11/07/2025
मानव सभ्यता ने जब चक्र का आविष्कार किया था, तब उसने गति को पाया। जब बिजली की खोज हुई, तब उसने शक्ति को पाया। और अब जब हमने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोटिक तकनीक को विकसित किया है, तब हम एक ऐसे युग की ओर बढ़ रहे हैं जहाँ मशीनें केवल हमारे आदेश नहीं मानेंगी, बल्कि स्वयं निर्णय भी ले सकेंगी। रोबोट अब केवल कारखानों तक सीमित नहीं हैं। वे हमारे घरों, अस्पतालों, युद्धक्षेत्रों और यहां तक कि हमारे दिलों तक पहुँच चुके हैं — सहायक, साथी और कभी-कभी प्रतिस्पर्धी बनकर।
आज के समय में रोबोट मानव के कई कार्यों को तेज़ी, कुशलता और निरंतरता से कर रहे हैं। कारखानों में वे हजारों बार एक ही प्रक्रिया को दोहराते हुए उत्पादन को गति देते हैं। चिकित्सा में वे सर्जरी जैसी सूक्ष्म प्रक्रिया को अधिक सटीकता के साथ पूरा करते हैं। घरेलू जीवन में वे सफाई, खाना पकाने और निगरानी जैसे कार्यों में लग चुके हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि भविष्य का मानव धीरे-धीरे श्रम से मुक्त होता जा रहा है, और यह कार्य मशीनें संभाल रही हैं।
लेकिन इस उज्ज्वल तस्वीर के पीछे कुछ गहरे सवाल भी हैं। यदि रोबोट हमारी नौकरियाँ कर रहे हैं, तो लाखों लोग बेरोजगार हो सकते हैं। यदि वे निर्णय लेने में सक्षम हैं, तो उनकी नैतिकता किसके अधीन होगी? यदि वे युद्ध में शामिल होते हैं, तो शांति की परिभाषा क्या रह जाएगी? और यदि कभी रोबोट यह समझने लगें कि वे हमसे अधिक बुद्धिमान हैं, तो क्या वे हमारे नियंत्रण में रहेंगे?
फिर भी, तकनीक का भय दिखाकर उसे रोकना समाधान नहीं है। समाधान यह है कि हम तकनीक के विकास को मानवीय मूल्यों, नैतिकता और न्याय के साथ जोड़ें। रोबोट को ऐसा साथी बनाएं जो हमें सक्षम बनाए, हमारा स्थान न ले। वह हमारे आदेशों का पालन करे, हमें नियंत्रित न करे।
भविष्य की कल्पना एक ऐसे समाज के रूप में की जा सकती है जहाँ मानव अपनी रचनात्मकता, संवेदनशीलता और विचारशीलता से रोबोट की शक्ति को दिशा दे। जहाँ मशीनें हमारे लिए काम करें, लेकिन निर्णय और दृष्टि हमारे पास बनी रहे।
रोबोट का युग आने वाला नहीं है, वह पहले ही हमारे दरवाज़े पर दस्तक दे रहा है। सवाल यह नहीं है कि रोबोट क्या कर सकते हैं। सवाल यह है कि हम उन्हें क्या करने देना चाहते हैं। यही निर्णय हमारे भविष्य की दिशा तय करेगा।