
21/07/2025
हरियाणा सरकार उदघाटन व पत्थर लगाने बारे नियम बनाकर तय करे की विकास कार्यों के उदघाटन व पत्थर पर मुख्य मंत्री या प्रधान मंत्री का ही नाम और हरियाणा या भारत सरकार द्वारा जनता के पैसे से जनता के लिए निर्मित लिखा हो और उद्घाटन भी मुख्यमंत्री द्वारा और अगर मुख्यमंत्री उपलब्ध ना हो तो आम नागरिक देश की किसी भी बेटी, पूर्व सैनिक या वरिष्ठ नागरिक से हो
स्वाल
हरियाणा सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों के उद्घाटन में स्थानीय विधायकों की अनदेखी कर सत्तासीन पार्टी के नेताओं व चुनाव हार चुके उम्मीदवारों को तरजीह देना कहाँ तक उचित
जनप्रतिनिधि कौन
चुनाव हारे हुए उम्मीदवारों का स्तर केवल राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता या नेता का तो हो सकता है लेकिन वह जनप्रतिनिधि का दायित्व व स्थान नहीं ले सकते
राष्ट्रीय पर्व जैसे स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों मे भी विपक्षी सांसद और विधायक देखने को नहीं मिलते, खुद शामिल नहीं होते या निमंत्रण ही नहीं मिलता.
प्रदेश में सत्तासीन राजनीतिक पार्टी के चुनाव हारे हुए उम्मीदवारों, मण्डलाध्यक्षो व नेताओं के द्वारा प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों के उद्घाटन और उद्घाटन स्थल पर नाम सहित पत्थर लगाना वह भी जनता द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि की अनदेखी करते हुए एक अलग राजनितिक रवयात को शुरू करने का प्रयास ही मौजूद हालातो में नजर आता है. हरियाणा प्रदेश में अनेक ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां चुनाव हारे हुए सत्तासीन पार्टी के नेता सरकार द्वारा किए गए कार्यों का उद्घाटन न केवल करते है बल्कि अपने नाम के वहां पत्थर भी लगावाते हैं और जनता द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि विधायक या सांसद की उसमें अनदेखी की जाती है ऐसे मामले सीधे तौर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था को धत्ता न केवल बताते है बल्कि जनमत का भी अपमान हैं ऐसे मामले अगर कहें तो राजनीतिक शिष्टाचार और रवायतों का भी सीधे तौर पर खंडन है.
ज्यादातर विपक्षी विधायक व सांसदों नें भी इस मामले मे मौन साध रखा है और ऐसा माना जाता है की मौन में स्वस्कृति होती है. जिन क्षेत्रों में विपक्षी विधायक हैं वहां सत्तासीन पार्टी के नेताओं द्वारा प्रदेश सरकार द्वारा किए गए कार्यों के उद्घाटन व अपने नाम के पत्थर लगाने के मामले से नजर आता है की ये नेता सरकारी खर्च पर अपनी राजनीती चमकना चाहते है और इनकी नियत और नीति में अंतर है अगर ऐसा नहीं होता तो ये खुद के नाम के पत्थर लगाने व उद्घाटन कर वाहवाही लुटनें की बजाए उस गाँव या शहर के किसी वरिष्ठ नागरिक व छोटी लड़की या आम आदमी भूतपूर्व सैनिक से उद्घाटन करवा सकते थे लेकिन इन्होने ऐसा नहीं किया जिससे इनकी नियत और नीति का फरक साफ नजर आता है.
हरियाणा के नेताओं के बीच उद्घाटन कर श्रेय लेने की होड़ तब जगजाहिर हो गई ज़ब पलवल जिले के चिरवाड़ी गांव में 60 लाख रुपये की लागत से बने एक खड़ंजे का दो बार उद्घाटन किया गया है. पहले 23 जून को खेल राज्य मंत्री गौरव गौतम ने इसका उद्घाटन किया. इसके बाद 29 जून को केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने उसी खड़ंजे का दोबारा उद्घाटन किया. इस घटना से दोनों मंत्रियों के बीच क्रेडिट लेने की होड़ भी सामने आई है हालांकि मामले पर बाद मे भाईचारा बताकर पर्दा भी डालने का प्रयास किया गया लेकिन तब तक मामला जग जाहिर हो चूका था.
मुख्यमंत्री राजनीती में सुधार वाद और नैतिक मूल्यों को पुनरस्थापित करने को कृत संकल्प नजर आते हैं और आशा है की वह इसकी और ध्यान देंगे और एक व्यापक नीति इसके लिए बनाकर सुनिश्चित करेंगे की उदघाटन व पत्थर लगाने पर एक सामान नीति बने या फिर केवल मुख्य मंत्री या प्रधान मंत्री का ही नाम और हरियाणा या भारत सरकार द्वारा जनता के पैसे से जनता के लिए निर्मित लिखा हो और उद्घाटन भी मुख्यमंत्री द्वारा या फिर अगर वो उपलब्ध ना हो तो आम नागरिक देश की किसी भी बेटी या पूर्व सैनिक वरिष्ठ नागरिक से हो ताकि लोकतान्त्रिक व्यवस्था व जनमत के महत्व की अनदेखी ना हो और राजनीतिक नैतिकता की पुनरस्थापना हो सके और आशा है की हरियाणा सरकार इस पर जल्दी ही विचार करेगी.
लेख by
धर्म वीर ढिंदसा
राजनितिक विश्लेषक, वकील, लेखक व किसान नेता