Balwant Mishra

Balwant Mishra राष्ट्र सर्वोपरि जय हिंद जय भारत
(42)

Jammu and Kashmir’s armless archer and Paralympics medallist Sheetal Devi edged out quadruple amputee Payal Nag of Odish...
30/09/2025

Jammu and Kashmir’s armless archer and Paralympics medallist Sheetal Devi edged out quadruple amputee Payal Nag of Odisha to win the gold in a much-anticipated clash of the Khelo India Para Games on Sunday.

In the battle between two teenagers, defending champion Sheetal came from behind to successfully bag her second gold medal of the Games at the Jawaharlal Nehru Stadium.

Pitted against the 17-year-old Payal, Sheetal, 18, triumphed 109-103 in their compound open final match.

Current Issue:
Payal lost all four limbs due to electrocution when she was a child, and she now shoots with prosthetic legs.

The sunny conditions in the national capital did not deter the competitive spirit of the archers, as 40-year-old Rakesh Kumar and 30-year-old Jyoti Baliyan also won gold medals in their respective events.

Jharkhand’s Vijay Sundi beat Haryana’s Vikas Bhakar 6-4 in the men’s recurve open gold medal match, while Haryana’s Pooja won the women’s recurve open gold after defeating Maharashtra’s Rajshri Rathod 6-4.

All eyes were on the women’s compound gold medal match between Sheetal and Payal.

Sheetal started with scores of 8 and 7, while Payal began with double 10s. However, Payal lost the upper hand in the third round, shooting a 7 for the first time, while Sheetal returned to her consistent best of 9s.
and 10s. The deciding fifth round saw Sheetal clinching the gold.

"Firstly, Payal played very well in the final, and with her continuous hard work, she will definitely get a medal for India soon. Personally, I am grateful for all the blessings bestowed by Mata Rani that I won my second gold medal at the Khelo India Para Games," Sheetal told SAI Media.

The soft-spoken Payal spoke about the technical aspects of the sport in her first Khelo India Para Games.

"Earlier, I used to shoot arrows with two devices in my prosthetic legs, but now I’m shooting with just one leg. It was difficult to adjust, but I still reached the final despite the discomfort, and there were also a lot of windy conditions today. But I am happy to have competed in the final and to have won the silver," she said.

As per her coach, Kuldeep Vedwan, Payal got a new dev
🙏🙏
#शनिवार

30/09/2025

उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से आई यह घटना समाज को झकझोर देने वाली है। एक व्यक्ति ने अपने पुराने दोस्त से ₹50,000 उधार लिए, लेकिन कर्ज लौटाने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई। दुख की बात यह रही कि अंतिम संस्कार के दौरान मृतक की चिता पर शोक मनाने के बजाय उधारी न मिलने से नाराज़ उसका मित्र लाठियां बरसाने लगा।

यह दृश्य केवल व्यक्तिगत विवाद नहीं, बल्कि समाज में घटती इंसानियत और मूल्यों पर गहरी चोट करता है। सवाल यह है कि क्या पैसा अब दोस्ती और इंसानियत से बड़ा हो गया है?

यह घटना हमें चेतावनी देती है कि धन का मोह और स्वार्थ हमें मानवीय संवेदनाओं से दूर कर रहा है। असली समाज वही है जहाँ दोस्ती, सम्मान और सहानुभूति को धन से ऊपर रखा जाए।
लोगों को पहचानिए एवं अपने बच्चों को अच्छे शिक्षा संस्कार एवं संस्कृति से जुड़े रखिए। साथियों अपने विचार जरूर रखें।

30 नवंबर 2003 वह दिन था जब वह घर में पैदा हुई थी। वे दिन थे जब डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी कराने के लिए नर्सिंग होम में इंतज...
30/09/2025

30 नवंबर 2003 वह दिन था जब वह घर में पैदा हुई थी।

वे दिन थे जब डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी कराने के लिए नर्सिंग होम में इंतजार करते थे।
उन्होंने यह कहकर हममें डर पैदा करने की कोशिश की कि बच्चे का वजन 4.5 किलोग्राम है।

नौ महीने और 21 दिन बीत गए ....

