श्रीजी दर्शन

श्रीजी दर्शन श्रीनाथजी प्रभु नाथद्वारा के नित्य दर्शन, राग सेवा, भोग सेवा, श्रृंगार सेवा एवं नाथद्वारा के अन्य अपडेट के लिए हमारे इस पेज को फॉलो करे।

आज के मंगला दर्शन व्रज - आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा गुरुवार, 26 जून 2025
26/06/2025

आज के मंगला दर्शन

व्रज - आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा
गुरुवार, 26 जून 2025

व्रज - आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा गुरुवार, 26 जून 2025आज ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार है।राजभोग दर्शन –साज – आज श्रीजी में श्वेत मलम...
26/06/2025

व्रज - आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा
गुरुवार, 26 जून 2025

आज ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार है।

राजभोग दर्शन –

साज –

आज श्रीजी में श्वेत मलमल की पिछवाई धरायी गई है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की गई है.

वस्त्र –

आज प्रभु को बिना किनारी के श्वेत मलमल धोती पटका धराये हैं.

श्रृंगार –

प्रभु को आज छेड़ान का ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया गया है. आज सर्व आभरण मोती के धराये गए हैं.
श्रीमस्तक पर श्वेत मलमल की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, श्वेत मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ एवं बायीं ओर शीशफूल धराये गए हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी मोती के कर्णफूल धराये हैं.
पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी गई हैं
श्रीहस्त में कमलछड़ी, झीने लहरिया के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये गए हैं.
खेल के साज में पट ऊष्णकाल के राग-रंग का एवं गोटी छोटी हक़ीक की आती हैं.

आज के कीर्तन :

मंगला- तुम घन से हो घनश्याम
श्रृंगार - झूमक सारी हो तन गोरे
राजभोग - ता दिन ते मोहे अधिक
भोग - हरी हरी माधवे
आरती - मधुर ब्रज देश बस कीनो
शयन - कदम वन बिथन करत बिहार
पोढवे - झीनो पट दे ओट पौढ़े हरी।

जय श्री कृष्ण।
राधे राधे।
आपका दिन शुभ हो।

व्रज - आषाढ़ कृष्ण अमावस्याबुधवार, 25 जून 2025नित्यलीलास्थ तिलकायत श्री बड़े गिरिधारीजी महाराज (१८२५) का उत्सवआज नित्यलीला...
25/06/2025

व्रज - आषाढ़ कृष्ण अमावस्या
बुधवार, 25 जून 2025

नित्यलीलास्थ तिलकायत श्री बड़े गिरिधारीजी महाराज (१८२५) का उत्सव

आज नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री बड़े गिरिधारीजी महाराज (१८२५) का उत्सव है. आप सभी को आज के उत्सव की बहुत बहुत बधाई।
आपने अपने जीवनकाल में नाथद्वारा में श्रीजी के सुख हेतु एवं जनसुखार्थ गिरधर सागर आदि कई स्थानों का निर्माण करवाया.

आपके समय में नाथद्वारा के ऊपर मराठाओं आदि के आक्रमण के कारण आपने घसियार में श्रीजी का नूतन मंदिर सिद्ध करवा कर विक्रम संवत १८५८ में श्रीजी, श्री नवनीतप्रियाजी एवं श्री विट्ठलनाथजी को पधराये.
आप वहां अत्यधिक उल्लास व उत्साह से श्रीजी को सेवा, मनोरथ आदि करते थे. आपने घसियार में ही लीलाप्रवेश किया था.
आपके पुत्र श्री दामोदरजी ने श्रीजी को घसियार से विक्रम संवत १८६४ की फाल्गुन कृष्ण सप्तमी को पुनः वर्तमान खर्चभंडार के स्थान पर पाट पर पधराये.

व्रज - आषाढ़ कृष्ण अमावस्याबुधवार, 25 जून 2025नित्यलीलास्थ तिलकायत श्री बड़े गिरिधारीजी महाराज (१८२५) का उत्सवआज के कीर्तन...
25/06/2025

व्रज - आषाढ़ कृष्ण अमावस्या
बुधवार, 25 जून 2025

नित्यलीलास्थ तिलकायत श्री बड़े गिरिधारीजी महाराज (१८२५) का उत्सव

आज के कीर्तन -

मंगला - आवत काल की साँझ देखो
राजभोग - ठीक दुपहरीकी तपनमें भलेई
बधाई - श्री वल्लभ नन्दन रूप अनूप
आरती - ललित ब्रज देश
शयन- अरी हों तो या मग निकसी
मान - आज सुहावनी रात
पोढवे- प्रेम के पर्यंक पोढे

