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🚨 इंडिया गठबंधन का BJP-JDU पर तीखा हमला: लोकतंत्र और जनता के हक की लड़ाई तेज! 💥नई दिल्ली: इंडिया गठबंधन ने बिहार में सत्...
25/07/2025

🚨 इंडिया गठबंधन का BJP-JDU पर तीखा हमला: लोकतंत्र और जनता के हक की लड़ाई तेज! 💥
नई दिल्ली: इंडिया गठबंधन ने बिहार में सत्तारूढ़ BJP-JDU गठबंधन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए तीखा हमला बोला है। 🗳️ गठबंधन ने आरोप लगाया है कि BJP-JDU की नीतियां लोकतंत्र को कमजोर कर रही हैं और जनता की आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। इंडिया गठबंधन के नेताओं ने एकजुट होकर जन-जन के हक और अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई शुरू करने का ऐलान किया है। ✊
क्या है विवाद?
इंडिया गठबंधन का कहना है कि BJP-JDU सरकार की नीतियां आम जनता के हितों के खिलाफ हैं। महंगाई, बेरोजगारी, और सामाजिक असमानता जैसे मुद्दों पर सरकार की नाकामी को उजागर करते हुए गठबंधन ने दावा किया कि बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है। गठबंधन के नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार लोकतांत्रिक संस्थानों पर दबाव डाल रही है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचला जा रहा है।
इंडिया गठबंधन की रणनीति
इंडिया गठबंधन ने इस मुहिम को जन-आंदोलन में बदलने की योजना बनाई है। गठबंधन के प्रमुख नेताओं ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे। यह लड़ाई सिर्फ सत्ता की नहीं, बल्कि देश के लोकतंत्र और संविधान को बचाने की है।" 🗣️ गठबंधन ने पूरे बिहार में रैलियों, जनसभाओं और सोशल मीडिया अभियानों के जरिए अपनी बात जनता तक पहुंचाने का फैसला किया है।
जनता की ताकत, गठबंधन की पुकार
इंडिया गठबंधन ने अपील की है कि बिहार की जनता इस मुहिम में शामिल हो और अपनी आवाज बुलंद करे। नेताओं ने कहा, "लोकतंत्र की रक्षा जनता के हाथ में है। BJP-JDU को जवाब देने का समय आ गया है!" गठबंधन ने खास तौर पर युवाओं और महिलाओं से इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने का आह्वान किया है।
सोशल मीडिया पर हलचल
इंडिया गठबंधन ने सोशल मीडिया को अपनी ताकत बनाते हुए और जैसे हैशटैग्स के साथ अभियान शुरू किया है। फेसबुक, ट्विटर और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर गठबंधन के समर्थक और कार्यकर्ता लगातार पोस्ट और रील्स शेयर कर रहे हैं, जिनमें सरकार की कथित नाकामियों को उजागर किया जा रहा है। 📱
आगे क्या?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इंडिया गठबंधन का यह हल्लाबोल बिहार की सियासत में बड़ा उलटफेर ला सकता है। आने वाले दिनों में गठबंधन की रैलियां और जनसभाएं इस मुहिम को और तेज करेंगी। दूसरी ओर, BJP-JDU गठबंधन ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा है कि वे जनता के हित में काम कर रहे हैं और इंडिया गठबंधन केवल सियासी फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है।
🔥 आप भी बनें इस बदलाव का हिस्सा!
इंडिया गठबंधन की इस मुहिम को समर्थन देने के लिए अपनी आवाज उठाएं। इस पोस्ट को शेयर करें और जनता की ताकत को हर कोने तक पहुंचाएं! 💪

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**कांवड़ यात्रा 2025: बस्ती में अश्लील डांस का वीडियो वायरल, भक्तों की आस्था पर उठे सवाल**उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में...
23/07/2025

**कांवड़ यात्रा 2025: बस्ती में अश्लील डांस का वीडियो वायरल, भक्तों की आस्था पर उठे सवाल**

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में चल रही कांवड़ यात्रा के दौरान एक ऐसा वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने इस पवित्र धार्मिक आयोजन की गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह वीडियो कांवड़ यात्रा के दौरान ट्रैक्टर पर कुछ डांसर्स द्वारा किए गए अश्लील डांस का है, जिसमें कांवड़िए भी उनके साथ गानों पर झूमते और थिरकते नजर आ रहे हैं। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों बल्कि पूरे देश में शिव भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। प्रसिद्ध भजन गायिका अनुराधा पौडवाल ने भी इस वीडियो पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए इसे "नॉनसेंस" करार दिया और इसे तुरंत बंद करने की अपील की।

# # # **क्या है पूरा मामला?**
जानकारी के अनुसार, यह घटना बस्ती जिले के दुबौलिया थाना क्षेत्र के एक गांव में हुई। कांवड़िए अयोध्या की पवित्र सरयू नदी से जल लेकर लौट रहे थे। इस दौरान एक ट्रैक्टर पर कुछ डांसर्स, जिनमें कुछ लड़कियां और किन्नर शामिल थे, भगवा वस्त्र पहनकर तेज संगीत पर अश्लील डांस करती दिखाई दीं। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि डांसर्स उत्तेजक अंदाज में नृत्य कर रहे थे, और उनके साथ कांवड़िए भी उत्साहपूर्वक थिरक रहे थे। यह दृश्य एक धार्मिक यात्रा के बजाय किसी उत्सव या डीजे नाइट जैसा प्रतीत हो रहा था।

यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोगों ने इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं दीं। कई यूजर्स ने इसे धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया, तो कुछ ने इसे "आस्था के नाम पर बेशर्मी का तमाशा" करार दिया। एक यूजर ने लिखा, "ये है कांवड़ का असली रूप? फुल मस्ती? क्या भोले शंकर ऐसे ही रंगमंच सजाते थे अपने दरबार में?" वहीं, एक अन्य यूजर ने टिप्पणी की, "पिकनिक में आस्था का चोला ओढ़ लिया गया है।"

# # # **कांवड़ यात्रा की पवित्रता पर सवाल**
कांवड़ यात्रा हिंदू धर्म में भगवान शिव के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक मानी जाती है। यह यात्रा हर साल सावन मास में आयोजित होती है, जिसमें लाखों श्रद्धालु हरिद्वार, गंगोत्री, गौमुख, और अयोध्या जैसे पवित्र स्थानों से गंगाजल या सरयू जल लेकर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं। इस दौरान कांवड़िए शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं और भगवान शिव की भक्ति में लीन रहते हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कांवड़ यात्रा की शुरुआत समुद्र मंथन की कथा से जुड़ी है, जब भगवान शिव ने हलाहल विष पीकर सृष्टि की रक्षा की थी। तब देवताओं ने गंगाजल अर्पित कर उनके कंठ को शीतल किया था। यही परंपरा आज कांवड़ यात्रा के रूप में जीवित है। लेकिन इस तरह के अश्लील प्रदर्शन ने इस पवित्र यात्रा की गरिमा को ठेस पहुंचाई है।

# # # **अनुराधा पौडवाल और हिंदू संगठनों की प्रतिक्रिया**
इस वायरल वीडियो पर भजन गायिका अनुराधा पौडवाल ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने सोशल मीडिया पर कमेंट करते हुए लिखा, "ये नॉनसेंस बंद करो प्लीज।" उनके इस बयान ने इस मुद्दे को और हवा दी, और कई लोग उनके समर्थन में सामने आए। हिंदू संगठनों ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि कांवड़ यात्रा आस्था का पर्व है, न कि मनोरंजन का मंच। उन्होंने प्रशासन से इस घटना की गंभीरता से जांच करने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।

# # # **सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा**
सोशल मीडिया पर इस वीडियो को लेकर लोगों में भारी नाराजगी देखी जा रही है। कई यूजर्स ने इसे संस्कृति पर हमला करार दिया और कहा कि इस तरह के कृत्य भगवान शिव की भक्ति का अपमान हैं। एक यूजर ने लिखा, "सोचा कभी हमारे भगवान के कार्टून बनाकर सड़कों पर घूमते हैं। कोई लगाम नहीं, कोई रोकटोक नहीं।" एक अन्य यूजर ने सवाल उठाया, "जिसका जो मन आए वो गाए, जिसको अश्लील डांस करना है करे। क्या ये हमारी संस्कृति है?"

# # # **प्रशासन और समाज की जिम्मेदारी**
इस घटना ने न केवल कांवड़ यात्रा की पवित्रता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि प्रशासन और समाज की जिम्मेदारी पर भी चर्चा शुरू कर दी है। कई लोगों का मानना है कि इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सख्त नियम बनाए जाने चाहिए। कांवड़ यात्रा के दौरान डीजे और तेज संगीत पर पहले भी विवाद हो चुके हैं, और अब यह नया मुद्दा सामने आया है। समाजशास्त्रियों का कहना है कि कांवड़ यात्रा का स्वरूप पिछले कुछ वर्षों में बदला है, और इसमें युवाओं की भागीदारी बढ़ने के साथ-साथ कुछ आधुनिक तत्व भी शामिल हो गए हैं, जो इसकी मूल भावना को प्रभावित कर रहे हैं।

# # # **आगे क्या?**
कांवड़ यात्रा जैसे धार्मिक आयोजनों में मर्यादा और पवित्रता बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या आस्था के नाम पर इस तरह के कृत्य स्वीकार्य हैं? लोगों का कहना है कि धार्मिक यात्राओं में सांस्कृतिक और धार्मिक मर्यादा का पालन करना चाहिए। प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि वह इस मामले की जांच करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उचित कदम उठाए।

कांवड़ यात्रा भगवान शिव के प्रति भक्ति और तपस्या का प्रतीक है। इसे मनोरंजन का साधन बनाने के बजाय, इसकी पवित्रता को बनाए रखने की जरूरत है, ताकि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था पर कोई आंच न आए।

*आप इस घटना के बारे में क्या सोचते हैं? अपनी राय कमेंट में साझा करें।*

**बिहार में ‘वोटबंदी’ के खिलाफ संसद परिसर में INDIA गठबंधन का जोरदार हल्लाबोल**नई दिल्ली, 23 जुलाई 2025: बिहार में मतदात...
23/07/2025

**बिहार में ‘वोटबंदी’ के खिलाफ संसद परिसर में INDIA गठबंधन का जोरदार हल्लाबोल**

नई दिल्ली, 23 जुलाई 2025: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सियासी घमासान चरम पर पहुंच गया है। मंगलवार को संसद परिसर में विपक्षी गठबंधन INDIA ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन का नेतृत्व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने किया। विपक्ष ने इसे ‘वोटबंदी’ करार देते हुए इसे लोकतंत्र पर हमला बताया और संगठित वोट चोरी का आरोप लगाया।

**क्या है ‘वोटबंदी’ का मुद्दा?**
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया शुरू की है। इसके तहत 2003 की मतदाता सूची में शामिल न होने वाले मतदाताओं को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने होंगे। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया खासकर दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के मतदाताओं को निशाना बनाकर उनके वोटिंग अधिकार छीनने की साजिश है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह प्रक्रिया सत्तारूढ़ NDA सरकार के इशारे पर चल रही है, जिसका मकसद बिहार चुनाव में विपक्ष को कमजोर करना है।