भयभीत और कमजोर दिमागों पर हमला करने वाले समाज में रहते हुए, भगवान ने दया दिखाई और हमें आशीर्वाद दिया।

उस दिन अचानक अप्पा के प्रिय मित्र राजीव दीक्षित जी ने आगरा से रात भर ट्रेन में सफर करने के बाद हमारे घर में कदम रखा और अपनी उपस्थिति से उसे और भी रौशन कर दिया।

घर पर बच्चे को जन्म देने के हमारे साहसी कदम को देखते हुए, राजीव दीक्षित जी ने धीरे से बच्ची प्रणति को अप्पा की गोद से लिया और उसे अपने ऊपर सुला दिया।

इस खूबसूरत पल को इस तस्वीर में कैद किया गया है।

हम इसे इसलिए साझा कर रहे हैं, क्योंकि जिस दिन हमारी बच्ची प्रणति का जन्म हुआ, उस दिन राजीव दीक्षित जी का जन्मदिन भी था!

लेकिन दुर्भाग्य से कुछ साल बाद उसी दिन हमने अपने चमकते सितारे स्वदेशी बचाव आंदोलन के नायक राजीव दीक्षित को खो दिया।

नवरात्री मे हम में से अधिकांश घरों में दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है.हमारे उसी दुर्गा सप्तशती में माँ काली का वर्णन...
30/09/2025

नवरात्री मे हम में से अधिकांश घरों में दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है.
हमारे उसी दुर्गा सप्तशती में माँ काली का वर्णन आता है.

और, मूर्तियों में माँ काली को सामान्यतः गले में मुंड माला, एक हाथ में खप्पर तथा दूसरे हाथ के खड्ग लिए एक राक्षस का वध करते हुए दर्शाया जाता है.

लेकिन, क्या आप जानते हैं कि... वो राक्षस असल में कौन था जिसका वध वे कर रही हैं...?

असल में वो राक्षस "रक्तबीज" था.

सच कहूँ तो इस रक्तबीज का चरित्र मुझे हमेशा से बेहद रहस्यमय लगता रहा है.

क्योंकि, रक्तबीज को ये वरदान था कि यदि उसपर हमला किया गया तो उसके रक्त की जितनी भी बूंद धरती पर गिरेगी... उतना ही रक्तबीज और पैदा हो जाएगा.

देखा जाए तो ये ऐसा वरदान था जो उसके वध को असंभव बनाता था.

लेकिन, आश्चर्य की बात ये थी कि... अपनी ऐसी अमरता का वरदान हासिल करने के बाद भी वो कहीं का राजा नहीं था..

बल्कि, वो राक्षस राज शुम्भ-निशुम्भ का एक प्यादा मात्र था.

ये रहस्य मुझे काफी दिनों तक समझ नहीं आया कि...जब रक्तबीज इतने यूनिक वरदान से लैस था तो फिर भी वो कहीं का राजा क्यों नहीं था ?

क्योंकि, उसके अलावा हिरणकश्यपु, रावण आदि तो इससे कमतर वरदान के बाद भी अपने-अपने समय के राजा ही थे.

खैर, रक्तबीज के ऐसे वरदान के कारण उसे मारना लगभग असंभव था...

क्योंकि, देवताओं द्वारा उस पर प्रहार किए जाते ही उसके गिरे रक्त से कई रक्तबीज पैदा हो जाया करते थे..!

अंततः, देवताओं ने माँ दुर्गा से उसके वध की प्रार्थना की और फिर माँ दुर्गा ने काली का रूप लेकर उस रक्तबीज का संहार किया.

और, ये बताने की आवश्यकता नहीं है कि... माँ काली ने रक्तबीज का संहार करते समय एक हाथ में खप्पर रखा तथा उसके भूमि पर गिरते रक्त के हर बून्द को उसी खप्पर में लेकर पी गई.

