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06/04/2025

Shivlila Tai Patil Kirtankar ゚viralfbreelsfypシ゚viral #कीर्तन शेवट पर्यन्त बघा

शाहजी राजे एक महान मराठा सेनापति और शिवाजी महाराज के पिता थे। उन्होंने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए, जिन्होंने...
06/04/2025

शाहजी राजे एक महान मराठा सेनापति और शिवाजी महाराज के पिता थे। उन्होंने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए, जिन्होंने मराठा साम्राज्य की नींव रखने में मदद की।

*शाहजी राजे की महानता*

1. *सेनापति के रूप में*: शाहजी राजे एक कुशल सेनापति थे, जिन्होंने अपने सैन्य कौशल से कई लड़ाइयाँ जीतीं।
2. *मराठा साम्राज्य की नींव*: शाहजी राजे ने मराठा साम्राज्य की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने बाद में शिवाजी महाराज ने विस्तार किया।
3. *शिवाजी महाराज के पिता*: शाहजी राजे शिवाजी महाराज के पिता थे, जिन्होंने अपने बेटे को वीरता और साहस की शिक्षा दी।
4. *राजनीतिक कौशल*: शाहजी राजे एक कुशल राजनेता थे, जिन्होंने अपने राजनीतिक कौशल से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए।

*शाहजी राजे का प्रभाव*

शाहजी राजे का प्रभाव मराठा साम्राज्य पर बहुत अधिक था। उन्होंने अपने सैन्य कौशल और राजनीतिक कौशल से मराठा साम्राज्य की नींव रखने में मदद की, जिसने बाद में शिवाजी महाराज ने विस्तार किया।

*निष्कर्ष*

शाहजी राजे एक महान मराठा सेनापति और शिवाजी महाराज के पिता थे। उन्होंने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए, जिन्होंने मराठा साम्राज्य की नींव रखने में मदद की। उनकी महानता और प्रभाव आज भी मराठा साम्राज्य के इतिहास में देखा जा सकता है।

संत ज्ञानेश्वर महाराज एक महान मराठी संत और कवि थे, जिन्होंने 13वीं शताब्दी में जीवन व्यतीत किया। वह अपने ज्ञान और भक्ति ...
06/04/2025

संत ज्ञानेश्वर महाराज एक महान मराठी संत और कवि थे, जिन्होंने 13वीं शताब्दी में जीवन व्यतीत किया। वह अपने ज्ञान और भक्ति के लिए प्रसिद्ध थे, और उन्होंने मराठी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

*जीवन*

संत ज्ञानेश्वर महाराज का जन्म 1275 में आपेगाव में हुआ था। उनके पिता विठ्ठलपंत कुलकर्णी एक विद्वान और धार्मिक व्यक्ति थे। ज्ञानेश्वर महाराज ने अपने जीवन में ज्ञान और भक्ति की प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की।

*ज्ञानेश्वरी*

संत ज्ञानेश्वर महाराज ने भगवद गीता पर एक टीका लिखी, जिसे ज्ञानेश्वरी कहा जाता है। यह ग्रंथ मराठी साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसमें ज्ञानेश्वर महाराज ने गीता के श्लोकों की व्याख्या की है।

*भक्ति और ज्ञान*

संत ज्ञानेश्वर महाराज ने भक्ति और ज्ञान के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भक्ति और ज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं और व्यक्ति को अपने जीवन में दोनों को अपनाना चाहिए।

*संत ज्ञानेश्वर महाराज की शिक्षाएं*

1. *भक्ति का महत्व*: संत ज्ञानेश्वर महाराज ने भक्ति के महत्व पर जोर दिया और कहा कि भक्ति से व्यक्ति को अपने जीवन में शांति और आनंद मिल सकता है।
2. *ज्ञान की प्राप्ति*: संत ज्ञानेश्वर महाराज ने ज्ञान की प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की और कहा कि ज्ञान से व्यक्ति को अपने जीवन में सही निर्णय लेने में मदद मिलती है।
3. *आध्यात्मिक जीवन*: संत ज्ञानेश्वर महाराज ने आध्यात्मिक जीवन के महत्व पर जोर दिया और कहा कि आध्यात्मिक जीवन से व्यक्ति को अपने जीवन में शांति और आनंद मिल सकता है।

