श्रीजी दर्शन

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♦️स्वर्णयुगदाता नि. ली. गो. ति. श्री १०८ श्री गोवर्धनलालजी महाराज के उत्सव की बधाई।♦️🌹🚩🌹🚩🌹🚩🌹♦️🌹♦️🌹जय श्री कृष्ण।राधे राध...
10/08/2025

♦️स्वर्णयुगदाता नि. ली. गो. ति. श्री १०८ श्री गोवर्धनलालजी महाराज के उत्सव की बधाई।♦️

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जय श्री कृष्ण।
राधे राधे।
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🚩व्रज – भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा🚩रविवार, 10 अगस्त 2025🔹आज के हिंडोलना के दर्शन🔹 ♦️हेम हिंडोला♦️संध्या-आरती में श्री मदनमोह...
10/08/2025

🚩व्रज – भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा🚩
रविवार, 10 अगस्त 2025

🔹आज के हिंडोलना के दर्शन🔹

♦️हेम हिंडोला♦️

संध्या-आरती में श्री मदनमोहनजी सोने के हिंडोलना में झूलते हैं. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के आज के श्रृंगार के जैसे ही होते हैं. आज श्री बालकृष्णलाल जी भी उनकी गोदी में विराजित हो झूलते हैं.

श्री नवनीतप्रियाजी भी आज प्रातः सोने के पलना में झूलते हैं, राजभोग में सोने के बंगले में विराजित हो दर्शन देते हैं और संध्या-आरती में अपने घर सोने के हिंडोलने में झूल कर श्री नवनीतप्रियाजी श्रीजी में पधारते हैं, शीतल अरोगते हैं और श्रीजी की गोद में विराजित हो उत्सव भोग अरोगते हैं. धूप, दीप, तुलसी समर्पित की जाती है.

उत्सव भोग अरोगे उपरांत श्री नवनीतप्रियाजी और श्री मदनमोहनजी डोल-तिबारी में सोने के हिंडोलना में झूलते हैं.

उत्सव भोग में प्रभु को विशेष रूप से भीगी हुई चने की दाल की मोहनथाल, केशरी मनोहर (इलायची-जलेबी) के लड्डू, केशर-युक्त घेवर, केशर-युक्त खोवा के गुंजा (मावा का मीठा मसाला भरे), केशर-युक्त चन्द्रकला (सूतर फेनी), दूधघर की मेवाबाटी, मूंग दाल के गुंजा, उड़द दाल की कचौरी, घी में तले काबुली चना, चना-दाल, फीकी सेव, दहीवडा, पांच प्रकार के शाक-आदि, मोयन की खस्ता पूड़ी, दूधघर में सिद्ध मावे के पेड़ा-बरफी, दूधपूड़ी (मलाई पूड़ी), केशर-युक्त बासोंदी, जीरायुक्त दही, खोया, मलाई, माखन, मिश्री, पतली पूड़ी, केशर-युक्त खीर, घी में तले बीज-चालनी के सूखे मेवे, विविध प्रकार के संदाना (आचार), विविध प्रकार के फलफूल और शीतल आदि अरोगाये जाते हैं.

कीर्तन हिंडोला–
आज लाल झुलत रंग भरे हो ।
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🚩नाथद्वारा में स्वर्णयुग के दाता नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज का प्राकट्योत्सव, स्वर्ण का हिंड...
10/08/2025

🚩नाथद्वारा में स्वर्णयुग के दाता नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज का प्राकट्योत्सव, स्वर्ण का हिंडोलना🚩

♦️जय श्रीकृष्ण, राधे राधे♦️

आज भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा, रविवार, 10 अगस्त 2025 है। आज श्रीनाथजी में नाथद्वारा के स्वर्णयुग दाता नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज का उत्सव है।

आप सभी को नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराजश्री के उत्सव की अनेकानेक मंगल बधाईयाँ।

🔹उत्सवनायक का जीवन परिचय🔹

◆ नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज का जन्म श्री गिरिधारीजी के यहाँ विक्रम संवत 1917 में हुआ। विक्रम संवत 1932 में आप पुष्टिमार्ग की प्रधान पीठ श्रीनाथजी में तिलकायत पद पर गद्दी पर आसीन हुए।

◆ श्रीनाथ जी की सेवा एवं नाथद्वारा के अभ्युदय में आपश्री का योगदान अत्यंत सराहनीय रहा है। आप के काल को नाथद्वारा का स्वर्णयुग कहा जाता है।

