Satguru kripa

Satguru kripa Aatmgyan

13/05/2025
Samarpan Diwas Nurpur Blood donation camp
13/05/2025

Samarpan Diwas Nurpur Blood donation camp

Samarpan Diwas Nurpur
13/05/2025

Samarpan Diwas Nurpur

29/03/2025

स्थिर मन, सहज जीवन।

28/03/2025

मन बुद्धि ते अकलौं बाहरें,
तैनू लख प्रणाम करां!

28/03/2025

रूप रंग ते रेखों न्यारे,
तैनू लख प्रणाम करां

14/03/2025

*संत निरंकारी स्टूडियो द्वारा कल 13 मार्च 2025 को हुई विशेष सत्संग में दिखाई गई डॉक्यूमेंट्री, सदगुरू माता सुदिक्षा जी महाराज के जीवन के कुछ अंश....💫🙌😇🙇‍♂️❤️💫✨*

Samagam Dhar khurd Branch Dunera
14/03/2025

Samagam Dhar khurd Branch Dunera

14/03/2025

Happy holi

07/03/2025

हनुमान जी और विभीषण जी का संवाद (रामायण से) – चौपाई सहित

जब हनुमान जी लंका में विभीषण जी से मिले, तो उनके मन में श्रीराम के प्रति भक्ति देखकर अत्यंत प्रसन्न हुए। विभीषण जी ने हनुमान जी से प्रश्न किया कि क्या श्रीराम उन्हें शरण देंगे।

हनुमान जी ने श्रीराम की दयालुता और उनकी शरणागति नीति का वर्णन करते हुए कहा:

चौपाई:

"सुनहु बिभीषन प्रभु कै रीती। करहिं सदा सेवक पर प्रीती॥"
(हे विभीषण! सुनो, प्रभु श्रीराम की यह रीति (नीति) है कि वे सदैव अपने सेवकों पर प्रेम करते हैं।)

"कहहि सत्य प्रतिज्ञ रघुराई। शरण गए ताहिं नहिं तजि जाई॥"
(रघुनाथ जी सत्य प्रतिज्ञ हैं, जो भी उनकी शरण में जाता है, उसे वे कभी त्यागते नहीं।)

अर्थ:

हनुमान जी समझाते हैं कि श्रीराम सदा अपने भक्तों पर कृपा करते हैं और जो भी उनके शरण में आ जाता है, उसे वे कभी नहीं त्यागते।

इसके बाद विभीषण जी श्रीराम की शरण में जाते हैं और श्रीराम उन्हें प्रेमपूर्वक अपनाकर लंका का राजा बनाने का वचन देते हैं।

शिक्षा:

भगवान श्रीराम की शरण में आने वाले को वे कभी अस्वीकार नहीं करते।

सच्चे भक्तों पर भगवान का अपार प्रेम और कृपा बनी रहती है।

धर्म और भक्ति का मार्ग कठिन हो सकता है, लेकिन अंततः विजय सत्य की ही होती है।

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Opp. Civil Hospital
Nurpur
176202

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