**संसद में हंगामा, सड़कों पर प्रदर्शन**
मंगलवार को संसद के मानसून सत्र के दूसरे दिन इस मुद्दे ने दोनों सदनों में जमकर हंगामा मचाया। लोकसभा और राज्यसभा में प्रश्नकाल और शून्यकाल भी नहीं चल सका। विपक्षी सांसदों ने तख्तियां लेकर नारेबाजी की और संसद के मकर द्वार पर धरना दिया। बिहार विधानसभा में भी विपक्षी विधायकों ने काले कपड़े पहनकर विरोध जताया। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राकांपा (एसपी), शिवसेना (यूबीटी), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), और वाम दलों के नेताओं ने एकजुट होकर इस प्रक्रिया को ‘अलोकतांत्रिक’ करार दिया।

राहुल गांधी ने प्रदर्शन के दौरान कहा, “यह वोटबंदी नहीं, लोकतंत्र का कत्ल है। बिहार की जनता का वोट छीनने की साजिश को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।” प्रियंका गांधी ने भी इस मुद्दे पर हुंकार भरी और कहा कि यह संविधान और लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला है।

**सुप्रीम कोर्ट में भी मामला**
इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हो चुकी है। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉय माल्य बागची की पीठ ने 10 जुलाई को सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग से इस प्रक्रिया की टाइमिंग पर सवाल उठाए। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि 11 दस्तावेजों को अनिवार्य करना पक्षपातपूर्ण है और इससे लाखों मतदाताओं के नाम कट सकते हैं। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि वह संवैधानिक संस्था के काम में हस्तक्षेप नहीं करेगा, लेकिन आयोग को प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने को कहा।

**विपक्ष के आरोप, सरकार का जवाब**
विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि बिहार में अररिया, पूर्णिया और किशनगंज जैसे जिलों में मतदाता सूची में अनियमितताएं देखी गई हैं। उनका दावा है कि आर्थिक रूप से कमजोर और प्रवासी मजदूरों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। दूसरी ओर, बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, “भारत का संविधान केवल देश के नागरिकों को वोट का अधिकार देता है। अगर मतदाता सूची की जांच हो रही है, तो इसमें हाय-तौबा क्यों? यह राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल है।”

**सियासी माहौल गर्म**
बिहार में इस मुद्दे ने सियासी माहौल को पूरी तरह गरमा दिया है। विपक्षी गठबंधन INDIA ने इसे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले का ‘चुनावी हथकंडा’ करार दिया है। वहीं, NDA नेताओं का कहना है कि यह प्रक्रिया अवैध प्रवासियों को वोटिंग से रोकने के लिए जरूरी है।

संसद में इस मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष ने स्थगन प्रस्ताव पेश किए हैं। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर और राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने इस पर तुरंत बहस की मांग की है। हालांकि, सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले जैसे मुद्दों पर चर्चा को प्राथमिकता देने की बात कही है।

**आगे क्या?**
विपक्ष ने इस मुद्दे को जन-आंदोलन बनाने की घोषणा की है। बिहार में जगह-जगह धरने-प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से नहीं हुई, तो बिहार में मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग अपने वोटिंग अधिकार से वंचित हो सकता है। दूसरी ओर, चुनाव आयोग का कहना है कि यह एक राष्ट्रीय अभ्यास है और बिहार से इसकी शुरुआत की गई है।

यह मुद्दा न केवल बिहार की सियासत को प्रभावित कर रहा है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी लोकतंत्र और मतदाता अधिकारों पर बहस को तेज कर रहा है। आने वाले दिनों में संसद और सड़कों पर इस मुद्दे पर और हंगामा होने की संभावना है।

21/07/2025

सऊदी अरब के 'स्लीपिंग प्रिंस' के नाम से मशहूर **प्रिंस अल-वलीद बिन खालिद बिन तलाल अल सऊद** का 36 वर्ष की आयु में 19 जुलाई 2025 को निधन हो गया। उन्होंने अपने जीवन के लगभग दो दशक (20 साल) कोमा में बिताए, जिसके कारण उन्हें पूरी दुनिया में 'स्लीपिंग प्रिंस' के रूप में जाना जाता था। उनकी कहानी न केवल सऊदी अरब, बल्कि पूरी दुनिया के लिए धैर्य, विश्वास और पारिवारिक प्रेम की मिसाल बन गई। आइए, इस दुखद और प्रेरणादायक कहानी को विस्तार से समझें।

# # # **प्रिंस अल-वलीद का परिचय**
- **जन्म और परिवार**: प्रिंस अल-वलीद का जन्म 18 अप्रैल 1990 को हुआ था। वे सऊदी शाही परिवार के प्रमुख सदस्य **प्रिंस खालिद बिन तलाल अल सऊद** के सबसे बड़े बेटे थे। उनके चाचा, **प्रिंस अल-वलीद बिन तलाल**, एक प्रसिद्ध अरबपति व्यवसायी हैं, जिनकी संपत्ति 2024 में फोर्ब्स के अनुसार लगभग 16.4 अरब डॉलर थी। प्रिंस अल-वलीद सऊदी अरब के संस्थापक **राजा अब्दुलअज़ीज़** के परपोते थे और शाही परिवार की एक प्रभावशाली शाखा से ताल्लुक रखते थे।[](सऊदी अरब के 'स्लीपिंग प्रिंस' के नाम से मशहूर **प्रिंस अल-वलीद बिन खालिद बिन तलाल अल सऊद** का 36 वर्ष की आयु में 19 जुलाई 2025 को निधन हो गया। उन्होंने अपने जीवन के लगभग दो दशक (20 साल) कोमा में बिताए, जिसके कारण उन्हें पूरी दुनिया में 'स्लीपिंग प्रिंस' के रूप में जाना जाता था। उनकी कहानी न केवल सऊदी अरब, बल्कि पूरी दुनिया के लिए धैर्य, विश्वास और पारिवारिक प्रेम की मिसाल बन गई। आइए, इस दुखद और प्रेरणादायक कहानी को विस्तार से समझें।

