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Tilak भारत की पौराणिक गाथाओं और भक्ति संगीत का अनुपम संकलन। Greatest Hindu Epics and devotional content!
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भारत की पौराणिक गाथाओं और भक्ति संगीत का अनुपम संकलन। Treasure trove of greatest Hindu Epics and devotional music.

16/10/2025

Jai Hanuman | Sundarkand Reel Experience

This reel is more than music—it’s an awakening.
Experience Hanuman Ji’s courage, devotion and power like never before.

Singer Abby Viral ( )

16/10/2025

महर्षि वशिष्ठ ने अंशुमन को उनके साठ हज़ार काकाओं के त्याग के बारे में बताया | दिव्य कथा | जय

तपस्या करने के लिए राजकुमार असमंजस के छोड़ कर चले जाने के बाद राजा सगर और रानी केशनी अंशुमन का राज्याभिषेक करके तपस्या के लिए वन में जाने का निर्णय ले लेते है। जिससे असमंजस की पत्नी प्रतिभा अत्यंत दुखी होकर अपना दुख गंगा मैया से व्यक्त करते हुए उनसे कहती है कि पृथ्वी के कल्याण के लिए उसके वंश का अकल्याण क्यों किया जा रहा है? उसका दुख देख कर गंगा मैया द्रवित हो जाती है और उसके प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाती है। वह भगवान विष्णु के पास जाकर उनसे प्रश्न करती है कि उनके पृथ्वी पर अवतरण के लिए सूर्य वंश को माध्यम क्यों बनाया गया? भगवान विष्णु सूर्य वंश की महानता का बखान करते हुए देवी गंगा से कहते है कि आपके अवतरण के पृथ्वी लोक का वातावरण ही नहीं माध्यम भी पवित्र होना चाहिए, इसलिए सूर्य वंश को माध्यम चुना गया है। वही दूसरी ओर सगर और केशनी भगवा वस्त्र धारण करके तपस्या के लिए निकल पड़ते है। अंशुमन भी माता प्रतिभा और पत्नी के साथ उनके पीछे-पीछे चल पड़ते है, यह देख सगर उसे समझाते है कि यदि वे चाहते है कि हम जिस कार्य के लिए आए है, उसमें विघ्न न पड़े, इसलिए अयोध्या लौट जाए क्योंकि राजा का इस प्रकार भावना के आधीन होना उचित नहीं है। यह कह वे वन को बढ़ने लगते है। राजमहल लौट कर अंशुमन व्याकुल रहने लगता है। गुरुदेव उसे समझाते है कि उसका शोक व्यर्थ है, उसके माता-पिता लोक कल्याण के लिए तपस्या करने गए है तथा उसके सभी बलशाली काका शापित आत्मा थे और जिन्होंने प्रेत योनि से मुक्ति के लिए जान-बूझ कर कपिल मुनि की तपस्या भंग करके अपने आप को समर्पित कर दिया था। महाराज सगर, महारानी केशनी, असमंजस और काकाओं को पृथ्वीवासी स्मरण करते रहेंगे, यही उनकी महानता है। अतः आप भी समय पर सवार हो जाइए। अंशुमन की आँखें खुल जाती है और वह अपनी व्याकुलता छोड़ समय पर सवार हो जाता है।