*निष्कर्ष*

संत ज्ञानेश्वर महाराज एक महान मराठी संत और कवि थे, जिन्होंने अपने ज्ञान और भक्ति के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने मराठी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं।

मनोज कुमार एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता, निर्देशक, पटकथा लेखक और संपादक थे, जिन्होंने हिंदी सिनेमा में चार दशकों से अधिक स...
06/04/2025

मनोज कुमार एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता, निर्देशक, पटकथा लेखक और संपादक थे, जिन्होंने हिंदी सिनेमा में चार दशकों से अधिक समय तक काम किया। उनका जन्म 24 जुलाई 1937 को एबटाबाद में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। वह अपनी राष्ट्रभक्ति से भरपूर फिल्मों के लिए जाने जाते थे और उन्हें "भारत कुमार" के नाम से भी जाना जाता था।

*प्रारंभिक जीवन और करियर*

मनोज कुमार का जन्म एक पंजाबी हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। विभाजन के बाद, उनका परिवार दिल्ली चला गया, जहां उन्होंने अपनी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1957 में फिल्म "फैशन" से की, लेकिन उन्हें पहचान मिली 1962 में फिल्म "हरियाली और रास्ता" से।

*प्रमुख फिल्में*

- *शहीद* (1965) - भगत सिंह की जीवनी पर आधारित फिल्म
- *उपकार* (1967) - राष्ट्रभक्ति से भरपूर फिल्म, जिसने उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिलाया
- *पूरब और पश्चिम* (1970) - एक ब्लॉकबस्टर फिल्म, जिसने यूके में भी धूम मचाई
- *रोटी कपड़ा और मकान* (1974) - एक सामाजिक नाटक, जिसने उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार दिलाया
- *क्रांति* (1981) - एक ऐतिहासिक नाटक, जिसने उन्हें एक और ब्लॉकबस्टर दिलाया

*पुरस्कार और सम्मान*

- पद्म श्री (1992)
- दादासाहेब फाल्के पुरस्कार (2015)
- राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
- सात फिल्मफेयर पुरस्कार

मनोज कुमार का निधन 4 अप्रैल 2025 को मुंबई में हुआ था। वह भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महान अभिनेता और निर्देशक के रूप में जाने जाते हैं ¹.

छत्रपति संभाजी महाराज का जीवन एक वीरतापूर्ण कहानी है, जिसमें उन्होंने अपने पिता छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्शों को आगे ...
05/04/2025

छत्रपति संभाजी महाराज का जीवन एक वीरतापूर्ण कहानी है, जिसमें उन्होंने अपने पिता छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्शों को आगे बढ़ाया और मुगलों के खिलाफ संघर्ष किया। संभाजी महाराज का जन्म 14 मई 1657 को पुरंदर किले में हुआ था। उनके बचपन में ही उनकी माता सईबाई का देहांत हो गया था, इसलिए उनका पालन-पोषण शिवाजी की माँ जीजाबाई ने किया था।

*संभाजी महाराज और मुगलों के बीच संघर्ष*

संभाजी महाराज ने अपने शासनकाल में मुगलों के खिलाफ कई लड़ाइयाँ लड़ीं। औरंगजेब की 8 लाख की सेना का सामना करते हुए, संभाजी महाराज ने कई युद्धों में मुगलों को पराजित किया। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि उन्होंने औरंगजेब को दक्षिण में 27 वर्षों तक विभिन्न लड़ाइयों में उलझाए रखा, जिससे उत्तर भारत में हिंदू राज्यों को अपनी शक्ति पुनः प्राप्त करने और शांति स्थापित करने का समय मिला।

