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हरियाणा के कुरुक्षेत्र में पिपली जल्द ही धार्मिक और पर्यटन के नक्शे पर तेजी से उभरने वाला है। हरियाणा सरस्वती धरोहर विका...
20/04/2025

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में पिपली जल्द ही धार्मिक और पर्यटन के नक्शे पर तेजी से उभरने वाला है। हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड की देखरेख में सरस्वती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट पर काम तेजी से जारी है। पहले फेज में नदी और आसपास के क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है, जो अगले महीने तक पूरा होने की संभावना है। बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमिच के अनुसार, यहां नौकायन की सुविधा, बच्चों के लिए झील, भव्य सरस्वती मंदिर, आधुनिक म्यूजियम और कैफेटेरिया बनाए जाएंगे। इस पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 3 करोड़ रुपये खर्च होंगे। म्यूजियम में पुरातात्विक साक्ष्य और दुर्लभ चित्रों को संरक्षित किया जाएगा, जिससे नई पीढ़ी को ऐतिहासिक विरासत से जोड़ने का अवसर मिलेगा। साथ ही चिड़ियाघर तक सीधी पहुँच के लिए नया रास्ता भी बनाया जाएगा, जिससे पर्यटक मंदिर और चिड़ियाघर दोनों का आनंद ले सकेंगे।

Date
20/04/2025

Date

Exam
19/04/2025

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GT
19/04/2025

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Ram Ram
19/04/2025

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Two
19/04/2025

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Gold
19/04/2025

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हरियाणा सरकार किसानों के हित में उठा रही सराहनीय कदम, बारिश से खराब हुई फसलों का मिलेगा मुआवजाहरियाणा सरकार ने किसानों क...
28/02/2025

हरियाणा सरकार किसानों के हित में उठा रही सराहनीय कदम, बारिश से खराब हुई फसलों का मिलेगा मुआवजा

हरियाणा सरकार ने किसानों के हित में कदम उठाते हुए जिला जींद में 20 फरवरी को हुई बारिश/ओलावृष्टि के कारण फसलों के नुकसान का ब्यौरा क्षतिपूर्ति पोर्टल पर दर्ज करने के लिए किसानों से आह्वान किया है। यह पोर्टल 10 मार्च तक खुला रहेगा।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि जींद के उपायुक्त द्वारा दी गई रिपोर्ट अनुसार जिला जींद के गांव आसन, खरकरामजी, चाबरी, नेपेवाला, कोयल, बहादुरपुर और सण्डील आदि गांवों में 20 फरवरी को बेमौसमी बारिश के कारण फसलों को नुकसान हुआ है। किसानों द्वारा फसलों के खराबे की जानकारी पोर्टल पर दर्ज करने के लिए क्षतिपूर्ति पोर्टल खोलने का अनुरोध किया गया। उनके अनुरोध पर सरकार ने निर्णय लिया है कि जिला जींद के किसान अपनी खराब फसल की जानकारी क्षतिपूर्ति पोर्टल पर 10 मार्च तक दर्ज कर सकते हैं। प्रदेश सरकार ने किसानों के हित में क्षतिपूर्ति पोर्टल बनाया है। पूर्व की सरकारों के दौरान खराब फसल की गिरदावरी करने वाले पटवारी एवं अन्य कर्मचारियों पर नुकसान के आंकलन में भेदभाव के आरोप लगते रहे हैं।
किसानों की असल समस्या को समझते हुए वर्तमान सरकार ने ही क्षतिपूर्ति पोर्टल बनाकर किसानों को यह भी सुविधा दी कि वे खुद भी अपनी खराब फसल की जानकारी अपलोड कर सकें। इससे किसान वर्ग में काफी ख़ुशी देखी गई। अब प्रभावित किसान इस क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपनी खराब फसल का ब्योरा खुद दर्ज करा सकते हैं। इस पोर्टल के माध्यम से मुआवजा राशि "मेरी फसल-मेरा ब्योरा" पोर्टल पर उपलब्ध करवाए गए काश्तकार के सत्यापित बैंक खाते में सीधे जमा करवाई जाती है। किसानों के बैंक खाते में सीधी धनराशि जाने से बिचौलिए की भूमिका भी सरकार ने खत्म कर दी है जिससे पूरा पैसा किसान को मिल जाता है।

हमेशा दुख भोगते हैं ऐसे इंसान, सुख के लिए तरसते रहते है जिंदगी भर. #आचार्य  #चाणक्य ने जीवन के अनुभव और शिक्षा के आधार प...
18/02/2025

