बख्तियारपुर Bakhtiyarpur

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🏞️ बख्तियारपुर में घूमने लायक दो प्रमुख स्थल जहां आप अपने परिवार और बच्चों के साथ जा सकते हैं:- गंगा घाटों की शांति और प...
13/12/2025

🏞️ बख्तियारपुर में घूमने लायक दो प्रमुख स्थल जहां आप अपने परिवार और बच्चों के साथ जा सकते हैं:- गंगा घाटों की शांति और पार्क की हरियाली।
बख्तियारपुर शहर में, यदि आप शांति और सुकून की तलाश में हैं, तो यहाँ के दो प्रमुख स्थल आप को खास बना सकते हैं: गंगा नदी के किनारे बसे घाट और शहर के बीचों-बीच स्थित डाक बंगलो पार्क (डाकबंगला पार्क)।
🌊 गंगा घाट: आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम
बख्तियारपुर, गंगा नदी के तट पर स्थित होने के कारण, यहाँ के घाटों की अपनी एक विशेष पहचान है। सिरहि घाट और बख्तियारपुर बीच जैसे स्थान न केवल आस्था का केंद्र हैं बल्कि प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाने जाते हैं।
* शांति का अनुभव: सुबह या शाम के समय, जब गंगा का शांत पानी सूर्य की किरणों को दर्शाता है, तब यहाँ की हवा में एक अनोखी शांति घुल जाती है। यह समय नदी के किनारे टहलने, ध्यान लगाने या बस बैठकर प्रकृति को निहारने के लिए सबसे उत्तम होता है।
* स्थानीय जीवन: घाटों पर स्थानीय संस्कृति और जनजीवन का सहज अनुभव मिलता है। यहाँ की भीड़-भाड़ और चहल-पहल शहर की वास्तविक धड़कन को दर्शाती है।
🌳 डाक बंगलो पार्क: शहर के बीच एक सुकून भरी पनाहगाह
गंगा के विशाल विस्तार से थोड़ा अलग, शहर के केंद्र में डाक बंगलो पार्क एक आरामदायक और हरी-भरी जगह प्रदान करता है। स्टेशन रोड के पास स्थित यह पार्क स्थानीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण मनोरंजक स्थल है।
* परिवारों के लिए आदर्श: यह पार्क विशेष रूप से बच्चों के लिए उपयुक्त माना जाता है, जो इसे परिवारों के लिए एक पसंदीदा स्थान बनाता है। यहाँ बच्चे खेल सकते हैं, और बड़े खुली हवा में आराम कर सकते हैं।
* हरियाली और आराम: एक व्यस्त दिन के बाद, पार्क की हरियाली और शांत वातावरण तनाव दूर करने के लिए एक बेहतरीन जगह है।
निष्कर्ष
बख्तियारपुर का दौरा करने वाले शहर वासियों के लिए ये दोनों स्थान एक संपूर्ण अनुभव प्रदान करते हैं। जहाँ घाट आपको गंगा की भव्यता और आत्मिक शांति से जोड़ते हैं, वहीं डाक बंगलो पार्क आपको शहरी जीवन के बीच एक आरामदायक विश्राम का अवसर देता है। यह शहर इन दोनों स्थलों के माध्यम से प्रकृति और सामुदायिक जीवन का सुन्दर संतुलन प्रस्तुत करता है।

📰 पटना मेट्रो: पीएमसीएच स्टेशन पर टीबीएम का सफल 'ब्रेकथ्रू', परियोजना को मिली नई गतिपटना, 12 दिसंबर 2025] – पटना मेट्रो ...
12/12/2025

