भगवान प्रसाद गौड़

भगवान प्रसाद गौड़ समाज उत्थान और बुराई के विरुद्ध... जनता की आवाज Midea And PR Works

20/11/2025

"झूठ-कपट इष्ट हो गये”
मनुष्य की वास्तविक प्रतिष्ठा धन, वैभव और बाहरी जड़ सुखों से नहीं मापी जाती। स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज कहा करते थे—
“इज्जत धन से नहीं, गुण और चरित्र से उत्पन्न होती है।”

यदि कोई अपनी मान-मर्यादा को केवल लाखों-करोड़ों की संपत्ति में खोजता है तो वह भ्रम में है। सोचिए—यदि किसी गाँव में सभी लोग लखपति हों और कोई निर्धन न हो, तो क्या वहाँ किसी एक लखपति का विशेष सम्मान होगा?
स्पष्ट है कि धनवान की प्रतिष्ठा निर्धन के कारण ही दिखाई देती है, धनवानों के बीच वह प्रतिष्ठा स्वयं लुप्त हो जाती है।

इसी प्रकार श्री महाराज कहते हैं—
जैसे मूर्खों की उपस्थिति से ही विद्वान की विद्वता प्रकट होती है, परंतु विद्वान किसी को मूर्ख नहीं बनाता। धनवान तो अनेक बार अपनी संपन्नता के कारण दूसरों को निर्धन कर देता है, पर विद्वान कभी ज्ञान के कारण किसी को अज्ञान नहीं देता—वह तो प्रकाश ही फैलाता है।

आज का समय बड़ा विचित्र हो गया है।
न भगवान् पर भरोसा रहा, न प्रारब्ध पर विश्वास रहा और न ही पुरुषार्थ की पवित्रता में दृढ़ निष्ठा।
इसके स्थान पर मनुष्य ने झूठ, कपट और छल को ही व्यापार और व्यवहार का अनिवार्य साधन मान लिया है।
लोग कहते फिरते हैं कि “झूठ-कपट के बिना व्यापार नहीं चलता”—
और इस प्रकार असत्य को ही इष्ट, प्रिय और उपयोगी मान लिया गया है।

स्वामी रामसुखदास जी सतत चेताते थे कि—
जिस समाज में सत्य का मूल्य गिरता है, वहाँ मनुष्यत्व भी गिरने लगता है।
असत्य तात्कालिक लाभ तो दे सकता है, परंतु वह जीवन से शांति, प्रसन्नता और आत्मबल छीन लेता है।

इसलिए, अपने जीवन की दिशा सत्य, सरलता और निष्कपटता की ओर मोड़नी चाहिए।
यही मनुष्य की सच्ची प्रतिष्ठा है, यही उसकी वास्तविक पूँजी है।

19/11/2025

समय की महत्व।
परम श्रद्धेय स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज आधुनिक संत परंपरा के उन दुर्लभ महापुरुषों में से थे, जिनकी वाणी में वेद–उपनिषदों की अनुभूति और लोकव्यवहार की सरलता एक साथ प्रवाहित होती थी। 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में जब भारतीय समाज भौतिकता की ओर तेजी से बढ़ रहा था, तब स्वामी जी जैसे संत समय, जीवन और साधना की वास्तविकता को मानव हृदय में पुनः जीवित कर रहे थे। उनका हर प्रवचन केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना का भी स्वर था।
6 नवम्बर 1993 की प्रातः बेला में दिए गए उनके प्रवचन—“समय का मूल्य”—में स्वामी जी मानव जीवन की क्षणभंगुरता को अत्यंत करुण, परंतु सत्य उजागर करने वाली शैली में समझाते हैं। वे कहते हैं—
“हम जी रहे हैं, इसमें हमारा क्या बल है? जीवन की डोरी स्वांसों से बंधी है; स्वांस बढ़ते नहीं, केवल घटते हैं।”
यह कथन भारतीय संत साहित्य की उस परंपरा को आगे बढ़ाता है, जिसमें कबीर, तुलसी, और नाभा दास जैसे संत भी समय की अनमोलता को जीवन का मूल तत्व बताते हैं।
स्वामी जी आगे इतिहास-सम्मत तर्क देते हैं कि मनुष्य युगों से धन के पीछे दौड़ता रहा, परंतु किसी युग में किसी ने धन को साथ ले जाते नहीं देखा। परम्परागत भारतीय जीवनदृष्टि में उदारता को सदैव उच्च स्थान दिया गया, और स्वामी जी उसी धरोहर की पुनः स्मृति कराते हैं-
“कंजूसी नरकों का द्वार है; उदार भाव साथ चलता है।”
वे मनुष्य जीवन की उपजाऊ क्षमता को वृंदावन की पावन भूमि से जोड़ते हुए कहते हैं कि जैसे उपजाऊ जमीन पर खेती अच्छी होती है, वैसे ही मनुष्य शरीर और सत्संगभूमि में भजन-ध्यान का फल अत्यधिक मिलता है।
गीता-पाठ, रामायण-श्रवण, भजन, परोपकार—ये भारतीय सांस्कृतिक इतिहास के वही स्तंभ हैं जो व्यक्ति और समाज दोनों को उन्नत करते आए हैं।
स्वामी जी का अंतिम संदेश कालजयी है—
“शुभ काम पहले करो। नींद घटाकर जप-ध्यान करो तो मानो समय पैदा कर लिया।”
उनकी वाणी केवल प्रवचन नहीं, बल्कि भारतीय आध्यात्मिक इतिहास की निरंतर चलती धारा का जीवंत प्रवाह है।