# # # **प्रिंस अल-वलीद का परिचय**
- **जन्म और परिवार**: प्रिंस अल-वलीद का जन्म 18 अप्रैल 1990 को हुआ था। वे सऊदी शाही परिवार के प्रमुख सदस्य **प्रिंस खालिद बिन तलाल अल सऊद** के सबसे बड़े बेटे थे। उनके चाचा, **प्रिंस अल-वलीद बिन तलाल**, एक प्रसिद्ध अरबपति व्यवसायी हैं, जिनकी संपत्ति 2024 में फोर्ब्स के अनुसार लगभग 16.4 अरब डॉलर थी। प्रिंस अल-वलीद सऊदी अरब के संस्थापक **राजा अब्दुलअज़ीज़** के परपोते थे और शाही परिवार की एक प्रभावशाली शाखा से ताल्लुक रखते थे।
- **शिक्षा**: 2005 में, 15 वर्ष की आयु में, प्रिंस अल-वलीद लंदन में एक सैन्य कॉलेज में कैडेट के रूप में पढ़ाई कर रहे थे, जो उनके उज्ज्वल भविष्य की ओर एक कदम था।

# # # **हादसा जो बदल गया जीवन**
- **2005 का कार हादसा**: साल 2005 में, जब प्रिंस अल-वलीद केवल 15 साल के थे, लंदन में एक भीषण कार दुर्घटना में वे गंभीर रूप से घायल हो गए। इस हादसे में उनके सिर में गंभीर चोटें आईं, जिसके परिणामस्वरूप **ब्रेन हेमरेज** (मस्तिष्क में रक्तस्राव) और **आंतरिक रक्तस्राव** हुआ। इस दुर्घटना ने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया।
- **कोमा में प्रवेश**: हादसे के बाद, उन्हें तुरंत सऊदी अरब लाया गया और रियाद के **किंग अब्दुलअज़ीज़ मेडिकल सिटी** में भर्ती किया गया। उनकी स्थिति इतनी गंभीर थी कि वे कोमा में चले गए और कभी पूरी तरह होश में नहीं आ सके। मेडिकल साइंस ने उन्हें **क्लिनिकली अनकंसियस** (नैदानिक रूप से अचेत) घोषित कर दिया था।
# # # **20 साल का कोमा और परिवार का विश्वास**
- **मेडिकल देखभाल**: प्रिंस अल-वलीद को रियाद के एक विशेष अस्पताल में **वेंटिलेटर** और **लाइफ सपोर्ट सिस्टम** पर रखा गया। उनकी देखभाल के लिए 24 घंटे एक विशेष मेडिकल टीम तैनात थी। अमेरिका और स्पेन से विशेषज्ञ न्यूरोलॉजिस्ट बुलाए गए, लेकिन कोई भी उन्हें होश में नहीं ला सका।
- **पिता का अटूट विश्वास**: प्रिंस अल-वलीद के पिता, **प्रिंस खालिद बिन तलाल**, ने अपने बेटे के ठीक होने की उम्मीद कभी नहीं छोड़ी। 2015 में, जब डॉक्टरों ने लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाने की सलाह दी, तो प्रिंस खालिद ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। उनका कहना था, **"जीवन और मृत्यु का फैसला केवल अल्लाह के हाथ में है। अगर अल्लाह चाहता कि वह मर जाए, तो हादसे में ही उसकी जान चली जाती।"** वे अक्सर अपने बेटे के बिस्तर के पास बैठकर कुरान पढ़ते और उसकी सलामती के लिए दुआ करते थे।
- **आशा की किरण**: 2019 में, प्रिंस अल-वलीद की उंगलियों और सिर में हल्की हलचल देखी गई, जिसने परिवार और उनके चाहने वालों में आशा जगाई। एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें उनकी मामूली शारीरिक प्रतिक्रियाएं दिखाई गईं। हालांकि, उनकी स्थिति में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ, और ये अफवाहें कि वे कोमा से बाहर आ गए, शाही परिवार ने खारिज कर दीं

# # # **निधन और दुनिया भर में शोक**
- **निधन की पुष्टि**: 19 जुलाई 2025 को, प्रिंस अल-वलीद का निधन हो गया। उनके पिता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक भावुक पोस्ट के जरिए इसकी पुष्टि की। उन्होंने कुरान की आयत का हवाला देते हुए लिखा: **"हे शांत आत्मा, अपने प्रभु के पास लौट आओ, जो तुझसे प्रसन्न है। मेरे नेक बंदों में शामिल हो और मेरे स्वर्ग में प्रवेश कर।"** उन्होंने आगे कहा, **"अल्लाह के हुक्म और नियति में पूर्ण विश्वास के साथ, और गहरे दुख के साथ, हम अपने प्रिय पुत्र प्रिंस अल-वलीद बिन खालिद बिन तलाल बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं।"**
- **अंतिम संस्कार**: प्रिंस अल-वलीद का अंतिम संस्कार 20 जुलाई 2025 को रियाद की **इमाम तुर्की बिन अब्दुल्ला मस्जिद** में असर की नमाज के बाद किया गया। पुरुषों की जनाजे की नमाज मस्जिद में हुई, जबकि महिलाओं की अंतिम विदाई **किंग फैसल स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल** में ज़ुहर की नमाज के बाद आयोजित की गई। शोक सभाएं रविवार, सोमवार और मंगलवार को रखी गईं।
- **सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं**: प्रिंस के निधन की खबर के बाद, सोशल मीडिया पर ** ** ट्रेंड करने लगा। हजारों लोगों ने उनके लिए शोक संदेश और प्रार्थनाएं साझा कीं। एक यूजर ने लिखा, **"20 साल तक बिना हिम्मत हारे, उम्मीद और प्यार की जीवंत मिसाल बने रहे, अलविदा स्लीपिंग प्रिंस।"** उनकी कहानी को न केवल एक व्यक्ति की कहानी, बल्कि एक पिता के अटूट प्रेम और विश्वास की मिसाल के रूप में याद किया गया।

