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22/01/2025

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BPSC Protest: बीपीएससी अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका, याचिका पर सुनवाई से इनकार; HC जाने को कहाबिहार लोक सेवा आयो...
07/01/2025

BPSC Protest: बीपीएससी अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका, याचिका पर सुनवाई से इनकार; HC जाने को कहा

बिहार लोक सेवा आयोग के अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अभ्यर्थियों की ओर से बिहार पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील को पटना हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की सलाह दी है।

Photo of The Year 2024
31/12/2024

Photo of The Year 2024

बिहार में गरीबों के मसीहा कहे जाने वाले प्रसिद्ध चिकित्सक आदरणीय डॉ. अरुण तिवारी जी (जिन्हें हम जैसे लोग 'बाबा' कहते थे)...
16/12/2024

बिहार में गरीबों के मसीहा कहे जाने वाले प्रसिद्ध चिकित्सक आदरणीय डॉ. अरुण तिवारी जी (जिन्हें हम जैसे लोग 'बाबा' कहते थे) के निधन का समाचार एक अव्यक्त रिक्तता के वास्तविक आभास जैसा है। सादर नमन। ॐ शान्ति ॐ 😢🙏

स्मृतिशेष आदरणीय डॉ. अरुण तिवारी - - -

सुबह के छह बजे से पहले ही प्रदेश के दूर-दराज इलाकों समेत आसपास के राज्यों के मरीजों का जमावड़ा पटना में महेन्द्रू के गुलबी घाट स्थित डॉ. अरुण तिवारी जी के क्लिनिक पर लगने लगता था। यह सिलसिला देर शाम तक चलता। Dr. Arun Tiwari, MBBS, MD, लिखा एक छोटा-सा बोर्ड आज भी उनके क्लिनिक के बाहर लगा है। पीएमसीएच से ऐच्छिक सेवानिवृति लेने के बाद उन्होंने लगभग चार दशक के प्रैक्टिस में मात्र 38 रुपए परामर्श शुल्क बढ़ाई। सबसे पहले उन्होंने 1987 के आसपास महेन्द्रू रोड पर पोस्ट ऑफिस के सामने क्लिनिक खोला था, तब वह 12 रुपए परामर्श लेते थे। अपने प्रैक्टिस के अंत तक उन्होंने परामर्श शुल्क 50 रुपए रखा। उन्हें अपने गुरु और प्रदेश के प्रख्यात चिकित्सक, जिन्हें गरीबों के मसीहा का उपनाम मिला था, डॉ. शिवनारायण सिंह से न्यूनतम परामर्श शुक्ल में मरीजों को सेवा करने की प्रेरणा मिली। वे बताते थे कि क्लीनिक में कार्यरत कर्मचारियों के खर्च के लिए मरीजों से परामर्श शुल्क लेते हैं। जरूरतमंदों से कोई शुल्क नहीं लेते। जरूरतमंदों के लिए सैम्पल वाली दवा की भी मुफ्त व्यवस्था करा देते थे। नाममात्र के परामर्श शुल्क के साथ ही उनकी विशेषता यह भी है कि वे महंगी जांच और दवाओं पर कम विश्वास रखते थे। डॉ. अरुण तिवारी का पुर्जा लेकर किसी गंभीर रोग की जांच कराने डायग्नोस्टिक लैब जाने पर मरीजों से कम पैसे लिए जाते थे। कारण, डॉ. तिवारी कमीशन नहीं लेते थे। यही नहीं जो दवाएं लिखते थे, वह स्टैंडर्ड कंपनी की प्रभावकारी होने के साथ काफी सस्ती होती और बाजार में कहीं भी आसानी से मिल जाती थी। सुबह से शाम तक डॉक्टर साहब तीन शिफ्ट में करीब 300 मरीजों को प्रतिदिन देखते थे। इसके बावजूद हर कोई इत्मीनान से अपनी बारी का इंतजार करता। यहां किसी को कोई जल्दी नहीं होती थी।

इतनी ख्याति के बावजूद उन्हें को कोई गुमान और अहंकार नहीं था।

श्रद्धेय 'बाबा' डॉ. अरुण तिवारी जी की स्मृतियों को नमन। आप सदैव बिहार की स्मृतियों में रहेंगे।🙏

