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बेझा फार्म हाउस की प्राकृतिक खेती बढ़ती आमदनी और खुशहाल किसान - डीएओ  #मुजफ्फरपुर :- उत्पादन और मूल्य प्राप्ति दोनों में ...
24/11/2023

बेझा फार्म हाउस की प्राकृतिक खेती बढ़ती आमदनी और खुशहाल किसान - डीएओ

#मुजफ्फरपुर :- उत्पादन और मूल्य प्राप्ति दोनों में अनिश्चितता की वजह से किसान उच्च लागत वाली कृषि के दुष्चक्र में फंस गया है। लगातार गिरता उत्पादन और बढ़ती बीमारियाँ कृषि क्षेत्र की जटिलताओं को और बढ़ा रही हैं। इस परिस्थिति से किसानों को निकालने और उनके दीर्घकालिक कल्याण के लिए प्राकृतिक खेती की तरफ रुख करने के सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं ।

प्राकृतिक खेती राज्य बनने की ओर तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है। राज्य में 5 साल पहले शुरू की गई प्राकृतिक खेती के सफल परिणाम नज़र आने लगे हैं। रसायनों के प्रयोग को हत्तोत्साहित कर किसान की खेती लागत और आय बढ़ाने के लिए शुरू की गई बेझा फार्म अपने खेत-बागीचों में अपना रहा है। किसानों को जोड़ने के तय लक्ष्य से अधिक 30 किसानों ने इस विधि को अपनाया है प्राकृतिक खेती का।

प्राकृतिक खेती को लेकर बेझा फार्म हाउस ने विभिन्न अध्ययन किए हैं जो इस विधि की प्रासंगिकता एवं व्यावहारिकता को इंगित करते हैं। अध्ययन के अनुसार प्राकृतिक खेती अपनाने के बाद बेझा फार्म की खेती लागत जहाँ 46 प्रतिशत कम हुई है वहीं उनका शुद्ध लाभ 22 प्रतिशत तक बढ़ा है। सेब-बागवानी में बीमारियों के प्रकोप पर किए अध्ययन में पाया गया कि प्राकृतिक खेती से सेब पर बीमारियों का प्रकोप अन्य तकनीकों की तुलना में कम रहा।

जिलों में दो दिवसीय कृषि विभाग अधिकारियों के नौ सदस्य टीम द्वारा सकरा प्रखंड का भ्रमण के दौरान गन्निपुर बेझा में बेझा एफपीओ फार्म का निरीक्षण किया।

संयुक्त निदेशक संजय नाथ तिवारी ने गेहूं की बुआई, बिजली की व्यवस्था, पीएम-किसान, यंत्र बैंक, प्रशिक्षण, राज्य से बाहर भ्रमण, अधिकारियों का सहयोग के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल की। इसके साथ ही गेहूं की बुआई के बदले मक्का फसल लगाने की बात कही। बेझा एफपीओ फार्म में प्राकृतिक अनुकूल एवं जैविक खेती का निरीक्षण किया, समेकित कृषि प्रणाली को बेहतर बताते हुए एफपीओ को विभिन्न सरकारी योजना से जोड़ने के लिए संबंधित विभागों को कहा। वहीं किसानों द्वारा बताया गया कि यहाँ सिंचाई के लिए आवश्यक बिजली मिल रही है।

राजन बालन जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि किसानों को समय की माँग को देखते हुए वैकल्पिक फसल की खेती की ओर कदम बढ़ाने की जरूरत है। इसमें हमसब आप सभी किसानों की हर संभव मदद के लिए आगे हैं और शुद्ध देशी गाय के गोबर एवं गोमूत्र से निर्मित उत्पाद धूपबत्ती, गमला, वर्मी कम्पोस्ट, उपला, दिया, गोबर पाउडर, अगरबत्ती, जीवामृत, घन जीवामृत, नेम प्लेट, मोमेंटो को बनाने की प्रक्रिया को समझा व आगामी कार्यक्रम में जिले के किसानों को भ्रमण सह प्रशिक्षण के लिए बेझा एफपीओ फार्म भेजा जाएगा।

