Shaurya Sharan

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कल्पनाओं को शब्दों में ढालना और कहानियों को ज़िंदगी से जोड़ना मेरा जुनून है।
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11/09/2025
सपने वो नहीं जो हम सोते वक्त देखते हैं, सपने वो हैं जो हमें सोने नहीं देते।सोच बदलो कहानी बदलेगी By - Shaurya Sharan
11/09/2025

सपने वो नहीं जो हम सोते वक्त देखते हैं, सपने वो हैं जो हमें सोने नहीं देते।

सोच बदलो कहानी बदलेगी
By - Shaurya Sharan

06/09/2025

“गांव की मिट्टी, बारिश के बादल और हरे खेत — यही है जिंदगी का असली सुकून।”

बिहार के एक छोटे से गाँव पचरुखी में हर साल गर्मियों में पानी की किल्लत हो जाती थी। लोग सुबह-सुबह ही मटके और बाल्टी लेकर ...
06/09/2025

बिहार के एक छोटे से गाँव पचरुखी में हर साल गर्मियों में पानी की किल्लत हो जाती थी। लोग सुबह-सुबह ही मटके और बाल्टी लेकर मीलों दूर नदी या तालाब से पानी भरने जाते थे। खेत सूख जाते, फसलें बर्बाद हो जातीं और औरतों-बच्चों को दिन का आधा समय सिर्फ पानी लाने में ही खर्च करना पड़ता।

गाँव के बुज़ुर्ग हरिनारायण जी इस हालात से बहुत दुखी रहते थे। उन्होंने कई बार पंचायत में आवाज़ उठाई, सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाए, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला।

एक दिन उन्होंने सोचा –
"अगर सरकार नहीं करेगी तो मैं खुद करूँगा।"

पहला कदम – मज़ाक और ताने

हरिनारायण जी ने अपने खेत में कुआँ खोदना शुरू किया। वो हर रोज़ सुबह सूरज निकलने से पहले खुदाई करने लगते। गाँव के लोग हँसते हुए कहते –
“अरे बाबा, अकेले कुआँ खोद दोगे? तुम बूढ़े हो गए हो, अब आराम करो।”
लेकिन हरिनारायण जी सिर्फ मुस्कुरा देते और कहते –
“अगर कोशिश नहीं करेंगे तो पानी कहाँ से आएगा?”

धीरे-धीरे लोग जुड़े

कई हफ्तों तक वो अकेले मेहनत करते रहे। मिट्टी निकालते, पसीना बहाते। फिर गाँव के कुछ नौजवानों ने उनकी लगन देखी और कहा –
“बाबा, आप सही कर रहे हो। हम भी मदद करेंगे।”

धीरे-धीरे गाँव के और लोग जुड़ते गए। औरतें खाने का इंतज़ाम करतीं, बच्चे पानी लाकर देते, नौजवान फावड़ा चलाते। अब यह सिर्फ हरिनारायण जी का काम नहीं, बल्कि पूरे गाँव का सपना बन गया।

संघर्ष – पत्थर और थकान

कुएँ की खुदाई आसान नहीं थी। कई बार गहरा गड्ढा खोदने के बाद सिर्फ पत्थर ही निकलते। कई दिनों तक पानी का कोई निशान नहीं मिलता। कुछ लोग फिर से हतोत्साहित हो जाते।
“शायद यहाँ पानी है ही नहीं…”

लेकिन हरिनारायण जी कहते –
“धरती माँ कभी खाली नहीं रहती। हमें बस भरोसा रखना है।”

विजय – पानी का फूटना

करीब आठ महीने की लगातार मेहनत के बाद एक दिन जब फावड़े ने ज़मीन को मारा, तो नीचे से ठंडी हवा और नमी महसूस हुई। और फिर अचानक पानी फूट पड़ा।
गाँव में खुशी की लहर दौड़ गई। बच्चे नाचने लगे, औरतों की आँखों में आँसू थे। वह कुआँ अब सिर्फ पानी का स्रोत नहीं था, बल्कि गाँव की उम्मीद और एकता का प्रतीक बन गया था।

