Bharat banayege किसका भारत

Bharat banayege किसका भारत dharm ke liye hum nahi bulki dharm hamare liye bana hai , hai n

https://www.facebook.com/share/173EpuJ8Wf/
25/09/2025

https://www.facebook.com/share/173EpuJ8Wf/

राजधानी दिल्ली के मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में चल रहे काले कारनामे की जैसे-जैसे परतें खुल रही हैं, वैसे-वैसे ही चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। अब पता चला है कि श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट एंड रिसर्च (SRISIIM) का डायरेक्टर स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती छात्राओं को तरह-तरह के प्रलोभन देकर गंदे काम के लिए राजी करने की कोशिश करता था.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि SRISIIM की पीड़ित छात्राओं के मोबाइल से बाबा के अश्लील चैट्स भी मिले हैं. चैट्स में लिखा है- मेरे कमरे में आ जाओ, तुम्हें फॉरेन ट्रिप पर ले जाऊंगा, तुम्हें कोई खर्चा नहीं करना होगा.

2016 में इंटरनेट पर ये तस्वीर सबसे ज़्यादा वायरल थी ऊपर तस्वीर में दिख रहा बच्चा नाईजीरिया का है जहां इसके मां बाप ने इस...
20/09/2025

2016 में इंटरनेट पर ये तस्वीर सबसे ज़्यादा वायरल थी ऊपर तस्वीर में दिख रहा बच्चा नाईजीरिया का है जहां इसके मां बाप ने इसे शापित मानकर घर से निकाल दिया था

करीब आठ महीनों तक वह राहगीरों द्वारा फेंके गए खाने के टुकड़ों पर ज़िंदा रहा। उसका शरीर दिन-ब-दिन कमजोर होता गया, हड्डियों का ढांचा बन चुका था और कीड़े उसके शरीर को खा रहे थे।

लेकिन जब दुनिया ने उससे मुँह मोड़ लिया था, तब एक फ़रिश्ता उसकी ज़िंदगी में उतरा — डेनमार्क की एक सामाजिक कार्यकर्ता जिनका नाम Anja Ringgren Loven है उन्होंने इस बच्चे को गले लगाया
उसे खाना-पानी दिया, सिर्फ भोजन ही नहीं, बल्कि उसे जीने का दूसरा मौका दिया, इस बच्चे को गोद लेकर उसे नाम दिया HOPE 🌱🫶

"Hope" की यह बचाव-कहानी केवल एक बच्चे की ज़िंदगी नहीं बची, बल्कि यह इस बात का प्रतीक बन गई कि करुणा क्रूरता की जंजीरों को तोड़ सकती है। जिसे कभी अशुभ और शापित मानकर ठुकरा दिया गया था, वही बच्चा अब प्यार, सम्मान और देखभाल के योग्य साबित हुआ।

👉 उसकी कहानी हमें दो अनमोल सच्चाइयाँ सिखाती है:

1. अंधविश्वास और अज्ञानता ज़िंदगियाँ बर्बाद कर सकती हैं।
2. लेकिन सहानुभूति और साहस उन्हें फिर से बना सकती है।



 #असली_दोस्त कौन ?इस समय भारत का असली दोस्त कौन है ?USA: मतलबी दोस्त रूस: पक्का दोस्त चीन: स्वभाविक दोस्त जापान: दिल से ...
02/09/2025

#असली_दोस्त कौन ?
इस समय भारत का असली दोस्त कौन है ?

USA: मतलबी दोस्त
रूस: पक्का दोस्त
चीन: स्वभाविक दोस्त
जापान: दिल से दोस्त
इजरायल: अपरिहार्य दोस्त
नेपाल: पारिवारिक दोस्त
भूटान: आत्मीय दोस्त
श्रीलंका: जरुरी दोस्त
बांग्लादेश: भटका हुआ दोस्त
फ्रांस: पुराना दोस्त

बाकी ये तो आप जानते ही हैं कि
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में ना तो कोई स्थाई मित्र होता है ना ही स्थाई शत्रु,
स्थाई होते हैं तो केवल ‘राष्ट्रीय हित’

*सम्राट अशोक को  ढूढने वाला कौन था**एक अंग्रेज जेम्स प्रिंसेप, जिसने भारत में 1837 में सम्राट अशोक को ढूंढा*       *यदि ...
29/08/2025