◆ आपश्री के अथक प्रयासों से व्रज में गौवध बंद हुआ एवं कई गौशालाएँ प्रारंभ की गई।

◆ तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज ने श्रीजी के विविध मनोरथ किए और बारह मास के आभूषण, वस्त्र, श्रृंगार, कीर्तन आदि के नियमों की प्रणालिका को पुनः परिभाषित किया तथा श्रीजी में आपके काल में ही कीर्तनों में सारंगी का वादन प्रारंभ हुआ।

◆ आपने प्रभु सुख हेतु सोने का बंगला, सोने का पलना एवं सोने का हिंडोलना निर्मित करवाया और जडाऊ साज, जडाऊ चौखटा, जड़ाव के मुकुट, कांच, चन्दन आदि के बंगले, दीवालगरी, पिछवाई एवं ऋतु अनुसार सुन्दर कलात्मक साज आदि सिद्ध कराए।

◆ वर्षपर्यंत श्रीजी के अभ्यंग, श्रृंगार एवं सामग्री निश्चित करके आपने प्रभु के सुख के विचार से भोग, राग एवं श्रृंगार की वृद्धि की।

◆ श्री गोवर्धनलालजी महाराज का नाथद्वारा नगर के अभ्युदय में भी अति विशेष योगदान रहा है। आपने नाथद्वारा में बनास नदी के ऊपर पुल, हायर सेकेंडरी स्कूल, हॉस्पिटल, धर्मशालाएं, विभिन्न बाग़-बगीचे, औषधालय, गोवर्धन मंडान, श्री नवनीतप्रियाजी का बगीचा, बैठक का बगीचा आदि ऐतिहासिक निर्माण कार्य करवा कर नगर के समग्र विकास की नीव रखी।

◆ आपने श्री जगन्नाथ पुरी में महाप्रभुजी की बैठक प्रकट कर सेवा व्यवस्था प्रारंभ की। विक्रम संवत 1990 में अश्विन शुक्ल द्वितीया के दिन आपने नित्यलीला में प्रवेश किया।

★☆★आज का विशिष्ट सेवाक्रम ★☆★

◆ उत्सव होने के कारण श्रीनाथ जी के मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहलीज को हल्दी से लीपा जाता है तथा द्वारों पर आशापाल की सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती है।
◆ आज चारों समय अर्थात मंगला, राजभोग, संध्या व शयन में आरती थाली में की जाती है।

◆ आज दीवालगिरी, मुड्ढा, पेटी आदि का साज केसरी आता है, वहीँ तकिया लाल कलात्मक काम वाले आते हैं।

◆ आज श्रीजी को नियम से मुकुट-काछनी का श्रृंगार धराया जाता है।

◆ आज गोपीवल्लभ अर्थात ग्वाल के भोग में विशेष रूप से श्रीजी को केशरयुक्त जलेबी के टूक एवं दूधघर में सिद्ध की गयी केशरयुक्त बासोंदी की हांडी अरोगाई जाती है। राजभोग में अनसखड़ी में दाख का रायता, सखड़ी में मीठी सेव, केसरी पेठा व छहभात (मेवा-भात, दही-भात, राई-भात, श्रीखंड-भात, वड़ी-भात और नारंगी भात) अरोगाए जाते हैं। भोग समय अरोगाए जाने वाले फीका के स्थान पर घी में तले बीज चालनी के सूखे मेवे अरोगाए जाते हैं।

◆ आज राजभोग दर्शन में पिछवाई बड़ी करदी जाती है, राजभोग से संध्या-आरती तक में प्रभु सोने के बंगले में विराजते हैं।

◆ श्री नवनीतप्रियाजी भी आज प्रातः सोने के पलना में झूलते हैं, राजभोग में सोने के बंगले में विराजित हो दर्शन देते हैं और संध्या-आरती में अपने घर सोने के हिंडोलने में झूल कर श्री नवनीतप्रियाजी श्रीजी में पधारते हैं, शीतल अरोगते हैं और श्रीजी की गोद में विराजित हो उत्सव भोग अरोगते हैं। उनको धुप, दीप, तुलसी समर्पित की जाती है।

◆ उत्सव भोग अरोगे उपरांत श्री नवनीतप्रियाजी और श्री मदनमोहनजी डोल-तिबारी में सोने के हिंडोलना में झूलते हैं।

◆ उत्सव भोग में प्रभु को विशेष रूप से भीगी हुई चने की दाल की मोहनथाल, केशरी मनोहर (इलायची-जलेबी) के लड्डू, केशर-युक्त घेवर, केशर-युक्त खोवा के गुंजा (मावा का मीठा मसाला भरे), केशर-युक्त चन्द्रकला (सूतर फेनी), दूधघर की मेवाबाटी, मूंग दाल के गुंजा, उड़द दाल की कचौरी, घी में तले काबुली चना, चना-दाल, फीकी सेव, दहीवडा, पांच प्रकार के शाक-आदि, मोयन की खस्ता पूड़ी, दूधघर में सिद्ध मावे के पेड़ा-बरफी, दूधपूड़ी (मलाई पूड़ी), केशर-युक्त बासोंदी, जीरायुक्त दही, खोया, मलाई, माखन, मिश्री, पतली पूड़ी, केशर-युक्त खीर, घी में तले बीज-चालनी के सूखे मेवे, विविध प्रकार के संदाना (आचार), विविध प्रकार के फलफूल और शीतल आदि अरोगाए जाते हैं।

