
04/06/2025
पंजाब किंग्स भी ट्रॉफी का ख्वाब 18 साल से देख रही थी। उनके फैंस भी हर साल दिल थामकर मैच देखते थे। लेकिन फिर भी इस बार जब फाइनल में पंजाब और आरसीबी आमने-सामने थे… तो एक सवाल सबके ज़हन में था — "हर कोई आरसीबी की जीत की दुआ क्यों कर रहा है?" क्या पंजाब जीत की हकदार नहीं थी? बिल्कुल थी।
लेकिन इस बार बात सिर्फ ट्रॉफी की नहीं थी। इस बार बात थी एक इंसान के अधूरे सपने की… विराट कोहली की। वो विराट कोहली — जिसने आरसीबी को सिर्फ एक टीम नहीं, एक इमोशन बना दिया। वो विराट — जो चाहे तो किसी और फ्रैंचाइज़ी में जाकर सालों पहले ट्रॉफी उठा सकता था। पर उसने ठान लिया था — "जहाँ शुरुआत की है, वहीं से खत्म करूंगा।"
18 साल से वही लाल जर्सी, वही जज़्बा… हर हार के बाद फिर से खड़े होने का हौसला। तीन बार टीम को फाइनल में ले गए, लेकिन किस्मत ने हर बार मुँह मोड़ लिया। लोगों ने मज़ाक उड़ाया — "विराट कभी कप नहीं जीतेगा।" लेकिन विराट मुस्कुराया, फिर बल्ला उठाया।
आरसीबी के फैंस जानते थे — ये सिर्फ एक मैच नहीं, ये विराट के लिए एक आखिरी उम्मीद है। हर बार स्टेडियम लाल रंग से भर जाता था… क्योंकि वो टीम से नहीं, "विराट" से मोहब्बत करते थे। वो मोहब्बत जो हर हार के बाद और गहरी होती चली गई। इस साल कहानी बदली। आरसीबी की टीम में सब कुछ था — बैलेंस, फॉर्म, आत्मविश्वास। पॉइंट्स टेबल में टॉप 2, सेमीफाइनल में धमाकेदार जीत… और फिर वो दिन आया — आईपीएल का 18वां सीज़न… और विराट की जर्सी नंबर भी 18! जैसे खुद खुदा ने कह दिया हो — "अब तेरी बारी है, विराट।"
फाइनल में श्रेयस अय्यर की पंजाब किंग्स भी दमदार खेली, लेकिन किस्मत इस बार बेंगलुरु वालों पर मेहरबान थी। 20 ओवर खत्म होते ही जब विराट मैदान पर झुके और उनकी आँखों से आँसू निकले — पूरा देश रो पड़ा। ये आँसू हार के नहीं थे…
ये आँसू उस 18 साल के इंतज़ार के थे, जो हर साल दिल तोड़ता था। लेकिन इस बार, वो सपना पूरा हुआ। आरसीबी चैंपियन बनी — और करोड़ों दिलों की धड़कन विराट कोहली का सपना भी।
पंजाब हारकर भी दिल जीत गई, लेकिन इस बार जीत सिर्फ ट्रॉफी की नहीं, एक वफ़ादारी की, एक जुनून की, और उस इंसान की थी — जिसने हार नहीं मानी।
इसलिए जब लोग पूछते हैं — "सिर्फ विराट की जीत की ही क्यों दुआ हो रही थी?" तो जवाब है — "क्योंकि विराट ने ट्रॉफी नहीं, हमारे दिल जीते हैं… और दिल जीतने वालों को हर कोई जीतते देखना चाहता है।"
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