नतीजा

आज उस कुएँ से पूरे गाँव का काम चलता है। खेत हरे-भरे हैं, औरतों को दूर पानी लाने नहीं जाना पड़ता, बच्चों के पास पढ़ाई और खेलने का समय है। और जब भी कोई उस कुएँ से पानी भरता है

बहुत समय पहले एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक किसान रहता था। वह मेहनती था, लेकिन उसकी ज़मीन में बहुत सारे पत्थर थे। ज...
06/09/2025

बहुत समय पहले एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक किसान रहता था। वह मेहनती था, लेकिन उसकी ज़मीन में बहुत सारे पत्थर थे। जब भी वह खेती करने जाता, उसकी हल जमीन पर रुक जाती और बीज ठीक से अंकुरित नहीं हो पाते।

गाँव के लोग मज़ाक उड़ाते –
“अरे रामू, तेरी ज़मीन बेकार है, इसमें कुछ नहीं होगा। छोड़ दे खेती, कोई और काम कर।”

लेकिन रामू ने हार नहीं मानी।
हर सुबह वह खेत में जाता और खेती शुरू करने से पहले एक काम करता – वह खेत से एक बड़ा पत्थर उठाकर बाहर फेंक देता।

गाँव वाले फिर हंसते –
“पागल हो गया है क्या? एक-एक पत्थर हटाने से क्या होगा? कितने साल लग जाएंगे पूरी ज़मीन साफ़ करने में!”

रामू मुस्कुरा कर बस इतना कहता –
“अगर मैं आज शुरू नहीं करूंगा तो कल भी यही हालत रहेगी।”

दिन बीतते गए।
साल दर साल वह रोज़ थोड़ा-थोड़ा पत्थर हटाता रहा। धीरे-धीरे उसकी ज़मीन साफ़ हो गई।

जब पाँच साल बाद उसकी ज़मीन पूरी तरह पत्थरों से मुक्त हो गई, तो उसने उसमें गेहूँ बोया। और वही ज़मीन जो लोगों को बेकार लगती थी, गाँव की सबसे उपजाऊ ज़मीन बन गई।

अब गाँव वाले वही लोग कहने लगे –
“रामू, तूने कमाल कर दिया! हमें तो लगता था यह असंभव है।”

रामू ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया –
“पत्थर हटाना मुश्किल नहीं था, मुश्किल था रोज़ कोशिश करना और हंसने वालों की परवाह न करना।”

🌟 सीख

जीवन में भी हमारी राह में बहुत से “पत्थर” आते हैं – मुश्किलें, ताने, असफलताएँ।
लेकिन अगर हम रोज़ थोड़ा-थोड़ा मेहनत करके उन्हें हटाते रहें, तो असंभव दिखने वाला काम भी एक दिन हमारी सबसे बड़ी ताकत बन जाता है।

04/09/2025

📊 नया GST स्ट्रक्चर – पहले और अब की पूरी जानकारी

भारत सरकार ने GST (Goods and Services Tax) को और सरल बनाने के लिए बड़ा बदलाव किया है।
अब टैक्स स्लैब कम कर दिए गए हैं ताकि ग्राहक और व्यापारी दोनों को फायदा हो।

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🔹 GST दरों की तुलना आसान भाषा में

0% (पहले भी 0%, अब भी 0%) → दूध, दही, फल, सब्ज़ियाँ, बच्चों की किताबें

5% (पहले भी 5%, अब भी 5%) → चाय, कॉफी, खाद्य तेल, पनीर, दवाएँ

12% (पहले 12%, अब हटा दिया गया) → घी, जूस, मोबाइल, गैर-एसी रेस्तरां

18% (पहले भी 18%, अब भी 18%) → साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट, कंप्यूटर, बैंक/बीमा सेवाएँ