*सम्राट अशोक को ढूढने वाला कौन था*
*एक अंग्रेज जेम्स प्रिंसेप, जिसने भारत में 1837 में सम्राट अशोक को ढूंढा*
*यदि अंग्रेज भारत में न आते तो आज तक सम्राट अशोक को कोई न जान पाता, क्योंकि ब्राह्मणों ने अशोक स्तंभ को भीम की गदा और स्तंभ की धम्मलिपि को संस्कृत भाषा प्रचारित करके 400 वर्षों तक भारतीयों को गुमराह किया*
*वास्तव में सम्राट अशोक के इतिहास के बारे में ब्राह्मणों को भी कोई जानकारी नहीं थी*
*20 अगस्त 1799 को जन्म हुआ था और 22 अप्रैल 1840 को मात्र 41 वर्ष की उम्र में मृत्यु हुई*

27/08/2025

साल भर ठेके पे बिकने वाली दारू कभी खत्म नहीं होती है लेकिन साल में दो बार किसानों को डीएपी और यूरिया कैसे खत्म हो जाती है बे जरूर ससुरा कोई फिरकी ले रहा😢

इतिहास में शुरू से यही पढ़ाया जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर औरंगजेब ने तुड़वाया।लेकिन क्यूं तुड़वाया ? इस संबंध में इति...
26/08/2025

इतिहास में शुरू से यही पढ़ाया जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर औरंगजेब ने तुड़वाया।
लेकिन क्यूं तुड़वाया ? इस संबंध में इतिहास मौन रहता है ।
बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ने के संबंध में पी. सीताराम नाथ ने सबसे महत्वपूर्ण तथ्य का उल्लेख किया है
इसके अलावा वी.एन पांडे ने भी इस पर लेख और शोध लिखे है ।
उनके अनुसार.... कच्छ की आठ रानियां काशी विश्वनाथ के दर्शन करने गई, जिसमें से एक सबसे सुंदर रानी का वहां के महंत ने अपहरण कर लिया।औरंगजेब को इसकी जानकारी कच्छ के राजा द्वारा दी गई तो औरंगजेब ने शुरू में यह कहकर टाल दिया कि वह हिंदुओं के बीच का आपसी मामला है । जब कच्छ के राजा द्वारा औरंगज़ेब से बार-बार कहा गया तब औरंगजेब ने तथ्य का पता लगाने के लिए सबसे पहले कुछ हिंदू सैनिकों को ही वहां भेजा। लेकिन महंत के आदमियों ने औरंगजेब के सैनिकों को डांट फटकार कर भगा दिया गया।औरंगजेब तक यह बात पहुंची, तो उसने एक पूरे सैनिक दस्ते को भेजा, मंदिर के पुजारियों ने इसका भी डटकर विरोध किया । आखिर में सैनिकों ने मुकाबला किया और मंदिर में प्रवेश करके खोई हुई रानी की तलाश करने लगे ।
सैनिकों को मुख्य देवता की मूर्ति के पीछे एक सुरंग का पता चला जिससे काफी गंध निकाल रही थी । दो दिनों तक दवा छिड़ककर गंध समाप्त किया गया । तीसरे दिन सैनिकों ने सुरंग के भीतर प्रवेश करके वहां से बहुत से नर कंकाल प्राप्त किए, जो स्त्रियों के थे ।
वहां, कच्छ की खोई हुई रानी की भी लाश भी मिली जो नग्न थी । और सामूहिक बलात्कार के कारण वह मर चुकी थी ।
प्रधान महंत गिरफ्तार किया गया और उसे कड़ी सजा मिली
इस घटना ने हिंदुत्व के असली चेहरे को उजागर किया । हिंदू महंतों ने हिंदू राजा की रानी के साथ दुराचार कर मार डाला ।
इसके बाद औरंगजेब ने मंदिर तोड़ने का आदेश दिया ।