आत्मा सहायक तकनीकी प्रबंधक अतुल्ह हक खान ने सक्सेस स्टोरी बनाने, अनुमंडल पूर्वी कृषि पदाधिकारी शांतनु कुमार ने जैविक सर्टिफिकेशन कराने में सहियोग की बात कही साथ ही फार्म हाउस में सेब, अंजीर, बेर, सीडलेस नींबू, जी9 केला, कागजी नींबू एवं सब्जी की खेती देखकर प्रसन्नता जाहिर की। वर्मी कंपोस्ट की ऑनलाइन बिक्री के बारे में जानकारी ली।

इसके साथ ही मौके पर अनुमंडल कृषि पदाधिकारी पश्चिमी विकास कुमार, सहायक निदेशक पौधा संरक्षक चंद्रदीप कुमार, सहायक निदेशक कृषि अभियंत्रिक लौतन कुमार, प्रखंड पौधा संरक्षक राजेश कुमार, बेझा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक राम नंदन प्रसाद, प्रगतिशील किसान रौशन कुमार, सतीश साह, धर्मेंद्र कुमार आदि मौजूद रहें।

आपकों और आपके पुरा परिवार को दीपों का पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
12/11/2023

आपकों और आपके पुरा परिवार को दीपों का पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

राजनीति विज्ञान विभाग के द्वारा जेपी के जन्म जयंती पर आयोजित हुआ एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनारअतिथियों का स्वागत पेड़ देकर...
11/10/2023

राजनीति विज्ञान विभाग के द्वारा जेपी के जन्म जयंती पर आयोजित हुआ एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार

अतिथियों का स्वागत पेड़ देकर पर्यावरण के प्रति भविष्य की ओर सांकेतिक दृश्य के लिए आह्वान किया गया।

● जेपी का अंतिम संदेश युवक बचाओ अपना देश के थीम के साथ जेपी का जयंती को ऐतिहासिक बनाने का प्रथम प्रयास किया गया।

जेपी का नाम का प्रयोग सिर्फ चुनाव जीतने के लिये नहीं बल्कि चुनाव बाद लोक-कल्याणकारी शासनतंत्र में दिखना चाहिये:- कुलपति, प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह। ● सत्ता के पावर हाउस को कोई चुनौती न दे दे इसीलिए देश में तैयार हो रही फॉल्स आइडेंटिटी:- मुख्य अतिथि, प्रो. मनिंद्र नाथ ठाकुर, जेएनयू। ● सत्ता निरपेक्ष राजनीति के पुरोधा थे जेपी:- डॉ. पंकज कुमार सिंह

लनामिवि दरभंगा:- आज विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग के द्वारा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के जुबली हॉल में विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव की अध्यक्षता में "जेपी मूवमेंट एंड पॉलिटिकल डिस्कोर्स इन इंडिया" विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि वैसे तो लोकनायक जय प्रकाश नारायण भारतीय राजनीति में सदैव प्रसांगिक रहेंगे। लेकिन जब-जब सत्ता निरंकुश व अराजक होगा तब-तब जेपी के संपूर्ण क्रांति को याद किया जायेगा। वृहत स्तर पर सोचें तो जेपी सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं बल्कि एक क्रांतिकारी सोच व विचारों का नाम है। जेपी के नाम का प्रयोग सिर्फ चुनाव जीतने के लिये नहीं बल्कि चुनाव के बाद लोक-कल्याणकारी शासनतंत्र में दिखना चाहिये। आज के युवा पीढ़ियों, छात्रों व शोधार्थियों को व खासकर राजनेताओं को जेपी का ज्यादा से ज्यादा अध्ययन करना चाहिये। शोधार्थियों को चाहिये कि वो जेपी पर ज्यादा से ज्यादा शोध करें ताकि आनेवाली पीढ़ी को उसका और अधिक लाभ मिल सके। जेपी के विचार सदैव अनुकरणीय है।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. मुनेश्वर यादव ने कहा कि आज हर्ष का विषय है कि हमलोग जेपी साहब के जयंती पर आज यहाँ एकत्र हुए हैं। आज राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन हो रहा है। जिसमें देश के राजनीति विज्ञान विषय के नामचीन चिंतक सब का व्याख्यान होने जा रहा है। हम मंचासीन सभी अतिथियों व हॉल में उपस्थित सभी शिक्षक, शोधार्थी व छात्रों का स्वागत करते हैं। आप लोग आज उन्हें सुने और लाभान्वित हो। आज हम अपनी ओर से बस इतना कहना चाहेंगे कि जेपी का समाजवादी मॉडल सिर्फ हिंदुस्तान के लिये नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिये प्रासंगिक है।

