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M.Tech Mithilesh Education & Technical आपको मेरे चैनल पर वीडियो देखकर कोई भी समस्या हल हो जाती है,मेरे वीडियो बनाने का मकसद पूरा हो जाता है

23/07/2025

🌅20July 2025💚 हरेला मेला समापन समारोह 🚣🪂Cum Village life Style Vlog भीमताल के रामलीला मैदान में आयोजित हरेला मेले का रविवार को रंगारंग कार्यक्रमों के साथ समापन हो गया।🧑‍🚒 रविवार को नगर पालिका अध्यक्ष 🧛सीमा टम्टा, ईओ उदयवीर सिंह ने समापन किया। इस दौरान मुख्य कलाकार राकेश खनवाल के गीतों पर लोग खूब झूमे। पालिकाध्यक्ष ने हरेला मेले के सफल आयोजन के लिए सभी को बधाई दी। साथ ही संस्कृति को बचाने के लिए हर वर्ष मेले को और भव्य रूप से आयोजित करने की बात कही। राकेश खनवाल ने देवी भगवती मैय्या, हिमुली, क्रीम पाउडर सहित अन्य गीतों की प्रस्तुति दी। साथ ही हरमन माइनर डिग्री कॉलेज, ग्रीन माउंट ग्लोबल स्कूल, प्रमोद भाकुनी, केंद्रीय विद्यालय भीमताल, लोक गायक गिरीश, पार्वती लोक सांस्कृतिक उत्थान समिति ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये 🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🧛🧛🌺🏵️
🙏🌹दोस्तो आप सभी सादर अभिनन्दन व धन्यवाद 🙏🌹
इस चैनल पर मैं जो कुछ भी अपलोड करता हूं वह vlog होने के साथ साथ जानकारीपूर्ण स्वस्थपूर्ण मनोरंजन का जरिया भी हैं।🌹

