10/09/2024
भालू अपने कानों पर हाथ रखे भाग खड़ा हुआ। रास्ते में उसकी भेंट
खरगोश से हुई। "किधर चले, भालू भाई?" खरगोश ने जिज्ञासा से पूछा।
"मैं एक आदमी की खोज में हूँ। चाहता हूँ कि जब मैं जंगल में घूम रहा होऊँ, उस समय कोई मेरे बच्चों की देखभाल करे," भालू ने कहा।
"तुम उस आदमी को दोगे क्या? खरगोश ने सवाल किया।
"ये सारी नाशपाती।" भालू बोला।
"अच्छा, तो तुम मुझे नाशपाती दे दो, मैं तुम्हारा काम कर दूँगा।" खरगोश ने कहा, "मेरे पास तो हर तरह के लोग अपने बच्चों को देखभाल के लिए छोड़ जाते हैं।"
तो क्या सचमुच में तुम यह काम कर सकोगे?" भालू ने पूछा। "
खरगोश ने उत्तर दिया, "अगर यह काम मैं नहीं कर सकता तो फिर कौन कर सकता है?" तुम आराम से जंगल जाओ और खूब घूमो। मैं तुम्हारे बच्चों के साथ रहूँगा, उनसे बातें करूँगा, 'अरे प्यारे-प्यारे छोटे बच्चो, तुम बहुत अच्छे बच्चे हो न, हो न? क्या तुम आपस में झगड़ा करते हो? एक दूसरे को दाँत काटते हो? तुम्हारी माँ जंगल से जल्दी वापस आएगी, तुम्हारे लिए मीठा-मीठा शहद लाएगी। खूब अच्छी-अच्छी रस भरी स्ट्रॉबेरी लाएगी। और जब तुम खाओगे तो वह तुम्हारे छोटे माथे पर, कभी पीठ पर और कभी पंजों को धीरे-धीरे थपथपाएगी। जब वह तुम्हें थपथपाएगी तो साथ ही गुन गुनाएगी भी "ऐ माँ के प्यारे, राजदुलारे...।"
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