बतौर मुख्य वक्ता जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रो. मनिंद्र नाथ ठाकुर ने कहा कि मौजूदा दौर में फ्रांस, इंग्लैंड, अमेरिका के बाद अब हिंदुस्तान में भी "फॉल्स आइडेंटीटी" तैयार करने की नीति ने पॉव पसार ली है। आज सत्ता के पावर हाउस को कोई चुनौती न दे दे इसके लिये देश को टुकड़ों-टुकड़ों में बांटने की साजिश रची जा रही है। कभी धर्म के नाम पर, कभी संप्रदाय के नाम पर तो कभी जात-पात के नाम पर। इसका ज्वलंत उदाहरण आज मणिपुर का मेतई व कुकी समाज के बीच संघर्ष है। आज जेपी होते तो देश की यह परिस्थिति नहीं होती। जेपी के सामाजिक व आर्थिक मॉडल को अपनाकर देश से कई प्रकार के विषमता को दूर किया जा सकता था।

पूर्व सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष सह पूर्व राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष सह सेवानिवृत शिक्षक प्रो. अनिल कुमार झा ने कहा कि लोकनायक जय प्रकाश नारायण एक क्रांतिकारी व्यक्तित्व थे। उनका व्यक्तित्व से क्रांति शब्द को हटाया नहीं जा सकता है। क्रांति के बिना लोकनायक का कल्पना करना अधूरा है। स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर संपूर्ण क्रांति के आंदोलन को देखे तो लोकनायक का योगदान इतिहास के पन्नों में भरे पड़े हैं। उन्होंने जो संपूर्ण क्रांति का व्यवस्था परिवर्तन का नारा दिया वो आज भी प्रासंगिक हैं। प्रारंभिक काल में वे गाँधी से भी प्रभावित थे और मार्क्स से भी प्रभावित थे। शुरुआत में वो हिंसा की बात करते थे लेकिन बाद में गाँधी जी के निधन के बाद अहिंसा की बात करने लगे थे। दुनिया के सारी क्रांतियों को उन्होंने पढ़ा था और उसे आत्मसात कर संपूर्ण क्रांति का बिगुल फूंका था। कौन कहता है कि राजनीति गंदी चीज है। राजनीति तो सनातनियों के पवित्र गंगा जल व मुसलमानों के लिये काबा के पवित्र जल समान पवित्र है। राजनीति तो तपस्या का एक साधन है। राजनीति समय की परिवर्तन का एक साधन है। राजनीति से ही दुनिया चलेगी। बरश्तें मौजूदा दौर के जाति, धर्म, संप्रदाय में टुकड़ों-टुकड़ों में बांटने वाला नेता जेपी को पढ़े और जेपी के नीतियों को आत्मसात कर राजनीति को आगे बढ़ाएं।

महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के डॉ. पंकज कुमार सिंह ने कहा कि जेपी राजनीति में नैतिकता का प्रवेश चाहते थे। वो भ्रष्टाचार के विरोधी थे। वो सदैव कहते थे कि आंदोलन नन-पॉलिटिकल होना चाहिये, शांतिपूर्ण होना चाहिये और देश के पुनर्निर्माण के लिये छात्रों को विद्यालय-महाविद्यालय को बहिष्कार कर आंदोलन में शामिल होना चाहिये। क्योंकि देश है तभी हमारा अस्तित्व है। उनका सोच सामाजिक नीति, अर्थनीति व सर्वधर्म समभाव नीति में झलकता था। जेपी सत्ता निरपेक्ष राजनीति के पुरोधा थे। जेपी को आज वृहत स्तर पर देखने की जरूरत है। जेपी राजनीति में स्थिरता व सुचिता के प्रबल समर्थक थे।

सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. प्रभाष चंद्र मिश्रा ने कहा कि जेपी सदैव प्रासंगिक थे, हैं और रहेंगे। मैं यहाँ उपस्थित सभी छात्रों व शोधार्थियों से आह्वान करते हैं जेपी को समझो और उनके संपूर्ण क्रांति को आत्मसात करो और उसे अपने जीवन में उतारो।