28% (पहले 28%, अब हटा दिया गया) → कार, AC, फ्रिज, लक्ज़री फर्नीचर

3% / 0.25% (पहले भी, अब भी वही) → सोना, हीरे, रत्न

40% (नया लागू हुआ) → सिगरेट, शराब, महंगी गाड़ियाँ, लक्ज़री और हानिकारक उत्पाद

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🟢 आसान शब्दों में बदलाव

👉 पहले 5 स्लैब थे (0%, 5%, 12%, 18%, 28%)
👉 अब सिर्फ 2 मुख्य स्लैब रह गए हैं (5% और 18%)
👉 आवश्यक चीज़ें → 0% या 5%
👉 रोज़मर्रा और सेवाएँ → 18%
👉 हानिकारक और लक्ज़री उत्पाद → 40%

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✨ इसका असर आप पर

✅ ग्राहक को फायदा – ज़रूरी सामान सस्ता होगा
✅ व्यापारी को सरलता – कम स्लैब से बिलिंग आसान होगी








Sanjiv Kumar
Akhilesh Deewana Penter
Shaurya Sharan Aakash Kumar
Sanjeev Kumar Chaurasiya

02/09/2025

ज़रूर, पेश है एक परिवार की कहानी जो गरीबी से निकलकर अमीर बने।
अमीरी का सफर: एक परिवार की कहानी
एक छोटे से गाँव में रोहन अपने परिवार के साथ रहता था। उसकी आय बहुत कम थी और गरीबी उनके लिए एक रोजमर्रा की जंग थी। रोहन का सपना था कि वह अपने बच्चों को एक बेहतर जिंदगी दे, लेकिन हालात उसके खिलाफ थे।
एक दिन, गाँव में एक शहर से आया हुआ व्यापारी रुका। उसने रोहन के हाथ में एक खास कला देखी - वह टूटे हुए खिलौनों को इतनी खूबसूरती से ठीक कर देता था कि वे नए लगने लगते थे। व्यापारी ने रोहन की कला की तारीफ की और उसे एक सुझाव दिया, "तुम शहर चलो और अपनी इस कला को व्यवसाय बनाओ।"
रोहन ने अपनी पत्नी, नीला, से बात की। नीला ने भी उसका साथ दिया और दोनों ने मिलकर एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने अपनी सारी जमापूंजी से शहर जाने का टिकट खरीदा। शहर में शुरुआत बहुत मुश्किल थी। एक छोटे से कमरे में रहते हुए, रोहन ने पुरानी टूटी-फूटी चीजों को ठीक करना शुरू किया और उन्हें कबाड़ी बाजार में बेचना शुरू कर दिया। उसकी पत्नी, नीला, घर पर पापड़ और अचार बनाकर बेचने लगी।
उन्होंने कभी हार नहीं मानी। रोहन की ईमानदारी और कलाकारी ने धीरे-धीरे लोगों का भरोसा जीत लिया। उसकी दुकान पर ग्राहकों की भीड़ बढ़ने लगी। नीला के हाथ के बने अचार और पापड़ भी बहुत मशहूर हो गए। उनकी मेहनत और लगन से धीरे-धीरे उनका व्यापार बढ़ने लगा।
रोहन ने अपने दोनों बच्चों को भी काम सिखाया। बड़े होकर, उनके बेटे ने एक बड़ी वर्कशॉप खोली जहाँ वे सिर्फ खिलौने नहीं, बल्कि पुरानी गाड़ियों और मशीनरी को भी ठीक करते थे। उनकी बेटी ने अचार और पापड़ के व्यापार को एक बड़े ब्रांड में बदल दिया।
आज, रोहन का परिवार शहर के सबसे सफल और अमीर परिवारों में से एक है। उनकी सफलता का राज धन-दौलत नहीं, बल्कि उनकी मेहनत, ईमानदारी और सबसे बढ़कर, एक-दूसरे पर उनका भरोसा था। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर परिवार एक साथ हो, तो कोई भी मुश्किल उन्हें हरा नहीं सकती।





Aakash Kumar
Sanjeev Kumar Chaurasiya
Rajnikant kumar
Sanjiv Kumar
Satya Prakash
Akhilesh Deewana Penter

02/09/2025

🌟 ज़िंदगी वही है, जैसी आपकी सोच है 🌟

हम सबकी ज़िंदगी में एक जैसा सूरज निकलता है,
एक जैसी रात होती है,
लेकिन फर्क सिर्फ़ सोच का होता है।