संदर्भ- पिछड़ा वर्ग क्यों और कैसे कहे कि हम हिंदू हैं?
लेखक- दयाराम
पेज- 45-46
----------------------------
इस घटना को बहुत से इतिहासकारों और लेखकों ने लिखा है,
मशहूर इतिहासकार डॉक्टर विश्वंभर नाथ पांडेय के अनुसार
जब रानी मिली उस वक्त तो वो मृत नहीं जिंदा थी, और उसने अपने सामुहिक बलात्कार की बात औरंगजेब को बताई थी। जब औरंगज़ेब को पंडितो की यह करतूत पता चली तो वह बहुत क्रुद्ध हुआ और बोला कि जहां मंदिर के गर्भ गृह के नीचे इस प्रकार की डकैती और बलात्कार हो, वो निस्संदेह ईश्वर का घर नहीं हो सकता. उसने मंदिर को तुरंत ध्वस्त करने का आदेश जारी कर दिया.'

इतिहासकार - विश्वंभर नाथ पांडेय (पूर्व गवर्नर उड़ीसा )
किताब - 'भारतीय संस्कृति, मुग़ल विरासत: औरंगज़ेब के फ़रमान'
पेज नंबर 119 और 120 में पट्टाभिसीतारमैया की किताब 'फ़ेदर्स एंड स्टोन्स' का रेफेरेंस देते हुए भी विश्वंभर नाथ पांडेय विश्वनाथ मंदिर को तोड़े जाने के बारे में बताते हैं ।
----------------------------
किसी भी इतिहासकार की माने तो, काशी विश्वनाथ मंदिर को इसलिए तोड़ा गया क्यूंकि वो शोषण, अत्याचार, दुराचार और अनैतिकता का अड्डा बन चुका था ।

Note - यदि किसी को बुरा लगे और किसी को गाली देने का मन करे तो, पी. सीताराम नाथ, वी.एन पांडे और पट्टाभिसीतारमैया को सीधे देना। पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

16/08/2025

एक भारतीय *डॉक्टर* ने जॉब छोड़कर कनाडा के एक बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर में सेल्समैन की नोकरी जॉइन करली...

*बॉस ने पूछा:-* तुम्हे कुछ तज़ुर्बा है?
उसने कहा कि हां थोड़ा बहुत है ।

पहले दिन उस भारतीय ने पूरा मन लगाकर काम किया।
शाम के 6 बजे (*बॉस ने पूछा:-* आज पहले दिन तुमने कितने सेल किये?

भारतीय ने कहा कि सर मैंने 1 सेल किया।

*बॉस चौंककर बोले:-* क्या मात्र 1 ही सेल।
सामान्यत: यहाँ कार्य करने वाले हर
सेल्समेन 20 से 30 सेल रोज़ाना करते हैं।
अच्छा ये बताओं तुमने कितने रूपये का सेल किया।

93300 डॉलर ।
भारतीय बोला।

क्या!

लेकिन तुमने यह कैसे किया?
आश्चर्यजनक रूप से बॉस ने पूछा।

*भारतीय ने कहा:-* 1 व्यक्ति आया और मैंने उसे एक छोटा मछली पकड़ने का हुक बेचा।

फिर एक मझोला और फिर अंततः एक बड़ा हुक बेचा। फिर उसे मैंने 1 बड़ी फिशिंग रॉड और कुछ फिशिंग गियर बेचे।

फिर मैंने उससे पूछा कि तुम कहा मछली पकड़ोगे और उसने कहा कि वह कोस्टल एरिया में पकड़ेगा।
तब मैंने कहा कि इसके लिए 1 नाव की ज़रूरत पड़ेगी। अतः मैं उसे नीचे बोट डिपार्टमेंट में ले गया और उसे 20 फीट की डबल इंजन वाली स्कूनर बोट बेच दी।
जब उसने कहा कि यह बोट उसकी
वोल्कस वेगन में नहीं आएगी।

तब मैं उसे अपने ऑटो मोबाइल सेक्शन में ले गया
और उसे बोट केरी करने के लिए नई डीलक्स 4 × 4 ब्लेज़र बेचीं।
और जब मैंने उसे पूछा कि तुम मछली पकड़ते वक़्त कहा रहोगे। उसने कुछ प्लान नहीं किया था।
तो मैं उसे कैम्पिंग सेक्शन में ले गया और उसे six sleeper camper tent बेच दिया।

और तब उसने कहा कि उसने जब इतना सब कुछ ले ही लिया है तो 200 डॉलर की ग्रासरी और बियर के 2 केस भी लेगा।

अब बॉस 2 कदम पीछे हटा और बेहद ही भौचक्के अंदाज़ में पूछने लगा:-
तुमने इतना सब उस आदमी को बेच दिया
जो केवल 1 fish hook खरीदने आया था?
"NO, SIR,"
वह तो केवल सरदर्द दूर करने की
1 टेबलेट लेने आया था।
मैंने उसे समझाया कि मछली पकड़ना
सरदर्द दूर करने का सबसे अच्छा उपाय है।

*बॉस:-*
तुमने इसके पहले भारत में कहा काम किया था?