28/11/2024
पटना विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा जारी 5 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन ने आज एक निर्णायक मोड़ ले लिया है। 7 छात्र अंक...
25/11/2024

पटना विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा जारी 5 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन ने आज एक निर्णायक मोड़ ले लिया है। 7 छात्र अंकित कुमार,प्रकाश कुमार,रवि रंजन कुमार,शशि रंजन,आर्यन राज,नीतीश कुमार,रूपेश कुमार
ने विश्वविद्यालय परिसर के सीनेट हाउस में अनिश्चितकालीन आमरण अनशन शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक यह अनशन जारी रहेगा।

छात्रों की 5 सूत्रीय मांगें इस प्रकार हैं:

1.छात्रावासों को अतिशीघ्र खोला जाए ताकि छात्र अपनी पढ़ाई सुचारू रूप से जारी रख सकें।
2.पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव का आयोजन किया जाए ताकि छात्रों को उनके प्रतिनिधि चुनने का अधिकार मिले,जबकि हर छात्र संघ के नाम पर पैसे लिए जाते है और उसका इस्तेमाल नहीं हो पाता है
3.यूनिवर्सिटी परिसर में छात्रों पर हुए लाठीचार्ज में दोषी अधिकारियों पर उचित कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
4.आंदोलन के दौरान छात्र नेताओं पर दर्ज किए गए मुकदमों को तुरंत वापस लिया जाए।
5.विश्वविद्यालय की अतिरिक्त गतिविधियों जैसे स्पोर्ट्स, एनसीसी, और अन्य सह-शैक्षणिक गतिविधियों को पुनः चालू किया जाए।

20/11/2024
 #बिहार_में_भोजबिहारी के लिए भोज सिर्फ खाने पीने भर का माध्यम नहीं होता बल्कि बिहार में भोज के बहाने लोग अपने वर्चस्व को...
12/11/2024

#बिहार_में_भोज
बिहारी के लिए भोज सिर्फ खाने पीने भर का माध्यम नहीं होता बल्कि बिहार में भोज के बहाने लोग अपने वर्चस्व को भी प्रदर्शित करते हैं कौन व्यक्ति कितने ज्यादा लोगों को भोज खिला सकता है इससे सामाजिक स्तर पर उसके प्रभुत्व को भी आंका जाता है। ग्रामीण इलाकों में एक साधारण भोज में भी 500 से कम लोगों के लिए भोजन तैयार नहीं होता शादी ब्याह मुंडन पूजा वर्षगांठ मृत्यु भोज व अन्य विशेष आयोजनों पर भी भोज का आयोजन होता है। भोज के आयोजन के मामले में भोजपुरिया इलाका मिथिलांचल अंग प्रदेश शाहाबाद मगध सब एक दूसरे के बराबर ही है। उत्तर बिहार में भोज में जहां शुद्ध शाकाहारी चीजों की ज्यादा प्रधानता होती है वही मध्य बिहार में मिला जुलाब भोज होता है यानी शाकाहारी और मांसाहारी दोनों मिथिलांचल के भोज में दही मछली अनिवार्य है तो शाहाबाद के इलाके में भी शाकाहार और मांसाहार दोनों की प्रधानता होती है बिहार के भोज में दही जलेबी बुंदिया रायता जैसे खाने पीने के कई सारे आइटम कॉमन होते हैं। आरा बक्सर इलाके की पूरी को हाथी के कान वाली पूरी की संज्ञा दी गई है एक पूरी एक आदमी नहीं खा सकता इसे तोड़कर भोज में चलाया जाता है। क्षेत्र विशेष में उपलब्ध मिठाइयों का आइटम भी बदलते रहता है अंगिका इलाके में आपको दूध के बनी मिठाइयों की प्रधानता होती है क्योंकि उसे इलाके में दूध खूब उपलब्ध होता है मिथिलांचल में रसगुल्ला की प्रधानता होती है जबकि उत्तर बिहार के अन्य भोजपुरिया इलाकों में जलेबी की। बिहार में भोज के साथ कई सारी परंपराएं भी जुड़ी हुई और इन परंपराओं का निर्वहन अभी तक होता आ रहा है। पूरी सब्जी पुलाव के भोज में सबको आमंत्रित किया जाता है पर भात के भोज में अपने गोत्र या बराबरी वाले लोगों को ही बुलाया जाता है। सामाजिक व्यवस्था के तहत लोग सबके यहां भात भी नहीं खाते हैं। आधुनिकता के बावजूद बिहार में भोज भात की परंपरा पहले से ज्यादा समृद्ध हुई है।

#भोज

ये पटना के किस घाट का दृश्य है ? कमेंट में बताएं.....
10/11/2024

ये पटना के किस घाट का दृश्य है ?