#जयगंगामैया

Ramanand Sagar presents - 'JAI GANGA MAIYA' based on the most revered and the only living goddess - GANGA. Residing in the Kamandal of LORD BRAHMA, BHAGWATI GANGA, like SARASWATI and LAXMI, is one of the seven SHAKTIS of supreme GODDESS MAHAMAYA ADISHAKTI. The story goes far back when Kapil Muni curses King Sagar's sixty thousand and one sons and reduces them to ashes. On repeated requests by the sole son of King Sagar, Kapil Muni finally changes his mind and says that King Sagar's sons would attain MUKTI only if their ashes are cleansed by the holy water of GODDESS GANGA. Generation after generation apologize to pacify BRAHMA but without success - and finally after music praying by BHAGIRATH - the seventh generation of King Sagar, GANGA reluctantly consents to descend to earth. To contain its powerful fall, LORD SHIVA steps in the way and lets the river tumble gently through his long hair onto the Himalayas. GANGA then flows across India to the edge of the ocean, where she washes over the ashes and gives of millions of Indians for whom the river is Holy because river Ganga personifies GODDESS GANGA who descends to earth to cleanse the sins of mankind. Ramanand Sagar's JAI GANGA MAIYA is based on: Shrimad Devi Bhagwat, Shree Padma Mahapuran, Shree Bhagwat Mahapuran, Shree Durga Saptashati, Shree Skanda Mahapuran, and Shree Waman Mahapuran. Other sources of inspiration include: His Holiness Shankaracharya, Maharishi Valmiki, Ved Vyas, Sant Tulsidas and also folk literature, popular legends of medieval and modern literature

16/10/2025

ईश्वर हमेशा उनका संबल बनते हैं, जो कर्मनिष्ठ रहते हैं। इसलिए अपने भीतर कर्मनिष्ठा की धारा निरंतर बहने दीजिए।

#सुविचार #तिलक

15/10/2025

देखो कन्हैया, आप मुझसे अपना असली रुप छुपाने की कोशिश मत करो | श्री कृष्ण और उद्धव | Shree Krishna Dialogues Compilation

15/10/2025

वर्षों बाद अपने पुुत्रों से मिलकर माताएं हुई भावुक | Ramayan EP 04 Part 02

राजमहल के मुख्य भवन में सभी राजकुमारों को महाराज दशरथ को सौंपते हुए गुरु वशिष्ठ कहते है कि आपने हमें नन्हे अबोध बालक सौंपे थे और आज मैं उन्हें समस्त विद्याओं में पारंगत बनाकर आपको सौंप रहा हूँ। अपने पुत्रों से मिलने के लिए व्याकुल माताएं भी वही पर आ जाती है, तो गुरु वशिष्ठ सभी राजकुमारों से कहते है कि माँ का स्थान ईश्वर और गुरु से भी ऊँचा होता है, इन मातृ चरणों की वंदना करो। कैकेयी से विशेष लगाव होने के कारण राम सबसे पहले उनके चरण स्पर्श करते है।

रामायण एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला है जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य पर आधारित है। यह श्रृंखला मूल रूप से 1987 और 1988 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित हुई थी। इस श्रृंखला के निर्माण, लेखन और निर्देशन का श्रेय श्री रामानंद सागर को जाता है। यह श्रृंखला मुख्य रूप से वाल्मीकि रचित 'रामायण' और तुलसीदास रचित 'रामचरितमानस' पर आधारित है। इस धारावाहिक को रिकॉर्ड 82 प्रतिशत दर्शकों ने देखा था, जो किसी भी भारतीय टेलीविजन श्रृंखला के लिए एक कीर्तिमान है।

15/10/2025

शिक्षा ग्रहण करके वापस आए सभी राजकुमारों का अयोध्यावासियों ने भव्य स्वागत किया | Ramayan EP 04 Pt 01

आश्रम से शिक्षा ग्रहण करके रथ पर सवार होकर वापस आ रहे सभी राजकुमारों का अयोध्यावासी भव्य स्वागत करते हुए जय-जयकार करते हैं, उन पर फूल बरसाते हैं। यह जानकर सभी रानियों को अपने पुत्र से मिलने की व्याकुलता बढ़ती जाती है, लेकिन कपटी दासी का लगाव केवल भरत के प्रति दिखाई देता है।

रामायण एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला है जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य पर आधारित है। यह श्रृंखला मूल रूप से 1987 और 1988 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित हुई थी। इस श्रृंखला के निर्माण, लेखन और निर्देशन का श्रेय श्री रामानंद सागर को जाता है। यह श्रृंखला मुख्य रूप से वाल्मीकि रचित 'रामायण' और तुलसीदास रचित 'रामचरितमानस' पर आधारित है। इस धारावाहिक को रिकॉर्ड 82 प्रतिशत दर्शकों ने देखा था, जो किसी भी भारतीय टेलीविजन श्रृंखला के लिए एक कीर्तिमान है।

