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कबाड़ में ढूंढा सौंदर्य – बेकार पड़े टुकड़ों को जोड़कर ऐसा बिच्छू बनाया कि हर कोई देखता रह गया। जिस कबाड़ को लोग नजरअंदा...
22/06/2025

कबाड़ में ढूंढा सौंदर्य – बेकार पड़े टुकड़ों को जोड़कर ऐसा बिच्छू बनाया कि हर कोई देखता रह गया। जिस कबाड़ को लोग नजरअंदाज़ करते हैं, उसी में उसने कल्पना की आग भर दी। ना कोई रंग, ना चमक, फिर भी उसकी रचना में जान थी – जैसे गरीबी के बीच पलती कोई अद्भुत कहानी। उसने साबित कर दिया कि हुनर ना साधन मांगता है, ना मंच – बस एक सच्चा दिल और जिद होनी चाहिए।

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कपड़े धोते-धोते उसने रस्सियों से नाग बना दिया – गरीबी से बड़ा कोई कल्पनाशील नहीं। उसकी हथेलियों में साबुन के झाग थे, पर ...
22/06/2025

कपड़े धोते-धोते उसने रस्सियों से नाग बना दिया – गरीबी से बड़ा कोई कल्पनाशील नहीं। उसकी हथेलियों में साबुन के झाग थे, पर मन में सपनों की उड़ान। दूसरों की गंदगी साफ करते-करते उसने अपनी रचनात्मकता से एक जीवंत आकृति गढ़ दी। ना रंग, ना ब्रश, ना साधन – बस थोड़ी सी जिद, मेहनत और एक कल्पनाशील आत्मा। लोग देखते रह गए, हैरानी में, और वह मुस्कुरा उठा – जैसे कह रहा हो, 'मैं गरीब हूँ, पर मेरी सोच अमीर है।

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चाय की थैलियों से निकला मछली का संसार – हर घूंट में छिपा था एक कलाकार।कृपया लाइक और कमेंट करें। 🙏
21/06/2025

चाय की थैलियों से निकला मछली का संसार – हर घूंट में छिपा था एक कलाकार।
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जिसके हाथ में रोटी नहीं थी, उसने तीलियों से हिरन खड़ा कर दिया।कृपया लाइक और कमेंट करें। 🙏
21/06/2025

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जो लोग छिलके फेंक देते हैं, उसने उनसे वफादारी बना दी।कृपया लाइक और कमेंट करें। 🙏
20/06/2025

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ईंटों की दीवारें तो सब बनाते हैं, इसने उनसे कछुआ बना डाला।कृपया लाइक और कमेंट करें। 🙏
20/06/2025

ईंटों की दीवारें तो सब बनाते हैं, इसने उनसे कछुआ बना डाला।
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रद्दी और तारों से उसने उल्लू नहीं, समझदारी की मिसाल गढ़ी।कृपया लाइक और कमेंट करें।
19/06/2025

रद्दी और तारों से उसने उल्लू नहीं, समझदारी की मिसाल गढ़ी।
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हवा नहीं थी, पर उम्मीद थी – इसलिए वो गुब्बारों से जिराफ बना बैठा।कृपया लाइक और कमेंट करें।
19/06/2025

हवा नहीं थी, पर उम्मीद थी – इसलिए वो गुब्बारों से जिराफ बना बैठा।
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टूटी चप्पलों से बना वो बाज़ – उड़ान गरीबी नहीं रोक सकती।
18/06/2025

टूटी चप्पलों से बना वो बाज़ – उड़ान गरीबी नहीं रोक सकती।

खेती का ज्ञान ही उसकी कला बन गया – पत्तों में मगरमच्छ जिंदा हो उठा।
18/06/2025

खेती का ज्ञान ही उसकी कला बन गया – पत्तों में मगरमच्छ जिंदा हो उठा।

फटी हुई साड़ियों में उसने वो मोर बनाया जो रेशम से भी सुंदर निकला।
17/06/2025

फटी हुई साड़ियों में उसने वो मोर बनाया जो रेशम से भी सुंदर निकला।

जिस उम्र में गुड़िया मिलती है, उस उम्र में उसने खुद एक बना दी।
17/06/2025

जिस उम्र में गुड़िया मिलती है, उस उम्र में उसने खुद एक बना दी।

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