# # # **प्रिंस अल-वलीद की विरासत**
- **पिता-पुत्र का रिश्ता**: प्रिंस अल-वलीद की कहानी उनके पिता प्रिंस खालिद के समर्पण और विश्वास के बिना अधूरी है। उनके पिता ने 20 साल तक हर दिन अपने बेटे के ठीक होने की उम्मीद रखी और उसे जीवन रक्षक प्रणाली पर बनाए रखा। यह कहानी सऊदी अरब और अरब जगत में एक भावनात्मक प्रतीक बन गई।
- **सामाजिक प्रभाव**: प्रिंस अल-वलीद की कहानी ने दुनिया भर में लोगों को प्रेरित किया। उनकी तस्वीरें और हेल्थ अपडेट्स सोशल मीडिया पर वायरल होती थीं, और लोग उनकी सलामती के लिए दुआ करते थे। उनकी कहानी ने मानवीय जज़्बे, धैर्य और पारिवारिक प्रेम को दर्शाया।
- **चिकित्सा दृष्टिकोण**: प्रिंस अल-वलीद का मामला चिकित्सा इतिहास में सबसे लंबे कोमा के मामलों में से एक बन गया। उनकी देखभाल में विश्व के सर्वश्रेष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट और मेडिकल सुविधाओं का उपयोग किया गया, लेकिन मस्तिष्क की गंभीर चोट के कारण उनकी स्थिति में सुधार नहीं हो सका।

# # # **गलत सूचनाओं का खंडन**
कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में दावा किया गया था कि प्रिंस अल-वलीद कोमा से बाहर आ गए थे, खासकर एक पोस्ट में उनकी मां का जिक्र किया गया। हालांकि, यह जानकारी गलत थी। शाही परिवार ने स्पष्ट किया कि प्रिंस कभी होश में नहीं आए, और उनकी मृत्यु कोमा में ही हुई।

# # # **निष्कर्ष**
प्रिंस अल-वलीद बिन खालिद बिन तलाल अल सऊद, जिन्हें 'स्लीपिंग प्रिंस' के नाम से जाना जाता था, की कहानी एक दुखद लेकिन प्रेरणादायक अध्याय है। 15 साल की उम्र में एक हादसे ने उनके जीवन को बदल दिया, और 20 साल तक कोमा में रहने के बाद, उन्होंने 36 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके पिता का विश्वास, परिवार का समर्पण और दुनिया भर के लोगों की दुआएं उनकी कहानी को एक अनोखी मिसाल बनाती हैं। उनकी मृत्यु ने न केवल सऊदी शाही परिवार, बल्कि पूरी दुनिया को शोक में डुबो दिया।
**श्रद्धांजलि**: प्रिंस अल-वलीद की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन की सबसे कठिन परिस्थितियों में भी, प्रेम, विश्वास और धैर्य की शक्ति हमें जोड़े रखती है। उनकी आत्मा को शांति मिल
- **शिक्षा**: 2005 में, 15 वर्ष की आयु में, प्रिंस अल-वलीद लंदन में एक सैन्य कॉलेज में कैडेट के रूप में पढ़ाई कर रहे थे, जो उनके उज्ज्वल भविष्य की ओर एक कदम था।

# # # **हादसा जो बदल गया जीवन**
- **2005 का कार हादसा**: साल 2005 में, जब प्रिंस अल-वलीद केवल 15 साल के थे, लंदन में एक भीषण कार दुर्घटना में वे गंभीर रूप से घायल हो गए। इस हादसे में उनके सिर में गंभीर चोटें आईं, जिसके परिणामस्वरूप **ब्रेन हेमरेज** (मस्तिष्क में रक्तस्राव) और **आंतरिक रक्तस्राव** हुआ। इस दुर्घटना ने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया।
- **कोमा में प्रवेश**: हादसे के बाद, उन्हें तुरंत सऊदी अरब लाया गया और रियाद के **किंग अब्दुलअज़ीज़ मेडिकल सिटी** में भर्ती किया गया। उनकी स्थिति इतनी गंभीर थी कि वे कोमा में चले गए और कभी पूरी तरह होश में नहीं आ सके। मेडिकल साइंस ने उन्हें **क्लिनिकली अनकंसियस** (नैदानिक रूप से अचेत) घोषित कर दिया था।

