
24/09/2025
एक वक्त था जब श्रीदेवी संजय दत्त से बहुत ज़्यादा घबराती थी। क्योंकि एक दिन नशे में संजय दत्त श्रीदेवी के मेकअप रूम में पहुंच गए थे। मगर बाद में स्थिति सामान्य हुई और श्रीदेवी ने इस फिल्म में संजय दत्त संग काम किया। इस फिल्म के अन्य प्रमुख कलाकार थे अनुपम खेर, राहुल रॉय, रीमा लागू, सोनी राज़दान, टॉम ऑल्टर, सुदेश इस्सर, बॉब क्रिस्टो, अनंग देसाई, लक्ष्मीकांत बेर्डे, कामिनी कौशल, अवतार गिल, महेश आनंद और मुश्ताक खान। फिल्म में कुल छह गीत थे जिन्हें आनंद बक्शी जी ने लिखा था। और कंपोज़ किया था लक्ष्मी-प्यारे ने। इस फिल्म के गाने संगीत प्रेमियों को पसंद आए थे।
गुमराह, 24 सितंबर 1993 को रिलीज़ हुई महेश भट्ट द्वारा निर्देशित और यश जौहर द्वारा उनके बैनर धर्मा प्रोडक्शन्स में निर्मित एक फिल्म जिसकी रिलीज़ डेट विकीपीडिया पर 3 अगस्त बताई जाती है। लेकिन वो गलत है। सही तारीख 24 सितंबर है। ये श्रीदेवी और संजय दत्त की साथ में की गई इकलौती फिल्म है। इंटरनेट पर कहा जाता है कि धर्मा प्रोडक्शन्स की ही कलंक में पहले श्रीदेवी ही थी। लेकिन उनकी मृत्यु के बाद माधुरी को फिल्म में लेना पड़ा। अगर श्रीदेवी की मृत्यु ना हुई होती तो 25 साल बाद दोनों फिर से साथ नज़र आते। आज गुमराह फिल्म कगे 32 साल पूरे हो गए हैं। चलिए इस फिल्म की मेकिंग से जुड़े कुछ रोचक फैक्ट्स जानते हैं।
गुमराह की अधिकतर शूटिंग हॉन्ग कॉन्ग में हुई थी। उस वक्त श्रीदेवी और संजय दत्त को देखने के लिए हॉन्ग कॉन्ग में रहने वाली इंडियन कम्यूनिटी के लोगों के बीच बड़ी उस्तुकता थी। बहुत बड़ी तादाद में भारतीय मूल के लोग श्रीदेवी और संजय दत्त से मिलने आ पहुंचे थे। भीड़ इतनी ज़्यादा हो गई थी कि फिल्म क्र्यू को स्थानीय पुलिस की मदद लेनी पड़ी थी।
गुमराह का बजट और कलेक्शन एग्ज़ैक्टली कितना था ये पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। वैसे तो कुछ लोग दावा करते हैं कि इस फिल्म का बजट तीन करोड़ रुपए था। और इसने आठ करोड़ रुपए का कलैक्शन किया था। लेकिन इस पर पूरी तरह से यकीन नहीं किया जा सकता। क्योंकि ऐसे दावे करने वालों के पूर्व में कई दावे गलत ही निकले हैं।
गुमराह वास्तव में 1989 की ऑस्ट्रेलियन टीवी सीरीज़ बैंकॉक हिल्टन से प्रेरित थी। गुमराह से पहले भी इस ऑस्ट्रेलियन टीवी सीरीज़ पर एक फिल्म बॉलीवुड में बनने जा रही थी जिसे दीपक आनंद डायरेक्ट करने जा रहे थे। उस फिल्म में ऋषि कपूर और करिश्मा कपूर पिता-पुत्री के किरदार में नज़र आने वाले थे। लेकिन किन्हीं वजहों से वो फिल्म बन ना सकी।
कहा जाता है कि पहले गुमराह के लीड हीरो राहुल रॉय थे। लेकिन बाद में राहुल रॉय के अधिकतर दृश्य एडिटिंग के बाद निकाल दिए गए। राहुल का रोल आखिर में इतना छोटा रह गया था कि मेकर्स को उन्हें गेस्ट अपीयरेंस के तौर फिल्म में क्रेडिट दिया था। राहुल रॉय इससे काफी नाराज़ हुए थे। लेकिन वो चाहकर भी कुछ नहीं कर सके। राहुल की नाराज़गी की वजह ये भी थी कि कहां तो उन्हें पहले संजय दत्त का रोल गेस्ट अपीयरेंस बताया जा रहा था। और कहां उनका रोल ही गेस्ट अपीयरेंस कर दिया गया।
