30/09/2025
हम जेब मे मूंगफली भर लाए थे, मग़र अम्मा की धोती की गांठ मे कुछ फूल थे, जिन्हें वो रामलीला मे राम लखन को अर्पित करने लाई थी। हम बोर होकर मोबाइल मे डूबे थे और अम्मा की आत्मा संवाद के अंदर मगन थी।अम्मा आज भी आदतन अपने बैठने के लिए साथ में बोरा ले आती है।अम्मा ही तो है जो राम को राम ही समझती है, 🥹❤️ अम्मा के रहते रामलीला हैं....उसकी एक हथेली मे संस्कृति है दूजे मे चिंता 🥹❤️