*भारतीय :-*
*जी मैं प्राइवेट हॉस्पिटल में डॉक्टर था*
घबराहट की मामूली शिकायत पर हम लोग,
मरीजों से पैथोलॉजी,
ईको,
ईसीजी,
टीएमटी,
सी टी स्केन,
एक्सरे,
एम आर आई
इत्यादि टेस्ट करवाते हैं।

*बॉस:-* तुम मेरी कुर्सी पर बेठो।
मैं इंडिया मे ट्रेनिंग के लिये प्राइवेट
हॉस्पिटल ज्वाईन करने जा रहा हूँ।

जरा इस पोस्ट को आगे फैलाना,
मजाक बना रखा है मरीजो का.....!!
पोस्ट कैसी लगी कमेंट करके बताना और पेज को फॉलो जरूर करना,,,

जब ब्राह्मणों को पता चला कि भारत देश में आजादी मिलने के बाद लोकतंत्र की स्थापना होगी! चुनाव होगा! जो जीतेगा- वह राज करेग...
15/08/2025

जब ब्राह्मणों को पता चला कि भारत देश में आजादी मिलने के बाद लोकतंत्र की स्थापना होगी! चुनाव होगा! जो जीतेगा- वह राज करेगा; तो ब्राह्मणों के सबसे बड़े नेता (जातिवादी) गंगाधर तिलक के पैरों तले जमीन खिसक गई।
वह समझ गया कि ब्राह्मण तो अल्पसंख्यक हो जाएंगे और राजनीतिक रूप से अछूत; तो उसने एक तोड़ निकाला कि ब्राह्मण धर्म को हिन्दू कहने लगा। इसके पहले वैदिक कहा जाता था और सभी ब्राह्मण समाज को ये बात समझा दी कि राजनीति के लिए हम हिन्दू हैं, बांकी ब्राह्मण !
ये बात हमें कभी नही भूलनी है। उसने ही 1893 में गणेश- उत्सव की शुरुआत कर नया रोजगार दिया था और कहा था कि कुर्मी, काछी, तेली, तम्बोली संसद में जाके क्या हल चलाएंगे? स्वराज मेंरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा। ब्राह्मणों का मूल स्थान मिश्र है। कुछ ब्राह्मण तो आज भी अपने नाम के साथ मिश्रा लिखते हैं। सबसे पुराने मंदिरों के अवशेष वहीं मिलते हैं। जब टाइट्स ने इन्हें मारना शुरू किया, तो ये वहां से जान बचाकर भागे और यूरेशिया में आकर बसे।
इनका डीएनए (R1A1) पेरू जनजाति के लोगों से मैच (टाइम्स आफ इंडिया सन् 2001) हुआ है। इनके कुछ पूर्वज थाईलैंड में गये, फिर वहां भी रामायण लिखी और एक कबीला ईसा पूर्व सातवीं सदी में हिन्दकुश पर्वत में आकर बसा। इसका उल्लेख इनके ग्रंथों में है। लेकिन विस्थापन का समय नहीं बताते। सही समय हमें चंद्रगुप्त राज का यूनानी राजदूत लेखक मेगस्थनीज़ अपनी प्रसिद्ध किताब "इंडिका" में लिखता है- शराब,गोमांस-भक्षण और यज्ञ करना इनका मुख्य कार्य था। गोमांस-भक्षण और शराब- सेवन का ब्राह्मण कितना भूखा होता है? इसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। पहले यज्ञ का अर्थ आग जलाकर रात्रि में शराब पीना, मांस भूनकर खाना और सामूहिक सम्भोग होता था, बाद में इसे बदल दिया गया।
राजा के करीब रहकर आर्थिक और राजनैतिक संरक्षण हासिल करना इनका मुख्य कार्य था। भारत बौद्ध- राष्ट्र होने के कारण इनकी हैसियत न के बराबर थी। सम्राट अशोक ने बलि- प्रथा पर रोक लगाकर ब्राह्मणों के पेट पर लात मार कर, इन्हे सामाजिक अछूत बना दिया था। फिर ये बलि- प्रथा छोड़कर राजा के करीब जाने के लिए नौकरी करने लगे। शुरू में इन्हें घोड़ो की देख- रेख का कार्य मिला।
कई पीढ़ियों के बाद ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंग (एक ताकतवर योद्धा) का जन्म हुआ। उसकी प्रतिभा को देखकर उसे सैनिक में भर्ती कर लिया गया। धीरे-धीरे वह सीढियां चढ़ने लगा और सेनापति जा बना। फिर वह कई शीर्ष पदाधिकारियों को लालच देकर अपने साथ मिला लिया। राज्योत्सव के भरी सभा में सम्राट बृहदत्त मौर्य की हत्या कर खुद को राजा घोषित किया; किन्तु प्रजा के आक्रोश और पड़ोसी राजाओं के आक्रमण का संकट देखते वह पाटलिपुत्र से भागते- भागते साकेत आया।