कमेंट में बताएं.....

यह पटना का कौन सा जगह है?कमेंट में बताएं ....
10/11/2024

यह पटना का कौन सा जगह है?

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बिहार में 1996, 2003, 2014 और 2020 के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर की नयी नियक्ति को लेकर सुगबुगाहट। जो लोग पिछली नियुक्ति में...
10/11/2024

बिहार में 1996, 2003, 2014 और 2020 के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर की नयी नियक्ति को लेकर सुगबुगाहट।

जो लोग पिछली नियुक्ति में छूट गए हैं या पीएचडी जमा करने वाले हैं, ऐसे लोग खासतौर पर तैयार रहें।

काली घाट पटना
08/11/2024

काली घाट पटना

रोटी के बाद मनुष्य की सबसे बड़ी कीमती चीज उसकी संस्कृति होती है। दिनकर
07/11/2024

रोटी के बाद मनुष्य की सबसे बड़ी कीमती चीज उसकी संस्कृति होती है।

दिनकर

06/11/2024

जन्मदिवस पर विशेष
े_टिकोले_चुनते_हुए_सीखे_लोकगीत
शारदा सिन्हा का जन्म तब के सहरसा और अब के सुपौल जिले के हुलास गांव के एक समृद्ध परिवार में हुआ था | पिता शुकदेव ठाकुर शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अधिकारी थे | बचपन में शारदा सिन्हा पटना में रहकर शिक्षा ली थी, शारदा सिन्हा बांकीपुर गर्ल्स हाईस्कूल की छात्रा रह चुकी है, बाद में मगध महिला कॉलेज से स्नातक किया। इसके बाद प्रयाग संगीत समिति,इलाहाबाद से संगीत में एमए किया |और समस्तीपुर के शिक्षण महाविद्यालय से बीएड किया | स्कूल और कॉलेज के दिनों में गर्मी की छुट्टी होने पर अपने गांव हुलास जाती थी। वहां आम के अपने बगीचे या गाछी में दूसरी लड़कियों के साथ शौक से आम को अगोरने(रक्षा करने)जाती थी | इस दौरान रिश्तेदार लड़कियों के साथ लोक गीत गाना सीखा | हम बगीचे में दिन भर रहते और खूब लोक गीत गाती थी |
पढ़ाई के दौरान संगीत साधना से भी जुड़ी रही | बचपन से ही नृत्य,गायन और मिमिक्री करती रहती थी,जिसने स्कूल-कॉलेज के दिनों में ही पहचान दिलाई |
शारदा सिन्हा एक बार जब शिक्षा ले रही थी तब एक दिन भारतीय नृत्य कला मंदिर में ऐसे ही सहेलियों के साथ गीत गा रही थी उनके गीत को सुनकर हरि उप्पल सर छात्राओं से पूछा कि यहां रेडिओ कहां बज रहा है | सब ने कहा कि शारदा गा रही है,इसे सुन उन्होंने मुझे अपने कार्यालय में बुलाया और टेप रिकार्डर ऑन कर कहा की अब गाओ | शारदा सिन्हा गाना शुरू किया जिसे बाद में उन्होंने सुनाया , सुन कर मुझे भी यकीन नहीं हो रहा था कि मैं इतना अच्छा गा सकती हूं | मैंने पहली बार अपना ही गाया गाना रिकार्डेड रूप में सुना था|