आलेख
13/11/2025

आलेख

पहले जब भी आतंकी हमलों की घटनाएँ सामने आती थीं, तो उनमें शामिल लोग आमतौर पर गरीब, अशिक्षित और गुमराह वर्ग से होते थे.....

https://rnewsindialive.blogspot.com/2025/11/blog-post_16.html
12/11/2025

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लेखक - भगवान प्रसाद गौड़, उदयपुर विश्व दयालुता दिवस पर आज मन स्वयं से एक प्रश्न पूछता है-क्या सचमुच हमारा समाज दयालु...

🌏 November 13 — World Kindness Day 🌿In today’s fast-changing world, compassion and kindness seem to be fading away. What...
12/11/2025

🌏 November 13 — World Kindness Day 🌿

In today’s fast-changing world, compassion and kindness seem to be fading away. What was once a natural part of our values and culture has now become rare—often limited to words or special occasions.

On this day, I have written an article reflecting on the true meaning of kindness, its changing presence in society, and why humanity needs it now more than ever.
I invite you all to read it and share your thoughts.

🕊️ Let’s bring kindness back into our actions and lives — because that is our true human identity.



On the occasion of World Kindness Day, the heart raises a question — is our society truly kind today? Why do incidents around us continue to shake the very core of human sensitivity? Each day brings reports of cruelty against innocents and tragic acts of violence. The recent loss of 26 innocent li...

🌧️ बेमौसम की बरसात… और मन की बेचैनीपिछले 36 घंटों से देश के कई हिस्सों से एक जैसी खबरें आ रही हैं —कहीं तेज़ बारिश, कहीं...
28/10/2025

🌧️ बेमौसम की बरसात… और मन की बेचैनी

पिछले 36 घंटों से देश के कई हिस्सों से एक जैसी खबरें आ रही हैं —
कहीं तेज़ बारिश, कहीं ओलावृष्टि, तो कहीं फसलों पर पड़ी पानी की मार।

जब ख़बरें पढ़ीं, तस्वीरें देखीं, और किसानों की आवाज़ सुनी —
मन थम सा गया।

हम विकास की दौड़ में लगातार आगे बढ़ते जा रहे हैं,
लेकिन प्रकृति का संतुलन अब केवल चेतावनी नहीं दे रहा,
कभी भी हमारे दरवाज़े पर दस्तक दे सकता है।

किसान की फसल केवल अनाज नहीं होती,
वह उसके स्वप्न, उसकी पूरी ऋतु की मेहनत,
और उसके बच्चों की अगली उम्मीद होती है।

जब एक रात की बारिश उसे बहा ले जाए,
तो नुकसान सिर्फ खेत में नहीं होता…
मन के भीतर भी होता है।

आज यह बरसात सिर्फ मौसम की ख़बर नहीं,
यह सिस्टम, प्लैनिंग और जल प्रबंधन पर बड़े सवाल खड़े करती है।
क्या हम सच में तैयार हैं?
या केवल इंतज़ार कर रहे हैं कि समस्या और बड़ी हो जाए?

अब समय है —
केवल रिपोर्ट्स नहीं, समाधान पर साथ आने का।
नीति, समाज और संवेदना — तीनों की साझेदारी की ज़रूरत है।

प्रकृति रूठी नहीं है,
बस थक गई है।

लेखक: भगवान प्रसाद गौड़, उदयपुर बेमौसम बरसात ने एक बार फिर हमारे तथाकथित विकास की सच्चाई उजागर कर दी। हम गर्व से ‘स्...

18/10/2025

Celebrating my 10th year on Facebook. Thank you for your continuing support. I could never have made it without you. 🙏🤗🎉

डॉ. वर्णिका शर्मा जी,अध्यक्ष, बाल संरक्षण आयोग को राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त होने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।आपकी यह...
17/10/2025

डॉ. वर्णिका शर्मा जी,अध्यक्ष, बाल संरक्षण आयोग को राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त होने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
आपकी यह उपलब्धि आपके समर्पण, कर्मनिष्ठा और समाज सेवा के प्रति आपकी प्रतिबद्धता का परिणाम है।
आपका कार्य क्षेत्र बाल संरक्षण के साथ-साथ नारी सशक्तिकरण और मानवीय मूल्यों को भी नई दिशा प्रदान कर रहा है।

ईश्वर से प्रार्थना है कि आप इसी प्रकार समाजहित में अपनी सेवाएं देती रहें।

प्रेम के आराध्य में दो ही किरदार खूबसूरत होते हैं ....इंतजार करता हुआ पुरुष और साथ निभाती हुई स्त्री ....
16/10/2025

प्रेम के आराध्य में
दो ही किरदार
खूबसूरत होते हैं ....

इंतजार करता हुआ पुरुष और
साथ निभाती हुई स्त्री ....

मानसिक स्वास्थ्य पर मेरा आलेख।
08/10/2025

मानसिक स्वास्थ्य पर मेरा आलेख।


डिजिटल युग में जीते हुए भी हमें स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण रखना होगा।मन की शुचिता ही सर्वोपरि है—क्योंकि यदि मन दूष....

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