02/07/2025
शिक्षा के समर्पण की मिसाल - प्रधानाचार्य अख्तर हुसैन जी
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आज ग्रीष्म अवकाश के अंतिम दिन यानी 30 जून को मुझे एक विशेष अवसर मिला। मेरे मित्र कृष्ण मुरारी यादव के छोटे भाई जसराम जी का हाल ही में महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय, पहाड़ी बास में प्रधानाचार्य पद पर पदस्थापन हुआ है, और उनके साथ उनके PEEO विद्यालय अर्थात् राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सिरमौली (अलवर) जाने का अवसर प्राप्त हुआ।
यह विद्यालय अरावली की हरी-भरी गोद में, प्रकृति के अत्यंत मनोरम वातावरण में स्थित है। पहाड़ियों का विहंगम दृश्य, हरियाली से आच्छादित परिसर, और गांव की शांत आत्मीयता – यह सब मिलकर इस विद्यालय को अद्भुत बनाते हैं ।
जैसे ही हम विद्यालय पहुंचे, एक अद्भुत दृश्य ने हमारा स्वागत किया। विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री अख्तर हुसैन जी खुद खुरपी लेकर विद्यालय परिसर की सफाई में जुटे हुए थे। अख़्तर जी की उम्र कोई 57 वर्ष है। दोपहर के समय गर्मी अपने चरम पर थी, उनके पूरे कपड़े पसीने से तरबतर थे, पर चेहरे पर संतोष और कर्मठता की झलक स्पष्ट थी। बरामदों में सुंदर गमले सजे थे, पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था थी, और विद्यालय का वातावरण एक आदर्श स्थान जैसा प्रतीत हो रहा था।
जब हमने उनसे बातचीत की तो पता चला कि वे केवल एक प्रधानाचार्य नहीं, बल्कि एक माली, बढ़ई, मिस्त्री, कंप्यूटर ऑपरेटर सभी भूमिकाएं भी निभा रहे हैं। उनके अनुसार छुट्टियों में ऐसे काम आसानी से किए जा सकते हैं इसलिए वो नियमित रूप से विद्यालय आते हैं और शाम 6 बजे वापस जाते हैं। उनके कार्यालय में एक तरफ़ ड्रिल मशीन, पेंट ब्रश, आरी, ब्रांच कटर, खुरपी, एम-सील और पेड़ों की छंटाई के उपकरण रखे हुए थे। उन्होंने बताया कि हाल ही में उन्होंने 35 खिड़कियों के टूटे हुए शीशे बदले हैं, और अतिरिक्त शीशे कटवा कर रख लिए हैं ताकि आवश्यकता पड़ने पर काम आ सकें। विद्यालय में कहीं भी कोई कचरा या कागज नहीं दिखाए दे रहा था।
फिर हम ऑफिस में गए। आप किसी दान दाता से लगवाए वाटर कूलर से पानी लेकर आए। इसके बाद, उन्होंने कंप्यूटर खोला, अपनी पेन ड्राइव लगाई और सेकंडों में आवश्यक फाइलें खोज निकालीं। उन्होंने ऑनलाइन जॉइनिंग प्रक्रिया भी बखूबी पूरी की। मुझे देखकर यह विश्वास हुआ कि तकनीकी दक्षता उम्र की मोहताज नहीं होती। उनका विद्यालय बच्चों के स्वागत के लिए तैयार है। शिक्षण-सत्र प्रारंभ होने से पहले ही सारी व्यवस्थाएं पूर्ण रूप से हो चुकी हैं।
सबसे प्रेरणादायक बात यह थी कि विद्यालय में उन्होंने एक डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित की है जिसमें 14 कंप्यूटर हैं, और ये सभी अपने व्यक्तिगत प्रयासों से जुटाए हैं। जब भी कोई शिक्षक प्रमोशन पाता है या सेवानिवृत्त होता है, तो वह विद्यालय के लिए एक कंप्यूटर भेंट करता है। यह व्यवस्था अब एक परंपरा बन चुकी है।
अपने 25 वर्षों के शिक्षक जीवन में मैंने सैकड़ों विद्यालय देखे हैं, अनेक समर्पित प्रधानाचार्य और शिक्षक साथियों से मिला हूं, लेकिन श्री अख्तर हुसैन जी जैसा समर्पण, सहजता और निष्ठा विरले ही देखने को मिलता है। 57 वर्ष की आयु में भी वे किसी प्रमोशन की दौड़ में नहीं, बल्कि एक विद्यालय के विकास में रत हैं।
एक और बात मैं साझा करना चाहूँगा कोई 2 महीने पहले अख़्तर हुसैन जी मेरे घर आए थे कि विद्यालय का ब्लॉग बनाना है तो मुझे थोड़ा सा गाइड कर दें। आप रात को 10 बजे आए क्योंकि उनके अनुसार यह समय सबसे कम व्यवधान का रहेगा। इस उम्र के लोग आई टी में दक्ष नहीं होते पर आपने मिनटों में ही ब्लॉग बनाना सीख लिया और विद्यालय का ब्लॉग बनाया जिसे अद्यतन भी कर रहे हैं।
जब कोई कहता है कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई नहीं होती, तो मैं उन्हें सिरमौली जैसे विद्यालयों का उदाहरण देना पसंद करूंगा – जहां अख्तर हुसैन जैसे प्रधानाचार्य शिक्षा को केवल नौकरी नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम मानते हैं। हाल ही में उनका प्रमोशन जिला शिक्षा अधिकारी पद के लिए हुआ तो पर आपने इस पदोन्नति को छोड़ दिया था।
मैं अख्तर साहब को दिल से सलाम करता हूं। वे हम सभी शिक्षकों के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। मैं उनके लिए दुआ करता हूं कि उन्हें दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें, ताकि वे यूं ही आने वाली पीढ़ियों को उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करते रहें।
आपका -
मोहम्मद इमरान खान,
राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षक
Ministry of Education Department of Education, Rajasthan