दूसरा सत्र में तकनीकी सत्र का आयोजन हुआ। तकनीकी सत्र में बीज वक्ता के रूप में पूर्व सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार झा, रिसोर्स पर्सन के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह महाविद्यालय के डॉ. विजय कुमार वर्मा, रिसोर्स पर्सन के रूप में मिथिला विश्वविद्यालय के उप-परीक्षा नियंत्रक (तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा) डॉ. मनोज कुमार, विभाग के दिनेश कुमार, मिल्लत महाविद्यालय लहेरियासराय के डॉ. जमशेद आलम, उदय एस. विद्यार्थी, संजय कुमार सुमन, गंगेश कुमार झा, रघुवीर कुमार रंजन, डॉ. विष्णु चौधरी, प्रो. संतोष कुमार, प्रो. रामदास रूपावथ, डॉ. हुस्न आरा, शबनम, आजम, राम कृपाल अमर, देवेन्द्र, रिक्की कुमार ने भी अपने विचार रखे व साथ ही कई छात्रों व शोधार्थियों ने अपना रिसर्च आलेख प्रस्तुत किया।

मंच संचालन विभाग के वरीय शिक्षक डॉ. मुकुल बिहारी वर्मा ने जबकि धन्यवाद ज्ञापन गंगेश कुमार झा ने किया।
रुपेश रॉय
राजनीति विज्ञान विभाग
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा

2024 में भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आप लोग किनको देखना चाहते हैं ..?👇👇
03/09/2022

2024 में भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आप लोग किनको देखना चाहते हैं ..?👇👇

24/08/2022

अभिषेक अस्मित बने जाप के युवा प्रदेश सचिव

#मुजफ्फरपुर :- जाप के नेता अभिषेक अस्मित को युवा प्रदेश सचिव मनोनीत किया गया।अभिषेक अस्मित को युवा प्रदेश सचिव बनाने जाने पर उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष जाप सुप्रीमो माननीय श्री पप्पू यादव जी, जाप के प्रदेश अध्यक्ष राजू दानवीर जी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पार्टी मुझे जो जिम्मेदारी सौंपी है। उसका मैं निष्ठा पूर्वक पालन करूंगा। अभिषेक अस्मित को जाप का युवा प्रदेश सचिव मनोनीत होने पर मुजफ्फरपुर छात्र जिला अध्यक्ष सुल्तान अली, अल्पसंख्यक जिला उपाध्यक्ष मोहम्मद चांद, प्रदेश सचिव गोपाल सिंह, जाप नेता जावेद अली, विवेक सिंह,शुभम राजपूत,हर्ष यदुवंशी, चंद्रलोक यादव, मो. नसीम खान,मो. इंतखाब, अंकित यादव,मो.एजाज, ललित कुमार यादव,संदेश यादव, सुनील सौरभ आदि ने हार्दिक बधाई दी हैं।

तिरहुत लाइव न्यूज़ नेटवर्क पूर्वी अनुमंडल संवाददाता प्रवीन कुमार राहुल की रिर्पोट

बताइए महाराज ♥️😌
30/12/2021

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बिहार में सितंबर से नवंबर के बीच आ सकती है कोरोना की तीसरी लहर? तैयारी में जुटी नीतीश सरकार बिहार में कोरोना की तीसरी लह...
07/07/2021

बिहार में सितंबर से नवंबर के बीच आ सकती है कोरोना की तीसरी लहर? तैयारी में जुटी नीतीश सरकार

बिहार में कोरोना की तीसरी लहर सितंबर से नवंबर के बीच आने की आशंका है। हालांकि इसको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ में मतभिन्नता है। यूनिसेफ, बिहार के स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार कोरोना की तीसरी लहर के आने में वायरस के संक्रमण के विस्तार के अतिरिक्त मानवीय व्यवहार भी काफी उत्तरदायी होगा।

कोरोना संबंधी नियमों के पालन किए जाने से इसे टाला जा सकता है अन्यथा यह जल्द ही बिहार को अपनी गिरफ्त में ले लेगा। वहीं, दूसरी ओर, स्वास्थ्य विभाग कोरोना की तीसरी लहर के सितंबर के बाद सामने आने की आशंका को लेकर तैयारियों में जुटा है।

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार इसके अनुसार अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पतालों तक में ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर सहित अन्य आवश्यक उपकरणों को लगाया जा रहा है।

वहीं, राज्य के छह जिलों में कराए गए सीरो सर्वे के परिणाम जुलाई के अंतिम सप्ताह में आने की संभावना है। राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के सहयोग से किए गए सीरो सर्वे के तहत राज्य से तीन हजार सैंपल एकत्र किए गए हैं। इनमें पहली बार छह वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को भी शामिल किया गया है।