# # # **20 साल का कोमा और परिवार का विश्वास**
- **मेडिकल देखभाल**: प्रिंस अल-वलीद को रियाद के एक विशेष अस्पताल में **वेंटिलेटर** और **लाइफ सपोर्ट सिस्टम** पर रखा गया। उनकी देखभाल के लिए 24 घंटे एक विशेष मेडिकल टीम तैनात थी। अमेरिका और स्पेन से विशेषज्ञ न्यूरोलॉजिस्ट बुलाए गए, लेकिन कोई भी उन्हें होश में नहीं ला सका।
- **पिता का अटूट विश्वास**: प्रिंस अल-वलीद के पिता, **प्रिंस खालिद बिन तलाल**, ने अपने बेटे के ठीक होने की उम्मीद कभी नहीं छोड़ी। 2015 में, जब डॉक्टरों ने लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाने की सलाह दी, तो प्रिंस खालिद ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। उनका कहना था, **"जीवन और मृत्यु का फैसला केवल अल्लाह के हाथ में है। अगर अल्लाह चाहता कि वह मर जाए, तो हादसे में ही उसकी जान चली जाती।"** वे अक्सर अपने बेटे के बिस्तर के पास बैठकर कुरान पढ़ते और उसकी सलामती के लिए दुआ करते थे।
- **आशा की किरण**: 2019 में, प्रिंस अल-वलीद की उंगलियों और सिर में हल्की हलचल देखी गई, जिसने परिवार और उनके चाहने वालों में आशा जगाई। एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें उनकी मामूली शारीरिक प्रतिक्रियाएं दिखाई गईं। हालांकि, उनकी स्थिति में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ, और ये अफवाहें कि वे कोमा से बाहर आ गए, शाही परिवार ने खारिज कर दीं।

# # # **निधन और दुनिया भर में शोक**
- **निधन की पुष्टि**: 19 जुलाई 2025 को, प्रिंस अल-वलीद का निधन हो गया। उनके पिता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक भावुक पोस्ट के जरिए इसकी पुष्टि की। उन्होंने कुरान की आयत का हवाला देते हुए लिखा: **"हे शांत आत्मा, अपने प्रभु के पास लौट आओ, जो तुझसे प्रसन्न है। मेरे नेक बंदों में शामिल हो और मेरे स्वर्ग में प्रवेश कर।"** उन्होंने आगे कहा, **"अल्लाह के हुक्म और नियति में पूर्ण विश्वास के साथ, और गहरे दुख के साथ, हम अपने प्रिय पुत्र प्रिंस अल-वलीद बिन खालिद बिन तलाल बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं।"**
- **अंतिम संस्कार**: प्रिंस अल-वलीद का अंतिम संस्कार 20 जुलाई 2025 को रियाद की **इमाम तुर्की बिन अब्दुल्ला मस्जिद** में असर की नमाज के बाद किया गया। पुरुषों की जनाजे की नमाज मस्जिद में हुई, जबकि महिलाओं की अंतिम विदाई **किंग फैसल स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल** में ज़ुहर की नमाज के बाद आयोजित की गई। शोक सभाएं रविवार, सोमवार और मंगलवार को रखी गईं।
- **सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं**: प्रिंस के निधन की खबर के बाद, सोशल मीडिया पर ** ** ट्रेंड करने लगा। हजारों लोगों ने उनके लिए शोक संदेश और प्रार्थनाएं साझा कीं। एक यूजर ने लिखा, **"20 साल तक बिना हिम्मत हारे, उम्मीद और प्यार की जीवंत मिसाल बने रहे, अलविदा स्लीपिंग प्रिंस।"** उनकी कहानी को न केवल एक व्यक्ति की कहानी, बल्कि एक पिता के अटूट प्रेम और विश्वास की मिसाल के रूप में याद किया गया।

# # # **प्रिंस अल-वलीद की विरासत**
- **पिता-पुत्र का रिश्ता**: प्रिंस अल-वलीद की कहानी उनके पिता प्रिंस खालिद के समर्पण और विश्वास के बिना अधूरी है। उनके पिता ने 20 साल तक हर दिन अपने बेटे के ठीक होने की उम्मीद रखी और उसे जीवन रक्षक प्रणाली पर बनाए रखा। यह कहानी सऊदी अरब और अरब जगत में एक भावनात्मक प्रतीक बन गई।
- **सामाजिक प्रभाव**: प्रिंस अल-वलीद की कहानी ने दुनिया भर में लोगों को प्रेरित किया। उनकी तस्वीरें और हेल्थ अपडेट्स सोशल मीडिया पर वायरल होती थीं, और लोग उनकी सलामती के लिए दुआ करते थे। उनकी कहानी ने मानवीय जज़्बे, धैर्य और पारिवारिक प्रेम को दर्शाया।
- **चिकित्सा दृष्टिकोण**: प्रिंस अल-वलीद का मामला चिकित्सा इतिहास में सबसे लंबे कोमा के मामलों में से एक बन गया। उनकी देखभाल में विश्व के सर्वश्रेष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट और मेडिकल सुविधाओं का उपयोग किया गया, लेकिन मस्तिष्क की गंभीर चोट के कारण उनकी स्थिति में सुधार नहीं हो सका।

# # # **गलत सूचनाओं का खंडन**
कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में दावा किया गया था कि प्रिंस अल-वलीद कोमा से बाहर आ गए थे, खासकर एक पोस्ट में उनकी मां का जिक्र किया गया। हालांकि, यह जानकारी गलत थी। शाही परिवार ने स्पष्ट किया कि प्रिंस कभी होश में नहीं आए, और उनकी मृत्यु कोमा में ही हुई।

# # # **निष्कर्ष**
प्रिंस अल-वलीद बिन खालिद बिन तलाल अल सऊद, जिन्हें 'स्लीपिंग प्रिंस' के नाम से जाना जाता था, की कहानी एक दुखद लेकिन प्रेरणादायक अध्याय है। 15 साल की उम्र में एक हादसे ने उनके जीवन को बदल दिया, और 20 साल तक कोमा में रहने के बाद, उन्होंने 36 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके पिता का विश्वास, परिवार का समर्पण और दुनिया भर के लोगों की दुआएं उनकी कहानी को एक अनोखी मिसाल बनाती हैं। उनकी मृत्यु ने न केवल सऊदी शाही परिवार, बल्कि पूरी दुनिया को शोक में डुबो दिया।

