Bagonwali Muzaffarnagar

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मदरसा ख़ादिमूल उलूम बाग़ोंवाली में एक 8 साला बच्चे ने 9 महीने की छोटी सी मुद्दत में कुरान ए करीम हिफ्ज़ मुकम्मल करके एक ...
10/06/2025

मदरसा ख़ादिमूल उलूम बाग़ोंवाली में एक 8 साला बच्चे ने 9 महीने की छोटी सी मुद्दत में कुरान ए करीम हिफ्ज़ मुकम्मल करके एक रोशन मिसाल क़ायम की।
बच्चे का नाम #मोहम्मद_रासिल वालिद का नाम #हाफिज़_मोहम्मद_मोहतशिम बाग़ोंवाली
मुबारकबाद के मुस्तहिक़ है बच्चे के वालिदैन जिन्होंने अपने बेटे की देनी तरबियत की और घर में कुरान ए करीम से मोहब्बत का माहौल पैदा किया, अल्लाह बच्चे का मुस्तक़बिल रोशन फरमाए और इसको वालिदैन के लिए सदक़ा ए जारियह बनाए।
मुबारकबाद बच्चे के उस्ताद #क़ारी_अब्दुल_क़ादिर_साहिब को जिन्होंने अपनी मेहनत और इख़लास के ज़रिए बच्चे को यह कामयाबी हासिल करने पर बडा अहम किरदार अदा किया।

हम शुक्रिया अदा करते हैं मदरसे के मोतमिम #हज़रत_मौलाना_हामिद_हसन_साहब का भी जिनकी रात और दिन की मेहनत कोशिशों और इख़लास ने मदरसे को मज़ीद तरक्क़ी की राह पर लाया
#हज़रत_मोहतमिम_साहब की दूरअंदेशी और मेहनत ही का नतीजा है के अल्हम्दुलिल्लाह मदरसे में स्कूल का क़याम अमल में आया और इंटर तक हुकूमत से मंजूर कराकर बडा अहम काम अंजाम दिया।
और अल्हम्दुलिल्लाह आज स्कूल की बड़ी हसीन व जमीन इमारत अलग से बनकर तैयार है और 500 के क़रीब बच्चे स्कूल में दाख़िल हैं।
मैं समझता हूं के बाग़ोंवाली और आसपास इलाके पर #हज़रत_मोहतमिम_साहब का बहुत बड़ा एहसान है जिन्होंने इतना बड़ा प्लेटफार्म मुहैया कराया और आने वाली नस्लों तक के लिए पढ़ने लिखने और तालीम में आगे बढ़ने का रास्ता आसान कराया।
हम हज़रत के शुक्रगुज़ार हैं और दुआ करते हैं अल्लाह तआला हज़रत की मेहनतौं को क़बूल फरमाए सेहत व सलामती के साथ हज़रत की उम्र में बरकत अता फरमाए और हज़रत के साए को दराज़ फरमाए।

28/05/2025

#गाड़ा_बिरादरी के सुनहरे माज़ी की एक झलक

जनाब अनवर अली मरहूम_बागोंवाली
रिटायर्ड प्रिंसीपल, गांधी स्मारक इंटर कॉलेज, दोघट, मेरठ

इनका ताल्लुक दीनी तालीम वाले घराने से था। लेकिन इनके अब्बा मौलवी अहमद अली ने समाज की कड़ी मुजाहमत के बीच आपको असरी तालीम देने की ठानी। जिसमे आप साबित क़दम रहे और नुमाया कामयाबियां हासिल की।

आपकी कुछ ख़ास कामयाबियां:
1. 5वीं और 8वीं में टॉपर रहे और वजीफा हासिल किया।
2. 10वीं क्लास में सभी सब्जेक्ट्स में डिस्टिंक्शन के साथ यूपी बोर्ड टॉप किया(ऐसे बिरादरी के इकलौते स्टूडेंट)
3. BA English AMU Aligarh से किया
4. MA English में आगरा युनिवर्सिटी को टॉप किया (आगरा युनिवर्सिटी उस दौर में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की इकलौती युनिवर्सिटी थी) इंग्लिश में गोल्ड मेडल हासिल करने की वजह से उनके हेड ऑफ द डिपार्टमेंट प्रोफेसर रिज़वी ने उनको रिज़वी के लक़ब से नवाज़ा। उसके बाद वो अनवर अली रिज़वी के नाम से ही जाने गए।

