27/08/2024
Ye lekh jinhone likha hai unhe jawab dena hi chhoti soch hai. हेमा दास, जिन्हें प्यार से "ढिंग एक्सप्रेस" कहा जाता है, भारतीय एथलेटिक्स की एक प्रमुख धावक हैं। उनका जन्म 9 जनवरी 2000 को असम के नगांव जिले के ढिंग गाँव में हुआ था। हेमा ने अपनी मेहनत, संघर्ष और अद्वितीय प्रतिभा के बल पर विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।
हेमा दास की कहानी प्रेरणादायक है। एक किसान परिवार से आने वाली हेमा ने शुरुआत में फुटबॉल खेला, लेकिन बाद में उन्होंने एथलेटिक्स को अपना करियर चुना। उनकी प्रतिभा को सबसे पहले उनके स्कूल के शिक्षक ने पहचाना और उन्हें जिला स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। हेमा ने अपनी मेहनत और लगन से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते।
हेमा दास की सबसे बड़ी उपलब्धि 2018 में आई जब उन्होंने IAAF विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 400 मीटर रेस में स्वर्ण पदक जीता। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि हेमा दास विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बनीं। इसके अलावा, उन्होंने 2018 एशियाई खेलों में भी कई पदक जीते, जिसमें 4x400 मीटर रिले में स्वर्ण और 400 मीटर में रजत पदक शामिल हैं।
हेमा दास की सफलता का रहस्य उनकी कठिन मेहनत, दृढ़ संकल्प और अनुशासन है। वे नियमित रूप से कठिन प्रशिक्षण करती हैं और अपने खेल में सुधार के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं। उनकी उपलब्धियों ने न केवल उन्हें बल्कि पूरे देश को गर्व का अनुभव कराया है।
हेमा दास को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिनमें अर्जुन पुरस्कार भी शामिल है। उनकी कहानी हर युवा एथलीट के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं।
हेमा दास का जीवन संघर्ष, मेहनत और सफलता की कहानी है। उनकी उपलब्धियों ने उन्हें भारतीय खेल जगत में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है और वे आने वाले समय में और भी ऊँचाइयाँ छूने के लिए प्रतिबद्ध हैं।