🚩श्रीनाथजी का आज का श्रृंगार दर्शन🚩

◆आज की साज सेवा में श्रीनाथजी में अष्टसखी के भाव से व्रज की गोपीजनों के चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धराई जाती है। गादी, तकिया के ऊपर लाल मखमल बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है।

◆ आज की वस्त्र सेवा में श्रीनाथ जी ठाकुर जी को केसरी मलमल पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, काछनी एवं गाती का पटका धराया जाता है।

◆ आज ठाड़े वस्त्र श्वेत जामदानी (चिकन) के धराए जाते हैं।

◆ आभरण श्रृंगार में आज प्रभु श्री वल्लभाधीश ठाकुर जी को वनमाला का अर्थात चरणारविन्द तक का भारी श्रृंगार धराया जाता है।

◆ श्रीजी के आज के श्रृंगार में सर्व आभरण हीरे के धराए जाते हैं। आज कली, कस्तूरी और कमल माला धराई जाती है। आज दो हार पाटन वाले धराए जाते हैं।

◆ प्रभु के श्रीमस्तक पर टंकमां हीरा की टोपी व मुकुट तथा बाई ओर शीशफूल धराए जाते हैं।

◆ प्रभु श्रीनाथजी के श्रीकर्ण में हीरे के मयुराकृति कुंडल धराए जाते हैं।
◆ आज श्वेत पुष्पों की एवं लाल गुलाब की थागवाली मालाजी धराई जाती हैं।

◆ श्रीजी के श्रीहस्त में कमलछड़ी, हीरे के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराए जाते हैं। खेल के साज में पट केसरी, गोटी राग-रंग की आती है। आरसी श्रृंगार में चार झाड़ की एवं राजभोग में सोने की डाँडी की आती हैं।

◆ अन्य सब सेवा नित्य क्रम की होती है।

🎹आज की राग सेवा - आज के कीर्तन🪈

◆ मंगला दर्शन कीर्तन - प्रथम हि भादो मास अष्टमी।

◆ राजभोग दर्शन कीर्तन –

सब ग्वाल नाचे गोपी गावे। प्रेम मगन कछु कहत न आवे ।।1 ।।

◆ हिंडोरा के कीर्तन -
1. आज लाल झुलत रंग भरे हो ।
2. राधे झुलत रमक झमक।
3. झूलत गिरधर लाल हिंडोरे।
4. आज लाल झूलत रंग भरे।
5. जमुना तट नव सघन कुञ्ज।
6. ए दोऊ झुलत कुंज कुटीर।
7. ए दोऊ बाह जोटि किए।
8. झोटा तरल भये सो तू राख ले री।

◆ शयन दर्शन कीर्तन - भादो की अंधियारी।

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जय श्रीकृष्ण।
राधे राधे।
आपका दिन शुभ हो।
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🚩व्रज – भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा🚩रविवार, 10 अगस्त 2025🔹 नाथद्वारा के स्वर्णयुगदाता नित्यलीलास्थ तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी ...
10/08/2025

🚩व्रज – भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा🚩
रविवार, 10 अगस्त 2025

🔹 नाथद्वारा के स्वर्णयुगदाता नित्यलीलास्थ तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज का उत्सव🔹

🌺श्रीजी का सेवाक्रम -🌺

उत्सव होने के कारण श्रीनाथजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहरी को हल्दी से लीपी जाती हैं एवं आशापाल की सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.

आज दिनभर झारीजी में यमुनाजल भरा जाता है. चारों समय (मंगला, राजभोग, संध्या व शयन) की आरती थाली में की जाती है.

मुड्ढा, पेटी दिवालगिरी का साज केसरी चढ़े. तकिया पर खोल लाल मखमल के काम के आते हैं.