फिर वहां वैदिक संस्कृति की नींव डाली और बौद्धों का कत्ले-आम शुरू कर दिया। साकेत का नाम बदलकर अयोध्या किया, फिर वहीं अपनी राजधानी बनाया। एक बौद्ध- भिक्षु के सर के बदले सौ स्वर्ण मुद्राएं देने की घोषणा की और जब बौद्ध व्यक्तियों के सर काफी मात्रा में इकट्ठे हो गए तो उन सिरों को पुष्यमित्र शुंग नामक ब्राह्मण ने घाघरा नदी में फेंकवा दिया जिसके कारण उस घाघरा नदी का पानी लाल हो गया जिसमें सर इकट्ठे हो गए थे इस प्रकार पुष्यमित्र शुंग ने घाघरा नदी के उतने क्षेत्र को जहां पर कटे हुए बौद्ध व्यक्तियों के सर डाले गए थे, सरयुक्त नदी के नाम से जानने लगे , काफी समय के बाद जब लोग भूलने लगे तो उस नदी का नाम सरयू नदी के नाम से पुकारने लगे, बाल्मीकि को राजकवि बनाया और उससे रामायण लिखवाई, जिसमें खुद को राम और मौर्यवंश के दसों सम्राटों को दसानन रावण के प्रतीक रूप में रखा। उसकी कहानी में बौद्ध साहित्य की जातक कथाओं को जोड़ा। इसके बाद का इतिहास सबको पता ही है।
राष्ट्रीय सेवक संघ ने कभी भी अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन नहीं किया और न ही समाज मे व्याप्त बुराइयों, जातिवाद ऊंच-नीच को खत्म करने की कोशिस की। गांधी -हत्या के बाद सामाजिक रूप से संघ अछूत हो गया। संघ खुद को उबारने के लिए 1962 के युद्ध मे सैनिकों की मदद की; जिससे प्रसन्न होकर पंडित नेहरू ने उस पर लगा प्रतिबंध हटा दिया और स्वतंत्रता दिवस पर उसे परेड करने की अनुमति दी गयी। संघ का कलंक मिटा, तो वह उबरने लगा। इंदिरा की इमरजेंसी का भी इन्होंने समर्थन किया।ओबीसी की बढ़ती हुई राजनैतिक ताकत को राजीव ने पहचान लिया और समाज को राष्ट्रवाद की ओर धकेलने के लिए अयोध्या में *मंदिर का गेट* खुलवा दिया। कई पार्टियों के गठबधन से बनी वी• पी• सिंह की सरकार ने जब *ओबीसी* को आरक्षण दिया, तो फिर भूचाल आ गया। भाजपा ने आडवाणी के नेतृत्व में *रथ- यात्रा* शुरू की, जिसकी लपेट में पूरा देश आ गया और मंदिर (विवादित) का *ढांचा गिरा* दिया गया। जिसमें ओबीसी ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था; फलस्वरूप *एक पीढ़ी बर्बाद* हो गई। अब ब्राह्मणों ने राम मंदिर के रूप में अपना रोजगार स्थापित किया; लेकिन ओबीसी को कोई हिस्सेदारी और मंदिर- कमेटी (ट्रस्ट) में जगह नहीं मिली। सिर्फ इनका *यूज एंड थ्रो* किया गया।
आजादी के बाद जब संविधान बनाने की बात आयी थी, तो ब्राह्मणों ने कहा कि हमारे पास पुराना सबसे महान विधान *(मनुस्मृति)* है, तो नया बनाने की जरूरत क्या है? *डॉ अम्बेडकर* अड़ गए; क्योंकि उन्होंने *विध्वंसक मनुस्मृति को पढ़कर 1927 में जला दिया* था और कहा था कि शूद्रों की बर्बादी का मुख्य कारण *ब्राह्मणी ग्रंथ* है। उनके खिलाफ केस करने की हिम्मत किसी मे न हुई थी।आजादी के वक्त डॉ. अम्बेडकर से बड़ा *संविधान- विद* और *अर्थशास्त्री* कोई नही था; तो गांधी ने संविधान बनाने का जिम्मा *प्रारूप -समिति का अध्यक्ष* बनाकर डा• भीमराव अम्बेडकर को दे दिया। दो साल,ग्यारह महीने,अठारह दिन की कड़ी मेहनत के बाद भारत का संविधान बन सका। अपनी अस्वस्थता में भी वो काम करते रहे! दुनियां के सभी बेहतरीन देशों के संविधान का गहराई से अध्ययन कर अच्छी बातें अपने संविधान में डालीं।
उसकी प्रस्तावना में ही समानता, बन्धुता,धर्मनिरपेक्षता का बीज डाल दिया; जिसको बदलने की बात संघ लंबे समय से करता आ रहा है। जिससे भारत को हिन्दू- ब्राह्मण- यहूदी राष्ट्र बनाया जा सके।
जिसको कल मरना ही है! आज मर जाये!! लेकिन संविधान नहीं बदलने देंगे!!! हजारों सालों बाद लोकतंत्र आया है, उसे खत्म नहीं होने देंगे।
*जय संविधान!!!*जय मूलनिवासी!!!*
इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद और हार्दिक आभार।मेरे तरफ से एक विनम्र निवेदन है कि इस पोस्ट को जिस भी तरीके से पोस्ट कर सकते हैं अथवा शेयर कर सकते हैं जरूर जरूर करें। भारत के असली मूलनिवासियों को मतलब obc, sc व st ( 85% बहुजन समाज ) को जागरूकता अभियान में लाना होगा यदि अपनी व अपने 85% बहुजन समाज का विकास देखना चाहते हैं अथवा भारत देश को दुनिया में प्रधान देश बनाना है तो 85% बहुजन समाज को एकता की माला में लाकर जागरूकता अभियान में जोड़ना ही होगा। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

