01/11/2025
🧾 जातिगत आरक्षण पर बढ़ती बहस
भारत में आरक्षण व्यवस्था की शुरुआत सामाजिक असमानता को खत्म करने और पिछड़े वर्गों को बराबरी का अवसर देने के लिए की गई थी। लेकिन समय के साथ यह विषय राजनीति और समाज दोनों में गहरी बहस का कारण बन गया है। कुछ लोगों का मानना है कि आरक्षण ने समाज में संतुलन बनाया, जबकि कुछ लोग इसे अब “अन्यायपूर्ण” मानने लगे हैं। यही कारण है कि आरक्षण जैसे मुद्दों पर लगातार मतभेद और विरोध देखने को मिलता है।
⚖️ SC-ST कानून पर विवाद
SC-ST अत्याचार निवारण अधिनियम (Prevention of Atrocities Act) का उद्देश्य दलितों और आदिवासियों को सामाजिक शोषण से बचाना था। लेकिन कई बार यह आरोप लगते हैं कि इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि झूठे मामलों में निर्दोष व्यक्तियों को फंसाया जाता है, जिससे कानून की साख पर सवाल उठने लगे हैं। वहीं, दूसरी तरफ समर्थक मानते हैं कि यह कानून कमजोर वर्गों के लिए “रक्षा कवच” है जो अभी भी आवश्यक है।
🧍♂️ OBC वर्ग की पीड़ा
OBC वर्ग का एक बड़ा हिस्सा मानता है कि SC-ST कानून और आरक्षण प्रणाली के कारण उन्हें न तो सामाजिक बराबरी मिली है और न ही पर्याप्त अवसर। वे कहते हैं कि जब वे भी समाज का पिछड़ा वर्ग हैं, तो उनके साथ न्याय होना चाहिए। कई बार यह भावना असंतोष और विभाजन की ओर भी ले जाती है। यही वजह है कि आज कई OBC संगठन इस व्यवस्था में बदलाव की मांग उठा रहे हैं।
🕊️ समानता बनाम विशेषाधिकार
भारत के संविधान का मूल भाव “समानता” है। परंतु जब किसी वर्ग को विशेषाधिकार दिया जाता है, तो दूसरे वर्गों में असमानता की भावना पैदा हो सकती है। यही संघर्ष आज देश के सामाजिक ताने-बाने में देखने को मिलता है। सवाल यह नहीं है कि आरक्षण गलत है या सही, बल्कि यह है कि क्या आज भी वही परिस्थितियाँ हैं जिनके लिए यह व्यवस्था बनाई गई थी।
💬 आगे की राह – सुधार या समाप्ति?
आरक्षण या SC-ST कानून को समाप्त करना या सुधारना एक बड़ा कदम होगा। जरूरत इस बात की है कि सरकार और समाज दोनों मिलकर ऐसी नीति बनाएं जो सबके लिए न्यायसंगत हो। अगर कानून का दुरुपयोग हो रहा है तो सुधार किए जाएँ, न कि इसे पूरी तरह खत्म कर दिया जाए। सामाजिक न्याय का संतुलन तभी बनेगा जब हर वर्ग की बात समान रूप से सुनी और समझी जाए।