सच कहूँ बचपन में मुझे रक्तबीज का उसके रक्त के गिरते हर बून्द से नया रक्तबीज बन जाने की कहानी रोमांचित तो करती थी...

लेकिन, ये सच्चाई से दूर किसी साइंस फ्रिक्शन मूवी की तरह लगती थी.

इसके अलावा एक बात मुझे ये भी कभी समझ नहीं आया था कि आखिर ब्रह्मा-विष्णु-महेश तक उसका वध क्यों नहीं कर पा रहे थे ?

क्योंकि, देवो के देव महादेव तो स्वयं ही महाकाल कहे जाते हैं.

तो, फिर वे भी उस रक्तबीज के संहार में फेल कैसे हो जा रहे थे ?

इन सारे सवालों के जबाब मुझे दशकों बाद इराक के विध्वंस के बाद 2012 के आसपास मिल पाया.

2010-12 के आसपास जब इराक और सीरिया में ISIS के जे हादी पिस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए कत्लेआम मचा रहे थे..

तो, यजीदी लड़कियों ने उनसे लड़ने के लिए अपनी एक सेना बनाई थी.

और, मैं यह देखकर हैरान था कि उन यजीदी लड़कियों की सेना को देखते ही ISIS के जेहा दियों में भगदड़ मच जाती थी...

और, कोई भी जे हादी उन लड़कियों से लड़ना नहीं चाहता था.

इस तरह उन लड़कियों ने ISIS जेहा दियों में एक तरह की दहशत पैदा कर दी थी.

इसका कारण मालूम करने पर पता चला कि... आसमानी किताब के अनुसार अगर कोई जे हादी जलकर या फिर किसी स्त्री के हाथों मारा जाता है तो फिर वो जन्नत अथवा हूर पाने के लिए पात्रता खो देता है.

ये महजबी राज जानते ही मुझे समझ आ गया कि माँ काली, माँ दुर्गा का क्या महत्व रहा होगा.

और, साथ ही मुझे रक्तबीज के उस वरदान का रहस्य एवं उसके राजा न होकर महज प्यादा रहने का कारण भी समझ आ गया.

क्योंकि, इस समय भी हम सब ये देखते हैं कि जैसे ही किसी जे हादी को मार दिया जाता है तो फिर उसके इनकॉउंटर अथवा गिरफ्तारी को मधरसे एवं मुसरिम मुहल्लों में इसे दीन के लिए दी गई कुर्बानी अथवा शहीदी के तौर पर प्रचारित किया जाता है.

जिससे, उसी के समान या फिर उससे भी ज्यादा खतरनाक नए 20-50 जे हादी और तैयार हो जाते हैं.

आखिर, यही तो था ""रक्तबीज का वरदान"" कि उसके शरीर का जितना बून्द रक्त जमीन पर गिरेगा उसके उतने की क्लोन पैदा होते जाएँगे..

जिस तरह आज इन जे हादियों के हो रहे हैं.

और चूँकि... ये जे हादी कोई नेता या राष्ट्र प्रमुख न होकर छोटे-मोटे गरीब लोग होते हैं...

इसीलिए, हमारे धर्मग्रंथों में भी इस रक्तबीज को कहीं का राजा नहीं बल्कि सिर्फ एक प्यादा ही बताया गया है.

साथ ही, यही वो कारण था जिस कारण कोई भी देवता ... यहाँ तक कि, सर्वशक्तिशाली ब्रह्मा, विष्णु, महेश तक उसका वध नहीं कर पा रहे थे..

और, माँ काली को उसके वध के लिए मैदान में आना पड़े.

यहाँ, रक्तबीज के खून को खप्पर में लेकर पी जाने से तात्पर्य ये है कि.... आसमानी किताब के अनुसार एक महिला के हाथों मारे जाने के कारण उसको न जन्नत मिलना था और न हूर.

जिस कारण, उसके मरने के बाद भी नए जे हादी पैदा होना बंद हो गए या फिर उनमें हड़कंप मच गया क्योंकि किसी महिला के हाथों मर कर कोई भी जे हादी अपना जन्नत और हूर कैंसिल नहीं करवाना चाहता था.

