05/03/2025
कहते हैं कि #होली हिन्दुओं का एक ऐसा पर्व है जिसमें लोग एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर प्रेम का संदेश देते हैं लेकिन मैं कहता हूँ कि कई कारणों से होली एकदम निरर्थक पर्व है-
पहला कारण- हर साल होली के अवसर पर लोग दारु शराब पीकर आपस में झगड़ा करते हैं तथा केस मुकदमें होते हैं जिसके कारण लोगों में आपसी प्रेम और भाईचारा भी समाप्त हो जाता है तथा जो दोस्त होता है वह भी दुश्मन बन जाता है।
दूसरा कारण- जो केस मुकदमें होते हैं उसमें व्यर्थ ही खर्च करना पड़ता है क्योंकि केस मुकदमा तो कई साल चलता है उसमें जब जब तारीख पड़ती है उस तारीख को कोर्ट पहुंचना होता है जिसके कारण बिना मतलब के खर्च करना पड़ता है तथा हर तारीख पर कोर्ट पहुंचने का दिमागी टेन्शन बना रहता है।
तीसरा कारण- होली के अवसर पर दारु शराब,भांग पीना आम बात है जो बंदा नहीं पीता है वो भी पी लेता है और नशे में चूर होकर कोई भी गलत काम जैसे-किसी माँ -बहन,चाची या किसी अन्य लड़की के साथ रंग लगाना या छेड़खानी करना। ये सब घटनाएँ देखने को मिलता है।
चौथा कारण- यह एक ऐसा पर्व है कि जो लोग रंग और अबीर लगवाना नहीं चाहते उसे जबरदस्ती लगाते हैं तथा कींचड़,गोबर आदि फेंक देते हैं तथा कपड़े भी फाड़ देते हैं जिसके कारण कपड़े भी खराब हो जाते हैं और झगड़े भी हो जाते हैं।
पांचवा कारण- होलिका जलाते तथा बम पड़ाका फोड़ते हैं और डीजे बजाते हैं जो ध्वनि प्रदूषण का कारण बनता है तथा बीमार व्यक्ति और भी बीमार हो जाता है।
इन कारणों से यह कैसे कहा जा सकता है कि होली हिन्दुओं का एक प्रेम का पर्व है जिसमें इतने परेशानियों का सामना करना पड़ता है कि कोई भी बुद्धिजीवी व्यक्ति यह नहीं कह सकता कि यह प्रेम का पर्व है। मेरे अनुसार यह एक निरर्थक एवं वाहियात पर्व है जिसमें अधिकतर गरीब,वंचित लोग ही पिसाते हैं।
बदलाव- बदलाव लाने के लिये अपने अपने घर से शुरु करनी होगी क्योंकि आपके मता-पिता ही कोई भी पुरानी रीति रिवाजों और पाखंडवाद अंधविश्वास को ढ़ो रहें हैं। अगर प्रत्येक व्यक्ति अपने अपने घर में क्रांति कर बदलाव कर लेता है तो पूरा समाज बदल जायेगा।
Note: उपरिवर्णित लेख का कापी पेस्ट करना काॅपीराइट लाॅ के तहत दण्डनीय है।
लेखक-अनुराग प्रताप
Thesis writer
&
Lawyer