4. MA उर्दू भी किया और D. Lit के बाद Phd उर्दू में भी रजिस्ट्रेशन कराया।

आप ने 1953 में जूनियर हाईस्कूल बेहसूमा में बतौर साइंस टीचर अपने कैरियर का आगाज़ किया। फिर 1962 में फैजे आम इंटर कॉलेज मेरठ बतौर लेक्चरर ज्वॉइन किया और 1993 में गांधी स्मारक इंटर कॉलेज से प्रिंसिपल के ओहदे से रिटायर हुए। आपकी वाइस प्रिंसीपल की तकर्रुरी पर साबिक वजीरे आज़म चरण सिंह ने खुशी का इज़हार करते हुए इंतजामिया को खत लिखा था (अटैच्ड)।

उन्होंने "यादे माज़ी" के नाम से एक किताब भी लिखी थी।

#ख़ास_बात: आप के अब्बा ताया चाचा दादा सब मौलवी थे इसके अलावा अम्मी और तीनों बहनें हाफिज़े कुरआन थीं।

05/05/2025
 #गाड़ा_बिरादरी के सुनहरे माज़ी की एक झलकजनाब अनवर अली मरहूम_बागोंवालीरिटायर्ड प्रिंसीपल, गांधी स्मारक इंटर कॉलेज, दोघट,...
13/01/2025

#गाड़ा_बिरादरी के सुनहरे माज़ी की एक झलक

जनाब अनवर अली मरहूम_बागोंवाली
रिटायर्ड प्रिंसीपल, गांधी स्मारक इंटर कॉलेज, दोघट, मेरठ

इनका ताल्लुक दीनी तालीम वाले घराने से था। लेकिन इनके अब्बा मौलवी अहमद अली ने समाज की कड़ी मुजाहमत के बीच आपको असरी तालीम देने की ठानी। जिसमे आप साबित क़दम रहे और नुमाया कामयाबियां हासिल की।

आपकी कुछ ख़ास कामयाबियां:
1. 5वीं और 8वीं में टॉपर रहे और वजीफा हासिल किया।
2. 10वीं क्लास में सभी सब्जेक्ट्स में डिस्टिंक्शन के साथ यूपी बोर्ड टॉप किया(ऐसे बिरादरी के इकलौते स्टूडेंट)
3. BA English AMU Aligarh से किया
4. MA English में आगरा युनिवर्सिटी को टॉप किया (आगरा युनिवर्सिटी उस दौर में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की इकलौती युनिवर्सिटी थी) इंग्लिश में गोल्ड मेडल हासिल करने की वजह से उनके हेड ऑफ द डिपार्टमेंट प्रोफेसर रिज़वी ने उनको रिज़वी के लक़ब से नवाज़ा। उसके बाद वो अनवर अली रिज़वी के नाम से ही जाने गए।

4. MA उर्दू भी किया और D. Lit के बाद Phd उर्दू में भी रजिस्ट्रेशन कराया।

आप ने 1953 में जूनियर हाईस्कूल बेहसूमा में बतौर साइंस टीचर अपने कैरियर का आगाज़ किया। फिर 1962 में फैजे आम इंटर कॉलेज मेरठ बतौर लेक्चरर ज्वॉइन किया और 1993 में गांधी स्मारक इंटर कॉलेज से प्रिंसिपल के ओहदे से रिटायर हुए। आपकी वाइस प्रिंसीपल की तकर्रुरी पर साबिक वजीरे आज़म चरण सिंह ने खुशी का इज़हार करते हुए इंतजामिया को खत लिखा था (अटैच्ड)।

उन्होंने "यादे माज़ी" के नाम से एक किताब भी लिखी थी।

#ख़ास_बात: आप के अब्बा ताया चाचा दादा सब मौलवी थे इसके अलावा अम्मी और तीनों बहनें हाफिज़े कुरआन थीं।

