10/08/2025
🚩नाथद्वारा में स्वर्णयुग के दाता नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज का प्राकट्योत्सव, स्वर्ण का हिंडोलना🚩
♦️जय श्रीकृष्ण, राधे राधे♦️
आज भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा, रविवार, 10 अगस्त 2025 है। आज श्रीनाथजी में नाथद्वारा के स्वर्णयुग दाता नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज का उत्सव है।
आप सभी को नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराजश्री के उत्सव की अनेकानेक मंगल बधाईयाँ।
🔹उत्सवनायक का जीवन परिचय🔹
◆ नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज का जन्म श्री गिरिधारीजी के यहाँ विक्रम संवत 1917 में हुआ। विक्रम संवत 1932 में आप पुष्टिमार्ग की प्रधान पीठ श्रीनाथजी में तिलकायत पद पर गद्दी पर आसीन हुए।
◆ श्रीनाथ जी की सेवा एवं नाथद्वारा के अभ्युदय में आपश्री का योगदान अत्यंत सराहनीय रहा है। आप के काल को नाथद्वारा का स्वर्णयुग कहा जाता है।
◆ आपश्री के अथक प्रयासों से व्रज में गौवध बंद हुआ एवं कई गौशालाएँ प्रारंभ की गई।
◆ तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज ने श्रीजी के विविध मनोरथ किए और बारह मास के आभूषण, वस्त्र, श्रृंगार, कीर्तन आदि के नियमों की प्रणालिका को पुनः परिभाषित किया तथा श्रीजी में आपके काल में ही कीर्तनों में सारंगी का वादन प्रारंभ हुआ।
◆ आपने प्रभु सुख हेतु सोने का बंगला, सोने का पलना एवं सोने का हिंडोलना निर्मित करवाया और जडाऊ साज, जडाऊ चौखटा, जड़ाव के मुकुट, कांच, चन्दन आदि के बंगले, दीवालगरी, पिछवाई एवं ऋतु अनुसार सुन्दर कलात्मक साज आदि सिद्ध कराए।
◆ वर्षपर्यंत श्रीजी के अभ्यंग, श्रृंगार एवं सामग्री निश्चित करके आपने प्रभु के सुख के विचार से भोग, राग एवं श्रृंगार की वृद्धि की।
◆ श्री गोवर्धनलालजी महाराज का नाथद्वारा नगर के अभ्युदय में भी अति विशेष योगदान रहा है। आपने नाथद्वारा में बनास नदी के ऊपर पुल, हायर सेकेंडरी स्कूल, हॉस्पिटल, धर्मशालाएं, विभिन्न बाग़-बगीचे, औषधालय, गोवर्धन मंडान, श्री नवनीतप्रियाजी का बगीचा, बैठक का बगीचा आदि ऐतिहासिक निर्माण कार्य करवा कर नगर के समग्र विकास की नीव रखी।
◆ आपने श्री जगन्नाथ पुरी में महाप्रभुजी की बैठक प्रकट कर सेवा व्यवस्था प्रारंभ की। विक्रम संवत 1990 में अश्विन शुक्ल द्वितीया के दिन आपने नित्यलीला में प्रवेश किया।
★☆★आज का विशिष्ट सेवाक्रम ★☆★
◆ उत्सव होने के कारण श्रीनाथ जी के मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहलीज को हल्दी से लीपा जाता है तथा द्वारों पर आशापाल की सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती है।
◆ आज चारों समय अर्थात मंगला, राजभोग, संध्या व शयन में आरती थाली में की जाती है।
◆ आज दीवालगिरी, मुड्ढा, पेटी आदि का साज केसरी आता है, वहीँ तकिया लाल कलात्मक काम वाले आते हैं।
◆ आज श्रीजी को नियम से मुकुट-काछनी का श्रृंगार धराया जाता है।
◆ आज गोपीवल्लभ अर्थात ग्वाल के भोग में विशेष रूप से श्रीजी को केशरयुक्त जलेबी के टूक एवं दूधघर में सिद्ध की गयी केशरयुक्त बासोंदी की हांडी अरोगाई जाती है। राजभोग में अनसखड़ी में दाख का रायता, सखड़ी में मीठी सेव, केसरी पेठा व छहभात (मेवा-भात, दही-भात, राई-भात, श्रीखंड-भात, वड़ी-भात और नारंगी भात) अरोगाए जाते हैं। भोग समय अरोगाए जाने वाले फीका के स्थान पर घी में तले बीज चालनी के सूखे मेवे अरोगाए जाते हैं।