संभोग की कमी रिश्तों में दूरी ही नहीं बल्कि बगावत भी पैदा करती हैशादी की पहली रात थी। बाहर अमावस की चांदनी अंधेरे से आंख...
09/08/2025

संभोग की कमी रिश्तों में दूरी ही नहीं बल्कि बगावत भी पैदा करती है
शादी की पहली रात थी। बाहर अमावस की चांदनी अंधेरे से आंखमिचौली कर रही थी, और कमरे में हल्के गुलाब के फूलों की ख़ुशबू बसी हुई थी। लेकिन वह कमरा एक बाग़ नहीं था, न ही उसमें कोयल की कूजन थी — वहां तो बस एक अजनबीपन की चादर तनी हुई थी।

लड़की पलंग के किनारे बैठी थी — आँखे झुकी हुई, मन उलझा हुआ। तभी लड़का भीतर आया, हाथ में दूध का गिलास। उसका चेहरा शांत, चाल में न आग्रह था, न अधिकार। वह जैसे कोई मेहमान हो जो जल्द लौट जाने की तैयारी में हो।

लड़की ने पहली ही बात में तीर चला दिया — “अगर एक पत्नी की मर्ज़ी के बिना पति उसे छुए, तो क्या वो अधिकार कहलाता है या अपराध?”

