Nikhil Jain

Nikhil Jain Follow my page

यहाँ क्लिक करे - stake.bet/?c=FiWAWVOF
05/12/2024

यहाँ क्लिक करे - stake.bet/?c=FiWAWVOF

हनुमान जी की शक्ति और भक्ति की कहानीबहुत समय पहले की बात है, जब भगवान राम ने रावण से युद्ध किया था, तब हनुमान जी उनके सब...
01/09/2024

हनुमान जी की शक्ति और भक्ति की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, जब भगवान राम ने रावण से युद्ध किया था, तब हनुमान जी उनके सबसे बड़े भक्त और सहयोगी बने। उनके बल और भक्ति की कहानियाँ अनगिनत हैं, लेकिन एक ऐसी कहानी है जो हमें उनकी अद्भुत शक्ति और भगवान राम के प्रति उनकी अटूट भक्ति की याद दिलाती है।

रावण से युद्ध के दौरान, लक्ष्मण जी एक बाण से घायल हो गए थे। उनकी हालत गंभीर हो गई, और वे बेहोश हो गए। सभी वानर सेना और भगवान राम चिंतित हो उठे। तभी, वैद्य सुषेण ने बताया कि लक्ष्मण जी को बचाने का एकमात्र उपाय संजीवनी बूटी है, जो हिमालय के पर्वत पर मिलती है। लेकिन समस्या यह थी कि वह बूटी कहाँ है, इसे ढूंढना आसान नहीं था, और समय भी बहुत कम था।

हनुमान जी ने तुरंत इस कठिन कार्य को स्वीकार किया और बिना किसी संकोच के हिमालय की ओर उड़ चले। उन्होंने सोचा कि यदि वे संजीवनी बूटी को ढूंढने में देर कर गए, तो लक्ष्मण जी की जान बचाना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए उन्होंने अपनी पूरी शक्ति से उड़ान भरी और जल्दी ही हिमालय पर्वत पर पहुँच गए।

लेकिन जब हनुमान जी पर्वत पर पहुँचे, तो उन्हें समझ नहीं आया कि संजीवनी बूटी कौन सी है। पर्वत पर कई तरह की औषधियाँ थीं, और समय बहुत कम था। हनुमान जी ने बिना किसी देरी के पूरा पर्वत ही उठा लिया और उसे अपनी उँगली पर लेकर वापस लौट आए। इस अद्भुत दृश्य को देखकर सभी दंग रह गए।

उन्होंने पर्वत को राम जी के शिविर के पास रख दिया। वैद्य सुषेण ने तुरंत संजीवनी बूटी का उपयोग किया, और लक्ष्मण जी होश में आ गए। सभी ने हनुमान जी की इस महान भक्ति और शक्ति की प्रशंसा की। हनुमान जी ने अपने प्रभु राम के लिए जो किया, वह केवल एक भक्त की भक्ति और भगवान के प्रति उनके प्रेम का प्रतीक था।

कहानी से शिक्षा:
हनुमान जी की यह कहानी हमें सिखाती है कि जब हम अपने ईश्वर या आदर्श के प्रति सच्चे होते हैं, तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं होती। उनकी भक्ति और शक्ति हमें यह प्रेरणा देती है कि हम भी अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना धैर्य और संकल्प से कर सकते हैं।

#हनुमान_भक्ति #राम_सेवक ्री_राम #आस्था_की_कहानी #हिन्दू_धर्म #शक्ति_और_भक्ति #धार्मिक_कथा #महान_हनुमान #भगवान_हनुमान #रामायण_कथा

श्री हनुमान चालीसा (Shree Hanuman Chalisa)दोहा -श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक...
31/08/2024

श्री हनुमान चालीसा (Shree Hanuman Chalisa)

दोहा -
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई -
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे। कांधे मूंज जनेउ साजे।।
शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानु। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु संत के तुम रखवारे।। असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै।।
अंत काल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।

हनुमान की अडिग निष्ठा: भक्ति का अप्रतिम उदाहरण त्रेतायुग का समय था। श्रीराम का वनवास चल रहा था, और माता सीता का अपहरण कर...
30/08/2024

