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यमराज का दूसरा जन्म विदूर जी का था जो हस्तिनापुर में एक दासी के गर्भ से जन्मे थे. यमराज जी को एक ऋषि ने शाप दिया था. इसक...
04/03/2024

यमराज का दूसरा जन्म विदूर जी का था जो हस्तिनापुर में एक दासी के गर्भ से जन्मे थे. यमराज जी को एक ऋषि ने शाप दिया था. इसके पीछे की कथा बहुत ही दिलचस्प है. यदि आप जानने चाहेंगे तो मैं अवश्य ही यहाँ पोस्ट करना चाहूँगा........
ऋषि मांडच्य दवारा यमराज को श्राप
महा-भारत काल के समय एक बहुत ही तेजस्वी और प्रतापी ऋषि हुआ करते थे जिनका नाम था ऋषि मांडव्य... ऋषि मांडव्य ने अपने जीवन काल में कोई भी पाप कर्म नहीं किया था इसलिए अब वो मोक्ष की तैयारी में जुड़ गए थे... मगर इसी बीच एक दिन ऋषि मांडव्य के आश्रम में जब उनके शिष्यों ने पौधे लगाने के लिए ज़मीन की खुदाई की तो आश्रम की ज़मीन से बहुत सारा सोना निकलने लगा...जब ये बात राजा तक पहुंची तो उन्होंने ऋषि मांडव्य को पूर्व काल का डाकू समझकर पकड लिया... राजा ने ऋषि मांडव्य को प्रजा के सामने ही सूली पर चढाने का का आदेश दे दिया... किन्तु जल्लाद ने जितनी बार भी ऋषि मांडव्य को फांसी देनी चाही ऋषि मांडव्य मरे नहीं...फिर राजा को अपनी भूल का आभास हुआ और उन्होंने ऋषि के पैर पकड़कर उनसे क्षमा याचना कर ली.....मगर अब इधर ऋषि मांडव्य कुपित होकर काल देव के पास पहुँच गए और उनसे जानना चाहा कि उन्होंने जीवन में कभी कोई पाप नहीं किया फिर ऐसी अपमान की परिस्थिति क्यूँ बन गयी उनके साथ..? तब यमराज ने ऋषि मांडव्य को उस वक़्त का काल दिखाया जब वे १२ वर्ष के थे और उन्होंने खेल खेल में एक फतिंगे की पूँछ में सीक डालकर उसे उड़ाया था... काल देव के अनुसार ये उसी पाप का दंड था .. किन्तु ऋषि मांडव्य इसे पाप नहीं मानते क्यूंकि उस उम्र में बालक को पाप और
पुण्य का ज्ञान नहीं होता... ऋषि मांडव्य इसी बात से कुपित होकर काल देव को एक दासी के गर्भ से नीच जाती में जन्म लेने का श्राप दे देते हैं...कालान्तर में वही यमराज, नीतिवान विदूर के रूप में एक दासी के गर्भ से जन्म लेते हैं...
द्वापर युग में धरती पर ऐसा कोई नहीं था जो लोगों को निति -अनीति का ज्ञान देकर उन्हें उचित मार्ग पर लाते.. यमराज ने विदूर के रूप में हस्तिनापुर में जन्म लेकर उसी कमी को पूरा किया और उनकी विदूर नीतियाँ संसार भर में प्रसिद्ध हुई....

Holi ka Dahan 2024: जानें कब हैं होली का मुहूर्त पूजा विधि और पकवान के बारें में...Holi ka Dahan 2024: होली का हर सनातनी...
04/03/2024

Holi ka Dahan 2024: जानें कब हैं होली का मुहूर्त पूजा विधि और पकवान के बारें में...
Holi ka Dahan 2024: होली का हर सनातनी के जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान हैं चाहें बुजुर्ग हो जवान हो या बच्चा हो होली का त्यौहार आते ही मन प्रफुल्लित हो उठता हैं। बसंत का महीना लगने के बाद से ही इसका इंतजार शुरू हो जाता हैं। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता हैं और इसके अगले दिन होली मनाईं जाती हैं।