◆ आज राजभोग दर्शन में पिछवाई बड़ी करदी जाती है, राजभोग से संध्या-आरती तक में प्रभु सोने के बंगले में विराजते हैं।
◆ श्री नवनीतप्रियाजी भी आज प्रातः सोने के पलना में झूलते हैं, राजभोग में सोने के बंगले में विराजित हो दर्शन देते हैं और संध्या-आरती में अपने घर सोने के हिंडोलने में झूल कर श्री नवनीतप्रियाजी श्रीजी में पधारते हैं, शीतल अरोगते हैं और श्रीजी की गोद में विराजित हो उत्सव भोग अरोगते हैं। उनको धुप, दीप, तुलसी समर्पित की जाती है।
◆ उत्सव भोग अरोगे उपरांत श्री नवनीतप्रियाजी और श्री मदनमोहनजी डोल-तिबारी में सोने के हिंडोलना में झूलते हैं।
◆ उत्सव भोग में प्रभु को विशेष रूप से भीगी हुई चने की दाल की मोहनथाल, केशरी मनोहर (इलायची-जलेबी) के लड्डू, केशर-युक्त घेवर, केशर-युक्त खोवा के गुंजा (मावा का मीठा मसाला भरे), केशर-युक्त चन्द्रकला (सूतर फेनी), दूधघर की मेवाबाटी, मूंग दाल के गुंजा, उड़द दाल की कचौरी, घी में तले काबुली चना, चना-दाल, फीकी सेव, दहीवडा, पांच प्रकार के शाक-आदि, मोयन की खस्ता पूड़ी, दूधघर में सिद्ध मावे के पेड़ा-बरफी, दूधपूड़ी (मलाई पूड़ी), केशर-युक्त बासोंदी, जीरायुक्त दही, खोया, मलाई, माखन, मिश्री, पतली पूड़ी, केशर-युक्त खीर, घी में तले बीज-चालनी के सूखे मेवे, विविध प्रकार के संदाना (आचार), विविध प्रकार के फलफूल और शीतल आदि अरोगाए जाते हैं।
🚩श्रीनाथजी का आज का श्रृंगार दर्शन🚩
◆आज की साज सेवा में श्रीनाथजी में अष्टसखी के भाव से व्रज की गोपीजनों के चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धराई जाती है। गादी, तकिया के ऊपर लाल मखमल बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है।
◆ आज की वस्त्र सेवा में श्रीनाथ जी ठाकुर जी को केसरी मलमल पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, काछनी एवं गाती का पटका धराया जाता है।
◆ आज ठाड़े वस्त्र श्वेत जामदानी (चिकन) के धराए जाते हैं।
◆ आभरण श्रृंगार में आज प्रभु श्री वल्लभाधीश ठाकुर जी को वनमाला का अर्थात चरणारविन्द तक का भारी श्रृंगार धराया जाता है।
◆ श्रीजी के आज के श्रृंगार में सर्व आभरण हीरे के धराए जाते हैं। आज कली, कस्तूरी और कमल माला धराई जाती है। आज दो हार पाटन वाले धराए जाते हैं।
◆ प्रभु के श्रीमस्तक पर टंकमां हीरा की टोपी व मुकुट तथा बाई ओर शीशफूल धराए जाते हैं।
◆ प्रभु श्रीनाथजी के श्रीकर्ण में हीरे के मयुराकृति कुंडल धराए जाते हैं।
◆ आज श्वेत पुष्पों की एवं लाल गुलाब की थागवाली मालाजी धराई जाती हैं।
◆ श्रीजी के श्रीहस्त में कमलछड़ी, हीरे के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराए जाते हैं। खेल के साज में पट केसरी, गोटी राग-रंग की आती है। आरसी श्रृंगार में चार झाड़ की एवं राजभोग में सोने की डाँडी की आती हैं।
◆ अन्य सब सेवा नित्य क्रम की होती है।
🎹आज की राग सेवा - आज के कीर्तन🪈
◆ मंगला दर्शन कीर्तन - प्रथम हि भादो मास अष्टमी।
◆ राजभोग दर्शन कीर्तन –
सब ग्वाल नाचे गोपी गावे। प्रेम मगन कछु कहत न आवे ।।1 ।।
◆ हिंडोरा के कीर्तन -
1. आज लाल झुलत रंग भरे हो ।
2. राधे झुलत रमक झमक।
3. झूलत गिरधर लाल हिंडोरे।
4. आज लाल झूलत रंग भरे।
5. जमुना तट नव सघन कुञ्ज।
6. ए दोऊ झुलत कुंज कुटीर।
7. ए दोऊ बाह जोटि किए।
8. झोटा तरल भये सो तू राख ले री।
◆ शयन दर्शन कीर्तन - भादो की अंधियारी।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
जय श्रीकृष्ण।
राधे राधे।
आपका दिन शुभ हो।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