
04/01/2025
चंपारण में किसानों का आंदोलन: "जान देंगे, जमीन नहीं देंगे"
मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिले में बेतिया राज की जमीन को लेकर किसानों का संघर्ष फिर तेज हो गया है। चंपारण किसान-मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों किसानों ने तुरकौलिया अंचल कार्यालय पर जोरदार धरना दिया। किसानों ने सरकार के फैसले का विरोध करते हुए नारा दिया, "जान देंगे, जमीन नहीं देंगे।"
समिति के अध्यक्ष सुभाष सिंह कुशवाहा ने बताया कि ब्रिटिश शासनकाल में बेतिया राज की जमीन को स्थानीय किसानों के बीच वितरित किया गया था और उन्हें "रैयत" का दर्जा दिया गया था। आजादी के बाद मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने भी इस दर्जे को बरकरार रखा। लेकिन हाल ही में बिहार सरकार ने बेतिया राज की 1500 एकड़ जमीन को सरकारी संपत्ति घोषित कर दिया है। इसके चलते किसानों की जमीन पर खरीद-बिक्री, दाखिल-खारिज, और जमाबंदी पर रोक लगा दी गई है।
किसानों ने सरकार से इस रोक को हटाने की मांग की है। सुभाष सिंह कुशवाहा ने चेतावनी दी कि अगर एक महीने के भीतर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो चंपारण के 46 प्रखंडों के हजारों किसान गांधी मैदान में बड़ा आंदोलन करेंगे।
बिहार सरकार ने हाल ही में "बेतिया राज संपत्ति अधिनियम-2024" को मंजूरी दी है, जिसके तहत इन संपत्तियों को सरकारी घोषित कर दिया गया है। इस निर्णय ने दशकों पुराने जमीन विवाद को फिर से हवा दे दी है।
किसानों का कहना है कि यह उनकी पुश्तैनी जमीन है, जिसे किसी भी कीमत पर छोड़ना संभव नहीं। उन्होंने आंदोलन को और तेज करने का संकल्प लिया है, ताकि उनके अधिकार सुरक्षित रहे।