जय श्री कृष्ण।
राधे राधे।
आपका दिन शुभ हो।

आषाढ़ कृष्ण अमावस्यानित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री बड़े गिरधारीजी महाराज (१८२५) का उत्सव।मंगला दर्शन।
25/06/2025

आषाढ़ कृष्ण अमावस्या

नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री बड़े गिरधारीजी महाराज (१८२५) का उत्सव।
मंगला दर्शन।

व्रज - आषाढ़ कृष्ण अमावस्याबुधवार, 25 जून 2025नित्यलीलास्थ तिलकायत श्री बड़े गिरिधारीजी महाराज (१८२५) का उत्सवआज नित्यलीला...
25/06/2025

व्रज - आषाढ़ कृष्ण अमावस्या
बुधवार, 25 जून 2025

नित्यलीलास्थ तिलकायत श्री बड़े गिरिधारीजी महाराज (१८२५) का उत्सव

आज नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री बड़े गिरिधारीजी महाराज (१८२५) का उत्सव है.
आपने अपने जीवनकाल में नाथद्वारा में श्रीजी के सुख हेतु एवं जनसुखार्थ गिरधर सागर आदि कई स्थानों का निर्माण करवाया.

आपके समय में नाथद्वारा के ऊपर मराठाओं आदि के आक्रमण के कारण आपने घसियार में श्रीजी का नूतन मंदिर सिद्ध करवा कर विक्रम संवत १८५८ में श्रीजी, श्री नवनीतप्रियाजी एवं श्री विट्ठलनाथजी को पधराये.
आप वहां अत्यधिक उल्लास व उत्साह से श्रीजी को सेवा, मनोरथ आदि करते थे. आपने घसियार में ही लीलाप्रवेश किया था.
आपके पुत्र श्री दामोदरजी ने श्रीजी को घसियार से विक्रम संवत १८६४ की फाल्गुन कृष्ण सप्तमी को पुनः वर्तमान खर्चभंडार के स्थान पर पाट पर पधराये.

श्रीनाथजी का सेवाक्रम -

उत्सव होने से श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहरी (देहलीज) को हल्दी से लीपी जाती हैं एवं आशापाल की सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.

झारीजी में सभी समय यमुनाजल भरा जाता है. दो समय (राजभोग व संध्या) की आरती थाली में की जाती है.

आज के उत्सव नायक का जीवन अत्यंत सादगी पूर्ण होने से प्रभु को भी सादा वस्त्र, अधरंग (गहरे पतंगी) मलमल का आड़बन्द एवं गोल-पाग के श्रृंगार ही धराये जाते हैं.

गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में आज श्रीजी को केशरयुक्त जलेबी के टूक व दूधघर में सिद्ध की गयी केसरयुक्त बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है.
राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता व सखड़ी के मीठा में बूंदी प्रकार अरोगाये जाते हैं.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन (राग : सारंग)

ठीक दुपहरीकी तपनमें भलेई आये मेरे गेह l
भवन बिराजे बिंजना ढुराऊँ श्रम झलकत सब देह ll 1 ll
श्रमको निवारिये अरगजा धारिये जियतें टारिये और संदेह ll 2 ll
चतुर शिरोमनि याही तें कहियत ‘सूर’ सुफल करो नेह ll 3 ll

बधाई को कीर्तन – (राग : सारंग)

श्रीवल्लभ नंदन रूप अनूप स्वरुप कह्यो न जाई l
प्रकट परमानंद गोकुल बसत है सब जगत के सुखदाई ll 1 ll
भक्ति मुक्ति देत सबनको निजजनको कृपा प्रेम बरखत अधिकाई l
सुखमें सुखद एक रसना कहां लो वरनौ ‘गोविंद’ बलि जाई ll 2 ll

साज -

आज श्रीजी में अधरंग (गहरे पतंगी) रंग के मलमल की पिछवाई धरायी गई है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की गई है.

वस्त्र -

श्रीजी को आज अधरंग (गहरे पतंगी) रंग की मलमल का बिना किनारी का आड़बंद धराया गया है.

श्रृंगार -

प्रभु को आज छोटा कमर तक उष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया गया है.
आज सर्व आभरण हीरा के व उत्सव के धराएं गए हैं। ठाकुर जी के श्रीमस्तक पर अधरंग रंग की गोल-पाग के ऊपर रुपहली लूम की किलंगी और बायीं ओर शीशफूल धराया है. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये गए हैं.
प्रभु के श्रीकंठ में त्रवल के स्थान पर कुल्हे की कंठी धरायी गई है.
श्री गोवर्धन धरण प्रभु के श्री कंठ में आज पीले एवं श्वेत पुष्पों की दो मालाजी धरायी गई हैं, वही श्वेत पुष्पों की दो मालाजी हमेल की भांति भी धरायी गई है.
श्री वल्लभाधीश प्रभु के श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, सूवा वाले वेणुजी तथा एक वेत्रजी धराये गए हैं.
खेल के साज में आज पट ऊष्णकाल का व गोटी बड़ी हकीक की धराई है.