सूत्रों ने बताया कि सभी एकत्र किए गए सैंपल को केंद्र सरकार के निर्देशानुसार केंद्रीय लैब में जांच के लिए चेन्नई भेज दिया गया है। गौरतलब है कि देश के 70 जिलों में एक साथ सीरो सर्वे कराकर कोरोना संक्रमण के विरुद्ध विकसित प्रतिरोधक क्षमता के विकास का आकलन किया जा रहा है।

05/07/2021

उत्तर बिहार से संचालित एकमात्र फिल्मी पेज।जल्द ही फिल्मी कार्यक्रमों का शुरू होने वाला है।इसलिए आपलोग ने पेज को लाइक नहीं किया है तो अभी लाइक करें।

30/05/2021

किस राज की पुलिस को ऐसा permission होता है अक्सर हर राज्य पर ऐसा कहीं ना कहीं देखा जाता है इसके तत्काल रोक लगाई केंद्र सरकार !

श्रम दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
01/05/2021

श्रम दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

अपने संबोधन के दौरान कोरोना वायरस को लेकर एक बैनर दिखाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
25/03/2020

अपने संबोधन के दौरान कोरोना वायरस को लेकर एक बैनर दिखाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

निर्भया केस: चारो आरोपियों को दी गई फांसी की सजा, 30 मिनट बाद डॉ ने किया मृत घोषित।फांसी से पहले विनय ने नहीं बदले कपड़े...
20/03/2020

निर्भया केस: चारो आरोपियों को दी गई फांसी की सजा, 30 मिनट बाद डॉ ने किया मृत घोषित।

फांसी से पहले विनय ने नहीं बदले कपड़े- रोते हुए मांगी माफी

दिल्ली की सड़कों पर करीब सात साल पहले निर्भया के साथ दरिंदगी करने वाले चारों दोषियों को फांसी दे दी गई है. तमाम कानूनी अड़चनों के बाद अब फांसी का रास्ता साफ हुआ और दिल्ली की तिहाड़ जेल में सुबह 5.30 बजे फांसी दी गई. तिहाड़ के बाहर सुरक्षा कड़ी करते हुए अद्धसैनिक बल के जवानों को भी तैनात किया गया.

फांसी देने से पहले तिहाड़ जेल के कई अधिकारी फांसी घर के पास पहुंचे, जिनकी निगरानी में फांसी की प्रक्रिया पूरी हुई. फंदे पर लटकाने से पहले जब दोषियों को नहाने और कपड़े बदलने के लिए कहा गया, तो दोषी विनय ने कपड़े बदलने से इनकार कर दिया. इसके अलावा उसने रोना शुरू कर दिया और माफी मांगने लगा.

फांसी के पहले तिहाड़ के बाहर जुटी भीड़

दोषियों को फांसी दिए जाने से पहले तिहाड़ जेल के बाहर भीड़ जुटी. दिल्ली के स्थानीय लोग, कुछ एक्टिविस्ट फांसी से पहले जेल के बाहर खड़े रहे और 20 मार्च के इस दिन को निर्भया के लिए सच्ची श्रद्धाजंलि वाला बताया. दोषियों के फांसी पर लटकाए जाने के बाद यहां पर कई लोगों ने जश्न भी मनाया और मिठाई भी बांटी.

- फांसी से पहले सुबह 4 बजे चारों दोषियों को उठाया गया और नहाने के बाद नए कपड़े पहनने के लिए कहा गया.

- इसके बाद दोषियों को जेल प्रशासन की ओर से चाय-नाश्ता पूछा गया, हालांकि किसी ने नाश्ता नहीं किया.

- इसके बाद जेल प्रशासन की ओर से दोषियों से उनकी आखिरी इच्छा पूछी.

- ठीक 5.30 बजे चारों दोषियों को तिहाड़ जेल के फांसी घर में फांसी के फंदे पर लटकाया गया.

20 मार्च को निर्भया दिवस के रूप में मनाएंगे, ये दिन महिलाओं के नाम: आशा देवी

गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को निर्भया के दोषियों द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया था, इसमें फांसी की तारीख को आगे बढ़ाने की बात कही गई थी. इस फैसले के खिलाफ निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, लेकिन रात को करीब 3.30 बजे SC ने भी इस याचिका को खारिज कर दिया. जिसके बाद तिहाड़ जेल में चारों दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाया गया.

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