कारण कि... जेहादी बनने का मुख्य उद्देश्य ही तो जन्नत और हूर था.

इस पूरी कहानी का तत्पर्य ये है कि... आज हम जो देश और दुनिया में जो होता देख रहे हैं वो सब कुछ नया नहीं है..

बल्कि, हमारे पूर्वज ये सब पहले भी झेल चुके हैं और उन्होंने इससे निपटने के बाद इसकी पूरी कथा हमारे लिए रेफरेंस के लिए छोड़ रखी है..

ताकि, दुबारा यदि इसी तरह की कोई समस्या आये तो हम भी उनके अनुभव से लाभ उठाते हुए उनसे आसानी से निपट सकें.

लेकिन, हमारी मुसीबत यही है कि... हम अपने धर्मग्रंथों को समझने अथवा सीखने के लिए नहीं पढ़ते हैं.

बल्कि, सुबह नहा धो कर पूण्य कमाने के उद्देश्य से पढ़ते हैं इसीलिए, उससे कुछ सीख नहीं पाते हैं..

और, विपरीत परिस्थिति देखते ही घबड़ा जाते हैं.

जबकि, हमारी हर समस्या का समाधान हमारे धर्मग्रंथों में ही लिखित है..!

जय माँ काली...!

जय महाकाल...!!!

29/09/2025

Happy brithday 🥰

29/09/2025

Happy brithday shwryansh babu

29/09/2025

राफेल का इंतजार करते रहे ब्रह्मोस आकर रेल गए.
शर्मा जी के लिए जाल बिछाया दुबे, वर्मा पेल गए.

🤣😂

देवगौड़ा सरकार में मुल्लायम सिंह यादव रक्षा मंत्री थे ।पौने दो साल तक रक्षा मंत्री रहे । जून 1996 से  मार्च 1998 तक ।उनके...
29/09/2025

देवगौड़ा सरकार में मुल्लायम सिंह यादव रक्षा मंत्री थे ।
पौने दो साल तक रक्षा मंत्री रहे ।
जून 1996 से मार्च 1998 तक ।
उनके रक्षा मंत्री रहते हुए सियाचीन में भारतीय सेना ने Snow mobiles मांगे थे ....... snow mobile
यानी बर्फ में चलने वाले स्कूटर .......
तो रक्षा मंत्रालय ने ऑब्जेक्शन लगा दिया कि इतने महंगे Snow Mobiles खरीदने की ज़रूरत क्या है ?

फिर जब जार्ज फर्नांडिस साहब रक्षा मंत्री बने
तो वो फ़ाइल उनके सामने फिर आयी ।
जार्ज साहब ने उस IAS अधिकारी को बुला भेजा जिसने वो नोट लगाया था जिसने आपत्ति लगाया गया था कि इतना महंगा Snow Mobile खरीदने की ज़रूरत क्या है । जार्ज साहब ने उसी फाइल पे उसी अधिकारी को आदेश दिया, जाओ ....... दो महीने सियाचीन में रहो और पता लगाओ कि Snow Mobile क्यों जरूरी है । वो IAS भोत रोया, चीखा चिल्लाया ....... पर जार्ज फर्नाडिस साहब न पसीजे ........ अंत मे वो गया और हफ्ता भर रहा वहाँ ........

उसके बाद सियाचिन के लिए Snow mobiles
खरीद लिए गए ।
जार्ज साहब पहले रक्षा मंत्री थे जो खुद सियाचीन गए और हर महीने गए ।

एक और किस्सा सुनिये ।
एक बार जॉर्ज साहब को असम की एक अग्रिम चौकी का निरीक्षण करने जाना था ।
आप वायु सेना के स्पेशल विमान से न जा के Air India की सामान्य उड़ान से economy class में पहले बागडोगरा गए ( सिलीगुड़ी के पास एक airport ) और फिर वहां से हेलीकॉप्टर से उस अग्रिम चौकी तक गए ।