हमेशा दुख भोगते हैं ऐसे इंसान, सुख के लिए तरसते रहते है जिंदगी भर.
#आचार्य #चाणक्य ने जीवन के अनुभव और शिक्षा के आधार पर एक ग्रंथ की रचना की थी, जो कि आज चाणक्य #नीति के नाम से प्रसिद्ध है. #सिद्धांतों पर आधारित ये #नीतियां जीवन के विभिन्न पहलुओं पर मार्गदर्शन करती है.
चाणक्य नीति में राजनीति, राज्य व्यवस्था, #समाज की भलाई और व्यक्तिगत विकास के लिए कई महत्वपूर्ण #उपदेश दिए गए हैं. ये नीतियां जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और इंसान को बेहतर बनाने में अत्यंत उपयोगी साबित होती है. चाणक्य ने इस #ग्रंथ में व्यक्ति को कुछ बातों के लिए पहले से ही सतर्क रहने के लिए कहा है. फिर भी वह इंसान अगर उन बातों को करता है, तो उसका नुकसान होना तय होता है. ऐसे में जो भी व्यक्ति चाणक्य नीति में बताई इन बातों को नजरअंदाज करता है, वह हमेशा दुख उठाता है.
सुख के लिए तरसते हैं ऐसे लोग

अक्सर लोग अपने स्वभाव के कारण #विद्वानों और #ज्ञानियों की निंदा करते हैं. उनकी विद्वता का मजाक बनाते हैं. साथ ही उनके ज्ञान को व्यर्थ बताकर उनकी आलोचना करते हैं. चाणक्य नीति के अनुसार, ऐसे लोग हमेशा अपने जीवन में दुख भोगते हैं. वह हमेशा सुख के लिए तरसते रहते हैं. ऐसे में व्यक्ति को अपने इस #स्वभाव में बदलाव करना चाहिए, क्योंकि दूसरों की बुराई करने से व्यक्ति को कोई लाभ नहीं होता है.

#जीवन में हमेशा रहते हैं परेशान

कई लोग शास्त्रों में लिखी गई बातों की आलोचना करते हैं. #शास्त्रों में बताए नियमों के अनुसार चलने वाले लोगों को पाखंडी, ढोंगी बताने लगते हैं. चाणक्य नीति में ऐसे ही लोगों के लिए लिखा है कि ये लोग अपने जीवन में कभी सुखी नहीं रहते हैं. इन लोगों को कदम-कदम पर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा, जो लोग शांत स्वभाव और गंभीर प्रकृति के लोगों का मजाक बनाते हैं, वे भी जीवन में हमेशा परेशान ही रहते हैं.

चाणक्य ने इस बात से की पुष्टि
चाणक्य नीति में लिखा है कि मूर्खों की #भाषा में शांत और चुप रहने वाले लोगों को कमजोर कहा जाता है. विद्वान यानी श्रेष्ठ आचरण करने वाले, #शास्त्र में बताए नियमों का पालन करने वाले और शांत रहने वाले लोगों की आलोचना से कुछ नहीं बिगड़ता है. लेकिन जो लोग आलोचना करते हैं वे हमेशा दुखी रहते हैं, क्योंकि नदी का जल न पीने से नदी का कुछ नहीं घटता है.

अकेले शराब की पूरी  #बोतल खत्म कर लेती हैं  #गोविंदा की पत्नी, बोलीं- जैसे ही रात के 8 बजते हैं.हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के...
18/02/2025

अकेले शराब की पूरी #बोतल खत्म कर लेती हैं #गोविंदा की पत्नी, बोलीं- जैसे ही रात के 8 बजते हैं.
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज एक्टर गोविंदा की #पत्नी #सुनीता #आहूजा सुर्खियों में बनी हुई हैं। दरअसल, उन्होंने हाल ही में दिए इंटरव्यू में बताया कि उन्हें #शराब पीना बहुत पसंद है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह हर रोज शराब नहीं पीती हैं। वह शराब को हाथ सिर्फ उसी दिन लगाती हैं जिस दिन वह बहुत खुश रहती हैं।

कर्ली टेल्स को दिए #इंटरव्यू में सुनीता आहूजा ने कहा, "ये मेरी फेवरेट जगह है और ब्लू लेबल मेरी फेवरेट शराब। जब भी मैं खुश होती हूं, मैं शराब पीती हूं। उदाहरण के तौर पर, अभी कुछ दिन पहले जब यश का लॉन्च हुआ था तब मैं इतनी खुश थी कि मैंने अकेले एक पूरी बोतल खत्म कर ली थी। जब भारत और पाकिस्तान का मैच होता है तब भी मैं पूरी बोतल खत्म कर लेती हूं। मैं हर दिन शराब नहीं पीती हूं, सिर्फ रविवार के दिन ही पीती हूं। उस दिन मेरा चीट डे होता है।"

