Silsila Kahaniyon Ka

Silsila Kahaniyon Ka Life is a game and true love is a trophy.

Ek Hawa Ka Jhonka Chu Kar Gaya Mujhe,
Aur De Gaya Teri Meethi Yaadien,

Woh Sabhi Mulakate Woh Sabhi Baatein,
Woh Muskurate Pal,Woh Khilkhilate Lamhe,

Woh Sabhi Ishare,Jo Kabhi Aankhon Se Hue,
To Kabhi Chehre Ke Bhavon Se,

Woh Mera Roothna,Woh Tera Manana,Woh Sharartein,
Woh Ehsaas Jise Main Bayan Nahin Kar Sakta,

Woh Tera Paas Aana,Aur Meri Saanson Ka Ruk Jaana,
Woh Dhadkanon Ka Tez Ho Jaana,

Phir Tere Jaane Se Dil Ke Phool Ka Murjhana,

Main Nahin Jaanta Tu Ab Kahan Hai,
Par Ek Aas Si Hai Dil Mein,Ki Ek Din Tu Vapas Aayegi Jarur,

Aur Kahegi Mujhse Woh Baat,
Jo Main Humesha Se Sunna Chahta Tha,

Ek Hawa Ka Jhonka Chu Kar Gaya Mujhe...!!

06/08/2025

जब बच्चों ने थाली में सिर्फ सब्ज़ी देखी, तब पिता ने उसमें संघर्ष, समर्पण और सफलता देखी

05/08/2025
ज़ख़्म उनके लिए मेहमान हुआ करते हैंमुफ़लिसी जो तेरे दरबान हुआ करते हैंवो अमीरों के लिए आम सी बातें होंगीहम ग़रीबों के जो ...
05/08/2025

ज़ख़्म उनके लिए मेहमान हुआ करते हैं
मुफ़लिसी जो तेरे दरबान हुआ करते हैं

वो अमीरों के लिए आम सी बातें होंगी
हम ग़रीबों के जो अरमान हुआ करते हैं...।।

02/08/2025

दुकान पर दिखने वाला छोटू अब बड़ा हो गया था ।।

एक वो दौर था जब बिटिया के विवाह की रस्में  तेल, हल्दी और मेहंदी से उसके रुप को प्राकृतिक तरीके से निखारने के लिए निभाई ज...
25/07/2025

एक वो दौर था जब बिटिया के विवाह की रस्में तेल, हल्दी और मेहंदी से उसके रुप को प्राकृतिक तरीके से निखारने के लिए निभाई जाती थी। ऊस दौर में 2-3 महीनों पहले से नाउन काकी को लगा दिया जाता था ताकि बिटिया का सौंदर्य निखर जाये इसलिये नाउन काकी बिटिया की मालिश हल्दी आटे या फिर सरसों का बुकुआ (उबटन) लगाना शुरू कर देती थी।

लगन लगी बिटीया का घर से या कहिए कमरे से भी बाहर निकलने की मनाही हो जाती थी..........उस दौर में मात्र हल्दी चन्दन के लेप से ही बिटिया के सौंदर्य मे निखार आता था ............जो कि आज कल के मंहगे फेशियल की 10 सेटिंग या स्किन ट्रिटमेंट से भी नहीं हो पाती है...........ऊस दौर की बात करूं तो लगन लिखे जाने की रस्म के बाद ही बिटिया रो रो कर बेहाल हो जाया करती थी और सुखकर एकहरी बदन की हो जाया करती थी...........

