20/06/2025
तआरुफ़ एक ऐसी शख़्सियत का जिसने बचपन से लेकर आज तक कुछ नया करने की ठानी थी वो चाहे तालीमी मैदान की बात हो या समाजी ख़िदमात की ।
मेवात में रमज़ान चौधरी एक शख़्स नहीं बल्कि एक तहरीक का नाम है।
हर समाज को तरक़्क़ी की मंज़िल तक पहुँचाने के लिए एक रौशन चिराग़ की ज़रूरत होती है कभी वो चिराग़ किताबों से जलता है, कभी इंक़लाबी जद्दोजहद से और कभी किसी आम इंसान की ग़ैरमामूली ज़िंदगी से उजाला फैलता है। रमज़ान चौधरी की ज़िंदगी एक ऐसा ही मिसाली सफ़र है जो तालीम, इंसाफ़ और अवाम के हक़ में की गई बेहिसाब कोशिशों का नाम बन चुका है।
💐 इब्तिदाई सफ़र💐
1968 में हरियाणा के ज़िला नूह के एक छोटे से गाँव सेवका में पैदा हुए रमज़ान चौधरी ने इब्तिदाई तालीम अपने ही गाँव के स्कूल से हासिल की,छोटी उम्र में ही स्कॉलरशिप लेकर ये दिखा दिया कि सालिहियत किसी बड़े शहर या पैसे की मोहताज़ नहीं होती है खेलों में भी कमाल दिखाया,खो-खो, फ़ुटबॉल और हॉकी में ज़िला सतह तक पहुंचे और कॉलेज में इंटर कॉलेज दो दौड़ प्रतियोगिताओ में जीत हासिल की।
नौजवानों के रहनुमा ।
जब 1985 में ज़्यादातर नौजवान अपनी ज़िंदगी के रास्तों को लेकर उलझे रहते थे, तब रमज़ान चौधरी ने नवयुवक मंडल की बुनियाद रखी,नौजवानों को तालीम, खेल और समाजी शऊर की तरफ़ मुतवज्जा किया और बुज़ुर्गों के लिए प्रौढ़ शिक्षा का आग़ाज़ कर समाजी इस्लाह (सुधार) की बुनियादी सीढ़ी चढ़ाई।
तालीम से तहरीक तक
एनएसएस और तालिब-ए-इल्म तंज़ीमों से होते हुए, उन्होंने कॉलेज में एथलेटिक्स में भी कई इनआम हासिल किए। 1990 में बतौर स्कूल टीचर तालीमी मैदान में कदम रखा, लेकिन जल्द ही समाज में फैली बेज़ारी और अदम-बराबरी ने उन्हें वकालत की दुनिया में खींच लिया।
तीस हज़ारी कोर्ट, दिल्ली से लेकर नूंह तक, उन्होंने चौधरी एंड एसोसिएट्स का गठन करके वकालत शुरू की और वक़्फ़ और वंचित तबक़ों को इंसाफ़ दिलाने की मुहिम छेड़ी। डीएलएसए के साथ मिलकर लीगल अवेयरनेस कैंप लगाए, पुलिस जुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद की और इंसानी हुक़ूक़ की कई लड़ाइयां लड़ीं।
मज़लूमों का मुक़द्दर बदलने वाला ।
चौधरी साहब ने हमेशा दलित मुसलमानों, किसानों, मज़दूरों और वंचित तबक़ों की आवाज़ बनकर काम किया,ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़, मेवात किसान यूनियन, जय किसान आंदोलन,मेवात विकास सभा, और संपूर्ण क्रांति मंच जैसे अनगिनत प्लेटफॉर्म्स से जुड़कर उन्होंने समाज की नब्ज़ को समझा और उसके इलाज की कोशिश की।
तंज़ीमी रहनुमाई और सियासी सऊर
2002 में मेवात डिवेलपमेंट सोसाइटी के लीगल एड सेल के चेयरमैन बने
2004 में संपूर्ण क्रांति मंच हरियाणा से जुड़े
2006-2012 तक मेवात विकास सभा के सदर रहे
2007 में ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ से जुड़े
2009 में ऑल इंडिया मेवाती समाज का क़ियाम और क़ौमी सदर बनाए गए
2012 में आम आदमी पार्टी के बानी मेम्बर बनकर राजनीति की शुरुआत की
2014 में हरियाणा असेंबली चुनाव में भी हिस्सा लिया
उनकी बेग़म शाहीन चौधरी ने भी ज़िला परिषद का इंतेख़ाब दो बार लड़ा और 2016 में फ़तह हासिल की — यानि चौधरी साहब का ये मिशन एक ख़ानदानी सरमाया बन चुका है।
हर क़ौमी मसले पर सक्रिय ।
बाबरी मस्जिद शहीद होने का मसला, गोपालगढ़ का फसाद हो, डीगरहेड़ी कांड हो, पहलू और रकबर का क़त्ल हो, या CAA-NRC हो या किसान आंदोलन, रमज़ान चौधरी हर मैदान में सबसे आगे रहे। शबनम हाशमी (अनहद), पूर्व सांसद अली अनवर अंसारी और प्रो योगेन्द्र यादव जैसे सियासी और समाजी शख्सियतों के साथ मिलकर उन्होंने हिंदू-मुस्लिम इत्तेहाद और मुल्क की गंगा-जमुनी तहज़ीब को बचाए रखने की कोशिश की।
तालीम और खेल का अलमबरदार।
2009 में मेस्को हैदराबाद से जुड़कर सैंकड़ों तलबा-ओ-तालिबात को स्कॉलरशिप पर साउथ इंडिया भेजा। 2012 में अलिफ इंटरनेशनल स्कूल की बुनियाद रखी, और 2022 में मिशन मेवात स्कॉलरशिप की शुरुआत की, जिससे दर्जनों बच्चे MBBS वग़ैरह कोर्सेस में दाख़िला पा सके। सोहना खेल एवं विकास समिति और मेवात क्रिकेट बोर्ड के ज़रिए खेल की दुनिया में भी नए रास्ते खोले।
क़लम के सिपाही ।
“धोना का बिचौला”, “मुखबर” और दूसरे मेवाती किरदारों पर मबनी उनके तहरीरी काम ने मेवात की शिनाख़्त को लफ़्ज़ों में ढाला। क़लम चलाना, आवाज़ उठाना और बदलाव लाना — यही उनकी शख्सियत का असल चेहरा है।
दो अल्फ़ाज़ ।
रमज़ान चौधरी को सिर्फ़ वकील, टीचर, एक्टिविस्ट या सियासतदान कहना उनकी शख़्सियत को सीमित करना होगा। वो ज़मीन से उभरा हुआ वो नाम है, जो अपनी मेहनत, दीवानगी और हक़ की लड़ाई से एक तहरीक बन गया है।
वो आज के हर उस नौजवान, उस टीचर, उस किसान और उस होशमंद नागरिक के लिए मिसाल हैं जो "कुछ अलग" नहीं बल्कि "कुछ मायनेदार" करना चाहता है।
अगर रमज़ान चौधरी जी की यह कहानी आपको मुतास्सिर करती है, तो इसे दूसरों तक ज़रूर पहुंचाएं — ताकि हमारे बीच और भी रमज़ान चौधरी पैदा हो सकें।
इसी कड़ी में आगे भी कुछ लोगों के ताल्लुक से लिखने का ज़ोक रखता हूं बशर्ते अपना वक्त देने के लिए तैयार हो.
इसी उनवान से पॉड कास्ट ख़िदमत शुरू करना चाहता हूं इस पर भी अपनी राय रखें।
💐 मुहम्मद याहया सैफ़ी 💐