में योगदान करते हैं?
इस बातचीत में कोई दावा नहीं किया गया, सिर्फ तथ्यों और तर्कों के साथ सोचने की एक कोशिश की गई है।
अगर आप भी भारत की परंपराओं को सिर्फ 'आस्था' से आगे जाकर देखना चाहते हैं, तो ये एपिसोड आपको रुके बिना अंत तक सुनने के लिए मजबूर कर देगा।
मेहमान परिचय:
संदीप सिंह मीडिया में नेतृत्व की भूमिका में रह चुके हैं। उन्होंने 2006 में लेखन की दुनिया में कदम रखा और अब तक कुल 12 पुस्तकें लिख चुके हैं। उनकी नवीनतम कृतियाँ हैं —
‘Temple Economics Vol I’ और ‘A Decade for Mandir Vol II’

Are temples merely places of worship, or do they hold a significant role in Indian society and economy?
In this episode, we take this very question and explore it in depth.
Host Sanjay Mishra sits down with writer and cultural scholar Sandeep Singh, and the conversation goes far beyond faith — diving into the economic, social, and historical dimensions of temples in India.
It’s not just about donations and rituals. It’s about an entire system that connects communities — from the textile trade around temples, to the supply of flowers and fruits, to the role temples play in education, healthcare, and social service.
We also reflect on how the making of idols isn’t just an art — it’s a science, a philosophy.
Questions arise:
Did cities grow around temples, or did temples come after urban settlements?
Should governments intervene in temple management?
And most importantly — do temples actually contribute to India’s GDP?
This episode doesn’t make any sweeping claims — it invites you to think, with facts and logic.
Guest info-
Sandeep Singh held leadership roles in the media industry before transitioning into writing in 2006. Since then, he has authored 12 books across diverse subjects. His most recent works include two volumes: Temple Economics Vol. I and A Decade for Mandir Vol. II
Looking to connect with our guest, Sandeep Singh?
Facebook- https://www.facebook.com/AuthorSandeepSingh
Linkedin- https://www.linkedin.com/in/sandeep-singh-27a55212/
X-

Chapters | अध्याय
00:00 – परिचय (Intro)
02:19 – एपिसोड की शुरुआत
02:32 – क्या मंदिरों का भी अर्थशास्त्र होता है?
04:18 – साड़ियों का डिज़ाइन और व्यापार
05:03 – मंदिर और इकोनॉमी पर रिसर्च कैसे होती है?
08:06 – शून्य क्या है?
10:11 – मूर्ति के लिए क्या ज़रूरी है?
12:10 – मूर्तियों की बनावट और संस्कृति से जुड़ाव
13:13 – भारत को मंदिरों से क्या लाभ हुआ?
14:04 – मंदिर सरकार की देखरेख में क्यों हैं?
15:45 – क्या सरकार को इसमें दखल देना चाहिए?
16:29 – GDP में मंदिरों का कितना योगदान है?
18:54 – फूल, फल और भोजन में मंदिरों की भूमिका
22:15 – किस युग में कितनी GDP थी?
23:20 – मंदिर और अस्पताल का योगदान
24:44 – मंदिरों का इतिहास
25:54 – पहला मंदिर या पहला नगर?
27:30 – मंदिरों में पैसा कैसे आता है – दान से या किसी और माध्यम से?
29:38 – दुकानों पर मंदिर का प्रभाव
31:39 – प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दान क्या होता है?
35:54 – समाप्ति

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। तिलक किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता। कृपया किसी भी धार्मिक मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

25/07/2025

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