
01/03/2025
सफाई हर औरत की
मैं सफाई क्यों दूँ औरत होना कोई पाप नहीं अभिशाप नहीं मैं भी क्यों न चलूँ उठा के सर मर के भी फख्र से कहूँगी औरत होना एक वरदान है जिसके दम से हैं ये खोखले पुरुष जो हैं समाज के ठेकेदार मगर जननी की जात भी भूल जाते हैं ये क्या खाक सर उठाएंगे जिसकी हर साँस पर कर्ज है एक औरत का हर रक्त पर कर्ज है एक माँ का सफाई की जरुरत तुम्हें है तुम आज भी वैसे ही मटमैले जैसे रावण और दुर्योधन था हम आज भी पवित्र हैं जैसे माँ सीता थी।
🙏🙏Respect women