इसके विपरीत मुल्लायम सिंह ने अपने पौने दो साल के रक्षामंत्रित्व काल के दौरान Air Force के स्पेशल विमान से इटावा , मैनपुरी और सैफई की 1300 से ज़्यादा उड़ानें भरी ....... और इन 1300 उड़ानों में वो सिर्फ इटावा मैनपुरी में तेरही, बरही, तिलक, छठी,
और शादी बियाह अटेन्ड करने गये ।
ये 1300 उड़ानों का आंकड़ा मैंने नही निकाला है
बल्कि खुद रक्षा मंत्रालय ने
संसद को बताया था एक प्रश्न के उत्तर में .........

इसलिये हे अकल लेस जादो .........
अब कभी अपने बाप से पूछना कि
रक्षा मंत्री रहते सेना के लिए कितना बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदे थे और रक्षा मंत्री रहते कै बार
सियाचीन या नाथूला बोडर गए थे ??????

सैफई में नाच नचाने से फुरसत मिलेगी तब न जाओगे सियाचीन ???????

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ताकि जन जन तक ये संदेश पहुंचे
और पोस्ट की सार्थकता सिद्ध हो ।

जय श्री राम 🚩

29/09/2025

मुंसीलपार्टी चौक छपरा
जय माता दी

अगर मैं ये कहूँ कि ये मानव निर्मित सबसे बड़ा आश्चर्य है तो,आपको जरूर अतिश्योक्ति लगेगी।ये है 2000 वर्षों पूर्व निर्मित  #...
29/09/2025

अगर मैं ये कहूँ कि ये मानव निर्मित सबसे बड़ा आश्चर्य है तो,
आपको जरूर अतिश्योक्ति लगेगी।

ये है 2000 वर्षों पूर्व निर्मित #कलनई- बांध,जो आज भी सही सलामत काम कर रहा है।

इस बांध को चोल राजा #करिकाल ने तमिलनाडु के तंजावुर जिले में कावेरी नदी पर 123 ई में बनाया था।

अभी के इंजीनियरिंग में तो एक ही बारिश में महंगी से
महंगी हाईवे भी ध्वस्त हो जाती है।

2000 साल और 1400 साल वालों !

देख लो हिन्दू संस्कृति की इस अद्भुत कृति को......🚩

कोई माई समीकरण नही चलेगा :- कुलदीप यादव!
29/09/2025

कोई माई समीकरण नही चलेगा :- कुलदीप यादव!

उत्तर प्रदेश में रहने वालों, आपके पास योगी जी के रूप में, देश की धरोहर है,इन्हें खो मत देना🙏🏻बाबा जी जब सांसद नहीं थे, त...
29/09/2025

उत्तर प्रदेश में रहने वालों,
आपके पास योगी जी के रूप में,
देश की धरोहर है,
इन्हें खो मत देना🙏🏻

बाबा जी जब सांसद नहीं थे,
तब भी ऐसे ही बोलते थे

बाबा जी जब सांसद बने,
तब भी ऐसे ही बोलते थे।

बाबा जी जब CM बने
तब भी बाबा जी ऐसे ही बोलते हैं

बाबा जी ने अपना सब कुछ,
राष्ट्रधर्म को समर्पित कर दिया है।

पद मिलने के बाद भी बाबा जी बदले नहीं हैं और अगर पद नहीं भी रहा तो भी बाबा जी ऐसे ही रहेंगे और ऐसे हो बोलेंगे!!

तो उत्तर प्रदेश के निवासियों,
आप देश की धरोहर को संजो कर रखना...

योगी जी दंगाइयों के खिलाफ देश को बचाने का एक मॉडल है और इस मॉडल को बनाए रखना सभी UP में रहने वालों की जिम्मेदारी है.

महाराज जी, एक आदर्श हैं, एक प्रेरणा हैं
और राष्ट्रधर्म की ज्वलंत मशाल हैं!!
MYogiAdityanath 🔥🔥

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NH 28
Muzaffarpur
843119

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