1. होली कब हैं:- ( When Is Holi )
हिंदू पंचांग के अनुसार- पूर्णिमा तिथिफाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और इसके अगले दिन चैत्र प्रतिपदा को रंगों वाली होली मनाईं जाती हैं। इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा।
2. होलिका दहन के लियें शुभ मुहूर्तं:- ( Auspicious Time For Holika Dahan )
Holi ka Dahan 2024: जयपुर शहर के ज्योतिष श्री रमेश कुमार शर्मा के अनुसार- 24 मार्च 2024 को होलिका दहन हैं, इस दिन होलिका दहन के लियें शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक हैं। ऐसे में होलिका दहन के लियें आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा। होलिका दहन के अगले दिन होली मनाईं जाती हैं, इसलिये इस साल 25 मार्च 2024 को होली का त्यौहार हैं। इस दिन पूरे भारतवर्ष में होली का त्यौहार बड़े धूमधाम मनाया जायेगा।
3. होलिका दहन पूजा की विधि:-( Method Of Holika Dahan Puja )
होलिका दहन पूजा विधि- फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन से पहले होलिका माई की विधिवत पूजा होती हैं।
1. इस दिन सूर्योदय से पहले उठें होलिका दहन की पूजा करने के लियें सबसे पहले स्नान करना जरूरी हैं और स्नान के बाद साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
2. शाम को होलिका दहन के स्थान पर पूजा की थाल लेकर जायें यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। 3. वहीं पूजा की सामग्री के लिए रोली, फूल, फूलों की माला, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, 5 से 7 तरह के अनाज (सतनाजा), गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाये और एक लोटे में पानी रख लें।
4. इसके बाद होलिका पर एक कलावा बांधते हुयें इन सभी पूजन सामग्री के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा करें। मिठाइयां और फल चढ़ाएं।
5. होलिका की पूजा के साथ ही भगवान नरसिंह की भी विधि-विधान से पूजा करें और फिर होलिका के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें।
6. अंत में जल चढ़ाकर होलिका माईं से सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें।
7. होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें इसके अलाव में नईं फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। 8. भुने हुयें अनाज को लोग घर लेकर आते हैं और प्रसाद के रूप में उसे वितरित करें ।
9. होलिका दहन होने के बाद जले हुयें उपले भी घर लाकर सारे घर में इसकी धूआँ सभी जगह ले जायें इसे घर में सुख शांति आती हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया हैं।
Holi ka Dahan 2024: जानें कब हैं होली का मुहूर्त पूजा विधि और पकवान के बारें में...
Holi ka Dahan 2024: होली का हर सनातनी के जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान हैं चाहें बुजुर्ग हो जवान हो या बच्चा हो होली का त्यौहार आते ही मन प्रफुल्लित हो उठता हैं। बसंत का महीना लगने के बाद से ही इसका इंतजार शुरू हो जाता हैं। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता हैं और इसके अगले दिन होली मनाईं जाती हैं।



Holi ka Dahan 2024: जानें कब हैं होली का मुहूर्त पूजा विधि और पकवान के बारें में...
होली का आपना एक पारंपरिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व होता हैं। समूचे भारतवर्ष में इसका अलग ही हर्षोंउल्लास और उत्साह देखने को मिलता हैं। होली का त्यौहार आपसी प्रेम सद्भावना और भाईचारे का उत्सव हैं। इस दिन लोग एक दूसरे को रंगों में सराबोर करते हैं।
Holi ka Dahan 2024: होली हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौहार हैं हिंदू धर्म के अनुसार होलिका दहन को बुराईं पर अच्छाईं की जीत का प्रतीक माना गया हैं। होली के पर्व में गुझिया और पकवान बनते हैं। लोग एक दूसरे के घर जाकर रंग-गुलाल लगाते हैं और होली की शुभकामनाएं देते हैं। लेख में आगें बढ़ते हुए हम आपको बताते हैं वर्ष 2024 में होली का त्यौहार कब हैं और इसका शुभ मुहूर्त क्या हैं और इसकी पूजन विधि क्या हैं।



1. होली कब हैं:- ( When Is Holi )
हिंदू पंचांग के अनुसार- पूर्णिमा तिथिफाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और इसके अगले दिन चैत्र प्रतिपदा को रंगों वाली होली मनाईं जाती हैं। इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा।
2. होलिका दहन के लियें शुभ मुहूर्तं:- ( Auspicious Time For Holika Dahan )
Holi ka Dahan 2024: जयपुर शहर के ज्योतिष श्री रमेश कुमार शर्मा के अनुसार- 24 मार्च 2024 को होलिका दहन हैं, इस दिन होलिका दहन के लियें शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक हैं। ऐसे में होलिका दहन के लियें आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा। होलिका दहन के अगले दिन होली मनाईं जाती हैं, इसलिये इस साल 25 मार्च 2024 को होली का त्यौहार हैं। इस दिन पूरे भारतवर्ष में होली का त्यौहार बड़े धूमधाम मनाया जायेगा।
3. होलिका दहन पूजा की विधि:-( Method Of Holika Dahan Puja )
होलिका दहन पूजा विधि- फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन से पहले होलिका माई की विधिवत पूजा होती हैं।
1. इस दिन सूर्योदय से पहले उठें होलिका दहन की पूजा करने के लियें सबसे पहले स्नान करना जरूरी हैं और स्नान के बाद साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
2. शाम को होलिका दहन के स्थान पर पूजा की थाल लेकर जायें यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। 3. वहीं पूजा की सामग्री के लिए रोली, फूल, फूलों की माला, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, 5 से 7 तरह के अनाज (सतनाजा), गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाये और एक लोटे में पानी रख लें।
4. इसके बाद होलिका पर एक कलावा बांधते हुयें इन सभी पूजन सामग्री के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा करें। मिठाइयां और फल चढ़ाएं।
5. होलिका की पूजा के साथ ही भगवान नरसिंह की भी विधि-विधान से पूजा करें और फिर होलिका के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें।
6. अंत में जल चढ़ाकर होलिका माईं से सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें।
7. होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें इसके अलाव में नईं फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। 8. भुने हुयें अनाज को लोग घर लेकर आते हैं और प्रसाद के रूप में उसे वितरित करें ।
9. होलिका दहन होने के बाद जले हुयें उपले भी घर लाकर सारे घर में इसकी धूआँ सभी जगह ले जायें इसे घर में सुख शांति आती हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया हैं।



