02/08/2025
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आज कैबिनेट मंत्री अरविंद शर्मा करनाल आये है। ये वही अरविंद शर्मा है जिन्होंने अपने खिलाफ खबर चलने पर अपने PA के मार्फ़त गोहाना के एक पत्रकार अरुण को ब्लैकमेलिंग के आरोप में जेल में डलवा दिया। उस पत्रकार का पूरा परिवार प्रताड़ित किया गया। उन्हें जलील किया गया। उन्हें एहसास करवाया गया कि निष्पक्ष, निर्भीक और स्वतंत्र पत्रकारिता करना अपराध है। क्या इस धरती का कोई भी आदमी ये बात मान सकता है कि गोहाना जैसे शहर का एक मामूली पत्रकार किसी कैबिनेट मंत्री या उसके PA से 1 लाख रुपये की उगाही कर सकता है वो भी तब जब वो मंत्री खुद उसी शहर से MLA भी है ? आज सावन ज्योत के कार्यक्रम में अरविंद शर्मा ने शिरकत की थी लेकिन क्या वो भगवान पर ही हाथ रखकर कसम खा सकते है कि उन्होंने या उनके PA ने जो FIR दर्ज करवाई वो पूरी तरह सत्य लर आधारित है ? मुझे तो ये भी पता चला है कि जब रोहतक में परशुराम जयंती मनाई गई थी तो खुद मंत्री के लोगो ने इसी पत्रकार को कार्यक्रम के कैम्पेनिंग के लिए विज्ञापन दिए थे, ऐसे में वो पत्रकार ब्लैकमेल कैसे कर सकता है ? हर पत्रकार के दफ्तर में कैमरे लगे होते है पुलिस उन कैमरों की रिकार्डिंग जारी करें जहां पत्रकार पैसे लेते हुआ दिखाई दे रहा है। गोहाना के अरुण को आज जेल में गए करीब 20 दिन हो चले है उनके परिवार के साथ कोई खड़ा नजर नहीं आ रहा। सत्ता पक्ष का ये कोई पहला मामला नहीं है। करनाल में ऐसा काला दिन 2023 में आ चुका है।
जो अखबार बाल की खाल भी उखाड़ लाते है उन्होंने जानबूझ कर सच्चाई जाने बिना इस खबर को सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री को खुश करने के लिए अखबार में ऐसे लिखा जैसे अरुण पाकिस्तान से आकर यहां चैनल चला रहा था और उसके पास से RDX या ऑटोमैटिक हथियार बरामद हो गए है। किसी ने एक झूठी कोशिश भी नहीं की ये जानने की कि आखिर सच क्या है ? कुछ लोग जो खुद इस खबर को पत्रकार के तौर पर प्रसारित कर रहे थे वो अरुण को पत्रकार कहने की जगह युट्यूबर कह रहे थे। पुलिस जिन सोशल मीडिया के लोगो को बाईट दे रही थी वो उन्हें पत्रकार और अरुण को युट्यूबर कह रही थी, क्या विडंबना है ना इस देश में कि हर कोई अपनी जरूरत के अनुसार किसी को पत्रकार तो किसी को युट्यूबर कह देता है। इसके बदले में वो मंत्री से कभी न कभी कोई न कोई काम करवा लेंगे, आज के दिन में यही पत्रकारिता बची है।
दोस्तो, एक पत्रकार जो अपनी जान जोखिम में डालकर हर तरह की खबर को रिपोर्ट करता है उसे इसी तह कुचलने की, दबाने की, मसलने की और बर्बाद करने की कोशिश की जाती है। मुझे दर्द वहां होता है जहां खुद वो पत्रकार भी कमजोर और असहाय बन जाते है जिनके कंधों पर लोगो को न्याय दिलवाने की जिम्मेदारी होती है वो अपने ही पत्रकार साथियों की आवाज को बुलंद नहीं कर पाते। उनके पीछे उनका निजी स्वार्थ होता है या सत्ता का वो डर उन्हें भी 2 कदम पीछे हटने को मजबूर कर देता है, मुझे नहीं पता। मैं अरुण से कभी नहीं मिला लेकिन मुझे पता है कि ये केस भी पहले के केसों की तरह फर्जी और मनगढ़ंत ही होगा। मैंने उसके परिवार तक सन्देश पहुंचाया है कि उन्हें आर्थिक या सामाजिक या कानूनी तौर पर किसी भी तरह की जो भी जरूरत है मैं उनके साथ हूं, पीछे नहीं हटूंगा लेकिन परिवार शायद इतना खौफ और सदमें में है कि उनकी तरफ से अब तक कोई जवाब नहीं आया।
मुझे याद है एक बार सुधीर चौधरी पर करोड़ो की रिश्वत/ब्लैकमेलिंग के आरोप लगे थे जब वो कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल के करोड़ो के घोटाले की खबरे प्रसारित कर रहे थे लेकिन उस मामले में आज तक कुछ नहीं हुआ जबकि उस समय के कई वीडियो सामने आए थे। आज चर्चा है कि सुधीर चौधरी 15 करोड़ के पैकेज पर DD न्यूज के लिए काम कर रहे है। आज सुधीर चौधरी सत्ता की वाहवाही कर रहे है, नवीन जिंदल BJP के सांसद है दोनो के ऊपर ही आज किसी तरह की कोई तलवार नहीं लटक रही। सत्ता के तलवे चाटकर कोई भी पैसा कमा लेता है, उसे शोहरत की बुलंदियां, धन, दौलत, प्रोपर्टी सब मिल जाता है लेकिन सत्ता और सरकार के खिलाफ लिखने या बोलने पर आपको सिर्फ जेल की चार दिवारी ही नसीब होती है। अरुण की बेल रिजेक्ट हो चुकी है। परिवार के पास इतने पैसे भी नहीं की बड़ा वकील खड़ा कर लें। उसकी पत्नी ने गिरफ्तारी के बाद से खाना तक नहीं खाया। गोहाना के पत्रकार आखिर चुप क्यों है ? याद रखना दोस्ती, कल आकर्षण उप्पल का नम्बर था, आज अरुण का नम्बर है अगला नम्बर आपका इंतजार कर रहा है, जो बोगे, वही काटोगे....