लड़के ने उसकी आँखों में झाँककर कहा — “आपके सवाल में जो गहराई है, उसका जवाब मेरे शब्दों में नहीं, मेरे व्यवहार में होगा। ये दूध आपके लिए है। शुभरात्रि।”

और वह धीरे से लौट गया।

लड़की अचकचा गई। यह प्रत्युत्तर नहीं था, बल्कि धड़कनों को जड़ कर देने वाला धैर्य था। उसे लगा था कि बहस होगी, तकरार होगी, और फिर वह इस रिश्ते से निकलने की कोई राह बना पाएगी। पर सामने जो खड़ा था, वह कोई गंवार युवक नहीं, बल्कि सलीके और संस्कार से गढ़ा हुआ मनुष्य था।

दिन गुजरते गए।

लड़की हर रोज़ स्कूटी लेकर निकलती — दरअसल, अपने उस प्रेमी से मिलने, जिसके साथ वो शादी से पहले मोहब्बत के बंधन में थी। अब वो प्रेमी भी बदल गया था। मिलने पर अब गीत नहीं गाता, कहता — “थोड़े पैसे लाओ... कुछ गहने... इश्क़ सिर्फ़ जज़्बात से नहीं चलता।”

अब वो लड़की भी समझने लगी थी — जिस रिश्‍ते को वह सहेजना चाहती थी, उसमें प्रेम नहीं, सिर्फ़ स्वार्थ पल रहा था।

उधर उसका पति — वही शांतचित्त पुरुष — हर शाम चुपचाप बैठकर डायरी लिखता, मां की दवाई लाता, सब्ज़ी काटता और घर के कामों में हाथ बँटाता।

एक दिन लड़की ने घर छोड़ने का मन बनाया — एक झगड़े का बहाना तलाशा, ताकि जा सके। रात को वह चुपचाप अलमारी के पास पहुँची। पर अलमारी खोली तो वहाँ भावनाओं का खज़ाना रखा था:

वो सारे रुपये, जो शादी में मिले थे — ज्यों के त्यों सहेजकर।

ज़ेवरों की रसीदें — सिर्फ़ लड़की के नाम।

और एक डायरी — जिसने कहानी का रुख ही बदल दिया।

डायरी में लिखा था —

> “मैं जानता हूँ तुम मुझसे प्रेम नहीं करती। तुम्हारे पिताजी ने मेरी माँ की जान बचाई थी। जब उन्होंने रिश्ता माँगा, तब तुम्हारे उस प्रेमी की सच्चाई भी बताई।

मैंने तुम्हारे नाम पर सारा दहेज दान कर दिया। पति तो अच्छा न बन सका, पर शायद इंसान बनने की कोशिश कर रहा हूँ।

ये तलाक़ के कागज़ात हैं — जब चाहो, बिना डर के साइन कर जाना। तुम्हारी आज़ादी में ही मेरी मोहब्बत है।”

लड़की फूट-फूटकर रो पड़ी।

जिसे उसने “सीधा-सादा गंवार” समझा था, वो तो सबसे बड़ा सज्जन पुरुष निकला — प्रेम का असली अर्थ उसी ने समझाया।

सुबह, वही लड़की जो सिंदूर को छिपा कर लगाती थी, अब पूरे माथे पर एक लंबी रेखा खींचे रसोई में खड़ी थी। सास को स्कूटी पर बैठाकर ऑफिस पहुँची — उसी ऑफिस में जहाँ उसका पति कार्य करता था।

वहाँ सबने ताली बजाई।

और वह लड़का — जो अब भी चुप ही था — बस मुस्कुरा रहा था। वह मुस्कान किसी विजय की नहीं थी, वह तो त्याग और प्रेम का प्रमाण थी।

> “प्रेम वह नहीं जो अधिकार जताए,
प्रेम वह है जो अधिकार होते हुए भी मौन रहे,
और मौन में भी तुम्हारी आज़ादी को दुआ देता रहे।”

---

अगर यह कहानी आपके दिल तक पहुँची हो, तो ❤️ ज़रूर दबाइए, और उसे भेजिए जिसे यह जानना चाहिए —
कि प्रेम दिखावे से नहीं, समझ और त्याग से जीवित रहता है।