*हिंदुओं की घर वापसी और धर्म परिवर्तन*

संभाजी महाराज ने हिंदुओं की घर वापसी और धर्म परिवर्तन के लिए भी महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने एक विभाग की स्थापना की, जो जबरन मुस्लिम बनाए गए हिंदुओं को पुनः हिंदू धर्म में वापिस लाने के लिए काम करता था। इस कार्य के लिए उन्होंने कई सराहनीय कदम उठाए, जैसे कि कुलकर्णी नामक ब्राह्मण को पुनः हिंदू धर्म में वापिस लाने के लिए अनुष्ठान का आयोजन करना।

*संभाजी महाराज की मृत्यु*

संभाजी महाराज की मृत्यु 11 मार्च 1689 को औरंगजेब की दी गई यातना के कारण हुई थी। उनकी वीरता और बलिदान को आज भी याद किया जाता है और उन्हें हिंदू समाज के एक महान नायक के रूप में सम्मानित किया जाता है।

*संभाजी महाराज की उपलब्धियाँ*

- *मुगलों के खिलाफ संघर्ष*: संभाजी महाराज ने मुगलों के खिलाफ कई लड़ाइयाँ लड़ीं और उन्हें पराजित किया।
- *हिंदुओं की घर वापसी*: उन्होंने जबरन मुस्लिम बनाए गए हिंदुओं को पुनः हिंदू धर्म में वापिस लाने के लिए कार्य किया।
- *हिंदू समाज के लिए योगदान*: संभाजी महाराज ने हिंदू समाज के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए और उन्हें एक महान नायक के रूप में सम्मानित किया जाता है। ¹

छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब की कहानी एक ऐतिहासिक और वीरतापूर्ण गाथा है, जिसमें दोनों के बीच संघर्ष और टकराव को दर्श...
05/04/2025

छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब की कहानी एक ऐतिहासिक और वीरतापूर्ण गाथा है, जिसमें दोनों के बीच संघर्ष और टकराव को दर्शाया गया है।

*संभाजी महाराज का शासनकाल*

संभाजी महाराज ने अपने पिता छत्रपति शिवाजी महाराज के बाद मराठा साम्राज्य की गद्दी संभाली। उनके शासनकाल में, उन्होंने मुगलों के खिलाफ संघर्ष जारी रखा और मराठा साम्राज्य की शक्ति को मजबूत करने के लिए काम किया।

*औरंगजेब की महत्वाकांक्षाएँ*

औरंगजेब, जो एक शक्तिशाली मुगल बादशाह था, ने संभाजी महाराज के शासनकाल में मराठा साम्राज्य पर हमला करने का फैसला किया। औरंगजेब की महत्वाकांक्षा थी कि वह पूरे भारत पर अपना शासन स्थापित करे और इस्लाम को फैलाए।

*संघर्ष और टकराव*

संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच संघर्ष और टकराव की शुरुआत हुई, जब औरंगजेब ने मराठा साम्राज्य पर हमला किया। संभाजी महाराज ने अपनी सेना के साथ मुगलों का सामना किया और कई लड़ाइयों में उन्हें पराजित किया।

*बुधभूषण*

संभाजी महाराज ने बुधभूषण नामक एक ग्रंथ लिखा, जिसमें उन्होंने राजनीति, युद्धनीति, और राज्यशासन के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। इस ग्रंथ में, उन्होंने औरंगजेब की महत्वाकांक्षाओं को भी उजागर किया और मराठा साम्राज्य की शक्ति को मजबूत करने के लिए अपने विचार प्रस्तुत किए।

*संभाजी महाराज की मृत्यु*

संभाजी महाराज की मृत्यु 11 मार्च 1689 को औरंगजेब की दी गई यातना के कारण हुई थी। उनकी वीरता और बलिदान को आज भी याद किया जाता है और उन्हें हिंदू समाज के एक महान नायक के रूप में सम्मानित किया जाता है।

*औरंगजेब की हार*

औरंगजेब की महत्वाकांक्षाएँ कभी पूरी नहीं हो पाईं। मराठा साम्राज्य की शक्ति और संभाजी महाराज की वीरता ने औरंगजेब को दक्षिण में 27 वर्षों तक विभिन्न लड़ाइयों में उलझाए रखा, जिससे उत्तर भारत में हिंदू राज्यों को अपनी शक्ति पुनः प्राप्त करने और शांति स्थापित करने का समय मिला। [1]