शारदा सिन्हा बचपन में पटना में रहकर शिक्षा ले रही थी, स्कूल और कॉलेज के दिनों में गर्मी की छुट्टी होने पर अपने गांव हुलास जाती थी | वहां आम के अपने बगीचे या गाछी में दूसरी लड़कियों के साथ शौक से आम को अगोरने(रक्षा करने) जाती थी | वह हम आम के टिकोले चुनती और खाती | इस दौरान रिश्तेदार लड़कियों के साथ लोक गीत गाना सीखा |
शारदा सिन्हा के गायन की इस यात्रा में पिता के साथ ही परिवार के अन्य सदस्यों का भरपूर सहयोग मिला | शादी के बाद पति डॉ. ब्रज किशोर सिन्हा ने भी हर कदम पर शारदा सिन्हा साथ दिया | इसके अलावा परिवार में बेटी वंदना, दामाद संजू कुमार, बेटा अंशुमन का भी सहयोग मिलता रहता है | शारदा सिन्हा की बेटी वंदना खुद एक अच्छी गायिका हैं और उनकी विरासत को आगे बढ़ा रही हैं |
शारदा सिन्हा को इनके गायन के लिए राज्य और देश के कई प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है | 1991 में शारदा सिन्हा को भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है | इसके साथ ही शारदा सिन्हा को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार समेत दर्जनों पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है |
शारदा सिन्हा ने अपने गायन से देश की सीमाओं से पार जाकर मॉरीशस में भी खूब लोकप्रियता पाई है |

1988 में उपराष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के साथ मॉरीशस के 20वें स्वतंत्रता दिवस पर जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में यह भी शामिल थीं | वहां इनका भव्य स्वागत किया गया, इनके गायन को पूरे मॉरीशस में सराहा गया | इस यात्रा को याद करते हुए वह बताती हैं कि हम कलाकार होटल जाने के लिए बैठे तब मेरा गाया गीत गाड़ी में बजने लगा, इसे सुन काफी चौंकी, पता किया तो पता चला कि सभी कलाकारों की गाड़ी में मेरा गाया गीत बज रहा है। इसे मॉरीशस ब्राडकास्टिंग कॉरपोरेशन की ओर से चलाया जा रहा था। इसे सुन काफी खुशी मिली |
बहुत कम लोगों को पता होगा कि वह कभी मणिपुरी नृत्य की एक अच्छी नृत्यांगना भी रह चुकी हैं | शारदा सिन्हा को बचपन से ही नृत्य और गायन से कितना लगाव था | भारतीय नृत्य कला मंदिर में नृत्य की परीक्षा के समय इनका दाहिना हाथ फ्रैक्चर हो गया लेकिन इसके बावजूद इन्होंने मणिपुरी नृत्य किया और अपनी कक्षा में प्रथम आईं | भारतीय नृत्य कला मंदिर के ऑडिटोरियम का उद‌्घाटन करने के लिए तब के राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधा कृष्णन आए, उस कार्यक्रम में इन्होंने मणिपुरी नृत्य पेश किया जिसे उन्होंने काफी सराहा | याद कर वह कहती हैं कि उनके गांव हुलास में दुर्गापूजा में नाटक होता था उसे देखने के लिए भी लड़कियां नहीं जाती थीं | पिता की दूरदर्शी सोच ने उन्हें घर से बाहर निकाला, घर पर गुरु को बुलाकर संगीत की शिक्षा दिलाई और बाद में भारतीय नृत्य कला मंदिर में नाम लिखवा दिया | उसी गांव में 1964 में पहली बार मंच पर भी गाकर रूढ़िवादी सोच को तोड़ा | बाद में गांव वाले परिवार वालों से पूछते कि शारदा अब कब गांव आएगी और गाएगी | वह कहती हैं कि पिता काफी प्रगतिशील थे इसलिए उन्होंने सपोर्ट किया लेकिन समाज तो रूढ़िवादी ही था इसलिए मायके के लोगों को बुरा लगता कि मैं नृत्य और गायन सीखती हूं |शारदा सिन्हा के जीवन का हमेशा से यह उसूल रहा है कि वह अच्छे गाने गाएं, जो भी गाया उसमें हमेशा गुणवत्ता का ख्याल रखा है | उनका मानना है कि अच्छा गाने वाले बहुत कम गाकर भी लोगों तक पहुंच सकते हैं और लोकप्रियता पा सकते हैं | अगर किसी गाने के बोल अश्लील या अच्छे नहीं हैं तो उसे वह नहीं गातीं | गायन में शालीनता और मिट्टी की सोंधी महक रहे यह कोशिश वह हमेशा करती हैं |यही कारण है कि बॉलीवुड से आए गायन के कई प्रस्ताव को भी नकार चुकी हैं |
✍️ अनूप नारायण सिंह

