
29/08/2025
जब सीमा के पति का देहांत हुआ, तब उसके दो छोटे बच्चे और एक अधूरी ज़िंदगी उसके कंधों पर आ गिरी।
परिवार और रिश्तेदारों ने शुरू में सहानुभूति जताई, लेकिन धीरे-धीरे सबने किनारा कर लिया।
सीमा का पूरा ध्यान अपने बच्चों की पढ़ाई पर था। लेकिन मोहल्ले के एक रिश्तेदार अर्जुन बार-बार कहते,
"लड़की बड़ी हो गई है, जल्दी शादी कर दो, वरना मुश्किल होगी।"
एक दिन अर्जुन ने सीमा को फोन कर कहा—
"बहुत अच्छा रिश्ता है, लड़का देखा है, चलो घर देखकर आते हैं।"
सीमा बच्चों की खातिर चली गई।
लेकिन जब वहाँ पहुँची तो हैरान रह गई।
घर जर्जर था, दीवारें टूटी हुईं। लड़का बेरोजगार था, ऊपर से बात करने का ढंग भी बिगड़ा हुआ।
सीमा ने धीरे से पूछा—"पढ़ाई क्या की है?"
लड़के ने हँसते हुए कहा—"कभी-कभी कॉलेज चला जाता हूँ, वरना खेतों में रहता हूँ।"
सीमा ने वहीं ठान लिया कि यह रिश्ता कभी नहीं होगा।
कुछ दिन बाद अर्जुन ने दबाव बनाया—
"लड़की को पढ़ाकर क्या करना है? शादी के बाद उसे तो चूल्हा-चौका ही करना है।"
सीमा ने गुस्से से जवाब दिया—
"मेरे पति चले गए, इसका मतलब यह नहीं कि मैं अपनी बेटी का भविष्य अंधेरे में डाल दूं।
मेरी बेटी डॉक्टर बनना चाहती है और मैं उसकी राह में दीवार नहीं, सहारा बनूंगी।"
अर्जुन बोला—"देखते हैं कौन उससे शादी करेगा।"
और इस तरह सारे रिश्ते तोड़ लिए।
सालों की मेहनत और संघर्ष के बाद सीमा की बेटी डॉक्टर बनी।
फिर उसकी शादी भी एक पढ़े-लिखे, समझदार इंसान से हुई।
सीमा ने दुनिया को साबित कर दिया कि
👉 औरत अकेली भी अपनी संतान के सपनों को पूरा कर सकती है।
👉 मजबूरियां अगर हिम्मत बन जाएं तो ज़िंदगी सुनहरी हो जाती है।
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✍️ IBC Wakil Ahmad