
05/08/2025
व्रज – श्रावण शुक्ल एकादशी
Tuesday, 05 August 2025
पवित्रा पहेरत राजकुमार ।
तीन्यो लोक पवित्र कीये है श्रीविट्ठल गिरिधार ।।१।।
आती ही पवित्र प्रिया बहु विलसत निरख मगन भयों मार ।
परमानंद पवित्रा की माला गोकुल की ब्रजनार ।।२।।
पुत्रदा एकादशी (पवित्रा एकादशी)
आज प्रभु को नियम का सफेद मलमल का केशर की कोर का पिछोड़ा और श्रीमस्तक पर श्वेत मलमल की सुनहरी किनारी की कुल्हे के ऊपर तीन मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ धरायी जाती है.
आज से पूनम तक प्रतिदिन श्रृंगार समय मिश्री की गोल डली का भोग अरोगाया जाता है.
गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से श्रीजी को मनमनोहर (केशर-इलायची बूंदी), मेवाबाटी (सूखे मेवे से भरा खस्ता ठोड़) एवं दूधघर में सिद्ध की गयी केसर युक्त बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है.
राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता, सखड़ी में मीठी सेव व केशरयुक्त पेठा दोहरा अरोगाये जाते हैं.
आज उत्थापन के समय पवित्रा का अधिवासन होगा, धूप, दीप, शंखोदक किये जाएंगे और कुछ समय उपरांत पंखे का टेरा लेकर श्रीजी को पवित्रा धराये जायेंगे.
पवित्रा धराये उपरांत उत्सव भोग धरे जायेंगे जिसमें विशेष रूप से मिश्री की गोल डलियाँ (सफ़ेद व केसरयुक्त), छुट्टी बूंदी, खस्ता शक्करपारा, दूधघर में सिद्ध मावे के पेड़ा-बरफी, दूधपूड़ी (मलाई-पूड़ी), केशर-युक्त बासोंदी, जीरा-युक्त दही, घी में तला बीज-चालनी के सूखे मेवे, विविध प्रकार के संदाना (आचार), विविध प्रकार के फलफूल, शीतल आदि अरोगाये जाते हैं.
आज प्रभु को उत्सव भोग में सभी गृहों से पधारी मिश्री भी अरोगायी जाती है.
भोग समय फीका के स्थान पर घी में तला बीज-चालनी का सूखा मेवा आरोगाया जाता है.
साज – श्रीजी में आज सफेद डोरिया के वस्त्र पर धोरे (थोड़े-थोड़े अंतर से सुनहरी ज़री के धोरा वाली), सुनहरी ज़री की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.
चित्र में पीठिका के ऊपर व इसी प्रकार से पिछवाई के ऊपर रेशम के रंग-बिरंगे पवित्रा द्रश्य है.
वस्त्र – श्रीजी को आज सफेद केसर की किनारी का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के होते हैं.
श्रृंगार - प्रभु को आज वनमाला का (चरणारविन्द से दो अंगुल ऊंचा) उत्सव का भारी श्रृंगार धराया जाता है.
मिलवा हीरे की प्रधानता के मोती, माणक, पन्ना एवं जड़ाव स्वर्ण के आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर सफेद कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, तीन मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
श्रीकर्ण में हीरे के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं. चित्र में रंग-बिरंगे पवित्रा मालाजी के रूप में द्रश्य हैं.
नीचे पाँच पदक ऊपर हीरा, पन्ना, माणक, मोती के हार व दुलडा धराया जाता हैं.कली की मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, हीरा के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट उत्सव का, गोटी सोने की जाली की आती है.
आरसी शृंगार में चार झाड़ की एवं राजभोग में सोना की डांडी की आती 💕💕 💕💕