Kumari Jaya Prabha

Kumari Jaya Prabha क्रोध से मनुष्य की मति मारी जाती है। मति मारी जाने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि का नाश हो जाने पर मनुष्य खुद का अपना ही नाश कर बैठता है।

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बदल गई?हँसा करती थी वो बेबात, लेकिन अब नहीं,किया करती थी एक दर्जन बचकानी हरकतें, लेकिन अब नहीं,साथ तुम्हारे वो एक बच्चे ...
27/03/2025

बदल गई?

हँसा करती थी वो बेबात, लेकिन अब नहीं,
किया करती थी एक दर्जन बचकानी हरकतें, लेकिन अब नहीं,
साथ तुम्हारे वो एक बच्चे सा मन ले कर चला करती थी, जो सुकून उस बालक मन को तुम्हारे आस पास होने से मिलता था, वो दुनिया में कहीं और नहीं,
लेकिन आजकल वो खामोश रहती है,

अब नहीं लगाती वो ज़्यादा वक्त ख़ुद को संवारने में,
क्यों देर हुई आने में? क्यों फ़ोन किया नहीं? क्यों वक्त मिला नहीं? परहेज करती है वो अब इन सवालों से,
अब नहीं शिकवा-शिकायत करती वो तुमसे हर दूसरी बात पे,
नहीं इंतेज़ार करती अब वो तुम्हारे मनाने का, क्यूंकि अब वो रूठती ही नहीं,
तुम्हारे साथ फ़िज़ूल की बातों में जो रातें यूँ ही गुज़ार दिया करती थी, अब वो उन रातों में खामोश रह कर ख़ुद को ढूंढा करती है।

जिस हक़ पे वो नाज़ किया इतराती फिरती थी, जिस हक़ से वो तुमसे बात किया करती थी, अब वो हक़ उसकी पकड़ में आता ही नहीं, शायद इस खामोशी में कहीं दफ़्न पड़ा है,

स्त्री की खामोशी में सबसे ज़्यादा शोर होता है,
जब एक स्त्री के अंतस् में घुमड़ रहे शोरगुल शांत नहीं होते तो वो उन सब पर खामोशी बिछा देती है, और उनकी आवाज़ें हमेशा-हमेशा के लिए बंद कर देती है।

जब उसके गालों पे चिपके आँसू दिखना बंद हो जाते हैं, तो वो अपना दुख कहना छोड़ देती है,
जब उसे पहला सा वक्त मिलने में हफ़्ते बीत जाते हैं, तो वो अकेले रहना सीख जाती है,

एक स्त्री मन अपने ना सुने-समझे जाने का, अधिक से कम महत्वपूर्ण बन जाने का, दुख कभी नहीं भूलता, बस डाल देता उस पर खामोशी की चादर और फिर से जीने लग जाता है।

उसकी खामोशी में दबा होता है शोर, कई सारे शोर, और दुनिया कह देती है की अब वो ‘बदल गई’……….

25/03/2025

Sri Ram Jay Ram Jay Jay Ram....

25/03/2025

Hanuman Aradhna Ka Saubhagya Prapt Hua......

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