
08/02/2025
हर पन्नों पर
तेरा ही अक्स
उभर कर आया है
तू बन गया लफ्ज़
अश्कों का समंदर
छलक आया है ..
ना तू मुझसे ज़ुदा है
ना ही मेरा बन पाया है
कुछ तो कशिश है जो
मुझे तेरे क़रीब लाया है ..
हर फासलों को मिटा
मैंने तेरे वज़ूद में
ख़ुद को पाया है
कभी मिले थे दो दिल
अब दो जिस्म एक जान हैं ..
तड़प रही है
आज मोहब्बत
तेरे ही इंतज़ार में
मेरी ग़ज़लों में
तेरा ही नूर समाया है ..