📰 पटना मेट्रो: पीएमसीएच स्टेशन पर टीबीएम का सफल 'ब्रेकथ्रू', परियोजना को मिली नई गति
पटना, 12 दिसंबर 2025] – पटना मेट्रो रेल परियोजना ने एक और महत्वपूर्ण पड़ाव पार कर लिया है, जो शहरवासियों के लिए सुरक्षित और आधुनिक परिवहन की उम्मीदों को मज़बूती दे रहा है। लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी) द्वारा संचालित टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) -2 (डीजेड1091) ने पैकेज पीसी-03 के तहत पीएमसीएच मेट्रो स्टेशन पर सफलतापूर्वक 'ब्रेकथ्रू' हासिल किया।
🎯 छठा सफल ब्रेकथ्रू: 1068 मीटर सुरंग का निर्माण पूरा
मोइन-उल-हक स्टेडियम से अपनी यात्रा शुरू करने वाली यह 6.65 मीटर व्यास वाली अर्थ प्रेशर बैलेंस (ईपीबी) मशीन अब पटना जंक्शन की ओर अपनी प्रगति जारी रखेगी, जिसमें पटना विश्वविद्यालय, गांधी मैदान और आकाशवाणी जैसे प्रमुख स्टेशन शामिल हैं।
यह उपलब्धि 14.05 किलोमीटर लंबे लाइन-2 (पटना जंक्शन से न्यू आईएसबीटी) के 8 किलोमीटर भूमिगत खंड में दर्ज किया गया छठा सुरंग ब्रेकथ्रू है।
टीबीएम ने पटना विश्वविद्यालय से पीएमसीएच तक की 1068 मीटर लंबी 'अप-लाइन' सुरंग का निर्माण मात्र 12 महीनों के रिकॉर्ड समय में पूरा किया। यह इस मशीन का दूसरा प्रमुख कार्य था; इससे पहले इसने मोइन-उल-हक से पटना विश्वविद्यालय तक 1494 मीटर सुरंग का निर्माण किया था।
🚇 लाइन-2 पर तेज़ी से काम जारी
दिसंबर 2021 में दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) द्वारा एलएंडटी को सौंपे गए पीसी-03 पैकेज के तहत, राजेंद्र नगर से पटना जंक्शन तक कुल छह भूमिगत स्टेशन विकसित किए जा रहे हैं। इन स्टेशनों में राजेंद्र नगर, मोइन-उल-हक स्टेडियम, पटना विश्वविद्यालय, पीएमसीएच, गांधी मैदान, और आकाशवाणी शामिल हैं।
परियोजना अधिकारी के अनुसार, पीसी-03 पैकेज के लिए निर्धारित 10 सुरंग ब्रेकथ्रू में से अब तक छह पूरे हो चुके हैं, जो परियोजना की गति को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।
🌟 शहर के यातायात में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद
पटना मेट्रो परियोजना का चरण-1, जिसके तहत लाइन-2 भी आती है, शहर की यातायात व्यवस्था में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने की उम्मीद है। यह उपलब्धि न केवल परियोजना के समय पर पूरा होने का संकेत है, बल्कि यह पटनावासियों को एक सुरक्षित, किफायती और पर्यावरण-अनुकूल परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।
जैसे-जैसे मेट्रो का काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, पटना जंक्शन की ओर जाने वाली आगामी सुरंगों के जल्द ही पूरे होने की उम्मीद है, जिससे राजधानी के मुख्य हिस्सों को एक आधुनिक परिवहन नेटवर्क से जोड़ा जा सकेगा।

🚂 बख्तियारपुर से फतुहा तक तीसरी और चौथी रेललाइन को मंज़ूरी, 17 हजार करोड़ का बड़ा रेल प्रोजेक्ट!​पूर्व मध्य रेलवे (ECR) की ...
08/12/2025

🚂 बख्तियारपुर से फतुहा तक तीसरी और चौथी रेललाइन को मंज़ूरी, 17 हजार करोड़ का बड़ा रेल प्रोजेक्ट!
​पूर्व मध्य रेलवे (ECR) की एक महत्वकांक्षी परियोजना को रेलवे बोर्ड से हरी झंडी मिल गई है।
​बख्तियारपुर-फतुहा खंड पर काम शुरू
​इस महापरियोजना के तहत, पहले चरण में बख्तियारपुर से फतुहा के बीच तीसरी और चौथी रेललाइन के निर्माण को विशेष मंजूरी मिली है।
​स्वीकृत राशि: इस खंड के लिए रेलवे बोर्ड ने करीब 931 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है।
​कार्यक्षेत्र: इस कार्य में 6.6 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण और रेललाइन का निर्माण शामिल है।
​उद्देश्य: इस खंड पर नई रेललाइनें बनने से यात्री और मालगाड़ियों का संचालन सुगम होगा और ट्रैक की क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि होगी।

