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Vedagyam Acharya Mayank sharma Jai mahakaal
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29/05/2025
चंडीपाठ में कवच, अर्गला ,कीलक और कुंजिका स्तोत्र से हवन क्यों ना करें???यो मूर्ख: कवचं हुत्वा प्रतिवाचं नरेश्वरः ।स्वदेह...
26/05/2025

चंडीपाठ में कवच, अर्गला ,कीलक और कुंजिका स्तोत्र से हवन क्यों ना करें???

यो मूर्ख: कवचं हुत्वा प्रतिवाचं नरेश्वरः ।
स्वदेह - पतनं तस्य नरकं च प्रपद्यते ।।
अन्धकश्चैव महादैत्यो दुर्गाहोम-परायणः ।
कवचाहुति - प्रभावेण महेशेन निपातितः ।।

कवच में पाहि, अवतु, रक्ष रक्ष, रक्षतु, पातु आदि शब्दों का प्रयोग हुआ रहता है।
सप्तशती के चतुर्थ अध्याय के 4 मंत्र से इसी कारण होम नहीं होता है।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का होम न करने की आज्ञा स्वयं महादेव नें दी है
इसका प्रथम कारण है की ,
कुंजिका देवी सिद्धियों की एकमात्र कुंजी है ।
ओर कुंजी का रक्षण किया जाता है आहूत नहीं किया जा सकता ।

यदि यदि कुंजी का ही लोप हो जाएगा तो सिद्धी के द्वार का खुलना असम्भव हो जाएगा ।
दूसरा कारण यह की
सप्तशती में आता है की याचना स्तोत्र , कवच एवं कवच मन्त्रों की आहुति नहीं की जाती अन्यथा विनाश ही होता है ।
|| अथ प्रमाण ||

कवचंवार्गलाचैव ,कीलकोकुंजिकास्तथा ।
स्वप्नेकुर्वन्नहोमं च ,जुहुयात्सर्वत्रनष्ट्यते: ।।

भगवान शिव भैरव स्वरूप में स्थित होकर कहते हैं !
कवच , अर्गला , कीलक , तथा कुंजिका का होम स्वप्न में भी न करें
स्वप्न मात्र में भी होम करने से सर्वत्र नाश की संभावनाएँ प्रकट हो जाती है ।

बुद्धिनाषोहुजेत् देवि,अर्गलाऽनर्गलोभवेत् ।
सिद्धीर्नाषगत:होता, विद्यां च विस्मृतोर्भभवेत् ।।

अर्गला के होमकर्म से सिद्धीयों का नाश हो जाता है । तथा होता की समस्त विद्याएँ विस्मृत हो जाती है , अर्गला अनर्गल सिद्ध हो जाती है ।

कीलितोजायतेमन्त्र: ,होमे वा कीलकस्तथा ।
ममकण्ठसमंयस्य: ,कीलकोत्कीलकं हि च ।।

कीलक के होमकर्म से होता के समस्त मन्त्र सदा सर्वदा के लिए कीलित हो जाते हैं ।
इसे मेरा उत्किलित कण्ठ ही जानें जो जो कीलक का कारक है ।
धनधान्ययुतंभद्रे ,पुत्र: प्राण:विनष्यते: ।
रोगशोकोर्व्रिते:कृत्वा,कवचंहोमकर्मण: ।।
कवच के होम से धन,धान्य, पुत्र तथा प्राण का विनाश निश्चित है एवं वह होता रोग तथा शोकों से घिर जाता है ।

स्वप्ने वा हुज्यते देवि ,कुंजिकायं च कुंजिकां ।

षड्मासे च भवेन्मृत्यु , सत्यं सत्यं न संशय: ।
होमे च कुंजिकायास्तु ,सकुटुम्बंविनाश्यती: ।

कुंजिका के होमकर्म के प्रभाव से होता की छः मास में मृत्यु निश्चित जानें तथा होता का सकूटुंब विनाश हो जाता है यह सत्य है परम सत्य है इसमें कोई संशय नहीं करना चाहिए ।

यस्यं च दोषमात्रेण ,प्रसन्नार्मृत्युदेवता: ।
कुंजिकाहोममात्रेण ,रावण:प्रलयंगत: ।।

इसी के दोष से मृत्युदेवता अत्यंत प्रसन्न होकर होता का सकूटुंब भक्षण करते हैं ।

कुंजिका के होममात्र के प्रभाव से ही रावण का सम्पूर्ण विनाश सम्भव हुआ ।

भैरवयामले भैरवभैरवी संवादे ।।
चतुर्विंश प्रभागे होमप्रकरणे ।।

मातृका:बीजसंयुक्ता: ,प्राणाप्राणविबोधिनी ।
प्राणदा:कुंजिका:मायां ,सर्वप्राण:प्रभाविनी ।।

कुंजिका में बीज मातृकाएँ उपस्थित हैं ।
प्राण को देविप्राण का बोधप्रदान करती हैं ।
यह प्राणज्ञान प्रदान करने वाली महामाया कुंजिका प्राण को प्रभावित करने वाली हैं ।
।। शक्तियामले शक्तिहोमप्रकरणे ।।

बलिप्रदाने पूजायामग्निकार्ये महोत्सवे।सर्वं ममैतच्चरितमुच्चार्यं श्रावयमेव च ।।भगवती कहती हैं कि बलिदान, पूजा, होम‌ अर्थ...
10/05/2025

बलिप्रदाने पूजायामग्निकार्ये महोत्सवे।
सर्वं ममैतच्चरितमुच्चार्यं श्रावयमेव च ।।
भगवती कहती हैं कि बलिदान, पूजा, होम‌ अर्थात यज्ञ हवन तथा महोत्सव के अवसरों पर मेरे इस चरित्र दुर्गा सप्तशती का पूरा पाठ ब्राह्मण मुख से श्रवण करना चाहिए।।

यह समय नहीं है शान्ति कावक्त आ गया है क्रान्ति का,कब तक अपमान सहोगे हिंदु अपने तिरूपति जी भगवान का अब समय आ गया संग्राम ...
25/09/2024

यह समय नहीं है शान्ति का
वक्त आ गया है क्रान्ति का,
कब तक अपमान सहोगे हिंदु
अपने तिरूपति जी भगवान का
अब समय आ गया संग्राम का।।

31/08/2024

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