छठ महापर्व को अपने मधुर आवाज से सजाने और संवारने वाली शारदा सिन्हा जी का निधन हम सभी के लिए अत्यंत दुःखद और पीड़ादायक है...
05/11/2024

छठ महापर्व को अपने मधुर आवाज से सजाने और संवारने वाली शारदा सिन्हा जी का निधन हम सभी के लिए अत्यंत दुःखद और पीड़ादायक है।

उनका जाना एक युग का अंत है। लोकगीत और लोकसंस्कृति के सरंक्षण और संवर्धन के लिये उनका योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। उनके गीत सदैव हमारे धड़कनों में गूंजती रहेंगी।

छठी मैया के उन्हें अपने परम धाम में स्थान प्रदान करें, यही प्रार्थना है।

ओम शांति !!
शारदा सिन्हा जी पटना विश्वविद्यालय के मगध महिला कॉलेज की पूर्ववर्ती छात्रा रही है ।

निंदनीय😓😔प्राप्त जानकारी के अनुसार पटना यूनिवर्सिटी कबड्डी टीम को ईस्ट जोन 6 से 9 नवंबर को पूर्वांचल यूनिवर्सिटी में प्र...
05/11/2024

निंदनीय😓😔
प्राप्त जानकारी के अनुसार पटना यूनिवर्सिटी कबड्डी टीम को ईस्ट जोन 6 से 9 नवंबर को पूर्वांचल यूनिवर्सिटी में प्रतियोगिता के लिए जाना था जिसके लिए कबड्डी टीम के साथ ही और कुछ पटना यूनिवर्सिटी के छात्र नेता मिलकर इन्हें प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन से लड़ झगड़ के कुछ फंड पास कराए। फंड पास होने के पश्चात टीम के सभी साथियों को विश्वविद्यालय के कुलपति के द्वारा या आश्वासन दिया गया कि आपको हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी प्रतियोगिता में किसी तरह की कोई कमी नहीं की जाएगी मौजूदा हालात यह है कि कल टीम को पूर्वांचल यूनिवर्सिटी के लिए रवाना होना है और आज अभी तक ना उनके जाने का कोई सुविधा उपलब्ध कराया गया है और ना ही टीम के लिए ड्रेस, कबड्डी टीम के लोगों से यह कहा जा रहा है कि वह चांसलर ट्रॉफी में इस्तेमाल किए गए टी-शर्ट और ट्रैकसूट इस प्रतियोगिता में भी इस्तेमाल करें जबकि हालत यह है वह टी-शर्ट काफी लो क्वालिटी और ढीले डाले हैं जबकि चांसलर ट्रॉफी के टाइम से इस बार बहुत सारे प्लेयर में बदलाव भी हुए हैं। साथी ही अभी तक जाने का कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराया गया है वही विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा टीम के साथ जा रहे हैं विश्वविद्यालय अधिकारियों के लिए अलग से विशेष व्यवस्था कराया गया है जबकि प्रतियोगिता में शामिल होने वाले फ्लेयरों को जनरल ट्रेन से सफर करने के लिए बाध्य किया जा रहा है। पटना विश्वविद्यालय के डीन अनिल कुमार सर व स्पोर्ट्स सेक्रेट्री डॉ दीप नारायण सर से टीम के फ्लेयरों के द्वारा की जाने वाले मांग को सिरे से खारिज किया जा रहा है। विश्वविद्यालय से खेल प्रतियोगिता के नाम पर प्लयेरो को मिल रहे समर्थन के मामले में यूनिवर्सिटी साफ तौर पर अपने नजरिए बदली हुई है ऐसे में कोई भी प्रतिभागी विश्वविद्यालय का रिप्रेजेंटेशन कैसे किसी अन्य विश्वविद्यालय या अन्य राज्यों में स्थापित कर पाएगा जरूरी है आप सभी विश्वविद्यालय के प्रमुख लोगों को सामने आकर इस समस्या से जूझ रहे सभी प्रतिभागियों के समस्या का समाधान करना होगा, विश्वविद्यालय प्रशासन की मनमानी नहीं चलेगी।

29/10/2024
पटना विश्वविद्यालय NSUI के अध्यक्ष बनाए गए रमीज राजा।हार्दिक बधाई 💐
20/10/2024

पटना विश्वविद्यालय NSUI के अध्यक्ष बनाए गए रमीज राजा।

हार्दिक बधाई 💐

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