4. होली पर बनने वाले पकवान:- (Holi Dishes)
होली हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौहार हैं। हिंदू धर्म के अनुसार होलिका दहन को बुराईं पर अच्छाईं की जीत का प्रतीक माना गया हैं। होली के पर्व में सभी घर में नाना प्रकार के पकवान तैयार किये जाते हैं जिसमें से प्रमुख हैं - गुझिया, चंद्रकला, चूरमा, चूरमे के लड्डू, अखरोट की बर्फी, आटे के लड्डू, बेसन के लड्डू, शाही टुकड़ा, गुलाब जामुन, दही सोंठ के बताशे, काजी के बड़े, लोबिया के कबाब, पापड़ी चाट, समोसा, दही की गुझिया, नींबू की शिकंजी, ठड़ाई, मिंट मिस्टरी और क्रीमी फेनेदार काॅफी आदि..
विशेष विवरण ➡ इस साल होली का त्यौहार बेरंग हो सकता हैं, हिन्दू पंचाग के अनुसार होली के दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला हैं। ये चंद्र ग्रहण कन्या राशि में होने जा रहा हैं जोकि 25 मार्च 2024 के दिन ही हैं ये चंद्र ग्रहण प्रातः 10 बजकर 24 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 01 मिनट तक रहेंगा अर्थात चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 36 मिनट की रहेंगी। हालांकि यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाईं नहीं देगा इसलिये इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा इसमें पूजा-पाठ, शुभ व मांगलिक कार्य भी बाधित नहीं होंगे यह चंद्र ग्रहण उत्तर-पूर्व एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जापान, रूस, आयरलैंड, इंग्लैंड, स्पेन, पुर्तगाल, इटली, प्रशांत, अटलांटिक और आर्कटिक महासागर जैसी जगहों से दिखाई पड़ेगा।
नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
CONCLUSION-आज हमनें हमारें लेख- Holi Ka Dahan 2024: के माध्यम से जाना कि होली कब हैं होली का मूहूर्त क्या हैं, पूजा की विधि और होली पर कौन कौन से पकवान घरों में बनायें जातें हैं ये सभी के बारें में आज इस लेख के माध्यम से जाना।

में भगवान विष्णु के जन्म से जुड़ी कथा के अनुसार चिरकाल में भगवान शिव और देवी पार्वती की यात्रा कर रहे थे।तभी शिव जी के म...
04/03/2024

में भगवान विष्णु के जन्म से जुड़ी कथा के अनुसार चिरकाल में भगवान शिव और देवी पार्वती की यात्रा कर रहे थे।
तभी शिव जी के मन में यह विचार आया कि इस भूमंडल में कोई दूसरा व्यक्ति भी होना चाहिए।
यह सुनकर आदि शक्ति ने भगवान शिव से कहा कि हे!
प्रभु आपको फिर अपने विचार में किस प्रकार का संशय है?
आप इस दुनिया के बारे में पूरी जानकारी के लिए इस दुनिया के बारे में विचार कर रहे हैं।
शिव जी ने आदि शक्ति के विचार को सुनकर अपने वामांग पर अमृत का स्पर्श किया।
अमृत ​​स्पर्श करने के बाद एक पुरुष की उत्पत्ति हुई जिसने पूरी दुनिया को पलभर में ही प्रकाशमय कर दिया।
इस तरह दुनिया में हुई भगवान विष्णु की उत्पत्ति।
Jai shree ram 🚩🚩

कम से कम सोशल मीडिया पर तो आप लोग अपने मंदिरों का प्रचार कीजिये ।हमारे सौराष्ट्र के समुद्र तट पर स्थित भगवान श्री कृष्ण ...
04/03/2024

कम से कम सोशल मीडिया पर तो आप लोग अपने मंदिरों का प्रचार कीजिये ।
हमारे सौराष्ट्र के समुद्र तट पर स्थित भगवान श्री कृष्ण का मंदिर
(श्री द्वारिकाधीश मंदिर, गुजरात)
अगर इसे मुगलों ने बनवाया होता तो यह हमारे इतिहास की किताबों में पहले पन्ने पर होता।
ताजमहल से लाख गुना सुंदर और आकर्षक है .. !!
भारतीय शिल्प कला का अद्भुत नमूना है .. !!
संपूर्ण हिन्दू पौराणिक कथाओं के शिल्प है ...!!
पर अफ़सोस
देश इसके बारे में कहाँ जानता है। ये दुनिया की सबसे श्रेष्ठ वास्तु है।
अद्भुत....!! 🙏🚩🙏

04/03/2024
03/03/2024

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01/12/2023

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