मंगला दर्शन :

वस्त्र - उपरना पीले मलमल को।

कीर्तन : प्रथम हि भादो मास अष्टमी
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जय श्री कृष्ण।
राधे राधे।
आपका दिन मंगलमय हो।
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व्रज - श्रावण शुक्ल पूर्णिमाSaturday, 09 August 2025🌺रक्षाबंधन, नित्यलीलास्थ श्री दामोदरजी का प्राकट्योत्सव🌺पुष्टिमार्ग ...
09/08/2025

व्रज - श्रावण शुक्ल पूर्णिमा
Saturday, 09 August 2025

🌺रक्षाबंधन, नित्यलीलास्थ श्री दामोदरजी का प्राकट्योत्सव🌺

पुष्टिमार्ग में भद्रा रहित पूर्णिमा में श्री ठाकुरजी को रक्षा (राखी) धरायी जाती है, अतः श्रीनाथजी में आज श्रावण शुक्ल पूर्णिमा (शनिवार, 09 अगस्त 2025) को प्रातः श्रृंगार दर्शन में रक्षा (राखी) धरायी गई हैं.

आज भाई-बहन के प्रेम का पर्व रक्षाबंधन है.
बहन अपने भाई की मंगलकामना हेतु राखी बांधती है इस भाव से बहन सुभद्रा राखी बांधती है, गर्गादिक ऋषि भी राखी बांधते हैं, माता यशोदा भी लालन की रक्षा हेतु राखी बांधती है
इन सभी भावनाओं के कीर्तन अष्टसखाओं ने गाये हैं. यह पर्व व्रज में सर्वत्र मनाया जाता है.

आज श्री गुसांईजी के ज्येष्ठ पुत्र गिरधरजी के पुत्र नित्यलीलास्थ श्री दामोदरजी का प्राकट्योत्सव भी है.
आप का प्राकट्य विक्रम संवत 1632 में आज के दिन हुआ था.
आपने अपने जीवनकाल में श्रीजी के विविध मनोरथ किये थे. आपश्री वेदज्ञ, मन्त्रज्ञ, अत्यंत तेजस्वी एवं सरल स्वाभाव के थे.

एक बार आपश्री से छुपा कर श्रीजी के तत्कालीन अधिकारी ने प्रभु सेवा के तीन लाख रुपये एक वृक्ष के नीचे गाड़ दिए थे तब श्रीजी ने स्वयं आपश्री को यह बात बतायी और आपने तुरंत रुपये मंगाकर श्रीजी को अर्पण कर दिए थे.

आज से श्रीजी में जन्माष्टमी की बड़ी बधाई बैठती भी है जिससे नवमी तक पिछवाई, गादी, तकिया आदि सर्व साज पर आगे की सफेदी नहीं चढ़ाई जाती है, तकिया लाल मखमल के आते हैं.
जड़ाव स्वर्ण के पात्र, चौकी, पडघा, शैयाजी आदि आते हैं.

मंगला दर्शन के उपरांत ठाकुरजी को चन्दन, आवंला, एवं फुलेल (सुगन्धित तेल) से अभ्यंग (स्नान) कराया जाता है.

श्रीजी प्रभु को नियम से रुपहली पठानी किनारी से सुसज्जित लाल मलमल का पिछोड़ा व श्रीमस्तक पर चिल्ला वाली पाग के ऊपर सादी मोरपंख की चन्द्रिका का श्रृंगार धराया जाता है.

गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से श्रीजी को केशरयुक्त जलेबी के टूक एवं दूधघर में सिद्ध की गयी केशरयुक्त बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है.
राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता, सखड़ी में मीठी सेव व केसरी पेठा का बिलसारु अरोगाया जाता है.

राजभोग दर्शन –

साज -

श्रीजी में आज लाल मलमल पर रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी के ऊपर सफेद और तकिया के ऊपर लाल मखमल बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है. पीठिका और पिछवाई के ऊपर रेशम के रंग-बिरंगे पवित्रा धराये जाते हैं.

वस्त्र -

श्रीजी को आज रुपहली पठानी किनारी से सुसज्जित लाल मलमल का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र पीले धराये गए हैं.

श्रृंगार –

प्रभु को आज वनमाला से दो अंगुल ऊंचा (चरणारविन्द तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है. उत्सव के मिलवा – हीरे, मोती, माणक, पन्ना, नीलम तथा जड़ाव स्वर्ण के आभरण व दुलड़ा धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर लाल चिल्ला वाली पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में हीरा के कुंडल धराये जाते हैं.
कली की माला धरायी जाती है. श्वेत पुष्पों की मालाजी एवं विविध प्रकार के रंग-बिरंगे पवित्रा मालाजी के रूप में धराये जाते हैं.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, हीरा के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट उत्सव का, गोटी जड़ाऊ व आरसी चार झाड़ की आती है.

जय श्री कृष्ण।
राधे राधे।
आपका दिन मंगलमय हो।


आज के मंगला दर्शन श्रावण शुक्ल पूर्णिमा रक्षा बंधन की बधाई।
09/08/2025

आज के मंगला दर्शन
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा
रक्षा बंधन की बधाई।

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