**श्रद्धांजलि**: प्रिंस अल-वलीद की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन की सबसे कठिन परिस्थितियों में भी, प्रेम, विश्वास और धैर्य की शक्ति हमें जोड़े रखती है। उनकी आत्मा को शांति मिले।

19/07/2025

सिवान में 24 घंटे में तीन हत्याएं: बिहार सरकार और प्रशासन की नाकामी पर सवाल
सिवान, बिहार: बिहार के सिवान जिले में पिछले 24 घंटों में हुई तीन हत्याओं ने एक बार फिर राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सदर हॉस्पिटल, पकड़ी मोड़, और बड़हरिया में हुई इन जघन्य वारदातों ने न केवल स्थानीय लोगों में दहशत फैलाई है, बल्कि बिहार सरकार और सिवान प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी उंगलियां उठा रही हैं। विपक्ष ने इन घटनाओं को "महाजंगल राज" की वापसी करार देते हुए नीतीश कुमार सरकार को कठघरे में खड़ा किया है।
सदर हॉस्पिटल के गेट पर गोलीबारी
शुक्रवार देर रात सिवान सदर हॉस्पिटल के मुख्य गेट पर एक सनसनीखेज गोलीबारी की घटना सामने आई। अज्ञात अपराधियों ने एक एंबुलेंस चालक को निशाना बनाकर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं, जिसमें उसे दो गोलियां लगीं। घायल चालक को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से उसे पटना रेफर किया गया। इस घटना ने सिवान में अपराधियों के बेलगाम होने की तस्वीर को और स्पष्ट कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल जैसे सुरक्षित स्थान पर इस तरह की वारदात ने उनके विश्वास को हिला दिया है।
पकड़ी मोड़ और बड़हरिया में हत्याएं
सिवान के पकड़ी मोड़ और बड़हरिया थाना क्षेत्र में भी हत्या की दो अन्य घटनाएं सामने आई हैं। बड़हरिया के लकड़ी दरगाह में घरेलू विवाद के चलते एक भाई ने अपने चचेरे भाई की चाकू मारकर हत्या कर दी। यह घटना कुरैशी मोहल्ले की बताई जा रही है। दूसरी ओर, पकड़ी मोड़ के पास आपसी रंजिश में एक युवक की हत्या कर दी गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन हत्याओं के पीछे पुरानी रंजिश और अवैध कारोबार जैसे शराब तस्करी के विवाद हैं।
मलमलिया हत्याकांड की गूंज
हाल ही में सिवान के भगवानपुर हाट थाना क्षेत्र के मलमलिया चौक पर हुए तिहरे हत्याकांड ने पूरे राज्य को झकझोर दिया था। इस घटना में तीन लोगों—मुन्ना सिंह, कन्हैया सिंह, और रोहित सिंह—की तलवार से काटकर ह hate crime दी गई थी। दो अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे, जिन्हें सिवान सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस हत्याकांड के पीछे आपसी वर्चस्व और शराब के अवैध कारोबार को लेकर रंजिश बताई जा रही है। मृतक कन्हैया सिंह ने घटना से एक दिन पहले सात लोगों के खिलाफ मारपीट और लूट की शिकायत दर्ज की थी, जिसके बाद इस हत्या की साजिश रची गई।
प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल
इन घटनाओं के बाद सिवान प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। मलमलिया हत्याकांड में पुलिस की देरी से पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन किया था। गुस्साए ग्रामीणों ने एक बाइक को आग के हवाले कर दिया और बाजार बंद करा दिया। पुलिस की लापरवाही के चलते भगवानपुर हाट के थानाध्यक्ष सुजीत कुमार चौधरी को निलंबित कर दिया गया, लेकिन यह कदम जनता का गुस्सा शांत करने के लिए नाकافی साबित हुआ।
सदर हॉस्पिटल के गेट पर हुई गोलीबारी ने भी पुलिस की सतर्कता पर सवाल उठाए हैं। लोग पूछ रहे हैं कि जब अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थानों पर भी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो पा रही, तो आम जनता कैसे सुरक्षित रहेगी? विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने इन घटनाओं को "राक्षस राज" करार देते हुए नीतीश सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का सुशासन अब केवल नारा बनकर रह गया है।
सरकार और पुलिस की प्रतिक्रिया
सिवान के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार तिवारी ने मलमलिया हत्याकांड में सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। अब तक इस मामले में सात आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, और मुख्य आरोपी शत्रुघ्न सिंह सहित एक अन्य ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया है। हालांकि, सदर हॉस्पिटल गोलीबारी और अन्य हत्याओं में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन जनता में विश्वास की कमी साफ दिख रही है।
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने सिवान में बढ़ते अपराध पर सवाल उठाने वाले पत्रकारों को "1993 से 2005 का इतिहास पढ़ने" की नसीहत दी, जिससे विवाद और बढ़ गया। विपक्ष ने इसे सरकार की असंवेदनशीलता करार दिया है।
जनता में आक्रोश, विपक्ष का हमला
इन हत्याओं ने सिवान में तनाव का माहौल पैदा कर दिया है। मलमलिया चौक पर हुए तिहरे हत्याकांड के बाद ग्रामीणों ने सड़क जाम कर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। स्थानीय लोगों का कहना है कि अपराधी बेखौफ होकर वारदात को अंजाम दे रहे हैं, और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। विपक्षी दलों, खासकर राजद और कांग्रेस, ने इन घटनाओं को नीतीश सरकार की नाकामी का सबूत बताया है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, "बिहार में अपराधी सत्ता के संरक्षण में खुलेआम हत्याएं कर रहे हैं। नीतीश जी का सुशासन अब अपराधियों का शासन बन गया है।"
क्या है अपराध का कारण?
सिवान में बढ़ते अपराध के पीछे कई कारण सामने आ रहे हैं। मलमलिया हत्याकांड में शराब के अवैध कारोबार और आपसी वर्चस्व की लड़ाई को मुख्य वजह बताया गया है। बड़हरिया और पकड़ी मोड़ की घटनाओं में घरेलू विवाद और पुरानी रंजिश सामने आई हैं। इसके अलावा, सिवान का आपराधिक इतिहास, खासकर मो. शहाबुद्दीन जैसे अपराधियों का प्रभाव, भी इन वारदातों को बढ़ावा दे रहा है। स्थानीय लोग कहते हैं कि पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता ने अपराधियों के हौसले बुलंद कर दिए हैं।
आगे की राह
सिवान में लगातार हो रही हत्याओं ने बिहार सरकार के लिए एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। जनता अब ठोस कार्रवाई और सुरक्षा की मांग कर रही है। सिवान के सांसद और अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी इन घटनाओं की निंदा की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
बिहार सरकार को अब न केवल अपराधियों पर नकेल कसने की जरूरत है, बल्कि पुलिस और प्रशासन की जवाबदेही भी सुनिश्चित करनी होगी। सिवान जैसे संवेदनशील जिले में कानून-व्यवस्था को मजबूत करने के लिए विशेष पुलिस बल की तैनाती और अपराधियों के खिलाफ अभियान चलाने की मांग जोर पकड़ रही है।
मांगें:
सभी हत्याकांडों के दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी और कड़ी सजा।
सिवान में पुलिस गश्त और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना।
प्रशासन की जवाबदेही तय करने के लिए स्वतंत्र जांच।
अपराध के मूल कारणों, जैसे अवैध शराब कारोबार, पर सख्ती से रोक।
सिवान की जनता अब जवाब चाहती है। क्या नीतीश सरकार इस चुनौती का सामना कर पाएगी, या बिहार एक बार फिर जंगल राज की ओर बढ़ रहा है? यह सवाल हर बिहारी के मन में है।