एक बार एक मंदिर में चोरी हो गई तो उस मंदिर का पुजारी चोरी की रिपोर्ट लिखाने पुलिस थाने में पहुंच गया थानेदार से बोला,"सा...
08/08/2025

एक बार एक मंदिर में चोरी हो गई तो उस मंदिर का पुजारी चोरी की रिपोर्ट लिखाने पुलिस थाने में पहुंच गया थानेदार से बोला,
"साहब एक रिपोर्ट लिखानी है"
थानेदार, "क्या बात है ?"
पुजारी:- चोरी हो गई।
थानेदार- आपके घर में ?
पुजारी- नहीं
थानेदार:- आपके पड़ोसियों के घर में ?
पुजारी- नहीं
थानेदार:- आपके रिश्तेदार के घर में ?
पुजारी:- नहीं !
थानेदार:- तो फिर गांव में मोहल्ले में ?
पुजारी- नहीं
थानेदार गुस्से में बोला, "तो फिर बताता क्यों नहीं चोरी कहां हुई है ?"
पुजारी:- जी मंदिर में
थानेदार:- मंदिर किसका है ?
पुजारी:- भगवान का
थानेदार:- कौन से भगवान का ?
पुजारी- भगवान विष्णु, भगवान शिव, भगवान कृष्ण, लक्ष्मी देवी, पार्वती देवी ओर राधा देवी का
थानेदार:- तो वो उनका घर हुआ
पुजारी:- हां जी
थानेदार:- ओह ! तो वहां तीन फैमिली रहती हैं...!
पुजारी:- वे फैमिली नहीं भगवान और देवीयां हैं
थानेदार:- घर उनका हुआ तो फिर तुम क्यों आए रिपोर्ट लिखाने ? उनको आना चाहिए । सांईन भी उन्हीं के चाहिएँ
पुजारी:- वो नहीं आ सकते
थानेदार*:- गाड़ी में बैठ वहीं चलते हैं । मुआयना भी कर लेगें ओर सांईन भी करा लेगें क्योंकि कानूनन बिना सांईन के रिपोर्ट नहीं लिख सकते
मंदिर पहुंच कर
थानेदार मूर्तियों कि तरफ मुखातिब होकर पूछा, "बताओ घर के मालिको ! कहां , कैसे और क्या क्या चोरी हुआ ? "
पुजारी:- साहब ये नहीं बता सकते
थानेदार:- क्यों ये गूंगे बहरे हैं जो सुन बोल नहीं सकते
पुजारी:- साहब ये पत्थर की मूर्तियां हैं सुन बोल नहीं सकती
थानेदार- घर के मालिक सुन बोल नहीं सकते फिर कैसे कहां से कितना क्या चोरी हुआ ?
पुजारी- साहब इस गुल्लक को तोड़ कर चोरी हुई है रोजाना 15 से 20 हजार पब्लिक इस गुल्लक में डालती है महीने के आखिरी दिन मैं इसे खोलता हूँ 5-6 लाख मिलते हैं । आज महीने का आखिरी दिन है वे पैसे मेरे होते हैं
थानेदार- तुम्हारे बयान के मुताबिक घर तुम्हारा नहीं, धन तुम्हारा नहीं और धन लेते तुम हो...तुम धन लेकर अब तक चोरी ही कर रहे थे । वो धन किसी और ने ले लिया तो क्या हुआ
पुजारी:- नहीं साहब मैं चोर नहीं , वो धन मेरा ही था
थानेदार- इसका मतलब ये धार्मिक स्थल या श्रद्धा स्थल नहीं । लोगों को बेवकूफ बना कर धन्धा स्थल बना रखा है ।
पुजारी नजरें झुका कर नीचे देखने लगा..!
👉 निष्कर्ष---
मंदिर में कोई ईश्वर नहीं रहता...पुजारी अपना पेट भरता है.... पूजा पाठ करना ब्राह्मण का धर्म नहीं धंधा है
Likhuunga 👈

07/08/2025

Just JUSTICE UR SELF 👈

09/01/2025

रात्री के समय रौशनी से चिपटकर जैसे किट _पतंग , मरते है वैसे ही पाखंड ,अंधविश्वास से लिपटकर पढा_लिखा इन्सान भी मर जाता है

Address

Patna

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Bharat banayege किसका भारत posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share