20/07/2025

हरेला मेला के आयोजन का इतिहास सैकड़ों वर्षों से बताया जाता है क्योंकि भीमताल का महत्त्व मैदान से पहाड़ जाने के रास्ते के पहले पड़ाव के रूप में प्राचीनकाल से रहा है। चंदकालीन कुमाऊँ में यह छखाता परगने के शासकीय केंद्र के रूप में जाना जाता था। जबकि कुमाऊँ के अन्य बड़े शहर जैसे हल्द्वानी, रामनगर और नैनीताल ब्रिटिशकाल में अस्तित्व में आये हैं।
उपलब्ध लिखित प्रमाणों अनुसार भी यह मेला कम से कम 100 वर्षों से भी अधिक पुराना ब्रिटिशकालीनतो माना ही जा सकता है। क्योंकि इसके आयोजन में अंग्रेज भी प्रतिभाग किया करते थे और उनके द्वारा इसे हरियाली नाम दिया गया। अंग्रेज भी भीमताल को व्यापार की दृष्टि से मैदान और पहाड़ के बीच एक मुख्य पड़ाव मानते थे। उस समय हल्द्वानी से तिब्बत को पैदल रास्ते से व्यापार किया जाता था। अंग्रेजों ने तिब्बत को भारत और चीन के बीच एक स्वायत्त क्षेत्र के रूप में माना था।
भारत-तिब्बत व्यापार कुमाऊँ में तिब्बत की सीमा पर रहने वाली भोटिया जाति के लोगों द्वारा किया जाता था जिनका अन्य मुख्य व्यवसाय भेड़ पालन था। यहां से खाद्य सामग्री और नमक तिब्बत को भेजा जाता था और बदले में तिब्बत से ऊन, हींग, जंबू और अन्य पहाड़ी जड़ी-बूटियां आदि वस्तुऐं लायी जाती थी। व्यापार के रास्ते में व्यापारिक मंडी हल्द्वानी के बाद पहाड़ पर पहला पड़ाव भीमताल हुआ करता था। इसी कारण कुछ लोगों द्वारा भीमताल में मेला आयोजित किये जाने का विचार आया।
आजादी से पहले बरेली, रामपुर, मुरादाबाद जैसे व्यापारिक स्थानों से व्यापारी अपना सामान मेले में बेचने के लिए लाया करते थे। भीमताल के ग्रामीण क्षेत्रों तथा आस-पास के रामगढ़, मुक्तेश्वर, पदमपुरी, गुनियालेख, ओखलकांडा आदि के लोग यहां बेचे जाने वाले विभिन्न उत्पादों को खरीदने के लिए आते थे। इस प्रकार यह मेला केवल एक सांस्कृतिक आयोजन ना होकर एक व्यापार का केंद्र भी था।
पहले मेले का आयोजन स्थल तालाब के किनारे लीलावती पंत कॉलेज (डांठ) के पीछे के खेतों में होता था जिस स्थान को अभी भी हरियाली खेत के नाम से जाना जाता है। तब इस मेले की अवधि सात दिन की होती थी। क्योंकि उस समय यह भीमताल शहर का केंद्र होता था। बाद में सत्तर के दशक में नगर के विस्तार तथा स्थान की कमी के कारण मेला स्थल को मल्लीताल के रामलीला मैदान में स्थानांतरित कर दिया गया।
बीच में वर्षों में इस मेले की चमक धीरे धीरे फीकी पड़ती जा रही थी और मेले की अवधि 2-3 दिनों के लिए सीमित हो गयी थी। लेकिन २०१० के बाद मेले में जनता और व्यापारियों की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और मेले की लोकप्रियता अपने पुराने स्तर को लौट आयी है। व्यापारियों की अधिक संख्या के कारण मेले का क्षेत्र रामलीला मैदान से बढ़कर मल्लीताल की ब्लॉक रोड तक फ़ैल गया है। वर्तमान में यह मेला फिर से 5 से 7 दिनों की अवधि के लिए आयोजित किया जाने लगा है। मेले के आयोजन का संगठन-प्रबंधन भी बदल गया है और अब इसका आयोजन भीमताल नगर पालिका द्वारा किया जाता है।
मेले के दौरान नियमित रूप से सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें उत्तराखंड राज्य के कलाकारों द्वारा अपनी प्रस्तुतियां दी जाती हैं। यह मेला बरसात के मौसम में आयोजित होता है जिस समय कलाकारों की व्यस्तता कम रहती है और राज्य के सभी प्रमुख कलाकार अपनी प्रस्तुति देने के लिए उपलब्ध होते हैं। मेले में क्षेत्र के स्थानीय स्कूल-कॉलेज की छात्र-छात्राओं द्वारा भी सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते हैं। बरसात के कारण कई बार कार्यक्रमों में व्यधान भी भी होता है पर इससे दर्शकों व कलाकारों का उत्साह में किसी प्रकार की कमी नहीं आती और मौसम अनुकूल होने पर कार्यक्रम पुनः शुरू हो जाते हैं। कार्यक्रमों को देखने के लिए दर्शकों की भारी भीड़ लगी रहती है और देर शाम तक लोग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनन्द लेते हैं।

16/07/2025

हरेले पर पूजा इष्ट देवता की 16 July 2025 Village life Style Uttrakhand culture उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में सदियों से मनाते आ रहे हैं. हरेला पर्व वर्षा ऋतु के आगमन और नई फसल के स्वागत में मनाया जाता है Harela meaning
हरेला शब्द हरियाली से बना है, जो प्रकृति की हरियाली और समृद्धि को दर्शाता है.
कैसे मनाते हैं हरेला - How to celebrate Harela
हरेला पर्व की तैयारी 9 दिन पहले से शुरू हो जाती है. 9 दिन पहले एक टोकरी में जौ, गेहूं, मक्का आदि के बीज को बोया जाता है. फिर दसवें दिन यानी हरेला पर इन्हें काटा जाता है. फिर देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है और हरेला मां पार्वती और भोलेनाथ को अर्पित किया जाता है 🍀🍀🍀💚💚💚