इंटरव्यू के दौरान जब सुनीता से पूछा गया कि वह अपना जन्मदिन कैसे #सेलिब्रेट करती हैं तब सुनीता ने बताया कि वह अपने जन्मदिन पर अपने साथ समय बिताती हैं। उन्होंने कहा, "मैंने अपनी पूरी जिंदगी अपने बच्चों की देखभाल में निकाल दी, लेकिन अब वे बड़े हो गए हैं इसलिए अब मैं खुद के साथ समय बिताती हूं। मैं अपने हर जन्मदिन पर अकेले बाहर जाती हूं। कभी माता के मंदिर तो कभी गुरुद्वारा। फिर जैसे ही रात के 8 बजते हैं, मैं बोतल खोलती हूं और अकेले केक काटकर दारू पीती हूं। मुझे अकेले रहना अच्छा लगता है।"

कौन थे  #गनोजी और  #कान्होजी, जिनके विश्वासघात ने  #छावा को औरंगजेब की गिरफ्त में पहुंचाया?विक्की कौशल की फिल्म छावा से ...
18/02/2025

कौन थे #गनोजी और #कान्होजी, जिनके विश्वासघात ने #छावा को औरंगजेब की गिरफ्त में पहुंचाया?

विक्की कौशल की फिल्म छावा से एक बार फिर चर्चा में आए वीर मराठा छत्रपति संभाजी राजे ने छत्रपति शिवाजी महाराज के निधन के बाद #मराठा साम्राज्य की सत्ता संभाली थी. असल में 3 अप्रैल 1680 को निधन से पहले शिवाजी ने न तो कोई उत्तराधिकारी नियुक्त किया था और न ही वसीयत छोड़ी थी. ऐसे में पारिवारिक षडयंत्रों का सामना करते हुए संभाजी 20 जुलाई 1680 को छत्रपति बने. इसके बाद उन्होंने शिवाजी की ही तरह मुगलों का डटकर सामना किया और हराया, पर गनोजी शिर्के और कान्होजी नाम के दो रिश्तेदारों के विश्वासघात के कारण छत्रपति संभाजी महाराज औरंगजेब की पकड़ में आ गए थे. आइए जान लेते हैं कि कौन थे गनोजी और कान्होजी.

यह साल 1682 की बात है. #औरंगजेब की अगुवाई में मुगल सेना तेजी से दक्खन (दक्षिण) पर कब्जा करने की कोशिश में लगी थी. इसके लिए औरंगजेब ने मराठा साम्राज्य को चारों ओर से घेरने की तैयारी की पर छत्रपति संभाजी की जबरदस्त तैयारियों और युद्ध की गुरिल्ला तकनीक के आगे उसकी एक न चली. मराठा सेना ने अपने से बड़ी मुगल सेना को बार-बार युद्धों में हराया.