विवाह लगते ही बिटिया को बिदा करनें के लिये संदूक भरी जाती थी जिसमें उस दौर के ट्रेंडिग साड़ियां, श्रृंगार के सामान, चूड़ियां, कुछ गहनें और साथ में खानें पीनें की भी चीजे होती थीं...............गांवों में तो सिर्फ साड़ियों का ही प्रचलन था मजाल है जो गांव की लड़कियां ससुराल में समीज सलवार पहन लें...........इसलिये बक्से में सिर्फ साड़िया ही मिलती थी बिटिया को.............मंडप में पहली बार बिटीया को चुनरी और पीयरी में लिपटी देख कभी मां-बाबा की पलकें न झपकती तो कभी नजर ना लग जाये इसलिये मां नजर भी उतार देती तो कभी आंखों से झर झर आंसू बहनें लगते कि बिटीया आज के बाद पराई धन हो गई........फेरे के बाद बिटिया की सिंदुर से भरी मांग, सोलह श्रृंगार से सजा एक नया रुप देखकर माता-पिता की आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं लेते थे और बिटिया भी मां पिता से नज़र मिलते ही रह रहकर लाज से सिकुड़ती जाती तो कभी इधर तो कभी उधर छिप छिपकर सुबकती रहती.......... मंडप के नीचे भात लेती मां, कनहर लेते मामा,पैरों में बिछिया पहनाती भाभी और सभी रस्में निभाते रिश्तेदार बेहद ही भावुक रहते थे कि उन सबकी लाडली बिट्टो अब बस पराई हो जाएगी।

उस दौर में तब वीडियोग्राफी का इतना चलन नहीं था और था भी तो बस शहरों तक सिमीत था....गांवों में गाहे बिछुले कभी कभार दिखनें को मिलती थी...........बस यादों को सहेज कर रखने के लिए कैमरे का उपयोग होता था.....आज तो लगता है सारी की सारी रस्में बस कैमरे के लिए ही की जा रही है..... कोरियोग्राफर ,थीम और इवेंट मैनेजमेंट ये सब तमाम तरह के चोंचले कर महज़ औपचारिकता निभाते जिसमें हल्दी की रस्म में हल्दी चेहरे पर छुआने भर से भी परहेज रखा जाता है........

वो एक खूबसूरत दौर था जब विवाह और सगाई से जुड़ी हर रस्म को सच्चे दिल निभाई जाती थी......हर रस्म को शुभ और अशुभ के तराजू में तौलकर किया जाता था.....बिटिया को मजाल है काले रंग का कोई चीज दे दिया जाये .......बस लाल रंग की बिदाई की साड़ी, लाल रंग की हाथ भर भरकर चुड़ियां, लाल बिंदी, लाल लिपस्टिक, लाल महावर से रंगे पैर, हर चीज लाल रंग से सजाया जाता था जैसे कोई लाल रंग की गुड़िया........और आज के दौर में तो सब कुछ आर्टिफिसियल सा हो गया है, विवाह से लेकर विदाई तक कि रस्में सिर्फ कैमरा के लिए होती है ..........मंडप में भी ........... पहले के दौर में लोग शुभ लगन और शुभ समय में विवाह करवाते थे ताकि बिटिया का जीवन सदैव सुखद रहे लेकिन आजकल दिखावे और चकाचौंध के चक्कर में जैसे सिर्फ औपचारिकतायें ही निभाई जाती हैं...............

मेक-अप की परतों में छुपी लड़की चाहते हुये भी आँसू नहीं बहा सकती क्यूंकी इतना मंहगा मेकअप जो खराब होने का डर होता है ........बस ऊं आ ऊं आ करते बिदा हो जाती हैं ङर आजकल तो हंसते हंसते भी बिदा हो जाती हैं..........और उस दौर में विवाह के समय बिटीया के कमर से नीचे तक के लंबे सिल्की घने बालों और साईड फ्लिक को जबरन पिन खोंस कर बीच की मांग भराती लड़की का दिल अपने पसंदीदा हेयर स्टाइल के बिगड़ने का मलाल न करते दूर बैठे अपने भावी जीवन साथी की तिरछी नज़रों से शर्माकर लाज से दोहरा हुआ जाता था .......बिटिया की बिदाई के समय पूरा आंगन जैसे रो उठता था.....वहां मौजूद हर शख्स की आंखें झर झर कर बह जाती थी बरबस ......बिटीया की रूदन कलेजा फाड़ने वाली होती और हर रोती आवाज से लगता जैसे मां-बाबा मत बिदा करो मुझे इस डेहरी से नहीं तो मैं आज के बाद पराई धन हो जाऊंगी........
लेकिन कहां कोई माननें वाला था......हृदय की पीड़ा को किनारे करते हुये मां-बाबा बिटिया को समझा बुझाकर अंत में बिदा ही कर देते थे.........

वो दौर ही अलग था....वो समय ही अलग था..........वो लोग भी अलग थे .....वो सगाई विवाह का आयोजन ही अलग था.....तब लम्हे रील नहीं रीयल थे है ना ?????