14/07/2025

🌅🌺सरोवर के तट से कोहरे का सुन्दर व्यू 🥸12 July 2025 Life Style Vlog गांवों में हरियाली बरसात का मौसम 💚🍀

11/07/2025

नए आधार विनियम (2 जुलाई, 2025 से प्रभावी): यूआईडीएआई ने आधार (नामांकन और अद्यतन) प्रथम संशोधन विनियम, 2025 जारी किए, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख परिवर्तन किए गए:

एकाधिक आधार संख्याओं का उन्मूलन: यदि किसी व्यक्ति को एक से अधिक आधार जारी किए गए हैं, तो बायोमेट्रिक जानकारी वाला सबसे पुराना आधार ही रखा जाएगा तथा अन्य को छोड़ दिया जाएगा।

संशोधित दस्तावेज़ ढाँचा: नामांकन और अद्यतन के लिए स्वीकार्य दस्तावेजों की एक नई, विस्तृत सूची (पहचान प्रमाण, पते का प्रमाण, जन्म तिथि का प्रमाण, रिश्ते का प्रमाण) अब प्रभावी है, जिसमें नाबालिगों, विदेशी नागरिकों आदि के लिए विशिष्ट प्रावधान हैं।

जन्मतिथि अपडेट के लिए अनिवार्य जन्म प्रमाण पत्र (1 अक्टूबर, 2023 के बाद): 1 अक्टूबर, 2023 को या उसके बाद जन्मे व्यक्तियों के लिए, जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के तहत जारी जन्म प्रमाण पत्र अब अनिवार्य है।

10/07/2025

08 July 2025 Life style blog नैनीताल के एक गॉव का जीवन
🙋🔥गॉव की जीवन शैली 🌺🌷Daily life style of village🌆🏙️🏢 शहरों की भागदौड़ से दूर, एक शांत और सरल जीवनशैली होती है। यहाँ लोग प्रकृति के करीब रहते हैं, एक-दूसरे के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं, और आपसी सहयोग और प्रेम की भावना उनमें प्रबल होती है। 😄😃😀👨
🌷🌷🌹प्रकृति के करीब: गाँव में चारों ओर हरियाली होती है, शुद्ध हवा होती है, और लोग खेती, पशुपालन जैसे कार्यों से जुड़े होते हैं।
गाँव का जीवन शहरों की तुलना में अधिक सरल और सादगीपूर्ण होता है। 🌸🔔🌥️
🌻🌻💐 गॉव में लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर रहते हैं, त्योहारों और ख़ुशी के मौकों पर एक-दूसरे के साथ शामिल होते हैं।
परंपरागत जीवनशैली:
गाँव में लोग अपनी पारंपरिक संस्कृति और रीति-रिवाजों का पालन करते हैं। 🙆💁🙋🙎

Simplify the LHS:Combine the two fractions by finding a common denominator: (sin a - cos a)(sin a + cos a)Apply the diff...
07/07/2025

Simplify the LHS:
Combine the two fractions by finding a common denominator: (sin a - cos a)(sin a + cos a)
Apply the difference of squares identity (a² - b² = (a - b)(a + b)) in the denominator: sin² a - cos² a
Expand the numerators: (sin a + cos a)² + (sin a - cos a)² = (sin² a + 2sin a cos a + cos² a) + (sin² a - 2sin a cos a + cos² a) = 2sin² a + 2cos² a = 2(sin² a + cos² a)
Using the Pythagorean identity (sin² a + cos² a = 1), the numerator simplifies to 2 * 1 = 2
Therefore, the simplified LHS is: 2 / (sin² a - cos² a)
2. Show equivalence to other forms of RHS:
Using the Pythagorean identity (cos² a = 1 - sin² a), the denominator can be rewritten as: sin² a - (1 - sin² a) = 2sin² a - 1
Alternatively, using the Pythagorean identity (sin² a = 1 - cos² a), the denominator can be rewritten as: (1 - cos² a) - cos² a = 1 - 2cos² a
Therefore, the simplified LHS is also equal to: 2 / (2sin² a - 1) and 2 / (1 - 2cos² a)
3. Conclusion:
The LHS, when simplified, is equal to 2 / (sin² a - cos² a), which is also equal to 2 / (2sin² a - 1) and 2 / (1 - 2cos² a).
This matches the RHS of the original equation.
Hence, the identity is proven.

