08/07/2025
रेल मंत्री का ये बयान अखबार ने जिस तरीके से छापा है उसके लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं है लेकिन इस वित्त वर्ष में गुजरात और बिहार को जो रेलवे बजट अलॉट हुआ है उसको नीचे शेयर कर रहा हूं बिहार के पत्रकारों को आखिर ये कब समझ आयेगा कि उनकी जिम्मेदारी बिहार के विकास और यहां के जनता के प्रति है न कि किसी खास पार्टी का प्रचार करने के लिए सिंपल शब्दों में उन्हें नेताओं द्वारा किए गए वायदे और उससे बिहार को हुए फायदे या नुकसान को समझना चाहिए ताकि जब जनता वोट करें तो उसको भी पता हो कि राजनीति के चक्कर में बिहारियों का हर बार कितना नुकसान हो रहा है।
रेल बजट की समीक्षा नीचे पढ़िए, बिहार के साथ रेलवे बजट में भेदभाव! फिरभी बिहार के लोग बीजेपी भक्त बने है।।
रेलवे बजट 2025-26 में बिहार को ₹10,066 करोड़ जबकि गुजरात को ₹17,155 करोड़ का आवंटन मिला है। ये आंकड़े साफ इशारा करते हैं कि केंद्र सरकार की प्राथमिकता में बिहार कहीं नहीं है।
1. आबादी और जरूरतें ज्यादा, फिर भी बजट कम:
बिहार की आबादी गुजरात से कहीं अधिक है, और यहां बुनियादी ढांचे की हालत बेहद खराब है। फिर भी गुजरात को बिहार से 7,000 करोड़ ज़्यादा बजट दिया गया।
2. प्रवासी मजदूरों का राज्य, लेकिन ट्रेनों की हालत बदतर:
लाखों बिहारी देशभर में काम करते हैं, लेकिन उनके लिए ना पर्याप्त ट्रेनें हैं, ना ही सुविधाएं। ऐसे में ₹10,000 करोड़ से कैसे सुधरेगा रेल नेटवर्क?
3. राजनीतिक भेदभाव?
क्या ये बजट राजनीति से प्रेरित है? गुजरात प्रधानमंत्री का गृह राज्य है, जबकि बिहार को हमेशा नज़रअंदाज़ किया गया।
क्या बिहार के विकास की कीमत राजनीति चुकाएगी?
4. अमृत भारत स्टेशन स्कीम में भी भेदभाव:
गुजरात में 87 स्टेशनों का पुनर्विकास हो रहा है, वहीं बिहार में यह संख्या काफी कम है। क्या यह "सबका साथ, सबका विकास" है?