​🗺️ बख्तियारपुर से पुनारख खंड
​इस खंड पर भी तीसरी और चौथी रेललाइन के निर्माण की प्रक्रिया को मंज़ूरी मिली है।
​लंबाई: बख्तियारपुर से पुनारख के बीच लगभग 30 किलोमीटर की दूरी है।
​स्वीकृत राशि: इस 30 किमी लंबे ट्रैक के लिए रेलवे बोर्ड ने करीब 392 करोड़ रुपये की राशि को सैद्धांतिक मंज़ूरी दी है।
​कार्य: इस परियोजना में भूमि अधिग्रहण और नई रेललाइन का निर्माण शामिल होगा।
​महत्व: यह खंड भी पटना/दानापुर और किऊल/झाझा के बीच बढ़ते रेल यातायात को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

इस शहीद मीनार का उद्घाटन 1948 में किया गया था। इस उद्घाटन समारोह में सरदार वल्लभ भाई पटेल और तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीकृ...
03/12/2025

इस शहीद मीनार का उद्घाटन 1948 में किया गया था। इस उद्घाटन समारोह में सरदार वल्लभ भाई पटेल और तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह सहित कई दिग्गज नेता शामिल हुए थे, जो इस स्मारक के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। यह 'शहीद मीनार' पंडित शीलभद्र याजी और बख्तियारपुर के लोगों के लिए आज़ाद हिन्द फ़ौज और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रति उनके अटूट समर्पण का प्रतीक है।

नालंदा विश्वविद्यालय का जलना मानवता और ज्ञान के इतिहास में सबसे बड़ी क्षति में से एक था। बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वव...
02/12/2025

नालंदा विश्वविद्यालय का जलना मानवता और ज्ञान के इतिहास में सबसे बड़ी क्षति में से एक था।

बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को जलाने के पीछे मुख्य रूप से दो कारण बताए जाते हैं, जिनका उल्लेख फारसी इतिहासकार मिनहाजुद्दीन सिराज ने अपनी किताब 'तबाकत-ए-नासिरी' में भी किया है:

1. नालंदा विश्वविद्यालय को क्यों जलाया गया?
क. बौद्ध धर्म और ज्ञान को मिटाना
बख्तियार खिलजी तुर्क-अफगान सैन्य जनरल था और वह उत्तर और पूर्वी भारत पर अपनी विजय के दौरान बौद्ध ज्ञान के इस केंद्र को मिटा देना चाहता था।

कई इतिहासकारों का मानना है कि खिलजी, बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार को रोकना चाहता था और उसे यह शिक्षा केंद्र इस्लाम के लिए एक चुनौती के रूप में लगता था।

नालंदा एक विशाल बौद्ध मठ का भी हिस्सा था, और खिलजी ने बौद्ध भिक्षुओं और विद्वानों की हत्या करके इस ज्ञान की जड़ को समाप्त करने का प्रयास किया।

ख. ईर्ष्या और बदले की भावना (स्वास्थ्य से जुड़ी कहानी)
सबसे प्रचलित और भावनात्मक कहानी यह है कि खिलजी एक बार गंभीर रूप से बीमार पड़ गया था। उसके यूनानी हकीम (चिकित्सकों) के इलाज से उसे कोई लाभ नहीं हुआ।

तब किसी ने उसे नालंदा विश्वविद्यालय के आयुर्वेद विभाग के प्रमुख आचार्य राहुल श्रीभद्र से इलाज करवाने की सलाह दी।

खिलजी को यह मंजूर नहीं था कि एक भारतीय वैद्य उसके हकीमों से अधिक ज्ञानी हो। उसने आचार्य के सामने यह शर्त रखी कि वह बिना किसी हिंदुस्तानी दवा का इस्तेमाल किए उसे ठीक कर दें।