जो बीत गया है वो.....
अब दौर ना आयेगा....।।

13/07/2025

वो लड़के जो आँसू नहीं बहाते, पर सबका बोझ उठाते हैं | एक लड़के की अनकही कहानी | Silsila Kahaniyon Ka

06/07/2025

आखिर सुखी कौन?" — एक सोच बदल देने वाली कहानी

कालिदास बोले :- माते पानी पिला दीजिए बड़ा पुण्य होगा.स्त्री बोली :- बेटा मैं तुम्हें जानती नहीं. अपना परिचय दो।मैं अवश्य...
03/07/2025

कालिदास बोले :- माते पानी पिला दीजिए बड़ा पुण्य होगा.
स्त्री बोली :- बेटा मैं तुम्हें जानती नहीं. अपना परिचय दो।
मैं अवश्य पानी पिला दूंगी।
कालिदास ने कहा :- मैं पथिक हूँ, कृपया पानी पिला दें।
स्त्री बोली :- तुम पथिक कैसे हो सकते हो, पथिक तो केवल दो ही हैं सूर्य व चन्द्रमा, जो कभी रुकते नहीं हमेशा चलते रहते। तुम इनमें से कौन हो सत्य बताओ।

कालिदास ने कहा :- मैं मेहमान हूँ, कृपया पानी पिला दें।
स्त्री बोली :- तुम मेहमान कैसे हो सकते हो ? संसार में दो ही मेहमान हैं।
पहला धन और दूसरा यौवन। इन्हें जाने में समय नहीं लगता। सत्य बताओ कौन हो तुम ?
(अब तक के सारे तर्क से पराजित हताश तो हो ही चुके थे)

कालिदास बोले :- मैं सहनशील हूं। अब आप पानी पिला दें।
स्त्री ने कहा :- नहीं, सहनशील तो दो ही हैं। पहली, धरती जो पापी-पुण्यात्मा सबका बोझ सहती है। उसकी छाती चीरकर बीज बो देने से भी अनाज के भंडार देती है, दूसरे पेड़ जिनको पत्थर मारो फिर भी मीठे फल देते हैं। तुम सहनशील नहीं। सच बताओ तुम कौन हो ?
(कालिदास लगभग मूर्च्छा की स्थिति में आ गए और तर्क-वितर्क से झल्लाकर बोले)

कालिदास बोले :- मैं हठी हूँ ।
स्त्री बोली :- फिर असत्य. हठी तो दो ही हैं- पहला नख और दूसरे केश, कितना भी काटो बार-बार निकल आते हैं। सत्य कहें ब्राह्मण कौन हैं आप ?
(पूरी तरह अपमानित और पराजित हो चुके थे)

कालिदास ने कहा :- फिर तो मैं मूर्ख ही हूँ ।
स्त्री ने कहा :- नहीं तुम मूर्ख कैसे हो सकते हो।
मूर्ख दो ही हैं। पहला राजा जो बिना योग्यता के भी सब पर शासन करता है, और दूसरा दरबारी पंडित जो राजा को प्रसन्न करने के लिए ग़लत बात पर भी तर्क करके उसको सही सिद्ध करने की चेष्टा करता है।
(कुछ बोल न सकने की स्थिति में कालिदास वृद्धा के पैर पर गिर पड़े और पानी की याचना में गिड़गिड़ाने लगे)

वृद्धा ने कहा :- उठो वत्स ! (आवाज़ सुनकर कालिदास ने ऊपर देखा तो साक्षात माता सरस्वती वहां खड़ी थी, कालिदास पुनः नतमस्तक हो गए)
माता ने कहा :- शिक्षा से ज्ञान आता है न कि अहंकार । तूने शिक्षा के बल पर प्राप्त मान और प्रतिष्ठा को ही अपनी उपलब्धि मान लिया और अहंकार कर बैठे इसलिए मुझे तुम्हारे चक्षु खोलने के लिए ये स्वांग करना पड़ा।
कालिदास को अपनी गलती समझ में आ गई और भरपेट पानी पीकर वे आगे चल पड़े।

शिक्षा :-
विद्वत्ता पर कभी घमण्ड न करें, यही घमण्ड विद्वत्ता को नष्ट कर देता है।
दो चीजों को कभी व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए.....
अन्न के कण को
"और"
आनंद के क्षण को...