सिवान सदर अस्पताल के सामने फिर गूंजी गोलियां, प्रदीप कुमार की हालत नाजुक, पटना रेफर**सिवान: बिहार के सिवान जिले में एक ब...
18/07/2025

सिवान सदर अस्पताल के सामने फिर गूंजी गोलियां, प्रदीप कुमार की हालत नाजुक, पटना रेफर**

सिवान: बिहार के सिवान जिले में एक बार फिर से अपराधियों के हौसले बुलंद नजर आए। सिवान सदर अस्पताल के गेट के सामने दिनदहाड़े गोलीबारी की सनसनीखेज घटना ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी है। इस घटना में प्रदीप कुमार नामक युवक को गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गया है। उनकी हालत नाजुक बताई जा रही है, और सिवान सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए पटना के पीएमसीएच रेफर कर दिया है।

**क्या है पूरा मामला?**
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, यह गोलीबारी आपसी रंजिश का नतीजा है। बताया जा रहा है कि प्रदीप कुमार और कुछ अन्य व्यक्तियों के बीच पुरानी दुश्मनी चल रही थी, जिसके चलते यह खूनी वारदात अंजाम दी गई। घटना शुक्रवार को उस समय हुई, जब प्रदीप कुमार सिवान सदर अस्पताल के आसपास मौजूद थे। अचानक कुछ हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। गोलीबारी की आवाज सुनकर आसपास के लोग दहशत में आ गए और मौके पर अफरा-तफरी मच गई।

स्थानीय लोगों ने तुरंत प्रदीप कुमार को सिवान सदर अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उनकी गंभीर हालत को देखते हुए प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें पटना रेफर कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, प्रदीप को सीने और पेट में गोली लगी है, जिसके कारण उनकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

**पुलिस जांच में जुटी**
घटना की सूचना मिलते ही सिवान पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू कर दी। पुलिस ने घटनास्थल से कुछ खोखे बरामद किए हैं और फॉरेंसिक टीम को साक्ष्य जुटाने के लिए बुलाया गया है। सिवान के एसपी ने बताया कि यह मामला आपसी रंजिश से जुड़ा प्रतीत होता है, और पुलिस संदिग्धों की तलाश में छापेमारी कर रही है। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के बयान भी दर्ज किए गए हैं, जिनके आधार पर पुलिस हमलावरों की पहचान करने की कोशिश में जुटी है।

**इलाके में दहशत का माहौल**
सिवान सदर अस्पताल जैसे संवेदनशील और सार्वजनिक स्थान पर दिनदहाड़े गोलीबारी की घटना ने स्थानीय लोगों में डर का माहौल पैदा कर दिया है। ग्रामीणों और मरीजों के परिजनों में आक्रोश देखा जा रहा है, और लोग प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस घटना ने एक बार फिर सिवान में बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं।

**पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं**
गौरतलब है कि सिवान में गोलीबारी और आपराधिक घटनाएं पहले भी सुर्खियों में रही हैं। हाल ही में हरदिया गांव में तीन सगे भाइयों पर गोलीबारी की घटना ने पूरे जिले को हिलाकर रख दिया था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हुए थे। उस घटना में भी आपसी रंजिश को कारण बताया गया था।

**प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग**
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और पुलिस प्रशासन से अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग की है। साथ ही, अस्पताल जैसे सुरक्षित स्थानों पर ऐसी वारदातों को रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है।

**आपकी राय?**
इस घटना ने एक बार फिर सिवान में बढ़ते अपराध और कानून-व्यवस्था की स्थिति को उजागर किया है। क्या आपको लगता है कि प्रशासन को और सख्त कदम उठाने चाहिए? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं। साथ ही, इस पोस्ट को शेयर करें ताकि लोग जागरूक हों और ऐसी घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाई जा सके।

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