हनुमान की अडिग निष्ठा: भक्ति का अप्रतिम उदाहरण

त्रेतायुग का समय था। श्रीराम का वनवास चल रहा था, और माता सीता का अपहरण करके रावण उन्हें लंका ले गया था। श्रीराम अपनी प्रियतमा को वापस लाने के लिए समुद्र के किनारे खड़े थे, और उनके साथ थे वीर हनुमान, जिनकी भक्ति और शक्ति जगजाहिर थी।

हनुमान जी, जो हमेशा श्रीराम के प्रति अपनी भक्ति में लीन रहते थे, किसी भी कठिनाई का सामना करने के लिए सदैव तत्पर थे। एक दिन श्रीराम ने हनुमान को लंका जाने का आदेश दिया, यह जानने के लिए कि माता सीता किस हाल में हैं और उन्हें संदेश देने के लिए कि श्रीराम शीघ्र ही उन्हें मुक्त कराने आएंगे।

हनुमान जी ने अपनी शक्ति और निष्ठा से भरे मन से श्रीराम का आदेश स्वीकार किया। वे एक छलांग में समुद्र को पार कर लंका पहुँच गए। लेकिन लंका में प्रवेश करना इतना आसान नहीं था। लंका का रक्षक लंकिनी, जो एक भयंकर राक्षसी थी, हनुमान को रोकने के लिए खड़ी थी।

लंकिनी ने हनुमान को चुनौती दी, "यह लंका का क्षेत्र है, यहाँ बिना अनुमति कोई प्रवेश नहीं कर सकता।" हनुमान जी ने विनम्रता से कहा, "मुझे केवल माता सीता से मिलना है, मैं उनसे मिलकर लौट जाऊँगा।" लेकिन लंकिनी ने हनुमान को नहीं जाने दिया।

हनुमान जी ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए लंकिनी को एक हल्का थप्पड़ मारा। लंकिनी उसी क्षण समझ गई कि यह कोई साधारण वानर नहीं, बल्कि श्रीराम का परम भक्त हनुमान है। उसने हनुमान से क्षमा माँगी और उन्हें लंका में प्रवेश करने की अनुमति दी।

हनुमान जी लंका में प्रवेश करके सीता माता की खोज में निकल पड़े। उन्होंने लंका के हर कोने की छानबीन की, लेकिन माता सीता का कोई पता नहीं चला। अंततः, उन्हें अशोक वाटिका में माता सीता मिलीं, जो रावण के अत्याचारों का सामना कर रही थीं लेकिन अपनी भक्ति और विश्वास में अडिग थीं।

हनुमान जी ने माता सीता को श्रीराम का संदेश दिया और उन्हें आश्वासन दिया कि श्रीराम जल्द ही उन्हें रावण के चंगुल से मुक्त कराने आएंगे। माता सीता ने हनुमान जी को अपने आशीर्वाद से विभूषित किया और उन्हें श्रीराम के पास वापस भेज दिया।

लेकिन हनुमान जी का कार्य यहीं समाप्त नहीं हुआ। उन्होंने अपनी शक्ति से लंका में रावण की सेना को ध्वस्त किया, अशोक वाटिका में आग लगा दी और पूरे लंका को अपनी शक्ति का परिचय दे दिया। इसके बाद, वे श्रीराम के पास लौट आए और माता सीता की जानकारी दी।

हनुमान जी की इस यात्रा ने यह सिद्ध कर दिया कि जब भक्ति और निष्ठा का संगम होता है, तब कोई भी शक्ति या चुनौती उसे रोक नहीं सकती। हनुमान जी ने अपनी अडिग भक्ति से यह दिखाया कि श्रीराम के प्रति उनका प्रेम और समर्पण असीमित है, और यही भक्ति उन्हें अमर बनाती है।

हनुमान जी की यह कहानी आज भी हमें सिखाती है कि जब हम अपने कर्तव्य और भक्ति के पथ पर चलते हैं, तो किसी भी बाधा या कठिनाई को पार करना संभव हो जाता है। हनुमान जी की अडिग निष्ठा का यह उदाहरण हमें सदा प्रेरित करता रहेगा।

अगर आपको यह कहानी पसंद आई, तो इसे शेयर करें और हमारे पेज को फॉलो करें! 🙏🐒 #हनुमान #भक्ति #श्रीराम

Jai Hanuman
29/08/2024

Jai Hanuman

Address

Mumbai

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Nikhil Jain posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share

Category