13/09/2025
हरियाणा के मेवात जिले के तिलकपुरी गाँव की 80 वर्षीय रहीमी ने, मेहनत की कमाई से खरीदा अपना चाँदी का कड़ा किसी ग़रीब लड़की की शादी में देने के लिए बचा रखा था..
लेकिन पंजाब में आई बाढ़ के लिए जब राहत सामग्री जुटाई जा रही थी, तो उन्होंने वही कड़ा अपनी कलाई से उतारकर वालंटियर्स को दे दिया।
वह कहती हैं, "मैं चाहती थी कि मरने से पहले यह किसी ग़रीब लड़की की शादी में दूँ। लेकिन आज हमारे अपने पंजाब के लोग ही ज़्यादा ज़रूरतमंद हैं। यह बहुत बड़ी चीज़ नहीं है, लेकिन मेरे पास यही है। हमने 1996 की बाढ़ झेली है, इसलिए पंजाब के लोगों का दर्द समझती हूँ।"
रहीमी अकेली नहीं हैं। पूरा मेवात इलाका- गुरुग्राम, फरीदाबाद और नूंह तक, करुणा और इंसानियत की मिसाल पेश कर रहा है। सोहना ब्लॉक के नूनेहरा गाँव की बुज़ुर्ग महिलाएँ, जिनकी उम्र 70 से 80 साल है, अब तक लगभग 2 किलो चाँदी और 20 ग्राम सोना (करीब 5 लाख रुपये की कीमत) पंजाब के लिए दान कर चुकी हैं।
गहनों के अलावा, ये महिलाएँ अपनी पेंशन, और जमापूंजी भी दान कर रही हैं। कुछ अपने हाथों की मेहनत से मदद कर रही हैं; हाथ से बुनी हुई मज़बूत गुदड़ियाँ, तैयार करके दान कर रही हैं। साथ ही, ऐसी मोटी रोटियाँ जो हफ़्ते भर तक खाने लायक रहती हैं, वो भी दिन-रात बनाकर ये महिलाएं पीड़ितों के लिए भिजवा रही हैं।
औरतों के इस जज़्बे ने क्षेत्र के अफ़सरों को भी प्रभावित किया है। नूंह के डिप्टी कमिश्नर अखिल पिलानी कहते हैं, "लोगों का हौसला हमें चौंका देता है। नौजवान राहत का काम कर रहे हैं और हर कोई, पुरुष हो या औरत, अपनी पूरी कोशिश कर रहा है। हमने सुनिश्चित किया है कि राहत सामग्री के संग्रह और परिवहन में कोई रुकावट न आए।"
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