इसी दौर की बात है. मराठा सेना ने #बुरहानपुर पर जोरदार हमला किया था. वहां पहले से मुगलों की सेना तैनात थी पर मराठा हमला इतना घातक था कि मुगलों को काफी नुकसान उठाना पड़ा. मराठा सेनाओं के एक-एक कर हो रहे हमलों के कारण साल 1685 तक मुगल मराठा #साम्राज्य का कोई हिस्सा नहीं हासिल कर पाए.
#संभाजी महाराज के शासनकाल में बाद में भी मुगल सेना ने मराठा साम्राज्य को कब्जाने की कोशिश की. इस दौरान बीजापुर और गोलकुंडा में उसे सफलता मिल गई पर बाकी जगहों पर मुगल सेना नाकामयाब ही रही. ऐसे ही एक हमले का सन् 1687 में मराठा वीरों ने जोरदार जवाब दिया और मुगलों को पीछे धकेल दिया. इस युद्ध में संभाजी को जीत मिली पर उनके विश्वासपात्र और सेनापति हंबीरराव मोहिते शहीद हो गए. इससे मराठा सेना पर बुरा असर पड़ा और इस कमजोरी का फायदा उठाने के लिए मराठा साम्राज्य में संभाजी के दुश्मन बने रिश्तेदारों ने साजिशें रचनी शुरू कर दीं. संभाजी की जासूसी होने लगी.
यह साल 1989 की बात है. संभाजी महाराज तीन अलग-अलग मोर्चों पर पुर्तगालियों, निजाम और मुगलों से लोहा ले रहे थे. इसमें उनको जीत मिली और संगमेश्वर में एक अहम बैठक और व्यवस्था बनाने के लिए मौजूद थे. 31 जनवरी 1689 को संभाजी संगमेश्वर में अपना राजकीय कामकाज निपटा कर रायगढ़ निकलने वाले थे, तभी उनके रिश्तेदारों गनोजी शिर्के और कान्होजी शिर्के ने साजिश रचकर उनको फंसाने की योजना बना डाली.
#गनोजी शिर्के संभाजी की पत्नी येसुबाई के भाई थे. कुछ इतिहासकार इन्हें रिश्ते में भाई बताते हैं तो कुछ सगा. उनके पिता पिलाजी शिर्के मुगलों के सरदार थे, इसलिए उनके शासन वाले दाभोल पर छत्रपति संभाजी महाराज ने कब्जा कर लिया था. फिर गनोजी को अपने साम्राज्य में प्रभावनवल्ली सूबे का सूबेदार भी बनाया था. कुछ स्थानों पर गनोजी और कान्होजी को संभाजी का बहनोई भी बताया गया है. बताया जाता है कि शिर्के बंधु संभाजी से नाराज रहते थे, क्योंकि उन्होंने उनके पिता से दाभोल छीन लिया था.
इसी बीच, गनोजी शिर्के को मुगल सेना के सरदार मकरब खान ने लालच दिया कि अगर वह संभाजी को पकड़ने में मदद करेगा तो दक्षिण का आधा राज्य उसे दे दिया जाएगा. गनोजी उसकी बात में आ गया और #संगमेश्वर से निकलने पर उनको रास्ते में फंसाने की योजना बना ली. संभाजी संगमेश्वर से निकलते तब तक गनोजी कुछ गांव वालों के साथ आ गया और कहा कि इलाके के लोग उनका सम्मान करना चाहते हैं. इस पर संभाजी रास्ते में रुकने के लिए तैयार हो गए. उन्होंने अपने साथ केवल 200 सैनिक रखे और बाकी सेना को रायगढ़ रवाना कर दिया .
संभाजी महाराज की सहमति मिलने पर गनोजी ने मुगल सरदार मुकरब खान को सूचना भेजकर उनके रास्ते की जानकारी दे दी. मुकरब खान गुप्त रास्ते से पांच हजार सैनिकों की फौन के साथ आ धमका, जबकि जिस रास्ते से संभाजी जा रहे थे, वह केवल मराठों को ही पता था. इस रास्ते की विशेषता थी कि यह इतना संकरा था कि एक बार में एक ही सैनिक निकल सकता था. जैसे-जैसे मराठा सैनिक निकलते रहे, उन्हें मुगल सेना बंदी बनाती रही या वे शहीद होते रहे. औरंगजेब के आदेश के अनुसार संभाजी महाराज को जिंदा पकड़ लिया गया. तारीख थी एक फरवरी 1689. उनको जंजीर से बांधकर तुलापुर किले ले जाया गया. वहां इस्लाम कबूलने के लिए औरंगजेब ने संभाजी महाराज को तमाम यातनाएं दीं.
करीब 38 दिनों तक संभाजी महाराज को उल्टा लटका कर पीटा गया. उनकी आंखें निकाल ली गईं. जीभ काट दी गई. #मुगल एक-एक अंग काटकर तुलापुर नदी में फेंकते रहे. अंतत: 11 मार्च 1689 को संभाजी महाराज का सिर धड़ से अलग कर दिया गया पर मरते दम तक शेर का यह बच्चा (छावा) औरंगजेब के आगे झुका नहीं. संभाजी के निधन के बाद शिर्के ने मुगलों का साथ दिया और जिंजी पर कब्जा करने में #जुल्फिकार खान की मदद की. हालांकि, बाद में शिर्के ने छत्रपति राजाराम महाराज को जिंजी से निकलने में मदद की और उनके परिवार को भी सुरक्षित उन तक पहुंचा दिया. इसके चलते औरंगजेब ने शिर्के को बंदी बना लिया. उसकी मौत के बाद शिर्के को छोड़ दिया गया और वह #छत्रपति #शाहूजी #महाराज के समय में मराठा साम्राज्य में शामिल हो गया था.

03/11/2024

गोविंदा और संजय दत्त का जबरदस्त कॉमेडी सीन

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