24/06/2025
"आज बने गिरिधारी दूलहे, चंदन की तन खोर करें ।
सकल सिंगार बने मोतीनके, बिविध कुसुम की माला गरें।"
व्रज – आषाढ़ कृष्ण चतुर्दशी
मंगलवार, 24 जून 2025
सेहरा का श्रृंगार,
सायं मोगरा की कली के श्रृंगार का मनोरथ
आज श्रीनाथजी को केसरी मलमल का पिछोड़ा, पटका, श्रीमस्तक पर दुमाला और मोती का सेहरा धराया है.
राजभोग दर्शन –
साज –
आज श्रीजी में सेहरा का श्रृंगार धराये श्री स्वामिनीजी, श्री यमुनाजी एवं मंगलगान करती व्रजगोपियों के सुन्दर चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धरायी है.
गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की है.
वस्त्र –
श्रीनाथजी को आज केसरी मलमल का पिछोड़ा व अन्तरवास का पटका धराया है.
श्रृंगार –
आज श्रीजी प्रभु को वनमाला का (चरणारविन्द तक) ऊष्णकालीन श्रृंगार धराया गया है. आज सर्व आभरण मोती के धराये गए हैं.
श्री गिरिराज धरण प्रभु के श्रीमस्तक पर केसरी मलमल के दुमाला के ऊपर मोती का सेहरा शोभित है एवं बायीं ओर शीशफूल धराये हैं.
आज कली आदि की मालाएं श्रीकंठ में धरायी हैं.
दायीं ओर सेहरे की मोती की चोटी धरायी गई है.
श्री गोवर्धन नाथ जी प्रभु के श्रीकर्ण में आज मोती के कुंडल धराये गए हैं.
आज श्रीजी प्रभु के श्री कंठ में विभिन्न पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी भी अंगीकार कराई गई हैं.
ठाकुर जी के श्रीहस्त में कमलछड़ी, गंगा जमुना के वेणुजी धराएं गए हैं एवं कटि पर वेत्रजी धराये गए हैं.
खेल के साज में पट गोटी ऊष्णकाल के राग-रंग के धराएं हैं.
सायं कली के श्रृंगार का मनोरथ –
आज सायं श्रीजी में मोगरा की कली के श्रृंगार का मनोरथ होगा.
इसमें प्रातः जैसे वस्त्र आभरण धराये हों, संध्या-आरती में उसी प्रकार के मोगरे की कली से निर्मित अत्यन्त सुन्दर व कलात्मक वस्त्र और आभरण धराये जाते हैं.
संध्या-आरती में मनोरथ के भाव से विविध सामग्रियाँ अरोगायी जाती है.
संध्या-आरती दर्शन के पश्चात ये सर्व श्रृंगार बड़े कर शैयाजी के पास पधराये जाते हैं.
आज के कीर्तन :
मंगला - बरस उघर गयो मेह।
श्रृंगार - ऐसी बहोरीया भावे।
राजभोग - आज बने गिरधारी दूल्हे चन्दन।
भोग- देख री देख राधा रवन।
संध्या आरती - चितेवो छाँड़ दे री राधा।
शयन - बैठे ब्रजराज कुंवर प्यारी संग।
पोढवे - पोढे हरी राधिका के संग।
🙏🏼जय श्री कृष्ण।
राधे राधे।
आपका दिन शुभ हो।