03/07/2025

Celebrating my 11th year on Facebook. Thank you for your continuing support. I could never have made it without you. 🙏🤗🎉

29/06/2025

मैं मतलबी नहीं… मगर अब समझदार हो गया हूँ

19 साल की लड़की 31 साल का लड़काशब्द सुनकर कई लोगों की आँखें चमक उठेंगी। मैं प्रिया, 19 साल की एक साधारण लड़की हूँ। मेरे ...
26/06/2025

19 साल की लड़की 31 साल का लड़का
शब्द सुनकर कई लोगों की आँखें चमक उठेंगी। मैं प्रिया, 19 साल की एक साधारण लड़की हूँ। मेरे लिए ये सब बातें किताबों में पढ़ी थीं या दोस्तों की गपशप में सुनी थीं। पर मेरी शादी के बाद ये सब असलियत बन गया। मेरी शादी अरविंद से हुई—31 साल के एक सफल बिजनेसमैन। उम्र का ये फासला मेरे लिए शुरू में अजीब था।
शादी की पहली रात मेरी धड़कनें तेज़ थीं। मैं जानती थी कि अरविंद मुझसे उम्र में बड़ा है, पर उसने मेरे डर को समझा। उस रात उसने न मुझे छूने की कोशिश की और न ही कोई दबाव डाला। बस मेरे हाथ को थामकर कहा, "तुम्हें जितना समय चाहिए, मैं दूंगा।" उसकी ये बात मेरे दिल को छू गई।
लेकिन शादी केवल पहली रात तक सीमित नहीं होती। असली परीक्षा तो उसके बाद शुरू होती है।
शुरुआती दिक्कतें
अरविंद के साथ तालमेल बैठाना मेरे लिए आसान नहीं था। उसकी जिंदगी पूरी तरह अनुशासित थी—सुबह जल्दी उठना, काम पर जाना, समय पर खाना, फिर वापस काम में डूब जाना। और मैं? मैं तो अभी कॉलेज की लड़की थी जिसे देर तक सोना और दोस्तों के साथ मस्ती करना पसंद था।
कई बार मुझे गुस्सा आता। मैं चिढ़कर कहती, "आपको बस काम से प्यार है। मेरे लिए कभी समय नहीं होता!"
अरविंद मुस्कुराता और प्यार से कहता, "प्यार का मतलब सिर्फ बातें करना नहीं होता, प्रिया।"
अरविंद की समझदारी
अरविंद ने कभी मुझसे झगड़ा नहीं किया। बल्कि उसने धीरे-धीरे हमारी जिंदगी में बदलाव लाना शुरू किया। वह वीकेंड पर मेरे लिए समय निकालने लगा। कभी लॉन्ग ड्राइव पर ले जाता, तो कभी मेरी पसंदीदा पिज्जा पार्टी प्लान करता।
धीरे-धीरे मैंने भी उसकी ज़िम्मेदारियों को समझना शुरू किया। मैंने उसके काम में दिलचस्पी लेनी शुरू की। कभी उसके प्रोजेक्ट्स के बारे में पूछती, तो कभी उसकी टेंशन दूर करने के लिए चाय बना देती।
हमारी जीत
एक दिन अरविंद ने मेरी ओर देखते हुए कहा, "तुमने मुझे बदल दिया, प्रिया। अब मैं काम के साथ जीने का भी मज़ा ले रहा हूँ।"
मैं मुस्कराई और कहा, "और आपने मुझे समझाया कि प्यार सिर्फ रोमांस नहीं, समझदारी भी है।"
आज हमारी जिंदगी में तालमेल है, प्यार है, दोस्ती है। शायद उम्र का फासला पहले बड़ी बात लगती थी, लेकिन अब नहीं। अरविंद की सूझ-बूझ और मेरा विश्वास हमारे रिश्ते की ताकत बन गए हैं।
तो ये थी हमारी कहानी। प्यार के लिए उम्र नहीं, बस समझ और धैर्य की जरूरत होती है।

22/06/2025

सुना है अब तुम मुस्कुराती हो, जब कोई चला जाता है — पर क्या कभी उन यादों से आंख मिलाई है जो पीछे छूट जाती हैं?

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