06/07/2025

क्रेडिट कार्ड से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव, फीस में बढ़ोतरी और सुविधाओं में कटौती एसबीआई और एचडीएफसी समेत अन्य प्रमुख बैंकों ने क्रेडिट कार्ड से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है, जो जुलाई और अगस्त में अलग-अलग तिथियों से लागू होंगे।

02/07/2025

गांव का ड्रोन दृश्य कलश यात्रा Drone View of My village
💪💪Keep Supporting me So💻💻 I can Continue to provide you with good content per day⛅⛅🗓️
🌺🌺🌺 कलश यात्रा, जिसे "अमृत कलश यात्रा" भी कहा जाता है, एक धार्मिक जुलूस है जिसमें महिलाएं सिर पर कलश (एक पवित्र बर्तन) रखकर निकलती हैं। यह जुलूस आमतौर पर धार्मिक अनुष्ठानों, जैसे कि भागवत कथा या मंदिर की स्थापना से पहले निकाला जाता है। कलश यात्रा को पवित्रता, सकारात्मक ऊर्जा, और शुभ संकेत का प्रतीक माना जाता है।
कलश यात्रा के दौरान, महिलाएं आमतौर पर लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनती हैं और भक्ति भाव में भजन-कीर्तन करते हुए जुलूस में चलती हैं। कलश में जल, अक्षत, रोली, और मौली आदि भरकर देवी-देवताओं का आवाहन किया जाता है।
कलश यात्रा का महत्व:
पवित्रता और सकारात्मकता का प्रतीक:
कलश यात्रा को पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। पूरा विडियो Mithilesh Vlog Nainita पर उपलब्ध है।l

30/06/2025

☂️29 June 2025 🤕Sunday Rainy day☂️ पूरे दिन भर लगातार बारिश ⛱️
हिमाचल-उत्तराखंड में कुदरत का कहर, बारिश-बाढ़ से तबाही; अलर्ट जारी तीर्थयात्री रुकें! खतरनाक होते मौसम के बीच उत्तराखंड में 24 घंटे के लिए चारधाम यात्रा स्थगित
28 June 2025 08:44 PM. डंपर खाई में गिरा, चालक रेस्क्यू किया. भीमताल के पाण्डेय गांव के पास गुरुवार को एक डंपर 50 फीट गहरी खाई में गिर गया। चालक योगेश बृजवासी को रेस्क्यू कर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया, ...
🙋🔥गॉव की जीवन शैली 🌺🌷Daily life style of village🌆🏙️🏢 शहरों की भागदौड़ से दूर, एक शांत और सरल जीवनशैली होती है। यहाँ लोग प्रकृति के करीब रहते हैं, एक-दूसरे के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं, और आपसी सहयोग और प्रेम की भावना उनमें प्रबल होती है। 😄😃😀👨
🌷🌷🌹प्रकृति के करीब: गाँव में चारों ओर हरियाली होती है, शुद्ध हवा होती है, और लोग खेती, पशुपालन जैसे कार्यों से जुड़े होते हैं।
गाँव का जीवन शहरों की तुलना में अधिक सरल और सादगीपूर्ण होता है। 🌸🔔🌥️
🌻🌻💐 गॉव में लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर रहते हैं,

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