✨ कोई छोटी सी हार से टूट जाता है,
तो कोई बड़ी से बड़ी मुश्किल को भी चुनौती मानकर आगे बढ़ जाता है।

🌱 सोच अगर नकारात्मक हो तो…
👉 हर मौके में कमी नजर आती है।
👉 हर रिश्ते में खोट दिखता है।
👉 हर काम अधूरा लगता है।

🌳 और सोच अगर सकारात्मक हो तो…
👉 हर चुनौती में अवसर दिखता है।
👉 हर असफलता एक सबक बनती है।
👉 हर दिन एक नई शुरुआत का मौका देता है।

💡 याद रखो, आपकी सोच आपकी किस्मत लिखती है।
दुनिया वही बदलती है, जो अपने विचार बदलता है।

🚀 तो आज से तय करो:

हार को सीख समझो।

मुश्किलों को सीढ़ी बनाओ।

और अपनी सोच को इतना मजबूत बनाओ कि हालात अपने आप बदलने लगें।

🌅 जब सोच बदलती है, तभी कहानी बदलती है…
और आपकी कहानी ही आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देती है।



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Royal Challengers Bengaluru
Brut Hindi



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24/08/2025





 बाबा श्री खाटू श्याम जय श्री श्याम हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा
24/08/2025



बाबा श्री खाटू श्याम
जय श्री श्याम
हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा

21/08/2025

🌅 सोच बदलो, ज़िंदगी बदलेगी।

अक्सर हम अपनी परिस्थितियों को कोसते रहते हैं – “मेरे पास मौके नहीं हैं, हालात मेरे खिलाफ हैं, लोग मेरा साथ नहीं देते...”
लेकिन सच तो यह है कि ज़िंदगी को बदलने की चाबी हमारे हाथों में है।

👉 अगर हम अपने विचार बदल लें, तो वही मुश्किल हालात हमारे लिए नए अवसर बन जाते हैं।
👉 अगर हम हर नाकामी को सीखने का मौका मान लें, तो हार कभी स्थायी नहीं रह जाती।
👉 अगर हम हर सुबह खुद से कहें – “मैं कर सकता हूँ”, तो आधी जीत तो उसी पल मिल जाती है।

🚩 याद रखिए, परिस्थितियाँ नहीं बदलतीं, बल्कि नज़रिया बदलने से पूरी कहानी बदल जाती है।

✨ इसलिए आज से तय कीजिए:

शिकायत कम, समाधान ज़्यादा

डर कम, हिम्मत ज़्यादा

हार कम, कोशिश ज़्यादा

सोच बदलो, कहानी बदलेगी। 🌟



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15/07/2025

🌌 "मैंने खुद को फिर से पाया है"
(मेरे जीवन पर आधारित कविता)

कभी भीड़ में था — पर अकेला बहुत,
हँसता था हर रोज़, पर टूटा भी हर रात।
सवालों की आग में खुद को जलाया है,
तभी तो अब सच्चा रास्ता अपनाया है।

कभी मंज़िलें धुंधली थीं, रास्ते उलझे थे,
पर ठहरना सीखा — जब हालात सुलझे थे।
जो लोग समझ नहीं पाए — उन्हें छोड़ा नहीं,
बस खुद को थोड़ा और समझा लिया सही।

मैंने सपनों को आँखों में नहीं,
दिल की धड़कनों में जिया है।
हर चोट को इज्ज़त दी,
क्योंकि वहीं से तो नया मैं पनपा है।

अब मेरा वजूद कोई पहचान नहीं ढूंढता,
मैं खुद ही अपनी मिसाल हूँ —
जैसे राख से उठता हुआ परिंदा,
मैं हर सुबह नया कमाल हूँ।

अब मैं सिर्फ़ जी नहीं रहा —
अब मैं जगा हूँ, चला हूँ, बना हूँ।
"सोच बदली है" —
क्योंकि कहानी अब मेरी कलम से लिखी जा रही है।

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