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Sandip Patil, प्रवीन सावळे
04/04/2025

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महाराणा प्रताप की कहानी एक ऐसी गाथा है जो वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम और दृढ़ प्रण की भावना को उजागर करती है। उनका जन्म...
04/04/2025

महाराणा प्रताप की कहानी एक ऐसी गाथा है जो वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम और दृढ़ प्रण की भावना को उजागर करती है। उनका जन्म 9 मई 1540 को कुम्भलगढ़ दुर्ग में महाराणा उदयसिंह और महारानी जयवन्ताबाई के घर हुआ था ¹।

महाराणा प्रताप का बचपन भील समुदाय के साथ बिता, जहाँ उन्होंने युद्ध कला सीखी। उनकी माता का नाम जयवंता बाई था, जो पाली के सोनगरा अखैराज की बेटी थी।

महाराणा प्रताप ने मुगल बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक संघर्ष किया। उनकी सबसे प्रसिद्ध लड़ाई हल्दीघाटी की लड़ाई थी, जो 18 जून 1576 को हुई थी। इस लड़ाई में, महाराणा प्रताप ने अपने प्राणों की परवाह किए बिना मुगल सेना का सामना किया और उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया ¹।

महाराणा प्रताप की वीरता और शौर्य की कहानी आज भी हमें प्रेरित करती है। उनकी याद में कई स्मारक और संग्रहालय बनाए गए हैं, जो उनकी वीरता और शौर्य को याद दिलाते हैं।

महाराणा प्रताप के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलू हैं:

- *महाराणा प्रताप का जन्म*: 9 मई 1540 को कुम्भलगढ़ दुर्ग में।
- *महाराणा प्रताप का बचपन*: भील समुदाय के साथ बिता।
- *महाराणा प्रताप की लड़ाई*: हल्दीघाटी की लड़ाई, 18 जून 1576 को।
- *महाराणा प्रताप की वीरता*: मुगल सेना का सामना करने और उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर करने के लिए जानी जाती है।

महाराणा प्रताप ने मुगलों के खिलाफ कई लड़ाइयाँ लड़ीं और उनकी सबसे प्रसिद्ध लड़ाई हल्दीघाटी की लड़ाई थी। इस लड़ाई में, महा...
04/04/2025

महाराणा प्रताप ने मुगलों के खिलाफ कई लड़ाइयाँ लड़ीं और उनकी सबसे प्रसिद्ध लड़ाई हल्दीघाटी की लड़ाई थी। इस लड़ाई में, महाराणा प्रताप ने अपने प्राणों की परवाह किए बिना मुगल सेना का सामना किया और उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया।

*हल्दीघाटी की लड़ाई के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें:*

- *महाराणा प्रताप की सेना:* महाराणा प्रताप के पास लगभग 20 हजार सैनिक थे, जबकि मुगल सेना में लगभग 80 हजार सैनिक थे।
- *महाराणा प्रताप की वीरता:* महाराणा प्रताप ने अपनी छोटी सी सेना के साथ मुगल सेना का डटकर सामना किया और उन्हें अपने अदम्य साहस एवं अद्भुत शक्ति का एहसास करवाया।
- *लड़ाई का परिणाम:* इस लड़ाई में न तो मुगल सम्राट अकबर की जीत हुई और न ही मेवाड़ के साहसी शासक महाराणा प्रताप की हार हुई।

महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में मुगल बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक संघर्ष किया। उनकी वीरता और शौर्य की कहानी आज भी हमें प्रेरित करती है। ¹

29/03/2025

Ravi Kiran Maharaj Kirtan ll comedy ll Marathi ll Motivational Guru

25/03/2025

Kirtankar Maharaj ❣️❣️❣️ Follow Me

25/03/2025

Har Har Mahadev ❣️❣️❣️ Follow Me

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