राहुल रॉय को इस फिल्म के एक सीन से बड़ी आपत्ति हुई थी। उस सीन में श्रीदेवी राहुल रॉय के गाल पर थप्पड़ लगाती हैं। राहुल रॉय ये सीन करना नहीं चाहते थे। पहले ये सीन स्क्रिप्ट में नहीं था। इसलिए राहुल को जब ये सीन करने को कहा गया तो वो पहले तो हैरान, और बाद में नाराज़ हुए। उन्होंने महेश भट्ट से इस सीन को करने से मना कर दिया था। राहुल रॉय का कहना था कि उनकी कुछ फिल्में ऐसी आने वाली हैं जिसमें वो मुख्य हीरो हैं। अगर लोग उन्हें ऐसे हीरोइन से थप्पड़ खाते देखेंगे तो उनकी इमेज पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा। लेकिन महेश भट्ट नहीं माने। उन्होंने राहुर रॉय को ये सीन शूट करने पर विवश किया। राहुल रॉय को तब और भी ज़्यादा बुरा लगा जब उन्हें पता चला कि एडिटिंग में इस फिल्म में से उनके सभी अहम सीन्स काट दिए गए हैं। लेकिन वो थप्पड़ वाला सीन रखा गया है। इस फिल्म के बाद राहुल रॉय ने महेश भट्ट की किसी और फिल्म में काम नहीं किया।
गुमराह की शूटिंग मॉरिशस में भी हुई थी। वहां भी भारतीय मूल के लोगों ने इस फिल्म की स्टारकास्ट को लेकर बड़ी उत्सुकता दिखाई थी। खै़र, मॉरिशस में शूटिंग के दौरान राहुल रॉय एक बड़ी मुसीबत में फंसते-फंसते बचे थे। हुआ कुछ यूं कि जब इस फिल्म की शूटिंग मॉरिशस में चल रही थी तभी मॉरिशस पुलिस ने रियाजत हुसैन नाम के एक गैंगस्टर को गिरफ्तार किया था। उस गैंगस्टर ने पुलिस से कहा कि उसकी राहुल रॉय के साथ दोस्ती है। उसने पुलिस को राहुल रॉय संग अपनी कुछ तस्वीरें भी दिखाई। फिर तो मॉरिशस के अखबारों में ये किसी ब्रेकिंग न्यूज़ की तरह छप गई। वहां हंगामा मच गया। पुलिस ने पूछताछ के लिए राहुल रॉय को बुलाया। राहुल ने पुलिस को बताया कि उस गैंगस्टर के साथ उनका कोई ताल्लुक नहीं है। जैसे तमाम दूसरे फैंस उनके साथ आकर तस्वीरें खिंचाते हैं वैसे ही वो गैंगस्टर भी आ गया होगा। इस मामले पर तब मॉरिशस में बड़ी कंट्रोवर्सी हुई थी। मगर बाद में वो मामला शांत हो गया था।
लेट एक्टर महेश आनंद पहले गुमराह में एक फाइट सीन को कोरियोग्राफ करने वाले थे। उन्हें एक फाइटर को एक फाइट सीक्वेंस के लिए तैयार करना था। उन्होंने एक फाइटर को तैयारी भी कराई थी। लेकिन जिस दिन वो सीन शूट होना था उसी दिन वो फाइटर छुट्टी मार गया। ऐसे में महेश आनंद को खुद वो सीन शूट करना पड़ा। और महेश आनंद को लोगों ने उस सीन में काफी पसंद किया। यानि उस फाइटर का ना आना महेश आनंद के लिए एक तरह से फायदेमंद ही रहा।
गुमराह को अफ्रीकी देश नाइजीरिया में भी दिखाया गया था। नाइजीरिया के लोगों को ये फिल्म बहुत पसंद आई थी। कहा जाता है कि नाइजीरियन्स इस फिल्म के फाइट सीन्स देखकर कुर्सी पर खड़े होकर तालियां बजाने लगे थे। गुमराह के एक्टर्स, खासतौर पर संजय दत्त और श्रीदेवी के नाइजीरियन्स तभी से फैन बन गए थे। आज भी नाइजीरिया के लोग संजय दत्त की फिल्म बड़े शौक से देखना पसंद करते हैं।
1963 में गुमराह नाम से एक फिल्म आई थी जिसमें हीरो थे संजय दत्त के पिता सुनील दत्त जी। इत्तेफ़ाक से ठीक 30 साल बाद संजय दत्त भी गुमराह नाम की एक फिल्म में हीरो बने। वैसे साल 1993 में संजय दत्त की और भी कुछ फिल्में आई थी जैसे खलनायक, क्षत्रिय व साहिबान। ये सभी फिल्में गुमराह से पहले रिलीज़ हुई थी। और खलनायक इनमें सबसे बड़ी हिट थी। खलनायक उस साल कमाई के मामले में नंबर दो पर रही थी।
गुमराह में एक सीन है जिसमें संजय दत्त को हॉन्ग कॉन्ग की एक जेल में रखा जाता है। उस सीन में संजय दत्त कहते हैं कि बॉम्बे की जेल इससे बैटर हैं। ये भी एक इत्तेफाक है कि गुमराह जिन दिनों रिलीज़ हुई थी उन दिनों संजय दत्त को पहली दफा 1993 के बॉम्ब ब्लास्ट केस में गिरफ्तार किया गया था।