25/07/2025
🗳️ "मेहमान की तरह आए, वोट डाला और चले गए!"
📍 प्रवासी मतदाताओं ने मतदान के लिए दिखाई जबरदस्त उत्सुकता
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प्रवासी मतदाताओं ने जबरदस्त जोश दिखाया। दिल्ली, नोएडा, चंडीगढ़ जैसे बड़े शहरों से लोग खास तौर पर वोट डालने अपने गांव लौटे और मतदान कर तुरंत वापस भी चले गए। कई लोगों ने सिर्फ एक दिन की छुट्टी लेकर अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
🔹 चुनावी मैदान में डटे प्रत्याशियों के राजनीतिक भविष्य का फैसला कहीं न कहीं इन प्रवासियों ने ही कर डाला।
🔹 कोटद्वार, सतपुली, बैजरो, नैनीडांडा और बीरोंखाल ब्लॉक के कई गांवों में प्रवासियों की सक्रिय भागीदारी से चुनावी माहौल गरमा गया।
🔹 कई ऐसे गांव रहे जहां प्रत्याशी स्थानीय थे, लेकिन समर्थन तय करने वाले प्रवासी मतदाता ही थे।
📸 तस्वीर में: मतदान के बाद स्याही दिखाते उत्साहित प्रवासी मतदाता
🗣️ पहाड़ न्यूज़ 24 की राय:
"त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में इस बार प्रवासी मतदाताओं की भूमिका ने एक नई दिशा और सोच को जन्म दिया है। जो लोग रोज़गार और शिक्षा के लिए सालों से गांव से बाहर हैं, उन्होंने चुनाव के समय गांव लौटकर यह साबित कर दिया कि लोकतंत्र की असली ताकत आज भी ग्रामीण भारत में है।
हालाँकि, यह चिंता का विषय भी है कि ये मतदाता केवल ‘मेहमान’ बनकर वोट डालने आते हैं और चुनाव के बाद वापस लौट जाते हैं — न वे गांव की दिक्कतें झेलते हैं, न ही विकास में प्रत्यक्ष भागीदारी करते हैं। सवाल यह है कि क्या जिन प्रत्याशियों को प्रवासी वोटों से जीत मिलती है, वे स्थायी ग्रामीणों की समस्याओं को प्राथमिकता देंगे?
प्रवासी मतदाताओं की भागीदारी स्वागतयोग्य है, लेकिन ज़रूरत इस बात की है कि वे सिर्फ मतदान तक सीमित न रहें, बल्कि गांव की तस्वीर और तक़दीर बदलने की निरंतर प्रक्रिया में भी भागीदार बनें।"
👉 क्या यही असली लोकतंत्र की ताकत है?
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