Kavikulvir

Kavikulvir Kulvir Diwan, Poet, Writer
Page पर मेरा लिखा सकारात्मक लेखन मिलेगा
"क़लम से कर्म तक पहुंचने की कोशिश"

22/07/2025
गुरु कैसा हो,,,
06/07/2025

गुरु कैसा हो,,,

23/06/2025

कौरव तो आज भी अधिकार छीनते हैं,
पांडव तो आज भी वनवास काटते हैं,
रावण तो आज भी अहंकार करते हैं,
राम तो आज भी पार उतारते हैं।
ये तो दुनियां वाले हैं "दीवान"
यूं ही चलते हैं।
सिक्के के दो पहलू कब बदलते हैं।
सूरज को तो आज भी रात निगल जाती है,
सुबह तो आज भी शाम में बदल जाती है।
तेरा जो फ़र्ज़ है वो निभाता जा,
जो तुमपे कर्ज़ है वो चुकाता जा।
तू सूरज है तो ढलने से मत डर,
बस रोज़ उगता जा,
और अंधेरा मिटाता जा।
मत भूल ए भास्कर,
जो रात तुन्हें दुनियां से छिपा लेती है,
वो रात तेरे उगने से ही तो विदा लेती है।
Kulvir Diwan

बाबा हरदेव,,,
23/06/2025

बाबा हरदेव,,,

एक जैसी,,,
09/06/2025

एक जैसी,,,

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