आप सभी लोगों को इत्तिला दी जाती है कि दिनांक 13 जनवरी पीर वाले दिन सुबह 10 बजें मदनी इंटरनेशनल स्कूल में "सीरत कंपटीशन" ...
12/01/2025

आप सभी लोगों को इत्तिला दी जाती है कि दिनांक 13 जनवरी पीर वाले दिन सुबह 10 बजें मदनी इंटरनेशनल स्कूल में "सीरत कंपटीशन" में कामयाब होने वाले बच्चों को इनामात से नवाजा जायेगा। जिसमें जनाब नवाज देवबंदी साहब व दीगर स्कॉलर्स तशरीफ़ ला रहे है है।
आप सभी हजरत से दरख्वास्त है कि इस प्रोगाम में जरूर शिरकत फरमाएं

حضرت مولانا محمد حنیف صاحب،نوراللہ مرقدہ، ملک پوری ---------------------------------------------------------------------...
01/01/2025

حضرت مولانا محمد حنیف صاحب،نوراللہ مرقدہ، ملک
پوری
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سابق مہتمم مدرسہ خادم العلوم باغونوالی مظفرنگر اترپردیش
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موضع نہر ملک پور بہٹ روڑ سہارنپور میں آپ کی پیدائش ١٩٢٢ء مطابق ١٣٤٠ھ میں ایک متوسط کاشتکار گھرانے میں ہوئی ، آپ کے والد محترم جناب غلام محمد صاحب
دینی مزاج کے حامل ایک کاشتکار شخص تھے ، ان کی خواہش تھی کہ ان کا لخت جگر عالم باعمل بنے ۔
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حضرت مولانا محمد حنیف صاحب،نوراللہ مرقدہ
اپنے والد محترم جناب غلام محمد صاحب کی کوششوں سے عالم باعمل بنے ۔
حضرت مولانا محمد حنیف صاحب نے ١٩٥٥ء میں مدرسہ خادم العلوم باغونوالی کی باگ دوڑ سنبھالی، اس وقت یہ مدرسہ بلکل چھوٹے سے مکتب کی شکل میں تھا، چند کمرے تھے، مسجد بھی نامکمل تھی،
مدرسہ بالکل جنگل میں واقع تھا، مدرسہ کے چاروں طرف کھیت اور باغات تھے، گاؤں اور مدرسہ میں کافی فاصلہ تھا،
مدرسہ کے چاروں طرف کی دیواریں بھی محفوظ نہیں تھیں، تعلیم وتعلم کی اعلیٰ صلاحیتوں کے باوجود ایسی شجاع اور بہادر شخصیت تھی کہ حضرت مولانا محمد حنیف صاحب نے کبھی ڈر اور خوف محسوس نہیں کیا، مدرسہ کی تعطیلات کے زمانہ میں تنہائی مدرسہ میں رہنا آپ ہی کی ہمت اور اولو العزمی تھی کیونکہ حضرت مولانا نے مدرسہ میں قدم رکھتے ہی اپنا اوڑھنا بچھونا مدرسہ ہی بنالیا تھا، جس کمرہ میں آپ رہتے تھے ، وہی آپ کی درسگاہ تھی ، یہی کمرہ آپ کا دفتر ہوتا تھا ، اور اسی کمرہ میں مجلس شوریٰ کا اجلاس بھی ہوتا تھا ، اس مدرسہ کو پروان چڑھانے کے لیے حضرت نے بیحد محنت کی ،
باغووالی میں ایک ایک در جاکر چندہ کیا ، روز مرہ کے لئے گھومنا ، درس و تدریس کا پورا کام دینا ، دفتر کے حساب وکتاب کو خوددیکھنا ، غرض کہ تمام کاموں کو خود ہی انجام دینے والی آپ کی ذات تھی ۔
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ایک مخلص انسان
حضرت مولانا محمد حنیف صاحب مخلص انسان تھے ،
ان کا ایک ہی محبوب تھا ، وہ ہے ان کا مدرسہ خادم العلوم باغووالی ، جس کو انہوں نے اپنے خون جگر سے سینچا تھا،
ہر طرح سے اس کی آبیاری کی تھی ، اپنے آرام وراحت اور صحت کا خیال کںٔے بغیر اس چمن کو آباد وشاداب بنایا تھا ،
اپنے اس محبوب سے جدائی مولانا محمد حنیف صاحب کو گوارانہ تھی ، عید ، بقرعید کا موقع ہو ،چھوٹی بڑی چٹھیاں ہوں ، مدرسہ میں کوںیٔ نہ ہو ،
سب گھر کو رخصت ہو گئے ہوں ؛ لیکن اس چمن کا باغیاں باغیانی کرتا ہوا ضرور ملتا ،
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دیانت وتقوی
مدرسہ میں بیتے ہوئے اس طویل عرصہ میں ایک دانہ بھی اپنے حق سے زائد نہیں لیا ،
ایک جیب میں مدرسہ کا پیسہ اور دوسری جیب میں اپنا ،
اسی طرح کمرے میں ایک الماری مدرسہ کے پیسے کے لئے مختص تھی ‌۔
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اقرباء پروری کے داغ سے پاک