आचार्य राहुल श्रीभद्र ने खिलजी को एक कुरान दी और कहा कि कुरान के पन्ने पलटने से पहले अपनी उंगली पर मुँह से थूक लगाकर पन्ने पलटे। आचार्य ने कुरान के कुछ पन्नों पर दवा का लेप लगा दिया था। जब खिलजी ने पन्ने पलटे, तो दवा उनके मुंह के रास्ते पेट में चली गई और वह ठीक हो गया।

ठीक होने पर खिलजी को खुशी के बजाय गुस्सा और चिढ़ महसूस हुई कि भारतीय वैद्यों के पास उसके हकीमों से ज्यादा ज्ञान है। इसी ईर्ष्या और चिढ़ में उसने भारतीय ज्ञान के केंद्र को नष्ट करने का फैसला किया और 1193 ईस्वी के आसपास विश्वविद्यालय में आग लगवा दी।

2. किताबें कितने दिनों तक जलती रहीं?
इतिहासकारों और विभिन्न स्रोतों के अनुसार, नालंदा विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में रखी हुई किताबें कई महीनों तक जलती रहीं।

सबसे अधिक विश्वसनीय स्रोतों में यह बताया गया है कि विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी लगभग तीन (3) महीने तक जलती रही।

नालंदा के पुस्तकालय को 'धर्म गूंज' (Dharma Gunj) कहा जाता था, जो एक नौ-मंजिला भवन था और इसमें अनुमानित 90 लाख (9 मिलियन) से भी अधिक पांडुलिपियाँ और किताबें रखी हुई थीं।

पुस्तकों की यह विशाल संख्या ही वह मुख्य कारण थी जिसके चलते आग हफ्तों और महीनों तक धधकती रही। कुछ अन्य स्रोत छह (6) महीने तक आग जलने का भी दावा करते हैं, लेकिन तीन महीने सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत अवधि है।

यह मानवता और ज्ञान के इतिहास में सबसे बड़ी क्षति में से एक था।

बख्तियारपुर विधानसभा सीट की स्थापना बिहार विधानसभा के गठन के साथ ही हुई।​⏳ स्थापना और प्रथम चुनाव​स्थापना वर्ष: बख्तियार...
01/12/2025

बख्तियारपुर विधानसभा सीट की स्थापना बिहार विधानसभा के गठन के साथ ही हुई।
​⏳ स्थापना और प्रथम चुनाव
​स्थापना वर्ष: बख्तियारपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी।
​प्रथम चुनाव: इस सीट पर पहला विधानसभा चुनाव 1952 में हुआ था।
​प्रथम विधायक: 1952 के पहले चुनाव में सुंदरी देवी (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) यहां की प्रथम विधायक बनी थीं।
​🗺️ भौगोलिक क्षेत्र
​बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र पटना साहिब लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है।
​इसमें मुख्य रूप से बख्तियारपुर, दनिआवां, और खुसरूपुर प्रखंड (ब्लॉक) शामिल हैं।

बख्तियारपुर का राजनीतिक इतिहास: सुंदरी देवी से अरुण कुमार तक 73 सालों का सफर
24/11/2025

बख्तियारपुर का राजनीतिक इतिहास: सुंदरी देवी से अरुण कुमार तक 73 सालों का सफर

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बड़ा खुलासा बख्तियारपुर विधायक अरुण कुमार को बख्तियारपुर और खुसरुपूर प्रखण्ड से हुई थी हार, दनियावां प्रखण्ड ने दिलाई जीत...
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बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी।यहाँ के प्रथम विधायिका श्रीमती सुंदरी देवी थीं, जो भारतीय राष्ट्...
19/11/2025

बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी।
यहाँ के प्रथम विधायिका श्रीमती सुंदरी देवी थीं, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से थीं। उन्होंने 1952 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी।
📅 मुख्य तथ्य
* स्थापना वर्ष: 1951 (पहले आम चुनाव से पूर्व)
* पहला चुनाव: 1952
* प्रथम विधायक: श्रीमती सुंदरी देवी
* पार्टी: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)

बख्तियारपुर विधानसभा चुनाव परिणाम 2025 घोषित! लोजपा के अरुण कुमार ने RJD के अनिरुद्ध कुमार को हराया
15/11/2025

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14/11/2025

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