30/05/2025
हमारी थाली में शाकाहारी व्यंजनों का खजाना पड़ा है मग़र हम हर सब्जी को चिकन-मटन की कसौटी पर तौलते हैं! गोभी और कटहल को “वेज चिकन,” पनीर को “शाकाहारी मटन,” और बेंगन, भिंडी को तो “वैज मछली” कहा जाता है! पिछले महीने मैंने दोस्त के बच्चों को बटर पनीर खिलाया, पूछा, “बेटा, कैसा लगा?” तपाक से जवाब आया “अंकल, बिल्कुल चिकन टिक्का जैसा!” हम बच्चों के लिए जीभ की पाठशाला शुरू कर देते हैं जहां हम उन्हें सब्जी न खाने पर नॉनवेज से उसकी तुलना करके खिलाते हैं। हमारी जीभ का एक स्वाभाविक स्वाद होता है, मगर एक स्वाद वह है, जो हमारे आसपास का समाज व हमारा परिवार हमारे लिए तैयार करता है।
दिक्कत ये नहीं कि कोई शाकाहारी है या मांसाहारी, सभी की अपनी पसंद और अधिकार है। The लेंसट (2021) का शोध कहता है कि 6 साल की उम्र तक बच्चे का स्वाद विकास होता है। इस नाजुक वक्त में अगर हम पालक को “मछली का चचेरा भाई” कहकर परोसेंगे, तो बेचारे बच्चे दाल के तड़के की खुशबू को क्या समझेंगे? The Journal of Sensory Studies (2020) की रिसर्च तो और खुलासा करती है—हमारा स्वाद सांस्कृतिक आदतों का गुलाम है। भारत में मांस को रईसी का तमगा मिला है, तो हम शाकाहारी थाली को भी उसी रंग में रंग देते हैं।
The American Journal of Clinical Nutrition (2019) का अध्ययन कहता है कि शाकाहारी खाना हार्ट अटैक, डायबिटीज, और कैंसर का रिस्क घटाता है, क्योंकि इसमें सैचुरेटेड फैट और कोलेस्ट्रॉल की छुट्टी है, और फाइबर, विटामिन, फाइटोकेमिकल्स का श्रेष्ठ साधन है। मटन-चिकन में प्रोटीन तो है, मगर कोलेस्ट्रॉल का बोनस फ्री! The Lancet Planetary Health (2018) बताता है, कि शाकाहारी खाना प्रकृति का दोस्त है। सहजन (मोरिंगा) को देखो—100 ग्राम में 9.4 ग्राम प्रोटीन, 64 मिलीग्राम विटामिन C, 2.6 मिलीग्राम आयरन! चिकन (0.7 मिलीग्राम आयरन) और मटन (13 ग्राम प्रोटीन) इसके सामने फीके। पालक में 2.7 मिलीग्राम आयरन और विटामिन K का खजाना। मसूर दाल में 7.5 मिलीग्राम आयरन, चना में 19 ग्राम प्रोटीन। क्विनोआ में 14 ग्राम प्रोटीन और सारे अमीनो एसिड। ब्रोकली में 89 मिलीग्राम विटामिन C।,मशरूम में विटामिन D। टोफू में 17 ग्राम प्रोटीन। चौलाई (अमरंथ) में 14 ग्राम प्रोटीन, 7 मिलीग्राम आयरन। केले में विटामिन A, C, K। कटहल में प्रोटीन और मांस जैसी बनावट। स्पिरुलिना में 57 ग्राम प्रोटीन—मांस को रिटायर कर दे! Nutrients (2020) कहता है, कि ये सुपरफूड्स मांस से ज्यादा पोषक घनत्व देते हैं।
बचपन में नॉनवेज या अण्डा जबरन खिलाने पर जब बच्चा उल्टी करता है, तब भी हमारी कोशिश पोषक तत्वों का रोना रोकर बच्चों को खिलाने की होती है। Journal of Nutrition Education and Behavior (2020) कहता है, बच्चों को रसोई में घुसाओ—मसाले सूंघने दो, सब्जी काटने दो, उनके स्वाद की दुनिया खुल जाएगी उनका चिंतन व्यापक हो जाएगा। अगर नॉनवेज का शौक है तो आराम से खाओ मगर शाकाहारी खाने को मांस की बैसाखी देना बंद करो, जो बेहतर होता है उसे प्रमाण सहारे की आवश्यकता नहीं होती है। दुनिया में अपने शरीर को हम सबसे बेहतर समझते हैं,लगातार कुछ वर्ष दोनों में से एक चीज का सेवन करने के बाद आपका शरीर बता देता है आपके लिए क्या बेहतर है। सभी की रुचि स्वाद विकल्प और जिज्ञासा अलग होती है, सभी को निर्णय लेने का पूरा अधिकार है, इसलिए लेख का मूल विषय समझेंगे कि यह भेद नहीं बल्कि एक स्वस्थ पर विमर्श है 😊
मनी नमन©