حضرت مولانا محمد حنیف صاحب مدرسہ سے خود تو کیا فائدہ اٹھاتے اپنے عزیزوں اور قرابت داروں کو بھی اس سے دور رکھا ، کبھی ان میں سے کسی کو ملازم نہیں رکھا ۔
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بہرحال مدرسہ دارالعلوم کو مکتب سے مدرسہ اور مدرسہ سے یونیورسٹی کی شکل دے کر اور تعلیم کو آخری منزل تک پہنچا کر .... ١٧/ جنوری ٢٠١٢ء
مطابق ٢٢/ صفر ١٤٣٣ھ منگل اور بدھ کی درمیانی شب میں سوادس بجے حضرت مولانا محمد حنیف صاحب اپنے حقیقی مالک سے جاملے ،
انا للّٰہ وانا الیہ راجعون۔
اللہ تعالیٰ حضرت کی مغفرت فرمائیں اور قبر کو اپنی رحمتوں سے بھردیں آمین ثم آمین

आओ साथियो अब बात करते हैं। क़ौम के सबसे बेशकीमती रत्न बाबा ए क़ौम डिप्टी अब्दुर रहीम रहo के बारे मे। बात शुरू करने से पहले...
15/12/2024

आओ साथियो अब बात करते हैं। क़ौम के सबसे बेशकीमती रत्न बाबा ए क़ौम डिप्टी अब्दुर रहीम रहo के बारे मे। बात शुरू करने से पहले मै आपको बता दूँ। कि आपके बारे कुछ भी लिखना सूरज को चिराग दिखाने के बराबर है। आप का जन्म लगभग 1880 मे गादला गांव मे हुआ। आपकी प्रारंभिक शिक्षा छपार मे हुई। आपका पोस्टिंग सिंचाई विभाग मे बेलदार की पोस्ट पर हुई। और प्रमोशन पाकर सिंचाई विभाग मे डिप्टी मैजिस्ट्रेशट की पोस्ट से रिटायर हुए। रिटायरमेंट के बाद आपने बिरादरी के मारके के काम किये। आपने उस दौर मे बिरादरी के हर गाँव का दौरा किया। हर गांव के गाड़ों की खानदान वाइज लिस्ट बनाई, गाड़ा अंजुमन का गठन किया, सहारनपुर और मुज़फ्फरनगर मे गाड़ा बोर्डिंग बनाया, मदरसा रिढ़ी मदरसा बगोवाली और मदरसा इक़ला रसूलपुर की संगे बुनियाद रखी। और मस्जिदों का निर्माण भी आपने कराया। आप ता उम्र क़ौम की भलाई मे लगे रहे.. आज ये आपकी क़र्ज़दार क़ौम आपको सैलूट करती है। और अल्लाह से दुआ करती है कि अल्लाह आपको जन्नतुल फ़िरदौस मे आला से आला मुकाम अता करे.. आमीन या रब्बुल आलमीन
Post Credit @आल इंडिया गाड़ा बिरादरी

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