विशेष भोग सेवा –

भोग समय फीका के स्थान पर बीज-चालनी का घी में तला सूखा मेवा अरोगाया जाता है.
संध्या-आरती के ठोड़ के स्थान पर वारा में बूंदी के गोद के बड़े लड्डू अरोगाये जाते हैं.

आप सभी वैष्णव जन को नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री बड़े गिरिधारीजी महाराज (१८२५) के उत्सव की मंगल बधाई।

24/06/2025
"आज बने गिरिधारी दूलहे, चंदन की तन खोर करें ।सकल सिंगार बने मोतीनके, बिविध कुसुम की माला गरें।"व्रज – आषाढ़ कृष्ण चतुर्दश...
24/06/2025

"आज बने गिरिधारी दूलहे, चंदन की तन खोर करें ।
सकल सिंगार बने मोतीनके, बिविध कुसुम की माला गरें।"

व्रज – आषाढ़ कृष्ण चतुर्दशी
मंगलवार, 24 जून 2025

सेहरा का श्रृंगार,
सायं मोगरा की कली के श्रृंगार का मनोरथ

आज श्रीनाथजी को केसरी मलमल का पिछोड़ा, पटका, श्रीमस्तक पर दुमाला और मोती का सेहरा धराया है.

राजभोग दर्शन –

साज –

आज श्रीजी में सेहरा का श्रृंगार धराये श्री स्वामिनीजी, श्री यमुनाजी एवं मंगलगान करती व्रजगोपियों के सुन्दर चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धरायी है.
गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की है.

वस्त्र –

श्रीनाथजी को आज केसरी मलमल का पिछोड़ा व अन्तरवास का पटका धराया है.

श्रृंगार –

आज श्रीजी प्रभु को वनमाला का (चरणारविन्द तक) ऊष्णकालीन श्रृंगार धराया गया है. आज सर्व आभरण मोती के धराये गए हैं.
श्री गिरिराज धरण प्रभु के श्रीमस्तक पर केसरी मलमल के दुमाला के ऊपर मोती का सेहरा शोभित है एवं बायीं ओर शीशफूल धराये हैं.
आज कली आदि की मालाएं श्रीकंठ में धरायी हैं.
दायीं ओर सेहरे की मोती की चोटी धरायी गई है.
श्री गोवर्धन नाथ जी प्रभु के श्रीकर्ण में आज मोती के कुंडल धराये गए हैं.
आज श्रीजी प्रभु के श्री कंठ में विभिन्न पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी भी अंगीकार कराई गई हैं.
ठाकुर जी के श्रीहस्त में कमलछड़ी, गंगा जमुना के वेणुजी धराएं गए हैं एवं कटि पर वेत्रजी धराये गए हैं.
खेल के साज में पट गोटी ऊष्णकाल के राग-रंग के धराएं हैं.

सायं कली के श्रृंगार का मनोरथ –

आज सायं श्रीजी में मोगरा की कली के श्रृंगार का मनोरथ होगा.
इसमें प्रातः जैसे वस्त्र आभरण धराये हों, संध्या-आरती में उसी प्रकार के मोगरे की कली से निर्मित अत्यन्त सुन्दर व कलात्मक वस्त्र और आभरण धराये जाते हैं.

संध्या-आरती में मनोरथ के भाव से विविध सामग्रियाँ अरोगायी जाती है.
संध्या-आरती दर्शन के पश्चात ये सर्व श्रृंगार बड़े कर शैयाजी के पास पधराये जाते हैं.

आज के कीर्तन :

मंगला - बरस उघर गयो मेह।
श्रृंगार - ऐसी बहोरीया भावे।
राजभोग - आज बने गिरधारी दूल्हे चन्दन।
भोग- देख री देख राधा रवन।
संध्या आरती - चितेवो छाँड़ दे री राधा।
शयन - बैठे ब्रजराज कुंवर प्यारी संग।
पोढवे - पोढे हरी राधिका के संग।

🙏🏼जय श्री कृष्ण।
राधे राधे।
आपका दिन शुभ हो।

Address

Nathdwara

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when श्रीजी दर्शन posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to श्रीजी दर्शन:

Share