15/10/2025

महामंत्री आर्य सुमंत राजकुमारों के लिए राजसी वस्त्र लेकर आश्रम आए | Ramayan EP 03 Part 08

दीक्षांत समारोह के अंत में सभी गुरु वशिष्ठ की आराधना कर आशीर्वाद लेते है। आर्य सुमंत अयोध्या से लाए हुए वस्त्र और गुरु माँ के लिए लाए हुए उपहार गुरु माता को सौंप देते है। गुरु माता आर्य सुमंत का परिचय सभी राजकुमारों से कराते हुए कहती है कि यह अयोध्या के महामंत्री और आपके पिता के बाल सखा भी है।

रामायण एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला है जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य पर आधारित है। यह श्रृंखला मूल रूप से 1987 और 1988 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित हुई थी। इस श्रृंखला के निर्माण, लेखन और निर्देशन का श्रेय श्री रामानंद सागर को जाता है। यह श्रृंखला मुख्य रूप से वाल्मीकि रचित 'रामायण' और तुलसीदास रचित 'रामचरितमानस' पर आधारित है। इस धारावाहिक को रिकॉर्ड 82 प्रतिशत दर्शकों ने देखा था, जो किसी भी भारतीय टेलीविजन श्रृंखला के लिए एक कीर्तिमान है।

15/10/2025

प्रकृति के वेग: स्वास्थ्य का आधार | Nature’s Urges Explained | Listen to Your Body

प्रकृति के वेगों को नज़रअंदाज़ करने के दुष्परिणाम

आज के व्यस्त जीवन में हम अक्सर अपने स्वास्थ्य की उपेक्षा करते हुए प्राकृतिक वेगों को रोकते हैं, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। आयुर्वेद में 13 ऐसे वेगों का वर्णन है, जिन्हें कभी नहीं रोकना चाहिए। इनमें से कुछ प्रमुख वेगों के बारे में जानना आवश्यक है, ताकि हम अपने स्वास्थ्य को बेहतर ढंग से संरक्षित कर सकें।
मूत्र वेग को रोकने से मूत्र मार्ग में जलन, पेट दर्द, और सिरदर्द जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। कई बार काम की व्यस्तता या आलस के कारण हम मूत्र त्याग को टाल देते हैं, जो कि हमारे लिए हानिकारक होता है।

मल त्याग का वेग भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। देर से सोना, देर से खाना, और देर से उठना इस वेग को रोकने के मुख्य कारण हैं। इससे पेट दर्द, सिरदर्द, गैस, और पैरों में ऐंठन जैसी समस्याएं होती हैं। ब्रह्म मुहूर्त में मल त्याग करना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।
नींद का वेग भी अत्यंत आवश्यक है। रात भर जागना, सोशल मीडिया पर समय बिताना, या काम की व्यस्तता के कारण नींद को टालना हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इससे थकान, सिरदर्द, आंखों में काले घेरे, और हाथ-पैर में दर्द जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

भूख का वेग भी महत्वपूर्ण है। समय पर भोजन न करने से शरीर में धातुओं की कमी, वजन घटना, और चक्कर आने जैसी समस्याएं होती हैं। भूख को नज़रअंदाज़ करने से अग्नि विषम हो जाती है, जिससे अनोरेक्सिया जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
प्यास का वेग भी अत्यंत आवश्यक है। काम की व्यस्तता के कारण हम अक्सर पानी पीना भूल जाते हैं, जिससे फोकस की कमी, मुंह का सूखना, और थकान जैसी समस्याएं होती हैं। समय-समय पर पानी पीना हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

इस प्रकार, प्राकृतिक वेगों को नज़रअंदाज़ करने से कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसलिए, हमें इन वेगों का सम्मान करना चाहिए और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। स्वस्थ जीवन ही सुखी जीवन की कुंजी है।

श्रेय:
डॉ. नेहल शर्मा

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